Introduction to Economic Planning in India
Economic planning in India has been pivotal since independence, blending static concepts with current developments, including the roles of NITI Aayog and previous planning frameworks. Understanding the evolution of economic planning is vital for grasping India's growth trajectory and policy-making.
Fundamental Economic Questions and Planning
- India operates as a mixed economy, blending private and government roles in answering fundamental questions: What to produce? How to produce? For whom to produce? Learn more about this in Comprehensive Overview of Agriculture and Its Practices in India.
- Planning is critical where government control is significant to allocate resources efficiently, meet objectives like growth, equity, and self-reliance.
Types of Economic Systems
- Open Economy: Engages in international trade, importing and exporting goods.
- Closed Economy: Self-sufficient with minimal external economic interaction. India has historically operated as a mixed economy with a tilt toward socialism in early decades, evolving over time.
Historical Economic Plans and Contributions
- M. Visvesvaraya Plan: Focused on shifting labor from agriculture to industry, doubling national income; emphasized industrial development and engineering innovations.
- Congress Plan (1938): Established the National Planning Committee under Nehru's leadership to envision planned development.
- Bombay Plan (1944): Advocated rapid industrialization with a crucial role for the state alongside private sectors. For further insights, see The Untold Story of the Bombay Plan: India's Economic Blueprint of 1945.
- Gandhian Plan: Emphasized village economies, small-scale industries, and decentralized planning.
- People's Plan: Based on M.N. Roy’s ideas, focusing on economic freedom for producers and state control over agriculture.
- Sarvodaya Plan: Inspired by Vinoba Bhave, promoting land reforms and decentralization.
Five-Year Plans Overview
- First Plan (1951-56): Focus on agriculture, irrigation, and public sector; successful due to good monsoon and infrastructure development.
- Second Plan (1956-61): Emphasized heavy industries and import substitution; introduced Industrial Policy Resolution.
- Third Plan (1961-66): A failure due to wars, droughts, and economic instability.
- Plan Holiday (1966-69): No formal planning due to crises.
- Green Revolution: Initiated to improve agricultural productivity, ensuring food security.
- Fourth to Seventh Plans: Focus varied from stability and self-reliance to poverty alleviation and rural development; included bank nationalization and social reforms.
- Eighth to Eleventh Plans: Emphasis on economic reforms, technology, faster and inclusive growth.
- Twelfth Plan (2012-17): Focused on sustainable and inclusive growth.
Transition from Planning Commission to NITI Aayog
- The Planning Commission, a top-down, centralized body formed in 1950, became less effective due to limited state roles and coordination issues.
- In 2015, it was replaced by NITI Aayog to promote bottom-up planning, cooperative federalism, and active state participation. For an in-depth understanding, refer to Understanding Recent Constitutional Amendments in India.
- NITI Aayog emphasizes convergence, competition, collaboration (Triple C) among states to achieve developmental goals.
Key Concepts in Planning
- Directional Planning: Centralized plan directing economic activity.
- Indicative Planning: Suggestive plans encouraging private sector participation.
- Democratic Planning: Plans based on people's needs.
- Perspective Planning: Long-term phased plan (15-25 years).
- Decentralized Planning: Planning at local levels enhancing participation and customization.
Economic Philosophies and Theories
- Adam Smith’s Invisible Hand favored minimal government intervention.
- Great Depression (1929) showcased capitalism's limits, highlighting state intervention's necessity.
- Marxist-influenced plans emphasized state control and agriculture nationalization.
- Amartya Sen’s Capability Approach stresses freedom and opportunities as development metrics, encouraging active citizen participation. Explore more in Complete Guide to the Indian Constitution: Key Points and Insights.
Challenges in Indian Planning
- License Raj and excessive regulations hindered private sector growth.
- Non-performing assets and inefficiencies in public sector undertakings.
- Balancing growth, equity, inclusiveness, and sustainability.
Recent Developments and Focus Areas
- Emphasis on sustainable development aligning with global goals.
- NITI Aayog’s role in monitoring state performances on health, education, innovation, and economic indices.
- Ongoing reforms in banking, rural employment (MGNREGA), and local governance (Panchayati Raj).
Conclusion
India’s economic planning journey reflects a continuous evolution shaped by domestic needs, global experiences, and shifting governance paradigms. Understanding historical plans, models, and reforms provides invaluable insights into the nation’s growth path and future planning strategies.
This comprehensive overview is essential for students, researchers, and policymakers delving into India's economic planning, offering a detailed yet accessible roadmap of key developments from independence to the present day.
हेलो एवरीवन वेलकम टू पीडब्ल्यू ओनली आईस दोस्तों इकॉनमी के सेशन के अंदर आप सभी का स्वागत है अभी तक हमने टोटल तीन
चैप्टर डिस्कस कर लिए हैं आज हम अपना चैप्टर नंबर फोर इकोनॉमिक प्लानिंग इन इंडिया को डिस्कशन करेंगे ठीक है दोस्तों
जब हम बात करता हूं इस पर्टिकुलर टॉपिक की तो कई बार क्वेश्चन इसके रिगार्डिंग प्रीलिम्स में भी पूछे गए हैं कुछ बार
इसके रिगार्डिंग जो क्वेश्चन है वो मेंस में भी आए हैं तो थोड़ा सा हम उसका भी एक आईडिया लेंगे किस तरह के क्वेश्चन आते हैं
पर ये जो टॉपिक है ना ये एक मिक्सचर है मैं आपको एक चीज बताता हूं मिक्सचर चलो दो चीजों का तो है ही है कि आपका इस चैप्टर
से स्टैटिक चीजें तो हमें पता होनी ही चाहिए प्लस कुछ एक करंट एस्पेक्ट्स भी आ चुके हैं मैं आपको एक्सप्लेन करूंगा लेटर
पार्ट ऑफ द लेक्चर में नीति आयोग और बाकी चीजों के बारे में तो स्टैटिक और करंट का तो इंपॉर्टेंस है ही है तो लेक्चर तो
देखना ही है प्लस एट द सेम टाइम कुछ नए डेवलपमेंट्स हो रही है कुछ नए इंसेस आ रहे हैं नीति आयोग के द्वारा तो उनके बारे में
हमें चीजें पता होनी चाहिए दैट इज वन एस्पेक्ट ठीक है तो यह बात आपको पता होनी चाहिए इसके साथ ही साथ अगर मैं बात करूं
ओवरऑल तो आपका यह जो टॉपिक है प्रिलिम्स मेंस के लिए जैसे मैंने कहा दोनों के लिए डेफिनेटली यह बात आपकी इंपॉर्टेंट बन जाती
है तो आप लोगों को क्या करना है आप लोगों को इंश्योर यह करना है कि इस लेक्चर को देखो पर यहां पर कुछ कांसेप्चुअल चीजें
होंगी नो डाउट अबाउट इट बट एट द सेम टाइम यहां पर कुछ ऐसे चीजें भी होंगी जो आपको याद करनी होंगी कुछ फैक्चर चीजें मैं आपको
प्रोवाइड करूंगा यहां पर इस लेक्चर के अंदर वो हमें याद करनी होगी जैसे फॉर एग्जांपल कई बार होता है ना कि यार इस
पर्टिकुलर प्लान में क्या हुआ उसमें क्या हुआ कई बार ऐसे फैक्चर क्वेश्चन आ जाते हैं मेरी कोशिश रहेगी कि मैं आपको इतना
कांसेप्चुअली समझाऊं कि आप बहुत ज्यादा चीजें आपको रटने ना पड़े पर फिर भी कुछ एक माइनर एस्पेक्ट्स होंगे जो आपको यहां पर
याद करने या फिर थोड़ा फैक्ट्स उनको याद करना पड़ सकता है आई होप दैट इज क्लियर ठीक है तो एक काम करते हैं फिर स्टार्ट
करते हैं आज के सेशन को आप लोग जानते ही होंगे इस कोर्ट के बारे में तो ठीक है कई बार हमने डिस्कशन कर लिया एंड अगर आप मेरे
से कनेक्ट करना चाहते हैं तो ऋषभ शर्मा सर पीडब्ल्यू इस टेलीग्राम चैनल प आप मेरे साथ कनेक्ट कर सकते हैं स्टार्ट करते
हैं पहली चीज तो आप लोग यह समझो कि जब हमने चैप्टर वन पढ़ा था तब हमने एक चीज डिस्कशन करी थी हमने डिस्कशन करी थी कि
इकॉनमी के ना तीन फंडामेंटल क्वेश्चन हो याद है सभी लोगों को क्या थे ये तीन फंडामेंटल
क्वेश्चंस यह फंडामेंटल क्वेश्चंस थे व्हाट टू प्रोड्यूस हाउ टू प्रोड्यूस
फॉर होम टू प्रोड्यूस अब बोलोगे हां सर यह चीज हमने डिस्कस करी थी व्हाट टू प्रोड्यूस हाउ टू
प्रोड्यूस एंड फॉर होम टू प्रोड्यूस एंड हमने यह भी देखा था कि डिपेंडिंग अपॉन द फैक्ट इन सवालों का जवाब कौन दे रहा है
उसके हिसाब से हमारे पास तीन अलग-अलग एंटिटीज बन गई थी एक को हमने बोला कि जहां पर प्राइवेट सेक्टर इनका जवाब दे रहा
है राइट जो आपके रिसोर्सेस है वो कहीं ना कहीं प्राइवेट सेक्ट के कंट्रोल में ज्यादा है वेर एस एक ऐसा था जहां पर
गवर्नमेंट का कंट्रोल ज्यादा है राइट और एक हमने बोला था बीच में जहां पर हमें मिक्स्ड इकॉनमी देखने को मिल जाती
है एंड हमने यह भी डिस्कस किया कि किस तरह से आपका कैपिट जम हो गया सोशलिज्म हो गया और मिक्स्ड इकॉनमी हमें देखने को मिल जाती
है अब एक चीज आप लोग बताओ कि जब मैं बात करता हूं प्लानिंग की तो क्या लगता है प्लानिंग कहां पर सबसे जदा रिलेवेंट हो
जाएगा आप बोलोगे सर वैसे तो प्लानिंग सब जगह ही रिलेवेंट है पर फिर अगर मैं बात करूं ना
तो आप नोटिस करोगे कि जब कहीं ना कहीं सरकार प्लान बना रही है जहां पर सोशलिज्म का थोड़ा बोलबाला ज्यादा है या जहां पर
आपका मिक्स्ड इकॉनमी भी है यहां पर प्लानिंग का रोल अपने आप में इंपोर्टेंट बन जाता है आप सोच रहे होंगे क्यों ऐसा
क्यों ऐसा इसलिए क्योंकि आप एक चीज समझो ना कि जब सरकार के पास रिसोर्सेस है सरकार तय करना चाह रही है कि क्या बनाना है कैसे
बनाना है किस के लिए बनाना है तो एक भाई प्लान तो होना चाहिए आर यू गेटिंग माय पॉइंट एक्चुअल में अगर आप प्लानिंग का ना
बेसिक कांसेप्ट समझो आप एक बार प्लानिंग का बेसिक कांसेप्ट अंडरस्टैंड करो प्लानिंग का मीनिंग क्या है व्हाट डू
यू मीन बाय प्लानिंग अब एक्चुअल में जब मैं बात करता हूं दोस्तों प्लानिंग की तो प्लानिंग तो जिंदगी में सभी लोग करते
हैं प्लानिंग तो जिंदगी में सब लोग करते हैं जैसे फॉर एग्जांपल आप लोगों ने भी प्लानिंग करी होगी कि हर शाम को मतलब हर
वेनसडे शाम को 6:00 बजे आप मेरा ये लेक्चर देखोगे उसी तरह से किसी बच्चे ने प्लानिंग करी होगी सर मुझे इतने टाइम तक इकॉनमी
कंप्लीट करना इतने टाइम तक ये सब्जेक्ट कंप्लीट करना है मेरा ऑप्शनल इतने समय में कंप्लीट हो जाना चाहिए फिर इतने समय में
आंसर राइटिंग करूंगा ऐसे करूंगा वैसे करूंगा क्यों कर रहे हो आप ये सब कारण है ना इसका यही तो आपका प्लानिंग है यही तो
आपकी प्लानिंग है क्यों कर रहे हो इसका कारण यही है क्योंकि आपके दिमाग में कुछ ऑब्जेक्टिव्स है आपके दिमाग में क्या है
आपके दिमाग में कुछ ऑब्जेक्टिव्स है बिल्कुल कि आप किसी चीज को अचीव करना चाहते हो क्या है अचीव करना आपको यूपीएससी
सीएससी एग्जाम को क्रैक करना आपको बिल्कुल तो उन ऑब्जेक्टिव्स को क्या किया आपने उन ऑब्जेक्टिव तक पहुंचने के लिए आपने कुछ
छोटे छोटे प्लांस बनाए ठीक है एक तरह से कह सकते हो अपना जैसे टाइम है आपके जो रिसोर्सेस है जैसे फॉर एग्जांपल आपका टाइम
था उन रिसोर्सेस को आप कैसे एफिशिएंटली यूज करो हो ग
राइट ताकि एक तरह से आपका जो ऑब्जेक्टिव्स हैं वो अचीव हो जाए यहां पर हमारे पास क्या था रिसोर्स था टाइम क्योंकि आपके पास
पूरा जिंदगी थोड़ी है इस एग्जाम को क्लियर करने के लिए कुछ एक अटेम्प्ट्स है तो अगर आप पहले अटेम्प्ट में करना चाहते हो तो
आपके पास एक लिमिटेड टाइम होगा इस लिमिटेड टाइम के अंदर मैं क्या-क्या करूं कैसे अपने रिसोर्सेस को यूटिलाइज करूं ताकि मैं
अपने टारगेट तक पहुंच पाऊं अब ऐसे ही भाई हमारी इकॉनमी चलती है ऐसे ही हमारी इकॉनमी चलती है सरकार के पास
भी कुछ पैसा होगा सरकार के पास भी लोग हैं सरकार के पास भी लैंड है लेबर है कैपिटल है यह सब चीजें हैं बिल्कुल तो उसको हम
कैसे यूटिलाइज करें ताकि जो भी हमारे ऑब्जेक्टिव्स रहे होंगे लेट्स से सरकार का क्या उद्देश्य है सरकार का उद्देश्य है कि
देश आगे बढ़े देश में ग्रोथ हो देश आत्मनिर्भर बने तो उन पर्टिकुलर रिसोर्सेस को कैसे हम यूटिलाइज कर सकते हैं ताकि ये
जो ऑब्जेक्टिव्स है हमारे हम इनको अचीव करें इसी को बोलते हैं प्लानिंग अब प्लानिंग डेफिनेटली सब जगह होती है मैं
मना नहीं कर रहा प्लानिंग आपकी सब जगह होगी बिल्कुल आपके प्राइवेट सेक्टर में भी प्लान करता है मिक्स्ड इकॉनमी में भी
प्लानिंग होती है गवर्नमेंट में भी प्लानिंग होती है पर क्योंकि यहां पर हम बात करते हैं इकोनॉमिक प्लानिंग इन इंडिया
तो वहां पर जो मेजर बड़े-बड़े प्लांस हैं वो कौन बनाएगा वो कहीं ना कहीं आपकी सरकार बनाएगी बिल्कुल ठीक बात है एंड क्योंकि
भारत एक मिक्स्ड इकॉनमी है राइट तो यहां पर हम नोटिस करेंगे कि सरकार के द्वारा किस तरह से प्लानिंग करी गई बट इंपॉर्टेंट
बात ध्यान जो रखने वाली यही थी कि आप नोटिस करोगे कि जब भी सरकार का रोल ज्यादा होता है वहां पर प्लानिंग करना अपने आप
में बहुत ज्यादा इंपॉर्टेंट हो जाता है क्योंकि सब कुछ जितने भी रिसोर्सेस हैं उनका जवाब कौन दे रहा है सरकार दे रही है
सरकार को ही कुछ ना कुछ उनके ऑब्जेक्टिव्स हैं सरकार के कुछ टारगेट्स हैं तो अगर उन्होंने सही ढंग से इन पर्टिकुलर
क्वेश्चंस को आंसर किया उन्होंने सही ढंग से रिसोर्सेस का इस्तेमाल किया तब हम मान पाएंगे कि वो अपने ऑब्जेक्टिव को कैसे
अचीव कर पाएंगे आर यू गेटिंग दिस थिंग तो एक्चुअल में होता पता क्या है ये जो मैं आपको बात कर रहा था ना सोशलिस्ट इकॉनमी की
इसको कई बार हम लोग सेंटली प्लान भी कह सकते हैं क्योंकि जो सेंट्रल गवर्नमेंट है कहीं ना कहीं वो यहां पर प्लानिंग कर रही
है ना और सरकार के पास सब चीजों की ओनरशिप है ये सब चीजें हमने डिस्कस करी हुई थी बस मैं आपको यह रिलेट करवाना चाह रहा था कि
प्लानिंग किस तरह से वो इकॉनमी के अंदर बहुत ज्यादा रेवेंट हो जाती है जहां पर सरकार का कंट्रोल अपने आप में ज्यादा होता
है एक छोटा सा एग्जांपल अगर आप देखना चाहो तो जैसे फॉर एग्जांपल यहां कमांड इकॉनमी बोला गया है एक तरह से आप मान चुके
होंगे सरकार का रोल काफी ज्यादा है यहां पे बिल्कुल
यहां पर क्या होता है यहां पर क्या होता है कि जो गवर्नमेंट है ना वो एक प्लान बनाती है ठीक है सरकार ने प्लान बनाया उस
प्लान के हिसाब से आपके जो भी रिसोर्सेस थे हमने उनको एलोकेट किया उसके हिसाब से हमने डिसाइड करा कि अच्छा जो भी गुड्स एंड
सर्विसेस है किसकी प्रोडक्शन होनी है क्या प्रायोरिटी रहेगी हमारे पास एंड अकॉर्डिंग चीजें जब परफॉर्म करी जाती है उसी को
बोलते हैं कि हमने प्लानिंग का प्रॉपर इस्तेमाल किया है तो यह चीजें आपको बता होनी चाहिए जिन बच्चों ने पिछला लेक्चर
नहीं देखा था उनके लिए मैंने यहां पे डेफिनेशन दोबारा लगा दी है कैपिटल सिस्टम की ताकि एक तरह से आपकी रिवीजन भी हो जाए
जो नए बच्चे नहीं है उनका भी कैपिटल सिस्टम में क्या था कि एक तरह से आपके गुड्स डिस्ट्रीब्यूटर थे उन लोगों के अंदर
नॉट ब ऑन द बेसिस ऑफ व्हाट पीपल नीड बट ऑन द बेसिस ऑफ परचेसिंग पावर जो इंसान खरीद सकता है वो उस वस्तु को खरीद पाएगा जो
नहीं खरीद सकता वो नहीं खरीद पाएगा यही होता है जहां प्राइवेट सेक्टर होता है अगर आप ये घड़ी खरीद पा रहे हो परचेसिंग पावर
है आपकी उसको खरीदने की तो आप य घड़ी मिल जाएगी नहीं है तो नहीं मिलेगी यह होता है प्राइवेट सेक्टर उसी तरह से सोशलिस्ट
सिस्टम के हिसाब से सरकार यहां पर तय करती है एंड आपका मिक्स्ड इकॉनमी के अंदर दोनों चीज देखने को मिल जाती है तो यह चीज तो
हमें यहां तक कोई कंफ्यूजन होनी नहीं चाहिए ठीक है अब प्लानिंग के ऊपर और पढ़ने से पहले ना हमें एक थोड़ा सा आईडिया होना
चाहिए ओपन इकॉनमी एंड क्लोज्ड इकॉनमी का क्योंकि आगे चैप्टर के अंदर इन दोनों टर्म्स का
हम कई बार इस्तेमाल करेंगे इकॉनमी का मीनिंग तो आप समझते हो इकॉनमी इ अर्थव्यवस्था और जब मैंने बात कर
दी साथ में ओपन व्ट ड दिस मीन या ओपन या क्लोज का देखो जसे मान लेते आपका एक देश है ठीक है अब होता क्या है कि इस देश के
अंदर बहुत सारी वस्तुएं प्रोड्यूस होती है बिल्कुल होती है नो डाउट अबाउट इट ठीक है उसी तरह हां से कोई एक्स वाईजी दूसरा देश
भी है यहां पे मान लो यूएस है वहां पर भी आप बोलोगे सर बहुत सारी चीजें प्रोड्यूस करी जा रही है बिल्कुल सही बात है अब अगर
तो ऐसा होता है कि आपके यहां से बहुत सारा सामान उधर जाता है और उधर से बहुत सारा सामान इधर आता है यानी कि आप काफी सारी
चीजों को एक्सपोर्ट कर रहे हो और काफी सारी चीजें आप इंपोर्ट भी करते हो ऐसी व्यवस्था को हम बोल देंगे आपकी ओपन
इकॉनमी क्यों क्योंकि चीजों का आयात और निर्यात यहां पे हो रहा है आप कहीं ना कहीं ओपन अप हो ऐसा नहीं है कि आपने
रिस्ट्रिक्शंस लगा रखी हैं कि कोई आएगा जाएगा नहीं राइट ऐसी अर्थव्यवस्था को हम क्या बोलेंगे ओपन इकॉनमी वेयर एस अगर मान
लो मैं रिस्ट्रिक्शन लगा दूं कि नहीं यार बाहर से हम नहीं मंगाए तेल बाहर से हम कपड़े नहीं मंगाए या मंगाए तो बहुत ही
महंगे रेट के ऊपर मंगाए या फिर बिल्कुल ही हमने मान लो बंद कर दिया तो ऐसे चीज को हम बोल देंगे क्लोज्ड इकॉनमी क्योंकि हमने
अपनी अर्थव्यवस्था को बंद कर रखा है इंपॉर्टेंट बात यह है कि अगर आपकी इकॉनमी को क्लोज्ड इकॉनमी बनना है ना तो उसको
कहीं ना कहीं सेल्फ सफिशिएंट होना बहुत जरूरी है सेल्फ सफिशिएंट का मतलब आत्मनिर्भर अगर आपकी अर्थव्यवस्था
आत्मनिर्भर नहीं है दूसरों के ऊपर डिपेंडेंट है तो आपको चीजों के लिए दूसरे कंट्रीज के ऊपर डिपेंडेंट होना पड़ेगा तो
वहां से आपको सामान मंगाना ही पड़ेगा आर यू अंडरस्टैंडिंग तो ये होता है आपका ओपन और क्लोज्ड इकॉनमी का अंतर अगर आप इसकी एक
बार डेफिनेशन देखना चाहते हो अ कंट्री इंगेज इन इंटरनेशनल ट्रेड एंड इकोनॉमिक ट्रांजैक्शंस विद अदर नेशन इसको हम बोल
देंगे ओपन इकॉनमी वेयर एज जब मैं बात करता हूं क्लोज्ड इकॉनमी की एक कंट्री जब कहीं ना कहीं अपनी डोमेस्टिक प्रोडक्शन के ऊपर
रिलाई करती है डोमेस्टिक प्रोडक्शन के ऊपर निर्भर होती है एंड उसी कंजमपट्टी और इंटरनेशनल नेशंस के साथ यहां पर हम
उसको बोल देते हैं आपका क्लोज्ड इकॉनमी ठीक है आई होप दिस इज क्लियर टू
एवरीवन दिस इज क्लियर टू एवरीवन ठीक है ठीक है ठीक है एक बेसिक आईडिया हमने देख लिया आपको यहां पर एक चीज और अंडरस्टैंड
करनी पड़ेगी दैट इज विद रिगार्ड्स टू कि हम प्लानिंग करते ही क्यों है और मैं बाद में बताऊंगा कि हमने जो फाइव ईयर प्लान
बनाए वहां पर क्या रीजन रहा पर आपको यहां पर एक आईडिया लेना पड़ेगा कि हम प्लानिंग करते ही क्यों है इसके कुछ कारण है जैसे
फॉर एग्जांपल इंडिया के अंदर जो प्लानिंग करी जाती है वहां पर फोकस होता है कि लोगों के रहने का स्तर जो स्टैंडर्ड ऑफ
लिविंग है हम उसको बेहतर कर पाए देश में जो इनिक्वालिटी है अमीर और गरीब के बीच का अंतर है हम उसको कम कर पाएं अगले चैप्टर
के अंदर हम पढ़ेंगे एक टॉपिक इंक्लूसिव ग्रोथ के बारे में सबका साथ सबका विकास वो हो पाए सारे अलग-अलग रीजंस का डेवलपमेंट
हो पाए ऐसा ना हो कि सिर्फ कुछ स्टेट्स का ही विकास हो रहा है सारे स्टेट्स का विकास होना चाहिए और स्टेट्स में भी ऐसा ना हो
कि जैसे महाराष्ट्र में बस कुछ एक रीजंस का विकास हुआ कुछ रीजन पिछड़ गए ऐसा नहीं होना चाहिए यूपी का अगर विकास हो रहा तो
सारे यूपी का होना चाहिए राइट उसको बोलते हैं बैलेंस रीजनल डेवलपमेंट बाकी मॉडर्नाइजेशन हो गया स्टेबिलिटी हो गया
आत्मनिर्भरता हो गया एंप्लॉयमेंट वहां पे जनरेट हो इकोनॉमिक ग्रोथ हो सोशल जस्टिस हो ये सारे हमारे अलग-अलग प्लानिंग के
ऑब्जेक्टिव्स रहते हैं फयर प्लांस के क्या ऑब्जेक्टिव्स है उन पे आऊंगा पर एक बेसिक आईडिया आप लोगों ने समझ लिया होगा
प्लानिंग का मतलब क्या है प्लानिंग का मतलब बहुत ही सिंपल सा है कि आप के पास जो रिसोर्सेस होते हैं आप उसको किस तरह से
एफिशिएंटली यूटिलाइज करते हो ताकि आप एक अच्छे टारगेट को अचीव कर पाओ इसके लिए आप प्लान बनाते हो
क ऐसा नहीं हो सकता कि आपने रैंडम कोई चीज कर ली जैसे सरकार एक बजट बनाती है ना तो सरकार बजट में सोचती है क्या चीज कहां पर
एलोकेट करें कितना पैसा इसको दे कितना पैसा उसको दे ताकि अच्छे से हमारा जो भी टारगेट है ग्रोथ है हम उसको रीच आउट कर
पाए यह फोकस रहते हैं चलो ठीक है सर यह बात तो समझ आई अब देखो आप लोगों के सामने मैं एक छोटा सा डायग्राम बना रहा
हूं आप लोगों को ना ये डायग्राम समझना पड़ेगा एंड अगर आप लोगों ने यह डायग्राम समझ लिया मोटा मोटा वो सारा लेक्चर ही उसी
के ऊपर फिर बेस्ड हो जाएगा ठीक है तो समझते हैं इस चीज को एक्चुअल में क्या है पहली बात तो आप यह
अंडरस्टैंड करो ये जो प्लानिंग का कांसेप्ट है य ओबवियसली इंडिपेंडेंस के बाद काफी बड़े लेवल पर देखने को मिला 1947
के बाद बड़े लेवल पर देखने को मिला बट यह कह देना कि आजादी से पहले हमने कभी प्लान ही नहीं किया यह बात भी गलत है तो दरअसल
में ना उसके पहले की भी एक टाइमलाइन है जैसे वन ऑफ द वेरी इंपोर्टेंट स्टार्टिंग एम विश्वेश्वरिया
प्लान चिंता मत करना यह बस अभी आपको ना एक क्लास की समरी दे रहा हूं हम हर एक चीज को बहुत डिटेल में डिस्कस करने जा रहे हैं
अभी एक बेसिकली समरी है पहले एम विवेस प्लान आ है उसके बाद हमें यहां पर देखने को मिलता
है यहां पर एक कांग्रेस प्लान हम यहां पर पढ़ेंगे कांग्रेस प्लान क्या
था उसके अलावा हमें यहां पर डिस्कशन करना होगा एक बहुत ही फेमस बॉम्बे प्लान के बारे
में राइट एक बार हमने बम्बे प्लान को डिस्कशन किया उसके
बाद गांधियन प्लेन पीपल्स प्लेन ठीक है गांधियन प्लान पीपल्स प्लान एंड
अकॉर्डिंग हम हमारा जो मेन मुद्दा है यस इसके बाद हम पढ़ेंगे सर्वोदय प्लान को एंड फिर आ जाएंगे हमारा जो टाइमलाइन है
प्लानिंग कमीशन की और अभी जो रिसेंट में चल रहा है हमारे नीति आयोग
की यह है हमारे आज के क्लास की समरी यह हमें आज की क्लास में पूरा पढ़ना है इसके अलावा भी कुछ छोटे मोटे प्लान है उतने
इंपोर्टेंट नहीं है बट यह सारे प्लांस स्टार्टिंग फ्रॉम एम विया कांग्रेस बम्बे गांधियन पीपल सर्वोदय प्लानिंग कमीशन नीति
आयोग यह सारे प्लांस को हमें एकएक करके गो थ्रू करना है अब देखो अगर हम जो सबसे ज्यादा डिटेल में हम जो पढे वो डेफिनेटली
आखिरी जो दो है प्लानिंग कमीशन और नीति आयोग इनको हम काफी ज्यादा डिटेल में पढ़ेंगे क् क्वेश्चन ज्यादातर यहीं से आते
हैं पर एक का दो क्वेश्चन पीछे बम्बे प्लान से भी आया है ठीक है तो इस तरह से हमें इन सभी का आईडिया होना चाहिए एम
विश्वेशरैया जी के रिगार्डिंग मेंस में भी क्वेश्चन आया हुआ है तो हम इन सबके बारे में डिस्कशन करेंगे एंड एट द एंड अगर आपको
यह पूरा का पूरा यह डायग्राम अगर क्लियर है ना इस चैप्टर के एंड में मतलब लेक्चर के एंड में तो आप रिलाइज करना कि आपको ये
पूरा टॉपिक अच्छे से क्लियर हो चुका है ठीक है फिर करें स्टार्ट ठीक है ठीक है एक काम करते हैं
फिर स्टार्ट करते हैं पहले प्लान से ही अपना एम वि स्वेस रैया प्लान के बारे में थोड़ा समझते हैं इनके बारे में कि आखिर ये
कौन थे क्यों इन्होंने यहां पर यह प्लान दिया यह सारी चीजें हमें यहां पर समझनी है
यस देखिए जब मैं बात करता हूं एम विश्वेश्वरिया जी की तो पहली बात तो आप लोगों को यह डिसाइड करना है या यह याद
रखना है कि जब हम बात करते हैं ना 15 15 सितंबर की 15 सितंबर को हर साल इंजीनियर्स डे के
रूप में सेलिब्रेट किया जाता है इस तरह से 15 सितंबर को हर साल हम लोग इंजीनियर्स डे मनाते हैं क्यों मनाते हैं उनके पीछे कारण
है डॉक्टर एम विश्वेश्वरिया जी के बारे में या सर एम विश्वेश्वरिया जी के बारे में इनका जन्म दिवस होता है उस दिन को हम
इंजीनियर्स डे मनाते हैं ठीक है अब इन्होंने यहां पर क्या किया ने एक बहुत इंपॉर्टेंट प्लान दिया इन्होंने एक बुक
लिखी द प्लान इकॉनमी ऑफ इंडिया उसके अंदर उन्होंने यहां पर बात करी क्या बात करी उन्होंने यहां पर बात
करी कि किस तरह से हमें ना एग्रीकल्चर से इंडस्ट्रीज के अंदर लेबर को मूव करना पड़ेगा एंड किस तरह से हम अपने देश की जो
नेशनल इनकम है उसको हम डबल कर सकते हैं यह इनका फोकस था क्या था इनका फोकस क्या था कि हमें एक प्लान ऐसा हो जिसके माध्यम से
एग्रीकल्चर के अंदर जो एक्सेसिव लोग हैं उनको हम मूव करें इंडस्ट्रीज के अंदर एंड अकॉर्डिंग हम नेशनल इनकम को डबल करें इनका
फोकस क्या था कि कैसे इंडस्ट्रीज तेजी से तेजी से हो समझ गए हो तो आपको ना जैसे कीवर्ड्स इनके याद रखने पड़ेंगे कि
इंडस्ट्रीज के ऊपर इनका फोकस रहा एक्चुअल मैं इनकी थोड़ी आपको स्टोरी बताऊं तो आपको वहीं से क्लियर हो जाएगा याद रखने की
जरूरत ही नहीं पड़ेगी रटने की जरूरत नहीं पड़ेगी आपको एक्चुअल में ना ये ये हैज सर्व्ड एज दीवान ऑफ
मैसूर ठीक है एंड इवन ऐसा कहा जाता है कि मैसूर के डेवलपमेंट के अंदर इनका बहुत-बहुत यहां पर इंपॉर्टेंट रोल
रहा ठीक है मैसूर के डेवलपमेंट के अंदर इनका बहुत इंपॉर्टेंट रोल रहा जिस वजह से इनको फादर ऑफ मॉडर्न मैसूर भी कहा जाता
है ठीक है य मेंस में क्वेश्चन आया हुआ मैं इसलिए थोड़ा डिटेल में इनके गार्डिंग जा रहा हूं इनको फादर ऑफ मॉडर्न मैसूर भी
कहा जाता है होता क्या है जैसे आप लोगों ने डम्स देखे हो
तो जो कृष्णा राजा सागर डैम है ना उसके रिगार्डिंग इन्होंने यहां पर बहुत इंपॉर्टेंट काम
किया जैसे बहुत बार इस रीजन में फ्लड्स आदा थे तो फ्लड्स को कंट्रोल करने के लिए
इन्होंने यहां पर जो ऑटोमेटिक स्लस गेट सिस्टम होता है वो यहां पर इन्होने यहां पर डेवलप किया तो फ्लड कंट्रोल टेक्निक्स
हो गया इरिगेशन टेक्निक्स हो गया पानी कैसे बेहतर तरीके से पहुंच जाए उनका मैनेजमेंट कैसे हो बढ़िया ढंग से वहां पर
काम किया बहुत सारे स् तर से डैम इन्होंने यहां पर बनाए ठीक है तो बहुत इंपॉर्टेंट इन्होंने काम किया इसीलिए इनको इंडिया के
ग्रेटेस्ट सिविल इंजीनियर के नाम से भी जाना जाता है अब इन्होंने ही यहां पर बात करी थी अपनी बुक द प्लान इकॉनमी ऑफ इंडिया
के अंदर एक इंपॉर्टेंट चीज मैं आपको और बताता हूं इसको आप एथिक्स के अपने पेपर में भी आप इसको यूज कर
पाओगे एक्चुअल में ना इनका कंट्रीब्यूशन तो है ही है इंजीनियरिंग के फील्ड में तो है ही है पर एथिक्स के अंदर भी इनका
इंपोर्टेंस बहुत ज्यादा था कैसे ऐसा बताया जाता है कि इनके पास ना दो कैंडल्स हुआ करती थी क्या होती थी दो
कैंडल्स ठीक है अब होता क्या है कि य कुछ काम करते हैं तो इनको सरकार की तरफ से कैंडल मिलती
है बिल्कुल जैसे कुछ भी अगर मान लो कुछ काम कर रहे होंगे तो कैंडल मिलेगी सरकार की तरफ से कि आप इस कैंडल का इस्तेमाल कर
लीजिएगा काम करते हुए तो इनके पास दो तरह की कैंडल हुआ करती थी एक सरकारी कैंडल और एक इनकी खुद की कैंडल हुआ करती थी ने अपने
खुद के पैसे से ख दी थी अब यह दो कैंडल पता क्यों कैरी करते थे यह दो कैंडल इसलिए कैरी करते थे क्योंकि जब भी कोई सरकारी
काम होता था उस समय में व सिर्फ और सिर्फ सरकारी कैंडल इस्तेमाल करते थे और जब कोई भी प्राइवेट काम होता था मान लो अपना खुद
का कोई पर्सनल यूज है मान लो घर पर बैठा हुआ है बंदा तो उसको लगा है किर कैंडल जलानी चाहिए तो कभी भी उन्होने सरकारी
कैंडल का इस्तेमाल नहीं किया ही वुड ऑलवेज यूज द पर्सनल कैंडल तो किस तरह से पब्लिक मनी को पब्लिक पर्पसस के लिए ही इस्तेमाल
किया जाना चाहिए एंड उसको प्राइवेट पर्पसस के लिए नहीं इस्तेमाल किया जाना चाहिए ये बहुत ही बड़ा एग्जांपल हमें डॉक्टर एम
बसवेश्वर जी का देखने को मिलता है तो प्लानिंग के अंदर हमने ये चीज पढ़ी और साथ-साथ मैंने एथिक्स के साथ भी आपको इनको
रिलेट करवा दिया तो ये पहला प्लान था एम विश्वेश्वर या प्लान जिन्होंने बात करी कि किस तरह से हमें लेबर को शिफ्ट करना
पड़ेगा यहां एग्रीकल्चर से इंडस्ट्री के अंदर एंड अकॉर्डिंग हम क्या कर सकते हैं हम इस तरह
से इनकम को डबल कर सकते हैं ठीक है सर ठीक है यह बात तो समझ आई अब इसके बाद बमबे प्लान आने से पहले क्या हुआ एक ना
कांग्रेस प्लान आया मैं आपको इसको भी एक्सप्लेन करता हूं कि आखिर ये कांग्रेस प्लान क्या
है देखो देखो आपकी बुक के अंदर कुछ और भी छोटे मोटे प्लान है बट दोज आर नॉट वेरी इंपोर्टेंट मैं आपको कांग्रेस प्लान
एक्सप्लेन करता हूं आप लोगों ने मॉडर्न हिस्ट्री पढ़ी होगी अपनी राइट एंड आप लोग जानते होंगे आईएनसी प्रेसिडेंट्स के बारे
में इंडियन नेशनल कांग्रेस के जो प्रेसिडेंट होते हैं राइट जैसे डब्ल्यू स बैनर्जी हो गए राइट आपके दादा माइनर जीी
हो गए इस तरह से हर साल हमारे अलग-अलग प्रेसिडेंट देखने को मिलते थे आईएनसी के अब यहां पर क्या होता है 1938 की जब मैं
बात करता हूं ना तो 1938 का सेशन अपने आप में बड़ा ही इंपॉर्टेंट सेशन हो जाता है आप लोगों ने मॉडर्न हिस्ट्री के अंदर यह
सब चीजें पढ़ी भी होंगी 1938 के अंदर जो आईएनसी के प्रेसिडेंट होते हैं वो होते हैं आपके सुभाष चंद्र बोस जी इस आईएनसी की
मीटिंग के जो 1938 का सेशन था इसके अंदर बहुत सारी बातें होती हैं उनमें से एक चीज निकल के आती है कि हम क्या करेंगे हम यहां
पर एनपीसी बनाएंगे एनपीसी क्या है नेशनल प्लानिंग कमेटी क्या करेंगे एनपीसी
बनाएंगे नेशनल प्लानिंग कमेटी और यह नेशनल प्लानिंग कमेटी बनाई गई जवाहरलाल नेहरू जी की अध्यक्षता के
अंदर ठीक है तो यहां पर 1938 में प्रेसिडेंट तो डेफिनेटली आपके सुभाष चंद्र बोस जी थे ब यहां पर एनपीसी बनाई गी नेशनल
प्लानिंग कमेटी ठीक है एंड अकॉर्डिंग उसके चेयरमैन बने यहां पर आपके जवाहरलाल नेहरू जी 15 मेंबर कमेटी थी फिर उन्होंने यहां
पर अपने अपनी रिकमेंडेशन दी कि किस तरह से हम प्लानिंग का इस्तेमाल करके देश को आगे बढ़ा सकते हैं तो यह आया था एक कांग्रेस
प्लान जो कि च केम आफ्टर डॉक्टर एम विश्वेसर जी के प्लान के बाद तो दोस्तों हमने दो प्लांस तो देख लिए
हमने समझ लिया कि किस तरह से डॉक्टर एम विश्वेश्वरिया प्लान और साथ साथ कांग्रेस प्लान क्या था यह तो हमने अंडरस्टैंड किया
अब बड़ा ही इंटरेस्टिंग प्लान है बॉम्बे प्लान आप पूछेंगे बॉम्बे प्लान का मतलब क्या है देखो जब भी बॉम्बे प्लान आपके
दिमाग में आए ना तो आप बॉम्बे को याद करो सिंपल सी बात है एक्चुअल में क्या हुआ था बॉम्बे के अंदर एक मीटिंग हुई किसकी
मीटिंग हुई यह मीटिंग थी इंडस्ट्रियलिस्ट की कौन-कौन से इंडस्ट्रियलिस्ट अरे जैसे जेआरडी टाटा जीडी बिरला जी इस तरह कुछ
फेमस आपके इंडस्ट लिस्ट मिले कहां पर मिले बॉम्बे के अंदर अब बम्बे के अंदर मिले तो उन्होंने क्या बात करी उन्होंने बात करी
कि किस तरह से हमारे यहां पे इंडस्ट्रीज होनी चाहिए ठीक है ये जो बात करें ना नोटे इंडस्ट्रीज जैसे आप एम एपल लिख सकते हो आप
टाटा जी का लिख सकते हो जीआरडी टाटा बरला जी का लिख सकते हो इनके द्वारा यहां पर एक मीटिंग होती है 1944 के अंदर इसी को हम
बोलते हैं बॉम्बे प्लान अब आप मुझे एक चीज बताओ अगर यह सब लोग मिलेंगे तो क्या डिस्कशन करेंगे इनका डिस्कशन यही होगा कि
किस तरह से देश के अंदर हम इंडस्ट्रीज को और डेवलप करें तो इन्होंने जो बात करी वह यही थी किस तरह से हमें देश के अंदर रैपिड
इंडस्ट्री होना चाहिए बट वन ऑफ द वेरी इंपोर्टेंट पॉइंट जो आपको बिल्कुल मिस नहीं करना यहां पर इन्होने बात यह करी थी
कि सरकार का यहां पर इंपॉर्टेंट रोल होगा ये नहीं कहा कि प्राइवेट सेक्टर का ही रोल होगा नहीं इन्होंने एडवोकेट किया कि स्टेट
का रोल होना चाहिए क्योंकि एक्चुअल में आप इमेजिन करो 1944 की सिचुएशन उस समय देश की अर्थव्यवस्था काफी खराब थी प्राइवेट
सेक्टर उतना अच्छा नहीं परफॉर्म कर रहा था तो स्टेट को बहुत सारी चीजों के अंदर यहां पर अपना पार्टिसिपेशन दिखाना था तो जब
बम्बे प्लान आया ना तो इन्होंने ये नहीं कहा कि स्टेट नहीं होना चाहिए उने कहा स्टेट होना चाहिए और स्टेट का बहुत-बहुत
इंपॉर्टेंट रोल है देश की अर्थव्यवस्था के अंदर तो ये इनकी डिस्कशन हुई है यहां पर अगर मैं बात करूं तो इन्होंने स्ट्रांग
एंडोर्स किया कि स्टेट इकोनॉमिक इवॉल्वमेंट होनी चाहिए प्लानिंग के अंदर एंड इन सभी चीजों के अंदर कोशिश इन्होने
यह भी कही एक तरह से सेंट्रल प्लानिंग अथॉरिटी बने और फोकस इनका क्या था फोकस इनका यही था कि किस तरह से हम रैपिड
इंडस्ट्रियल की तरफ मूव करें ठीक है एंड इस तरह से करके 15 साल के अंदर जो पर कैपिटा इनकम है यानी कि जो पर
पर्सन इनकम है उसको हम डबल करें एंड जो नेशनल इनकम है उसको हम यहां पर ट्रिपल कर पाए इस पर्टिकुलर टाइम पीरियड के अंदर दैट
वाज द एंटायस बाकी आप यहां प आप नोटिस कर पाओगे ऐसा इनका ये जो मानना था कि स्टेट का इतना
इंपॉर्टेंट रोल क्यों होगा वो इसलिए था क्योंकि इनको पता था कि प्राइवेट सेक्टर के पास उतना पोटेंशियल नहीं है उतना
फाइनेंशियल मसल नहीं है कि वह बड़े-बड़े प्रोजेक्ट यहां पर कर पाए प्राइवेट सेक्टर पास इतना पैसा था ही नहीं य उस चीज के
अंदर इवॉल्व हो पाए तो इन्होंने तो बात कर दी बम्बे प्लान ने इंडस्ट्रीज की कि हमें इंडस्ट्रीज को ज्यादा पुश देने की जरूरत
है ठीक है पर जब बम्बे प्लान आया तो काफी लोगों को यह प्लान पसंद नहीं आया क्योंकि इनका फोकस गया था इंडस्ट्रीज के ऊपर तो
इसी टाइम पीरियड के आसपास मतलब इस टाइम के जस्ट बाद हमें एक और प्लान देखने को मिलता है जिसको हम नाम देते हैं गांधियन
प्लान अब इसको आप गांधियन प्लान कह लो या फिर आप इसको श्रीमन नारायण प्लान भी कह सकते हो क्यों क्योंकि जो प्लान था वो
श्रीमन नारायण जी के द्वारा दिया गया था एंड गांधियन प्लान क्यों कहते हैं गांधियन प्लान इसलिए कहते हैं क्योंकि ये जो
प्लानिंग था इनका प्लानिंग का आईडिया गांधियन आइडियाज के ऊपर था अब आप जानते हो होंगे गांधी जी के आईडियाज क्या कहते हैं
पढ़ा होगा आप लोगों ने पॉलिटी के अंदर गांधी जी के आईडियाज कहते हैं कि जो आपके विलेजेस हैं उनका विकास करो है ना वो
बड़ी-बड़ी इंडस्ट्रीज की बात नहीं करते गांधी जी गांधी जी बात करते हैं छोटे-छोटे आपके गांव के अंदर छोटे-छोटे उद्योग
बिल्कुल छोटे-छोटे माइक्रो लेवल के है ना उसकी बात करते हैं वो बात करते हैं आपके विलेज इकॉनमी को हम कैसे प्रमोट करें
डिसेंट्रलाइज्ड इकॉनमी की यहां पर बात करते हैं तो दरअसल में जब श्रीमन नारायण जी ने यह प्लान बनाया ये उन्होंने गांधी
जी के इन्हीं सोच के ऊपर इन्हीं विचारों के ऊपर ये प्लान बनाया इसीलिए इसको गांधियन प्लान बोलते हैं बॉम्बे प्लान अलग
कह रहा था वो इंडस्ट्रीज की बात कर रहा था पर यहां पर इन्होंने कंपलीटली उल्टा बात इन्होंने कर दी कि यहां पर होनी चाहिए
इकोनॉमिक डिसेंट्रलाइजेशन छोटे-छोटे आपके जो कॉटेज इंडस्ट्रीज हैं उनको बुलाया जाए ये बड़े-बड़े इंडस्ट्रीज हमें यहां पे
नहीं चाहिए ऐसा यहां पे श्रीमन नारायण प्लान या जिसको हम गांधियन प्लान बोल सकते हैं वो था अब ये प्लान भी हो गया ठीक है
तो अभी तक हमने क्या पढ़ लिया मैं आपको एक आईडिया देता रहूंगा हमने चार प्लांस पढ़ लिए विश्वेश्वरीय प्लान कांग्रेस प्लान
बम्बे प्लान एंड आपका गांधियन प्लान या श्रीमन नारायण प्लान ये भी पढ़ लिया अब अगले दो जो प्लान है एक है पीपल्स प्लान
और एक है सर्वोदया प्लान समझते हैं देखो पीपल्स प्लान एक्चुअल में ना ये जो प्लान है वो एम एन रॉय जी का आईडिया है एम एन
रॉय जी आप जानते होंगे काफी ज्यादा प्रभावित रहे वो अ जो आइडियाज थे जो हमें अलग-अलग मार्क्स
सोच के हमें देखने को मिलते हैं राइट तो उनके आइडिया के ऊपर जो प्लान आया उनको पीपल्स प्लान बोला गया उसके अलावा एक
सर्वोदया प्लान आता है यह विनोबा भावे जी के आईडिया के ऊपर था दोनों को एक बार काम करते हैं इनको दोनों को हम समझ लेते हैं
ठीक है जब मैं बात करता हूं एम एन रॉय प्लान की या जिसको हम पीपल्स प्लान के नाम से जान रहे
थे यह बेस था एम एन रॉय जी के आइडिया के ऊपर इनकी एक बार यहां पे आप कोड पढ़ सकते हो अवर ऑब्जेक्ट इज द इकोनॉमिक फ्रीडम ऑफ
द प्रोड्यूस क्लासेस देखो जो लोगों ने थोड़ी बहुत चीजें पढ़ी है ना इनके आइडियल जीी तो आप लोग समझते होंगे कि कैपिटिस
क्लास और वर्कर क्लास की यहां पे ये बात कर रहे थे या आप अगर थोड़ा और अच्छे से पढ़ते हो
तो आपने बुजो और प्टेरिडॉस्पर्मेल्स मेे गोल तभी होगा जब एक स्ट्रगल होगी ठीक
है ना मार्क्स भी इनफैक्ट इसी स्ट्रगल की बात करते हैं ठीक है तो इनका प्राइमरी क्या था कि मासस को ऑर्गेनाइज करो एंड एक
तरह से यहां पर इकोनॉमिक फ्रीडम के लिए यहां पर स्ट्रगल करो तो इस प्लान के अंदर यही बात करी गई कि जितना भी एग्रीकल्चर है
वो कहीं ना कहीं उसको हम नेशनलाइज कर दें तो यहां पे ना स्टेट का रोल बहुत ज्यादा इंपॉर्टेंट बन जाता है या स्टेट कह लो या
अदर शुड से कि यहां पर प्राइवेट सेक्टर का रोल तो एक तरह से खत्म ही हो जाता है तो पूरा इनका जो सोशलिस्ट लीनिंग थी ना वही
इनका प्लान के अंदर बात थी तो जो मार्क्सिस्ट सोशलिज्म बोलता है उसी बेसिस के ऊपर उसी के आईडिया के ऊपर इन्होने ये
प्लान दिया एंड इनका बात थी कि किस तरह से हमें एग्रीकल्चर के ऊपर सबसे ज्यादा फोकस करना चाहिए एंड साथ ही साथ एग्रीकल्चर को
हमें क्या करना है हमें नेशनलाइज करना है दिस वास एम एन रॉय प्लान फिर ये 1945 में आया इसके बाद हमें जो 1950 में एक प्लान
देखने को मिलता है यह आ जाता है अपना सर्वोदया प्लान एंड जैसा मैंने कहा कि यह प्लान था आचार्य विनोबा भावे जी की
फिलॉसफी के ऊपर दिया किसने था जयप्रकाश नारायण जी के द्वारा समझते हैं कि आखिर यह प्लान का मतलब क्या था आप लोगों ने वि
चार्य विनोबा भावे जी के बारे में सुना होगा इनफैक्ट विनोबा भावे जी भी ना आपके गांधी जी के से ही काफी हद तक इंस्पायर्ड
थे विनोबा भावे जी ने ना कांसेप्ट दिया था आप लोगों ने भूदान ग्रामदान मूवमेंट के बारे में सुना होगा पोस्ट इंडिपेंडेंस
इंडिया के अंदर तो उनका यह था कि यार जिनके पास बहुत ज्यादा जमीन है उनको कोशिश करनी चाहिए कि अपनी जमीन वो दान कर दे खुद
एक तरह से गिफ्ट कर दे भूदान और ग्राम दान था जहां कुछ ग्रामीण क्षेत्रों के अंदर या एक गांव के अंदर हमें काफी सारी जमीन
इकट्ठा वो ग्राम एक तरह से डोनेट करता था राइट तो वहां पर यही था कि एक तरह से ना जो लैंड है वो लैंडलेस को मिले लोग खुद
वॉलंटरी आगे आए अपनी एक तरह से जमीन को आगे दें ताकि अच्छे से हम दुनिया भर में या देश भर में इक्वलिटी को एस्टेब्लिश कर
पाए यह फोकस था इनके प्लान के अंदर तो दरअसल में इन्होंने भी यही बात करी कि किस तरह
से लैंड रिफॉर्म्स होने चाहिए आने वाले चैप्टर्स के अंदर हम लैंड रिफॉर्म डिस्कस भी करेंगे इवन अभी थोड़े दिन पहले जो इस
बार का मेंस का एग्जाम हुआ वहां ल ंड रिफॉर्म सवाल भी आया था वो सब चीज हम डिस्कस करेंगे आने वाले चैप्टर के अंदर जब
हम लैंड रिफॉर्म पहुंचेंगे इनका फोकस यही था कि जो जमीन है ना इट शुड एक्चुअली बी डिस्ट्रीब्यूटर के अंदर रिफॉर्म्स की
जरूरत है और इनका फोकस था क्या था डी सेंट्रलाइज पार्टिसिपेटरी प्लानिंग के ऊपर अब जिन बच्चों को ये आंसर नहीं ना पता कि
सेंट्रलाइज और डिसेंट्रलाइज क्या होता है मैं थोड़ा सा बता देता हूं देखो एक तो होता है जैसे मान लो ये रहा
एक तो मान लो ऐसा है कि कोई इंसान ऊपर बैठा हुआ है और सबके लिए वही प्लान बना रहा है मान
लो हमारी केंद्र सरकार है वो ऊपर बैठे पूरे कंट्री के लिए प्लान बना रही है तो उसको हम क्या बोलेंगे सेंट्रलाइज प्लानिंग
एक रूम से एक कमरे से पूरे देश का प्लानिंग हो रही है ऊपर से नीचे की तरफ यहां प्लानिंग हो रही है इसको टॉप डाउन
प्लानिंग भी बोलते हैं यह हो गया आपका सेंट्रलाइज प्लानिंग पर अगर मान लो ग्रामीण क्षेत्र के ऊपर या लेट से गांव
के बस इस के ऊपर अब गांव के जो लोग रहते हैं उनको अपने विलेज का ज्यादा आईडिया होगा उनको आईडिया होगा कि हमारे गांव की
समस्याएं क्या हैं वो बहुत बढ़िया ढंग से प्लान बना सकते हैं तो अगर मान लो प्लानिंग नीचे स्तर पर होती है ठीक है
नीचे स्तर प अगर प्लानिंग होती है एंड वो चलते चलते ऊपर की तरफ जाता है उसको हम बोलते हैं बॉटम अप
प्लानिंग जिसको हम डिसेंट्रलाइज प्लानिंग भी बोल सकते हैं समझ रहे हो अगर तो कोई ऐसा है कि ऊपर बैठा
हुआ सबके लिए प्लान कर रहा है वो हो गया सेंट्रलाइज प्लानिंग या टॉप डाउन प्लानिंग पर अगर नीचे से कहीं ना कहीं आईडियाज आ
रहे हैं नीचे से कहीं ना कहीं विचार आ रहे हैं कि कैसे प्लान होना चाहिए उसको हम डिसेंट्रलाइज प्लानिंग या बॉटम अप
प्लानिंग यहां पे कह सकते हैं तो ये कुछ पॉइंट्स थे जो आपको यहां पे पता होने चाहिए इस कॉन्टेक्स्ट में तो यही प्लान था
इनका जयप्रकाश नारायण जी का कि प्लानिंग होनी चाहिए डिसेंट्रलाइज्ड पार्टिसिपेटरी प्लानिंग होनी चाहिए
पार्टिसिपेटरी का मतलब लोग वहां पे इवॉल्व हो उस प्लानिंग के अंदर ऐसा ना हो कि लोगों से बिना पूछे ही आप प्लान बनाते जा
रहे हो लोगों का इवॉल्वमेंट रहना चाहिए किसी प्लान को बनाने के अंदर बाकी इनका भी फोकस रहा कि आपके जो छोटी इंडस्ट्रीज हैं
एग्रीकल्चर है उसके ऊपर ध्यान दें एंड अकॉर्डिंग इस प्लान को हम सर्वोदय प्लान से भी जानते हैं एक बार मैं आप लोगों को
रीकैप करवा देता हूं कि हमने क्या-क्या डिस्कस कर लिया है हमने यहां पर ना यह जो हमने एक चार्ट बनाया था इसमें हमने
स्टार्टिंग करी डॉकर एम विश्वेशरैया जी के बारे में हमने देखा किस तरह से यहां पर इनकी बात थी अ ही सर्व्ड एज द दीवान ऑफ
मैसूर है ना तो इनका एक प्लान था इनका फोकस भी इंडस्ट्रीज के ऊपर ज्यादा रहा एंड किस तरह से डबल करने की कोशिश थी इनके
इनकम को प्लस फिर कांग्रेस प्लान हमने देखा कि किस तरह से कांग्रेस प्लान के अंदर नेशनल प्लानिंग कमेटी बनती है 1938
के अंदर अंडर द चेयरमैनशिप ऑफ जवाहरलाल नेहरू हालांकि प्रेसिडेंट उस समय कौन थे बोस जी थे फिर हमने बम्बे प्लान देखा जो
कि इंडस्ट्रियलिस्ट के द्वारा बनाया गया और इनका फोकस था रैपिड बत इंपोर्टेंट रोल होता है आपके
इंडस्ट्रीज को आगे बढ़ाने के अंदर तो स्टेट के रोल को यहां पे बहुत ज्यादा हाईलाइट किया गया फिर हमारे सामने गांधीन
प्लान आता है जो बात करता है एग्रीकल्चर की जो बात करता है कॉटेज इंडस्ट्रीज की उनकी बात करी फिर हमने पीपल्स प्लान पढ़ा
एम एन रॉय जी का प्लान पढ़ा जो कि बेस्ड था मार्क्सिस्ट सोशलिज्म के बेसिस के ऊपर फिर हमने लास्ट में पढ़ा सर्वोदया प्लान
के बारे में जहां पर हमने डिस्कशन किया कि किस तरह से आचार्या विनोबा जी के फिलॉसफी के ऊपर ये प्लान बेस्ड था एंड लैंड
रिफॉर्म्स और बाकी चीजों के ऊपर फोकस करने की बात थी आई होप यहां तक आप लोगों को स्टोरी किसी
को कोई दिक्कत होनी नहीं चाहिए कि कैसे कैसे हम प्लानिंग कर रहे थे अब देखो हम आएंगे अपने प्लानिंग कमीशन के ऊपर मैं
लेक्चर के लेटर पार्ट में आपको फर्क भी बताऊंगा कि प्लानिंग कमीशन और नीति आयोग का क्या अंतर है क्याक फर्क है दोनों के
अंदर पर अभी के लिए हमें यहां पर ना डिफरेंट डिफरेंट प्लांस को समझना है कि फर्स्ट ईयर प्लान सेकंड ईयर प्लान थर्ड
ईयर प्लान या फाइव ईयर प्लान यह सब थे क्या एंड क्यों इनकी जरूरत पड़ी ये कुछ एक पॉइंट हमें यहां पर समझने
होंगे राइट चलो समझते हैं एक काम करते हैं इन सभी मुद्दों
को ठीक है इन सब मुद्दों को हम समझते हैं पहली बात यह समझो कि जब हमारा देश आजाद हुआ 1947
में 1950 में हम रिपब्लिक बनते हैं हमारा संविधान लागू हो जाता है राइट इस टाइम के आसपास को आप इमेजिन करो 1947 1950 के
आसपास का टाइम आप इमेजिन करो उस समय भारत के पास भी दो ऑप्शन थे कि भाई या तो हम कैपिट इकॉनमी बन जाए राइट हां प प्राइवेट
सेक्टर का बहुत बड़ा रोल हो या फिर हम सोशलिस्ट इकॉनमी बन जाए जहां पर सरकार का बहुत ज्यादा रोल हो या फिर हम मिक्सड
इकॉनमी बने जहां पर प्राइवेट सेक्टर का भी और सरकार का भी रोल है है ना यह ऑप्शन थे हमारे पास तो दरअसल में हमने इस समय
डिसाइड किया कि हम क्या बनेंगे हम बनेंगे मिक्स्ड इकॉनमी क्या बनेंगे सर हम बनेंगे मिक्स्ड इकॉनमी क्यों क यहां पर दोनों का
रोल होना चाहिए हम चाहते थे कि प्राइवेट सेक्टर भी एसिस्ट करे हम चाहते थे कि सरकार भी एक्जिस्ट करे सरकार भी अच्छे से
काम करे बट इमेजिन करो जरा इस समय के ऊपर इस समय आप लोग अग्री करोगे कि सर प्राइवेट सेक्टर उस समय था ही नहीं या था तो बहुत
ही छोटा सा था बम्बे प्लान डिस्कशन किया था हमने उसे हमने देखा भी किस तरह से बम्बे प्लान के अंदर आपके इंडस्ट्रियलिस्ट
ने यह बोल दिया कि भाई सरकार का तो इंपोर्टेंट रोल होना ही पड़ेगा क्योंकि प्राइवेट सेक्टर के पास उतना पैसा ही नहीं
है उतना फाइनेंशियल मसल ही नहीं है तो हुआ क्या इस समय के ऊपर इस समय हम इंडिया डेफिनेटली मिक्स्ड इकॉनमी बना नो डाउट
अबाउट इट बट यहां पर स्टेट का रोल कंपैरेटिव ज्यादा था एज कंपेयर टू प्राइवेट सेक्टर यह बात आपको पता होनी
चाहिए राइट स्टेट सपोर्टेड मॉडल को हमने यहां पर फॉलो किया प्लस आप नोटिस करो उस समय देश के अंदर हालांकि आज भी है बट 1947
1950 के अंदर गरीबी बहुत ज्यादा थी हमारा जो लिटरेसी रेट थी वो लगभग 15 प्र था 85 पर लोगों के पास लिटरेसी ही नहीं थी अनपढ
थे 85 पर लोग उस समय 1947 की बात कर रहा हूं देश की आजादी के समय अब देखो लोगों के अंदर भुखमरी है पढ़ाई है नहीं अच्छी हेल्थ
नहीं है गरीबी भी है इनक्व है तो उस समय भी आप नोटिस करो ना उस समय की जो हालात थी तो उस समय हम लोग कैपिटिस इकॉनमी उतना
ज्यादा नहीं कर पाए हमें सोशलिज्म की तरफ ही थोड़ा सा इंक्लिनेशन हमें देखने को मिला देखो ध्यान से सुनो हम थे मिक्स्ड
इकॉनमी ही पर कहीं ना कहीं स्टेट का इंपॉर्टेंट रोल था एंड क्यों रखना पड़ा स्टेट का इंपॉर्टेंट रोल वो इसलिए रखना
पड़ा क्योंकि आप नोटिस करो उस समय के हालात उस समय के हालात कुछ इस तरह के थे उस समय के हालातों में हमारे देश में
भुखमरी गरीबी यह सब समस्याएं थी तो स्टेट का इंपॉर्टेंट रोल लाना ही पड़ा उस समय के बेसिस के
ऊपर सिर्फ यही कारण नहीं थे कुछ हमारे डोमेस्टिक कारण भी थे एंड कुछ हमारे इंटरनेशनल फैक्टर्स भी थे जिन्होंने मिलकर
यह डिसाइड किया कि हम ना थोड़ा स्टेट का ज्यादा रोल रखेंगे एंड लेक्चर की स्टार्टिंग मैंने बोला भी था कि जहां
स्टेट का ज्यादा रोल होता है वहां प्लानिंग का रोल बहुत बहुत ज्यादा इंपॉर्टेंट हो जाता है अब आप पूछेंगे ऐसे
क्या डोमेस्टिक फैक्टर रहे जिन्होंने यहां पर प्रमोट किया इस चीज को देखो आप एक चीज नोटिस करो मैंने अभी डिस्कशन किया आपको
कांग्रेस प्लान के बारे में राइट और आप जानते होंगे उस समय के हालात कांग्रेस बहुत-बहुत इंपॉर्टेंट थी और उनके द्वारा
कांग्रेस प्लान के अंतर्गत 1938 के अंदर नेशनल प्लानिंग कमेटी का गठन किया गया तो हां भाई कमेटी ने बोला भी इस सरकार का रोल
है डेफिनेटली यह एक मुख्य कारण बना ठीक है बाकी आप नोटिस करोगे उस समय कौन थे उस समय आपका जो ज्यादातर इंडिपेंडेंस में जो मेजर
फिगर्स हमें देखने को मिलते सुभाष चंद्र बोस जी आपके जवाहरलाल नेहरू
जी यह काफी हद तक ना इसी आईडिया से बेस थे कि प्लानिंग होनी चाहिए थोड़ा सा लेफ्ट लीनिंग इनकी
विचारधारा थी तो जब जो हमारे उस समय के फ्रीडम फाइटर्स उनकी सोच इस तरह से थी व प्लानिंग के ऊपर जदा फोकस करते थे तो
डेफिनेटली कारण बना जो दिखाता है कि हमने मिक्सड इकॉनमी को अडॉप्ट किया विद एन इंक्लेन टुवर्ड्स सोशलिज्म बाकी मैंने
जैसा आप को बताया कि जो बम्बे प्लान आया बम्बे प्लान के अंदर बात करी गई कि आपकी जो केंद्र सरकार है इनका बहुत-बहुत ज्यादा
इंपॉर्टेंट रोल रहेगा स्टेट का आपका बहुत इंपॉर्टेंट रोल रहेगा इसके अलावा अगर मैं बात करूं ना तो
इस समय काफी सारी लेफ्ट विंग पार्टीज देखने को मिलती हैं जैसे आप लोगों ने सीपीआई के बारे में सुना होगा कम्युनिस्ट
पार्टी ऑफ इंडिया आप लोगों ने एचएसआरए के बारे में सुना होगा हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन
एसोसिएशन इसके अलावा आप लोगों ने सीएसपी का सुना होगा कांग्रेस सोशलिस्ट
पार्टी डेफिनेटली यह सारी जो मैं पार्टीज की बात कर रहा हूं आप लोगों के सामने यह सारी
लेफ्ट विंग पार्टीज उस समय देखने को मिलती हैं तो यानी कि आप नोटिस करोगे यार देश भर में माहौल ही ऐसा था उस समय देश भर में
माहौल ही ऐसा था जो बात करते थे प्लानिंग की जो बात करते थे कि हमारे सामने स्टेट का इंपोर्टेंट रोल होना चाहिए इंडस्ट भी
उसी की बात कर रहे हैं पार्टीज भी आपकी उसी की बात कर रही हैं आपके जो फ्रीडम फाइटर्स है वो भी उसी की बात कर रहे हैं
उनके द्वारा यहां पे नेशनल प्लानिंग कमेटी बनाई जाती है तो यह सब डोमेस्टिक फक्टर्स कहीं ना कहीं इंडिकेट करते हैं एक तरफ कि
हमारी यहां पे प्लानिंग होनी चाहिए डेफिनेटली उसके बाद जो हम प्लांस की तरफ बढ़ेंगे फर्स्ट फाइव ईयर प्लान सेकंड फाइव
ईयर प्लान उसके एक आईडिया यहां से इमर्ज होता है पर ऐसा नहीं है कि सिर्फ भारत में ही ये चीज थी हम अगर दुनिया भर की बात
करें ना तो दुनिया भर में भी सिचुएशन कुछ ऐसी ही थी आप पूछेंगे वो कैसे जैसे फॉर एग्जांपल आप नोटिस करो उस समय जो
इंटरनेशनल फैक्टर्स थे वो भी इसी चीज को डोनेट करते थे कैसे आप लोगों ने सुना होगा 1929
के ग्रेड डिप्रेशन के बारे में सुना आप लोगों ने मैं थोड़ा सा एक्सप्लेन कर देता हूं आप लोगों को देखो
ये जो हम बात करते हैं ना कैपिट ज्म की जो हम बात करते हैं ठीक है प्राइवेट इकॉनमी की दरअसल में ये सब बातें एडम स्मिथ जी के
द्वारा काफी हैवली बोली गई हैं ही इज आल्सो कंसीडर्ड एज अ फादर ऑफ इकॉनमी एडम स्मिथ तो इन्होंने बात करी थी किसकी ल
साजे फेयर इकॉनमी की ठीक है ल साजे फेयर का मीनिंग होता है कि सरकार का हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए
सरकार का इंटरवेंशन नहीं होना चाहिए एडम स्मिथ जी ने बात करी थी इनविजिबल हैंड की दरअसल में एडम स्मिथ जी का यह मानना था
कि देखो जब भी कोई दिक्कत आती है ना तो हमारे पास ना प्राइवेट सेक्टर के अंदर एक इनविजिबल हैंड होता हैजल हैंड मतलब एक ऐसा
हाथ जो दिखता नहीं है एक ऐसा हाथ जो दिखता नहीं है पर वो को स्टेबल कर देता है आप पूछोगे वो कैसे देखो मान लो जैसे किसी
वस्तु का दाम अगर ज्यादा है अगर उसका प्राइस ज्यादा है तो कॉरेस्पोंडेंस करेंगे एंड अकॉर्डिंग जो प्राइस होगा वो
अपने आप इक्विलियम पे आ जाएगा अगर किसी चीज की सप्लाई कम है तो कहीं ना कहीं जो प्रोड्यूसर होंगे वो उस चीज को ज्यादा से
ज्यादा मतलब जो अगर किसी चीज की सप्लाई कम है पर उसकी डिमांड ज्यादा है एंड उसका प्राइस बढ़ चुका है तो क्या करना पड़ेगा
उसके आपको सप्लाई को बढ़ाना पड़ेगा तो एक्चुअल में यहां पे ना एडम स्मिथ जी के द्वारा यह बोला गया कि जब भी कोई समस्या
आती है तो एक इनविजिबल हैंड होता है जो चीजों को बैलेंस आउट करने के लिए अकॉर्डिंग एक इक्विलियम सिचुएशन में ले
आता है यह एडम स्मिथ जी का मानना था उनका था कि प्राइवेट इकॉनमी बहुत बढ़िया सरकार का कोई रोल होना ही नहीं चाहिए जब भी कोई
दिक्कत आएगी प्राइवेट सेक्टर की वो अपने आप उस चीज को ठीक कर लेगा और प्राइस और जो डिमांड है अकॉर्डिंग अपने आप एक दूसरे को
मैच कर जाएंगे कोई दिक्कत आती ही नहीं है और यह चीज काफी हद तक सक्सेसफुल भी देखी गई बहुत सारे कंट्रीज के अंदर जैसे यूएस
वगैरह के अंदर यह सक्सेस देखा गया उनकी अर्थव्यवस्था काफी तेजी से बढ़ी क्यों बढ़ी क्योंकि वहां पर प्राइवेट इकॉनमी ने
बहुत अच्छा परफॉर्म किया प्राइवेट सेक्टर ने बहुत अच्छा परफॉर्म किया ठीक है अब यह सब चलता रहा बहुत बढ़िया ढंग से 1929 तक
पर 1929 में क्या होता है ना 1929 में एक बड़ी दिक्कत आ जाती है जिसको हम बोलते हैं ग्रेड डिप्रेशन के नाम से एक ऐसा टाइम आता
है 1929 से आने वाले कई सालों के अंदर जहां पर स्टॉक मार्केट पूरी तरह से क्लैप्स हो गई कंपनीज ने अपने वर्कर्स को
नौकरियों से निकाल दिया बेरोजगारी बहुत ज्यादा बढ़ गई लोगों के पास खाने के लिए कुछ नहीं कुछ भी नहीं मतलब सर हर तरह से
अर्थव्यवस्था ककई सालों के लिए इंपैक्टेड हुई अब यह क्या दिखाता है जब यह चीज हुई ना इसने यह दिखाया कि कैपिटल जम जितना हम
सोच रहे हैं जितना बढ़िया है जितना सही है ऐसा है नहीं कैपिट जम के भी अपने नुकसान है अ ये तो एडम स्म ने बोल दिया था बोल
दिया था बट कहीं ना कहीं समय के साथ-साथ हमें कैपिटल जम के कई नुकसान हमें पता लगने लग गए और उनमें से एक बड़ा नुकसान
यही था कि हमने जब ग्रेड डिप्रेशन को विटनेस किया ना और जब लोगों ने उस चीज को देखा कि कितना खराब सिचुएशन है इतने जो हम
बात कर रहे थे कि इनविजिबल हैंड सब कुछ ठीक कर देगा वो नहीं कर पाया तो उस समय यह कैपिट जम वाली जो बात थी इ चर्चा थी वो एक
तरह से उसके रिगार्डिंग नेगेटिव नेगेटिव इंप्लीकेशन हमें देखने को मिले तो यहां से क्या होता है दुनिया भर में ना यहां से एक
माहौल बनता कैपिट जम उतना भी बढ़िया नहीं है जितना हम सोच रहे हैं अच्छा ठीक है बाकी आप जानते होंगे लेनिन के बारे में
स्टालिन हो गया यूएसएसआर के बारे में आप लोग पढ़ते होंगे राइट आप लोग पढ़ते होंगे रशियन
रेवोल्यूशन के बारे में 1970 के आसपास म 1917 के आसपास यहां पर रशियन रेवोल्यूशन होती है रूसी क्रांति यूएसएसआर अब यहां पर
ऐसा देखा गया कि 1977 के कई सालों के बाद यूएसएसआर ने काफी तेजी से ग्रो किया एंड यूएसएसआर क्या है वो तो एक तरह से
पूरी तरह से फॉलो इस चीज को कर रहा है आपकी सोशलिज्म को आपकी प्लानिंग को है कि नहीं बिल्कुल ठीक बात है जब यूएसएसआर वाले
इतने सारे प्लांस को फॉलो कर रहे हैं वहां पर सरकार का बहुत ज्यादा इंपॉर्टेंट रोल है तो डेफिनेटली और यह तेजी से ग्रो भी
काफी तेजी से कर रहे हैं तो यहां से एक आईडिया इमर्ज होता है कि नहीं यार सोशलिज्म एक्चुअल में काफी अच्छा है और जब
एक्सपीरियंस देखा गया लेनिन का स्टेलिन का इस तरह से देखा गया कि यार यूएसएसआर भी बहुत बढ़िया ढंग से कर रहा है और 1929 का
ग्रेट डिप्रेशन कैपिट ज्म को एक से खराब प्रूफ कर चुका था एंड जब इन चीजों से बाहर निकलना था ये ग्रेट डिप्रेशन से तो वहां
पर बहुत सारे प्लांस लाए गए न्यू डील प्रोग्राम हो गया मार्शल प्लान हो गया इनीशियन इकोनॉमिक्स हो गया इनीशियन
इकोनॉमिक्स बात करता है कि स्टेट को यहां पे इंटरवेनर पड़ेगा कुछ बहुत सारे पैकेजेस दिए गए सरकार के द्वारा क्योंकि आप सोचो
ना जैसे कोविड-19 पेंडम था अब पेंडम से बाहर आना था तो सरकारों को क्या करना पड़ा सरकार को अपना पैसा बढ़ाना पड़ा खर्च
बढ़ाना पड़ा अपना धीरे-धीरे करके उसी तरह से हम क्या करें कोविड-19 पेंडम से जो इकोनॉमिक इंपैक्ट था उससे बाहर ह आ पाए
उसी तरह से यहां पर 1929 के बाद जो सिचुएशन आती है वहां पर भी सरकारों को आगे आना ही पड़ा स्टेट का रोल बढ़ना ही पड़ा
स्टेट को पैसा खर्च करना ही पड़ा ताकि जो अर्थव्यवस्था की हालत खराब थी उससे हम एक तरह से बाहर आ
पाए दुनिया भर में भी एकना माहौल बन रहा था कि यार कैपिट जम बढ़िया चीज नहीं है उतनी हम प्लानिंग के ऊपर आना पड़ेगा
सोशलिज्म का कहीं ना कहीं दुनिया भर में एक इंपैक्ट देखता हुआ हमें देखने को मिल रहा था तो हमने क्या देखा हमने देखा कुछ
डोमेस्टिक कारण भी थे कुछ इंटरनेशनल कारण भी थे जिन्होंने हमें कहा कि ठीक है आप मिक्सड इकॉनमी करिए पर कहीं ना कहीं स्टेट
का इंपॉर्टेंट रोल होना ही होना चाहिए क्या ये बात समझ पाए हो फिर और ऊपर से आप जानते हो यूएसएस हमारा अच्छा दोस्त भी था
और हमने जब देखा वहां पे फाइव ईयर प्लान बढ़िया वर्क कर रहे हैं तो हमने सोचा हम भी यही करते हैं हमने क्या शुरू किया हमने
भी पंचवर्षीय योजना स्टार्ट करी क्या करी पंचवर्षीय योजना हम ना अगले 5 साल के लिए प्लान करेंगे क्या करेंगे 5 साल के लिए
प्लान करेंगे कि हम अपने देश को 5 साल बाद कहां पर देखना चाहते हैं फिर उस हिसाब से चीजों को करा जाएगा इस तरह से स्टार्ट
होती है आपके फाइव ईयर प्लांस की क्या ये बात समझ पाए हो ठीक है तो फाइव ईयर प्लांस यहां पर
हमने स्टार्ट करने मतलब स्टार्ट किए जैसे कि इन फाइव ईयर प्लांस के अंदर ना इंपोर्टेंट रोल किसका रहा आपके प्लानिंग
कमीशन का मैं आपको जब प्लानिंग कमीशन और नीति आयोग में अंतर बताऊंगा तब इसको पूरा डिटेल में डिस्कस करेंगे प्लानिंग कमीशन
ने कैसे कैसे काम किया पर ध्यान से रखिएगा 1950 के अंदर प्लानिंग कमीशन बनता है और इसके जो प्राइम मिनिस्टर है वो इसके चेयर
पर्सन बनते हैं 2015 में जाकर क्या होता है ना नीति आयोग क्या करता है नीति आयोग एक नई बॉडी बनती है एंड अकॉर्डिंग हम क्या
करते हैं प्लानिंग कमीशन को यहां पर खत्म कर देते हैं उसकी जगह पर नई बॉडी हमें देखने को मिल जाती
है राइट यह सब चीजें होती है यहां पे ठीक है अब यहां पर ना जब य फ ईयर आते हैं इनके मोटा मोटा चार गोल्स हमें देखने को मिलते
हैं चार मेजर गोल्स आपके इन पांच वर्षीय योजना के देखने को मिलते हैं पहला गोल होता है इंपॉर्टेंट ग्रोथ
का दूसरा इंपॉर्टेंट गोल होता है मॉडर्नाइजेशन तीसरा होता है सेल्फ रिलायंस
का और चौथा होता है आपका इक्विटी कल कोई एग्जाम में आपसे क्वेश्चन आए ना तो आप भी ऐसा एक छोटा सा फ्लो चार्ट
बना सकते ठीक है तो ऐसा आप भी एक अपना एक फ्लो चार्ट बना सकते हो जहां पर आपके सामने आ
जाएगा कि फाइव ईयर प्लांस के क्या-क्या गोल थे समझो इस बात को फाइव ईयर प्लांस जो पंचवर्षीय योजना थी उनका एक मेन रोल रहा
कि हमारे लिए ग्रोथ कितनी ज्यादा इंपॉर्टेंट है जैसे हम बात करते हैं ना जीडीपी ग्रोथ रेट की अगर मान लो जीडीपी
ग्रो ही नहीं करेगी अगर हमारी ग्रोथ रेट ही अच्छी नहीं होगी हम बाकी चीजें एक्सपेक्ट ही नहीं कर सकते अगर हम आज के
समय कहते हैं ना कि हमारा देश 7 पर 8 पर इस तरह से आगे चल रहा है तो क्या दिखाता है वो दिखाता है कि देश ग्रो कर रहा है और
अगर ग्रोथ होगी तो कहीं ना कहीं लोगों की इनकम्स बढ़ेंगी लोगों की इनकम बढ़ेंगी तो लोगों के हाथ में थोड़ा पैसा जाएगा पैसा
जाएगा तो क्या होगा उनके हाथ में मतलब उनका जो स्टैंडर्ड ऑफ लिविंग है वो बढ़िया हो पाएगा और यही तो हमारा फोकस होना चाहिए
कि लोगों का स्टैंडर्ड ऑफ लिविंग कैसे हम बेहतर कर पाए इसके अलावा हमने बात करी सेल्फ
रिलायंस की सेल्फ रिलायस का मतलब होता है आत्मनिर्भरता देखो एक्चुअल में आप नोटिस करो ना कि वैसे तो इसमें कोई गलत बात नहीं
है कि आप बाकी देशों से कुछ सामान मंगाओ पर कई बार पता क्या होता है कि अगर हम दूसरे कंट्रीज के ऊपर बहुत ज्यादा
डिपेंडेंट हो जाते हैं तो क्या होता है तो कल को दूसरे देश के अंदर कोई भी समस्या आती है ना उसका नेगेटिव इंपैक्ट हमारे ऊपर
आता है जैसे अगर मैं बात करूं चाइना की अब चाइना में कोविड-19 पैंमिकन तो उन्होंने लॉकडाउन लगा दिया था
स्टार्टिंग के अंदर पर बहुत सारे देश चाइना के ऊपर निर्भर थे उससे समस्या क्या आई बाकी देशों में समस्या उत्पन्न हो जाती
है कि वहां से माल नहीं आ रहा तो हम कैसे बनाए आर यू अंडरस्टैंडिंग दिस पॉइंट इसके अलावा जैसे कई बार युद्ध हो जाता है जैसे
इंडिया चाइना का युद्ध हुआ वहां पर हमारे पास एग्रीकल्चर ही अच्छा नहीं था उस समय के
ऊपर यूएसए से हम बहुत सारा सामान मंगाते थे वीट मंगाते थे हम वहां से यूएसए से तो आत्मनिर्भरता ना होने की वजह से हम यहां
पे फूड सिक्योरिटी ही नहीं थी दूसरे देशों के ऊपर निर्भर थे तो वो भी हमारा एक फोकस रहा कि हमें आत्मनिर्भर बनना है हमें जो
इतनी ज्यादा हमें हमारी हैवी डिपेंडेंसी है बाकी देशों के ऊपर उसको हम कम करना चाहते हैं इसके अलावा इक्विटी अगर मान लो
ग्रोथ हो रही है अगर समृद्धि आ रही है प्रोस्पेरिटी आ रही है देश के अंदर तो उसके बेनिफिट्स सब में शेयर होने चाहिए
ऐसा नहीं है कि हमारा देश आगे बढ़ रहा है पर उसके बेनिफिट्स बस कुछ ही लोगों तक पहुंच पा रहे हैं तो इक्विटी भी एक फोकस
रहा सबको बेनिफिट मिलना चाहिए एंड एक है पॉइंट आपका मॉडर्नाइजेशन का देखो मॉडर्नाइजेशन यहां पर जो टर्म है ना व हम
टेक्नोलॉजी के साथ थोड़ा ज्यादा लिंक करेंगे किस तरह से जो नई नई टेक्निक्स आ रही है हम उनको यहां पर अडॉप्ट करें हम
किस तरह से रिसर्च एंड डेवलपमेंट को बेहतर करें एंड हम अपने विचारों में भी किस तरह से और मॉडर्नाइज
एक्चुअल में कुछ बच्चे क्या करते हैं ना वेस्टर्नाइजेशन और मॉडर्नाइजेशन में कंफ्यूज जाते
हैं पर आपको ध्यान में यह रखना है कि वेस्टर्नाइजेशन और मॉडर्नाइजेशन दो अलग-अलग कांसेप्ट है आप इन चीजों को
पढ़ोगे अपने सोसाइटी वाले टॉपिक के अंदर बट यू मस्ट रिमेंबर ट दज आर टू डिफरेंट टर्म्स वेनाइजेलॉस
करते हो मान लो मैंने किसी वेस्टर्न नेशन के के ड्रेसिंग स्टाइल को उनके खाने पीने के तरीके को या बाकी और चीजों को मैंने
कॉपी किया ना उसको मैं बोलूंगा वेस्टर्नाइजेशन पर जब मैं बात करता हूं मॉडर्नाइजेशन की इसका अर्थ होता है कि
आपके जो विचार हैं आपकी जो सोच है आपके जो काम करने का तरीका है वो मॉडर्नाइज्ड है समझे इस बात को हो सकता है कि मैं धोती को
कुर्ता पहनता हूं ठीक है पर मैं अपने विचारों में बहुत ही ओपन माइंडेड हूं मैं अपने विचारों में ये इंश्योर करता हूं कि
महिलाओं के को इक्वल राइट्स मिलने चाहिए तो मैं आइडियाज मेरे मॉडर्न है पर मैं वैसे अपने ड्रेसिंग सेंस के अंदर
ट्रेडिशनल हूं समझे इस बात को तो वेस्टर्नाइजेशन एंड मॉडर्नाइजेशन दो अलग-अलग कांसेप्ट है हमारा फोकस
वेस्टर्नाइजेशन पे नहीं था हमारा फोकस था मॉडर्नाइजेशन के आई होप दिस इज क्लियर टू एवरीवन ठीक है तो यह कुछ हमारे सामने हमें
गोल्स देखने को मिलते हैं फाइव ईयर प्लांस के जो गोल्स थे जितने भी प्लांस बने इन्हीं पर्टिकुलर प्लान इन्हीं पर्टिकुलर
गोल्स को ध्यान में रखते हुए बने हालांकि हर एक प्लान की अपनी अपनी इंपोर्टेंस है थोड़ा सा हम इन कहानी को समझते रहेंगे बट
एट द सेम टाइम जैसा मैंने आपको कहा भी था आपको यहां पर कुछ एक चीजें याद भी रखनी पड़ेंगी तो अब क्या करेंगे अब हम अपने
प्लानिंग कमीशन के ना जो पहला हमारा प्लान था वहां से स्टार्ट करते हैं कि आखिर जो फर्स्ट फाइव ईयर प्लान हमारा क्या
था दोस्तों यह जो फर्स्ट फाइव ईयर प्लान है इसको हम लोग एरोड दमर मॉडल के नाम से भी जानते हैं कुछ फैक्चर चीजें आएंगी देखो
पढ़नी पड़ेंगी पर मैं आपको एक चीज एक्सप्लेन करता हूं अपना जरा इस स्टोरी को समझने की कोशिश करो बात कब की हो रही है
1951 की 1951 में अब समस्याएं काफी सारी थी इंफ्लेशन ज्यादा थी एग्रीकल्चर उतना अच्छा नहीं था हमारे यहां पर फूड
सिक्योरिटी नहीं थी उसी वजह से 1951 से लेकर 56 के बीच में जो पहला पंचवर्षीय प्लान हमें देखने को मिलता है वहां पर
डिसाइड यह किया गया कि हमारा जो मैक्सिमम फोकस रहेगा वो एग्रीकल्चर के ऊपर रहेगा राइट तो मेन प्रायोरिटी आपकी यहां पे पहले
फाइव ईयर प्लान के अंदर थी एग्रीकल्चर इसके साथ ही साथ अब क्योंकि देखो प्राइवेट सेक्टर का रोल था नहीं
प्राइवेट सेक्टर उतना इंपॉर्टेंट नहीं था तो यहां पर डिसाइड किया गया कि जो आपके पीएसयू
होंगे सरकारी आपकी संस्थाएं पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग्स उनके ऊपर हम खूब फोकस
करेंगे राइट तो बहुत सारी पीएसयू यहां पे सेट अप किया गया उनकी इंपॉर्टेंस को समझा गया इसके साथ ही साथ अगर मैं बात करूं ना
इस पर्टिकुलर टाइम पीरियड की तो यहां पर एग्रीकल्चर के साथ-साथ आपका इरिगेशन इंफ्लेशन ज्यादा था तो प्राइस स्टेबिलिटी
पावर आपका ट्रांसपोर्ट यह सब हमारे प्रायोरिटी सेक्टर मतलब प्रायोरिटी यहां पे बन जाते हैं ठीक है और यह जो मैं बात
कर रहा था ना हेरो दमर मॉडल की आपको ध्यान में रखना है कि यहां पर ना कैपिटल अमले के ऊपर ज्यादा फोकस रहता है आप यहां पर एक
फलो चार्ट को समझिए मान लेते हैं कि एक जगह पे सेविंग्स बढ़ रही है ठीक है अब सेविंग्स बढ़ेंगी तो उससे क्या होगा अब
ज्यादा पैसा है तो कहीं ना कहीं पैसा इन्वेस्ट किया जाएगा पैसा इन्वेस्ट कर रहे हो तो एक कैपिटल स्टॉक अच्छा खासा बन जाता
है हमारे पास एंड अकॉर्डिंग उससे क्या होगा आपका आउटपुट बढ़ेगा आउटपुट से क्या होगा आपकी इनकम बढ़ेगी इनकम बढ़ने की वजह
से आपके पास एक सेविंग्स हो जाती है तो ये कांसेप्ट यहां पे सोचा गया कि लोगों की हम सेविंग्स इंक्रीज करेंगे उससे
इन्वेस्टमेंट बढ़ेगा उससे कहीं ना कहीं कैपिटल स्टॉक के साथ-साथ आपका सारा का सारा टपुट हमें इंक्रीज होता हुआ देखने को
मिलेगा यह प्लान था हमारा फर्स्ट फाइव ईयर प्लान का कि कैसे एग्रीकल्चर और पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग के ऊपर हम फोकस करेंगे
इवन यहां पे ना और भी बाकी सारी चीजें जैसे अगर हम बात करें इस समय आपके आईआईटी भी एस्टेब्लिश हुए राइट हाइड्रो पावर
प्रोजेक्ट्स भी यहां पे एस्टेब्लिश होते हैं ताकि एक तरह से उनके माध्यम से एरियाज की ग्रोथ हो इंपॉर्टेंट बात आपको जो ध्यान
में रखनी है कि हमने यहां पर सोचा था कि 1951 से लेकर 56 में हम 2.1 पर वाला टारगेट रहेगा अब प्लानिंग जब मैं समझा रहा
था मैंने आपको बोला था ना कि आप एक टारगेट लेके चलते हो हमारा यहां पे टारगेट था कि हम 2.1 पर की ग्रोथ करेंगे ये टारगेट लेके
चले थे पर जब इन दी एंड देखा गया तो हमारी ग्रोथ रेट इससे ज्यादा आई तो बहुत बढ़िया बात है कि हमने अपने टारगेट को भी अचीव
किया और उसको एक्सीड किया है ना तो ये यहां पर अपने आप में इसको हम लोग काफी सक्सेसफुल प्लान मानते हैं अब आप क्यों
कहेंगे कि सक्सेसफुल प्लान क्यों हुआ देखो इस समय मानसून अच्छा रहा मानसून अच्छा रहा तो एग्रीकल्चर के ऊपर अच्छा खासा फोकस रहा
प्राइसेस भी हमारे हद तक काफी हद तक कंट्रोल में आ चुके थे इरिगेशन की फैसिलिटी भी बढ़िया हुई मैंने बताया
हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट हमने यहां पर क्रिएट किए तो ओवरऑल अगर हम इस पर्टिकुलर प्लान को माने इस पर्टिकुलर प्लान को हम
यहां पर सक्सेसफुल प्लान मान सकते हैं आईआईटी के साथ साथ आप यहां पर हाइड्रोइलेक्ट्रिक
प्रोजेक्ट को भी आप नोटिस कर सकते हो जैसे आपका भाखरा डैम हो गया राइट तो ये सब आपके फर्स्ट फाइव ईयर
प्लान के कॉरस्पॉडिंग चीजें देखने को मिलती है कुछ फैक्चर चीजें हैं पर क्योंकि हमने यहां पर इसको लिंक करके पढ़ा है तो
हो सकता है कि जो याद करने वाली चीजें हैं वो कम ही हो ठीक है ठीक है इसके बाद अगला आ जाता है हमारा यह पूरा मैंने प्लान को
भी यहां पर बता दिया हेरो दमल मॉडल जो है कि यहां पर किस तरह से हमारे यहां पे कैपिटल अमिनेशन की बात करता है सेविंग्स
की बात करता है जिसके माध्यम से क्या होगा आपकी डिमांड साइज की इनकम बनेगी एंड अकॉर्डिंग हमारी जो कैपेसिटी है वो बढ़ेगी
ठीक है वो याद है ना जो अभी मैंने आपको फ्लो चार्ट अभी दिखाया उस फ्लोचार्ट में आप नोटिस कीजिए सप्लाई साइड के ऊपर भी
इंप्रूवमेंट आ रही है सप्लाई साइड में भी ज्यादा कैपेसिटी इंक्रीज हो रही है उसी तरह से डिमांड भी इंक्रीज हो रही है
क्योंकि सेविंग्स और इन्वेस्टमेंट बढ़ता हुआ देखने को मिल रहा है दिस इज फर्स्ट फाइव ईयर
प्लान बात करें दोस्तों इसके बाद जो प्लान आया सेकंड फाइव ईयर प्लान यह और भी इंपॉर्टेंट हो जाता
है और इस प्लान को आपको ध्यान में यह रखना है कि दिस इज नेहरू महालनोबिस प्लान अब आप पूछेंगे यह क्या है देखो जवाहरलाल
नेहरू जी के बारे में तो आप सब लोग जानते ही होंगे उनके साथ ही साथ ना ये आपके नरू जी रहे राइट एंड ये यहां पर पिक्चर में आप
पीसी महल नबस जी को देख सकते हो प्रशांत चंद्र महालनोबिस इन दोनों के द्वारा मिलकर जवाहरलाल नेहरू और प्रशांत
चंद्र महल नोब जी के द्वारा मिलकर यहां पर सेकंड फाइव ईयर प्लान दिया गया जिसको हमने नेहरू महल नबीस प्लान बोला अब इसका फोकस
क्या था यहां पर इसका फोकस रहा रैपिड इंडस्ट्रियल इजेशन के ऊपर एक्चुअली फोकस रहा हैवी एंड आपकी जो बेसिक इंडस्ट्रीज है
उनके ऊपर जैसे आपकी आयरन इंडस्ट्री हो गया आपकी स्टील इंडस्ट्री हो गया यह दरअसल में क्या है ना यह आयरन एंड स्टील इंडस्ट्री
बाकी और इंडस्ट्रीज के लिए एक बेस की तरह काम करती है राइट तो यह इंडस्ट्रीज को बहुत ज्यादा इंपॉर्टेंट माना गया इस समय
के ऊपर तो सेकंड फा प्लान का फोकस इसी के ऊपर रहा आपकी जो हैवी एंड बेसिक इंडस्ट्रीज
थी प्लस साथ में अगर आप नोटिस करोगे तो डिफरेंट डिफरेंट और जैसे आपका ट्रांसपोर्टेशन माइनिंग शिपिंग केमिकल्स
इस तरह डिफरेंट डिफरेंट और इंडस्ट्रीज के ऊपर भी हम यहां पे फोकस रखें वो सेकंड फाइव ईयर प्लान के अंदर हमें देखने को
मिलता है अब कुछ और पॉइंट्स जो आपको यहां पे ध्यान में रखने हैं इसके रिगार्डिंग एक तो
थोड़ा ना हमें मालो नबस जी के बारे में बेसिक आइडिया जरूर होना चाहिए एक्चुअल में ना
इनको इंडिया के अंदर स्टेटिस्टिक्स कॉल्ड एज फादर ऑफ स्टेटिस्टिक्स इन इंडिया एक्चुअल में आप लोगों ने आईएसआई के बारे
में सुना होगा आईएसआईई वो वाला नहीं इंडियन स्टैटिस्ट कल इंस्टिट्यूट की बात कर रहा
हूं आप लोग ये पढ़ोगे इनके बारे में अपनी साइंस एंड टेक्नोलॉजी के अंदर जहां पर आप कंट्रीब्यूशन पढ़ते हो डिफरेंट डिफरेंट
साइंटिस्ट का तो इसको सेट अप करने के अंदर इनका ही इ पॉइंट रोल रहा मालन बिस जी का इनफैक्ट
इन्होंने एक अपनी थ्योरी दी मालन बिस डिस्टेंस के नाम से तो यह सब इनके साइंटिफिक कंट्रीब्यूशन
बहुत ज्यादा रहे हैं इन अ सिमिलर मैनर यहां पर इनका जो प्लान था उसमें फोकस किया गया आपके बेसिक एंड हैवी इंडस्ट्रीज के
ऊपर यहां पर आप नोटिस करोगे और कुछ पॉइंट्स को जैसे फोकस था इंपोर्ट सब्सीट्यूशन के ऊपर
देखो मैंने आपको एक चीज बताई थी कि आपके जो फाइव ईयर प्लांस थे उनमें से एक इंपॉर्टेंट फैक्ट था कि हमारा फोकस था
सेल्फ रिलायंस सेल्फ रिलायस का मीनिंग है आपका आत्मनिर्भरता वो आत्मनिर्भरता कैसे आएगी जब हम कहीं ना कहीं दूसरे देशों से
जो हम सामान मंगा रहे हैं उसकी जगह के ऊपर हम अपने यहां समान वो बनाए राइट तो इंपोर्ट सब्सीट्यूशन की यहां प पॉलिसी हम
यहां पे अडॉप्ट करने की कोशिश करते हैं कि जो सामान हम दूसरे देश से मंगा रहे हैं कहीं ना कहीं उसकी जगह हम अपने यहां पर
उसको सब्सीट्यूट करें अपने यहां पे उसको प्रोड्यूस करें तो इंपोर्ट सब्सीट्यूशन का पॉइंट भी हमें यहीं देखने को मिलता है
इसके अलावा इनवर्ट लुकिंग मॉडल ऑफ डेवलपमेंट अब इसका अर्थ क्या है लेक्चर की स्टार्टिंग में मैंने आपको क्लोज्ड इकॉनमी
ओपन इकॉनमी इन दोनों के बीच में आपको एक फर्क एक्सप्लेन किया था कि किस तरह से इकॉनमी जब बाकी देशों के साथ इंपोर्ट
एक्सपोर्ट नहीं करती उसको हम क्लोज्ड बोलते थे एंड अगर अच्छा खासा ट्रेड हो रहा है उसको हम आपका ओपन इकॉनमी बोलते हैं तो
यहां पर क्या होता है ना यहां पर हमारा जो मॉडल ऑफ डेवलपमेंट था वो था इनवर्ट लुकिंग इनवर्ट लुकिंग मतलब हम बाकी देशों से
थोड़ा सा कटने की कोशिश कर रहे थे हम अपने आप में थे इनवर्ट मतलब अंदर ही तो अपने आप पे आत्मनिर्भरता की कोशिश थी बाकी देशों
से जो ट्रेड वगैरह थी उसको कम करने की यहां पे हम कोशिश यहां पे देखने को मिल रही थी इसके अलावा यहां पर फोकस रहा
प्रोटेक्शन निज्म के ऊपर एक्चुअल में प्रोटक्शनिस्म का मीनिंग आप समझेगा होता पता क्या है जैसे आप इस चीज को अंडरस्टैंड
करो मान लो हमारे यहां पे कुछ छोटी इंडस्ट्रीज है ठीक है जैसे आज का चलो एग्जांपल ले लो आज आप नोटिस करते हो जैसे
आपके घर के पास कोई करियानी की दुकान वाला बंदा होगा ठीक है ऐसे आपके घर के पास छोटी-मोटी दुकानें होती हैं बिल्कुल सही
बात है एक तो यह कंपनीज है या यह एंटिटीज हैं उसके अलावा आपके पास amazon2 है या बलिंट कह लो और स्विगी इमा
वगैरह है है कि नहीं अब मुझे एक चीज बताओ अगर इन दोनों को आपस में आपने कंपीट करवा दिया एक तरफ है आपका
amazon2 करियानी का जो दुकानदार है कौन जीतेगा दोनों में आप बड़े राम से कहोगे सर हमारी जो छोटी कंपनियां थी उस समय की वो
तो कंपीट नहीं कर पाएंगी ना उनका शायद उतनी अच्छी क्वालिटी है हमारे यहां पे ना प्राइस के टर्म्स में कंपीट कर पाएंगी और
ये जो बड़ी-बड़ी मल्टीनेशनल कॉरपोरेशंस है ये तो बड़े आराम से हमारी इंडस्ट्रीज को खत्म कर देंगी है कि नहीं तो इसी चीज को
देखा गया और हमने यहां पे प्रोटेक्शन निज्म यहां पे अडॉप्ट किया हमने यहां पे कंट्रोल लगाया कि बाहर से कोई आ रहा है या
नहीं आ रहा उसके ऊपर काफी सारे रिस्ट्रिक्शंस लगाए गए एक तरह से हमने जो अपने लोकल लोग थे ना हमारे जो लोकल
इंडस्ट्रियलिस्ट थे उनको एक ऐसा एटमॉस्फेयर दिया जो अपने आप में कंपटीशन फ्री हो यानी कि हम हमने उनको बोला आप
आराम से अपना काम कीजिए यह मत डरिए कि बाहर की बड़ी-बड़ी कंपनिया आके आपको खत्म कर देंगी समझे हो तो एक प्रोटेक्शन फ्री
एनवायरमेंट हमने यहां पर इनको दिया अब इसका ना अभी आधे घंटे बाद 15 20 मिनट बाद हम इस चीज को समझेंगे भी देखो
होता पता क्या है जैसे मान लो एक बच्चा होता है ठीक है अब एक छोटा बच्चा है मान लो घर का तो क्या करते हैं घर वाले घर
वाले ना उसको बहुत प्रोटेक्ट करते हैं उसको घर से बाहर नहीं जाने देते या कम जाने देते हैं कि
बाहर कहीं ना कहीं जाएगा तो कुछ कोई पकड़ के ना ले जाए कुछ और इशू ना हो जाए बहुत लाड प्यार से इसको रखते हैं ठीक है इसका
फायदा भी है ना कि वो बाहरी जो गलत चीजें हैं उनसे बच जाता है पर ज्यादा लाड प्यार भी ना कई बार गड़बड़ कर जाता है है ना वो
कहीं ना कहीं कंपटीशन से फिर उसको डर लगता है बाद में और यही दिक्कत यहां पर हमें देखने को मिलेगी आने वाले टाइम के अंदर तो
इस कांसेप्ट को भी हम आ समझेंगे कैसे क्या दिक्कत यहां पर आई बाकी आप नोटिस करोगे टारगेट हमारा 45 पर का था उसके आसपास ही
4.3 पर के आसपास हमने किया तो ठीक था मतलब सक्सेसफुल भी नहीं कहेंगे पर अनसक्सेसफुल भी नहीं कहेंगे क्योंकि जो हमारी टारगेट
है उसके आसपास ही हम रहे इसके अलावा एक बहुत बहुत इंपोर्टेंट पॉइंट आप यहां पर नोटिस करोगे एक हमारे पास पॉलिसी आती है
आईपीआर 1956 वेरी वेरी इंपोर्टेंट पॉइंट इंडस्ट्रियल पॉलिसी 1956 अब आप लोगों ने यह तो बात मान ली कि सर
सेकंड फाइव ईयर प्लान के समय हमारा पूरा का पूरा फोकस बेसिक एंड हैवी इंडस्ट्रीज के ऊपर था बिल्कुल ठीक बात है यहां पर
दरअसल में होता क्या है ना यहां पर इंडस्ट्रीज के ऊपर ही फोकस होने की वजह से हम एक पॉलिसी लेकर आते हैं आईपीआर
1956 उसके माध्यम से हम क्या करते हैं इंडस्ट्रीज को डिवाइड कर देते हैं तीन तरह से डिवाइड किया गया एक था हमारा शेड्यूल
ए यहां पर हमने बात करी ऐसी इंडस्ट्रीज की जो सिर्फ और सिर्फ सरकार के द्वारा ओन करी जा सकती है आप पूछेंगे ऐसी क्या है जैसे
आपकी आम्स आपका एटॉमिक एनर्जी यहां पर हमने बोला कि यार इन
मुद्दों के अंदर ना प्राइवेट सेक्टर बिल्कुल भी नहीं आएगा बिल्कुल भी नहीं या इवन आपका रेलवेज वगैरह हो गया इनके अंदर
हम प्राइवेट सेक्टर की एंट्री अलाउड ही नहीं है यहां पर पोरली आपकी सरकार इन पर्टिकुलर
को रन करेगी तो वो आ गई शेड्यूल ए के अंदर ठीक है फिर एक दूसरा शेड्यूल हमने डाला उसमें हमने बोला कि हां शेड्यूल बी के
अंदर पता है क्या होगा शेड्यूल बी के अंदर मेजर रोल सरकार का रहेगा पर वहां पर प्राइवेट सेक्टर भी उस रोल को सप्लीमेंट
कर सकती है समझो फर्क पहले में क्या था पहले में ऐसा है कि 100% सरकार है कोई और प्राइवेट कंपनी है ही नहीं जैसे आपका
एटॉमिक एनर्जी बड़ा ही सेंसिटिव सेक्टर है रेलवेज वहां पर हम नहीं चाहते कोई प्राइवेट सेक्टर आए ये 1956 की पॉलिसी बता
रहा हूं वहां पर सरकार ने बोला यहां पर सिर्फ और सिर्फ सरकारी कंपनियां ही हो सकती हैं नो प्राइवेट प्लेयर्स ठीक है
शेड्यूल बी के अंदर क्या हुआ शेड्यूल बी के अंदर हमने कहा कि हां सरकार का मेजर रोल होगा पर माइनर रोल यहां पे प्राइवेट
सेक्टर का भी हो सकता है जैसे फॉर एग्जांपल आपका इंश्योरेंस का सेक्टर हो गया राइट बैंकिंग सेक्टर हो गया यहां पर
रोल हो सकता है प्राइवेट सेक्टर का पर मेजर रोल किसका होगा मेजर रोल आपका यहां पे गवर्नमेंट सेक्टर का ही रहेगा फिर हमने
ने तीसरा एक शेड्यूल बनाया तीसरे शेड्यूल में हमने कहा जो बाकी वाली जो इंडस्ट्रीज होगी वहां पे प्राइवेट सेक्टर रोल प्ले कर
सकता है यहां ऐसा नहीं कहा मैंने कि सरकार नहीं हो सकती सरकार भी हो सकती है पर बाकी प्राइवेट प्लेयर भी आराम से इसमें काम कर
सकते हैं जैसे आपकी जो कंज्यूमर गुड्स होती हैं कंज्यूमर गुड्स का क्या हो गया जैसे
घड़ी हो गया जैसे ये शर्ट हो गया इस तरह की जो कंज्यूमर गुड्स हैं यहां पर आपकी बाकी जो प्राइवेट प्लेयर है वो अच्छा खासा
रोल प्ले कर सकते हैं शेड्यूल ए के अंदर पोरली गवर्नमेंट शेड्यूल बी के अंदर सरकार का मेजर रोल पर प्राइवेट सेक्टर का भी रोल
हो सकता है उसको सप्लीमेंट कर सकता है शेड्यूल सी के अंदर प्राइवेट प्लेयर कैन एंटर शेड्यूल सी के अंदर मतलब दोनों हो
सकते हैं ऐसा नहीं है कि सरकार नहीं हो सकती पर मेजर रोल यहां पे प्राइवेट सेक्टर का ही हमें देखने को मिल सकता है कंज्यूमर
गुड्स वगैरह को हमने यहां पे सी शेड्यूल के अंदर यहां पे देखने को मिला तो इस तरह से आप नोटिस कर पाओगे कि कैसे हमने यहां
पर इंडस्ट्रीज को तीन शेड्यूल में यहां पे डिवाइड किया ठीक है ठीक है ठीक है तो ये हो गया हमारा सेकंड फाइव ईयर प्लान राइट
अब इसको अगर आप एनालिसिस करना चाहते हो तो आप कहोगे कि सर हां 45 पर का था पर 4.3 पर के आसपास रहा तो वी विल कंसीडर इट एस
मॉडरेट ना खराब ना सही बट ठीक था सही था पर एक चीज यहां पर ना इंटरेस्टिंग चीज थी जो आपको यहां पर ना एक कांसेप्ट आपको
सीखना पड़ेगा एक चीज आप समझना एक चीज होती है जिसको हम बोलते हैं ट्रिकल डाउन इफेक्ट इस टर्म को समझना ये बहुत ही पॉइंट
कांसेप्ट है ट्रिकल डाउन इफेक्ट या ट्रिकल डाउन थ्योरी आपने नाम सुना होगा देखो एक्चुअल पता क्या होता है सम
जैसे फॉर एग्जांपल मैंने ऐसे इस तरह से इसको बनाया और मैंने कहा यह रहे आपके अमीर ठीक है और यह रही आपकी मिडल
क्लास और यह रहा आपका देखो मान लो मैं कुछ पैसे देता हूं लेट्स से मैंने आपको कुछ टाइम के लिए
प्रधानमंत्री बना दिया कुछ टाइम के लिए हमेशा के लिए नहीं कुछ टाइम के लिए और मैंने आपको बोला यार आप पैसे दो
इनको आप पैसे बांटो इनको तो कुछ लोगों का ना माइंडसेट यह होगा कि हम एक काम करते हैं हम गरीबों को पैसा
देते हैं हो सकता है परफेक्टली ऑलराइट कुछ लोगों का पॉइंट ऑफ व्यू य हो सकता है कि गरीबों को पैसा देंगे उनको खाना देंगे कोई
अच्छी शिक्षा देंगे यह सब चीज तो एक तो यह कांसेप्ट हो गया ठीक है जिसको हम कहीं ना कहीं
प्रोग्रेसिव अ आपका सॉरी रिग्रेसिव एक्सपेंडिचर कहते हैं हमने डिस्कस किया हुआ इस चीज़ को है ना आगे भी डिस्कस
करेंगे जो डोंट वरी पर क्या काफी सारे लोगों का यह मानना होता है कि अगर मान लो जस्ट टेक एन एग्जांपल अगर मान लो हमने
यहां पर अमीरों को कुछ बेनिफिट्स दिए या अमीरों को कुछ पैसा दिया तो क्या होगा उस चीज का अगर मान लो मैंने ₹1 करोड़ अमीरों
को दिया इसका मतलब यह नहीं है कि 100 करोड़ उनके अकाउंट में डाल दिया 100 करोड़ के
बेनिफिट्स दिए मान लो उनको ठीक है अब इस बेनिफिट से वो क्या करेंगे वो कुछ नई नई फैक्ट्रियां लगाएंगे लगाएंगे बिल्कुल अब
फैक्ट्रियों में काम कौन करेगा आप बोलोगे सर मिडिल क्लास और पुअर काम करेंगे अब समझो पैसा दिया किसको था पैसा
मैंने अमीर इंसान को दिया था पर फायदा किसको हो रहा है फायदा साथ ही साथ आपके मिडल क्लास और आपके पुअर को भी हो रहा है
क्योंकि उन फैक्ट्रियों के अंदर वही मिडल क्लास और वही पुअर काम करेंगे उससे उस पुअर और मिडिल क्लास की जो इनकम थी वो
धीरे-धीरे करके बढ़ती रहेगी इस पॉइंट को बोलते हैं ट्रिकल डाउन कि भाई पैसा मैंने यहां पर दिया कहां दिया पैसा पैसा यहां पर
दिया पर उसका बेनिफिट धीरे-धीरे करके नीचे वाले तबकों तक भी पहुंच गया इसको बोला जाता है ट्रिकल डाउन थ्योरी या ट्रिकल
डाउन इफेक्ट तो दरअसल में जो हम बात कर रहे थे ना यहां पर रैपिड इंडस्ट्रीज की बेसिक एंड हैवी इंडस्ट्रीज की हमने इसी
कांसेप्ट को सोच का दिमाग में या ट्रिकल डाउन इफेक्ट होगा हम इंडस्ट्रीज लगाएंगे डेफिनेटली इनको कुछ बेनिफिट होंगे पर वह
बेनिफिट धीरे-धीरे करके नीचे तक आते रहेंगे यह सोच थी यह आइडिया था पर यह उतना हो नहीं पाया क्योंकि नोटिस करोगे कि
गरीबी जिस लेवल से इससे घटनी चाहिए थी वह उतनी तेज से नहीं घटी और ऊपर से यह बेनिफिट नीचे तक पहुंचते पहुंचते में बहुत
ज्यादा टाइम लग जाता है बहुत ज्यादा यहां पे और कई बार ऐसा होता है कि पूरा का पूरा पैसा यहीं पर ही रह गया है ना तो यह एक
ट्रिकल डाउन इफेक्ट का एक नेगेटिव कंसीक्वेंस हमें देखने को मिलता है दरअसल में सेकंड फाइव ईयर प्लान में ऐसा सोचा
गया था कि ट्रिकल डाउन इफेक्ट हमें मदद करेगा पर ऐसा देखा गया कि ट्रिकल डाउन इफेक्ट पूरी तरह से हमें यहां पर
सक्सेसफुल नहीं देखने को मिलता ठीक है बट एनीवेज अगर आपको सिंपली कोई पूछे कि सेकंड फाइव र प्लान कैसा था तो आप उसको बोलोगे
ठीक था ना बहुत बढ़िया था मतलब बढ़िया इसलिए था क्योंकि यहां पर इंडस्ट की बात करी गई थी और इंडस्ट्री को सेट अप करना
यहां पर एक इंपोर्टेंट रोल प्ले हुआ पर टारगेट के कस्प देखें तो इट वास ओके पर इसके बाद हमारे सामने
एक मॉडल को याद रखना नेहरू मलान मॉडल ठीक है पर इसके बाद दिक्कत तक आती है दिक्कत आती है आपके थर्ड फाइव ईयर प्लान के अंदर
देखो थर्ड फाइव ईयर प्लान इतना बड़ा फेलियर था कि सरकार ने खुद इसको माना कि थर्ड फाइव ईयर प्लान में हम बुरी तरह से
फेल हो गए एक्चुअल में आप नोटिस करोगे ना हमारा टारगेट यहां पे 5.6 पर का था हमें लगा कि अब हम अच्छे से ग्रो कर पाएंगे पर
एक्चुअल में ग्रो कितने से किए 2.8 से क्या दिखाता है ये कि दिस प्लान वाज अ फेलर आप पूछेंगे ऐसा क्या हो गया सर देखो
टाइम सोचो टाइम क्या है ये टाइम है 1961 से 1966 का यहां पर आई बहुत बहुत बहुत सारी
समस्याए देखो एक तो हमारे जो प्रधानमंत्री थे पंडित जवाहरलाल नेहरू जी उनकी यहां पर डेथ हो गई इस टाइम पीरियड
के अंदर और आप नोटिस करते हो कि इंडिया की पॉलिटी को बहुत मैसिव लेवल पर इनका डोमिनेशन था राइट भारत के प्रधानमंत्री
इतने लंबे समय तक रहे पर जब इनकी डेथ हो जाती है एक तरह से वैक्यूम बन जाता है वहां पर कि अब कौन
अगला प्रधान प्रधानमंत्री बनेगा तो थोड़े से वहां से क्वेश्चन मार्क्स उठते हैं ब एनीवेज एक ये चीज हुई उसके अलावा ना एक
बड़ी बहुत बड़ी समस्या आती है इंडिया चाइना वॉर की 1962 के अंदर भारत और चाइना का युद्ध होता है एंड भारत इसमें उतना
अच्छा नहीं कर पाता ठीक है इसी के न साल बाद इंडिया और पाकिस्तान का युद्ध हो जाता है इसमें भारत
जीत जाता है बिल्कुल पर दिक्कत पता क्या आती है देखो युद्ध में जीते हारे कोई भी पर आप नोटिस करते हो जब भी किसी जगह पर
युद्ध होता है ना उसके सारे के सारे रिसोर्सेस वही आपके मैक्सिमम रिसोर्सेस वही यूटिलाइज हो जाते हैं क्यों जब देश
में मतलब देश युद्ध पे है तो उस समय के ऊपर बाकी का जो इकोनॉमिक डेवलपमेंट है वो कहीं ना कहीं बैक सट ले लेता है सब लोगों
का ध्यान इसी चीज के ऊपर होता है कि युद्ध को कैसे अगर हम जीते खाने की जो सामान होता है वो सारा का सारा युद्ध में
डाइवर्ट हो जाता है इकोनॉमी काफी पीछे चली जाती है बाकी आपकी जो टेक्नोलॉजिकल रिसर्च होनी थी रिसर्च एंड डेवलपमेंट होना था
इनोवेशन का सारा स्कोप था वो कहीं नाना कहीं बैक सट ले लेता है क्योंकि सारा का सारा फोकस सरकार का भी और बाकी सेक्टर्स
का भी पूरे युद्ध के ऊपर है तो भाई थर्ड फाइव ईयर प्लान में तो हमने दो-दो युद्ध लड़ लिए इंडिया चाइना का इंडिया पाकिस्तान
का और जब इंडो चाइना का युद्ध हुआ उसके बाद हमारे जो जवान थे जवानों का थोड़ा सा जो मोराल था वो अ थोड़ा मोराल नीचे आ गया
था बाकी अगर हम बात करें इसी समय के ऊपर इसी टाइमलाइन के ऊपर 2 साल हमें लगातार सूखा देखने को मिला ड्रॉट आ गया था बारिश
बहुत कम हुई और बारिश कम हुई तो क्या हुआ हमारे किसान दुखी किसान फसल लगा रहे हैं पर बारिश ही
नहीं हो रही तो सारा का सारा नुकसान हो गया बिल्कुल चलो किसानों के पास मतलब किसानों के पास क्या पूरे देश के पास यहां
पे खाने की समस्या आ गई इसी समय में हमारे जो नए प्रधानमंत्री बनते हैं लाल बहादुर शास्त्री जी वो इस बात को रिकॉग्नाइज करते
हैं कि यार जवान का भी मोराल काफी नीचे है किसान का भी जवान का इसलिए इंडो चाइना युद्ध की वजह से किसान ड्रॉट की वजह से
समस्या फेस कर रहा है तो यहां पे ऐसा सोचा जाता है कि यार नारा ला जाता है जय जवान जय किसान
का ताकि ना हमारे जो जवान है और हमारे जो किसान है उनके अंदर एक नई ऊर्जा पैदा करी जा पाए देश को भी बोला जाता है कि आप व्रत
रखिए एक दिन का शास्त्री फास्ट उसको बोला जाता है यह खुद भी रखते थे इस चीज के लिए ताकि सब लोगों तक अनाज पहुंच पाए तो जब
इतनी सारी समस्याएं आ गई इतना सारा इशू आ गया तो इस वजह से हमारा जो टारगेट था ना हम उस टारगेट से बहुत दूर रह गए क्योंकि
पूरा पूरा ध्यान ही इधर हमारा फोकस था और यहां पर हम जो योजना फॉलो करते हैं इसका नाम है गाडगिल योजना तो नाम ध्यान में
रखिएगा थर्ड फाइव ईयर प्लान को गाडगिल योजना के नाम से भी जाना जाता है एंड यहां पर भी फोकस किसके ऊपर रहा फोकस आपका रहा
आपका एग्रीकल्चर के ऊपर दोस्तों कोशिश इस समय यही थी कि किस तरह से हम यहां पर भारत को एक तरह से आत्मनिर्भर बना पाए पर
क्योंकि इतने सारे इश्यूज यहां पर हमें देखने को मिले ठीक है ना फूड क्राइसिस हमें यहां पर देखने को मिला तब हमने नोटिस
किया कि यह प्लान हमारा उतना सक्सेसफुल नहीं हो पाया इवन आपको ना मैं यहां पे एक और चीज के बारे में बताना चाहता हूं दैट
इज विद रिगार्ड्स टू आपका पीएल 480 पील 480 एक्चुअल में स्टैंड्स फॉर पब्लिक लॉ
480 अब देखो जैसे मैं आपको बता रहा था कि भारत में लोगों के पास खाने के लिए उतनी चीजें अवेलेबल नहीं थी तो यहां पर हम
डिपेंडेंट थे यूएसए के ऊपर यूएसए से वीट लाया जाता था वीट इंपोर्ट किया जाता था और ऐसा बताया जाता है कि जो
वीट थी ना ये इसकी जो क्वालिटी थी वह अपने आप में काफी खराब क्वालिटी हमें वीट देखने को मिलती थी यह इंडिया आती थी इंडिया
से के माध्यम से इंडिया में पहुंचती थी फिर वहां से डिफरेंट डिफरेंट पार्ट्स में इस वीट को लेकर जा जाता था ताकि लोग अपना
पेट भर पाए यहां पर फूड सिक्योरिटी हमारे पास बिल्कुल नहीं थी राइट आगे हम डिस्कस करेंगे ग्रीन
रेवोल्यूशन बाकी चीज तब आप इस चीज का इंपोर्टेंस समझोगे पर आप नोटिस करो कि इस समय थर्ड फाइव ईयर प्लान आते आते ना
समस्याओं का एक तरह से पहाड़ हमारे ऊपर टूट चुका था ठीक है अब जब यह देखा गया कि भाई हमने यहां तक ना आते आते हमने यह समझ
लिया कि हम प्लान तो बना रहे हैं हमने प्लान में बहुत सारी चीज सोची भी पर बहुत सारी चीज ऊपर नीचे होगी कभी युद्ध हो गया
कभी कोई और दिक्कत आ गया कभी ड्रॉट आ गया यह सब समस्याओ की वजह से हमें काफी इंपैक्ट आया तो जब 1966 आया ना तो हमने
सोचा या रुक जाओ अभी थोड़ा सा शांति लो य पाच साल की हम योजना बना तो रहे हैं पर कोई खास इसका इंपैक्ट आ नहीं रहा तो हमने
यहां पर क्या किया यहां पर 1966 से लेकर 69 के बीच में हमने यहां पर फाइव ईयर प्लान को एक तरह से रुक गया था इसको बोलते
हैं प्लान हॉलिडे क्योंकि आप नोटिस करोगे इस समय खाने की पूरी शॉर्टेज हो चुकी थी राइट एंड अकॉर्डिंग हम नोटिस करते हैं कि
इतनी जब दिक्कतें हैं तो हमने यह जो तीन साल है 66 से 69 एक प्लान हॉलिडे यहां माने जाते हैं और इस पर्टिकुलर टाइम
पीरियड के लिए हमने कोई भी टारगेट नहीं दिया क्योंकि पिछली बार जब टारगेट दिया था 5.6 पर का तो आया बहुत ही कम उससे आधा ही
आया तो यहां पर हमने कोई टारगेट सेट नहीं किया पर अगर हम इन तीन सालों की बात करें ना तो यहां पर हमने जो ग्रोथ आई वो ठीक थी
3.9 पर के आसपास हमें ग्रोथ देखने को मिलती है तो यहां से जब देखा गया फूड शॉर्टेज बहुत ज्यादा है पब्लिक लॉ 480 के
अंतर्गत बड़ी दिक्कतें आ रही है यहां से हमने सोचा कि हम भी ना अब अपने यहां पर कुछ चेंजेज करेंगे एंड वहीं से शुरुआत
होती है किसकी ग्रीन रेवोल्यूशन की ग्रीन रेवोल्यूशन एक्चुअली नाम बाद में आया इसका नाम रखा गया था न्यू एग्रीकल्चर
स्ट्रेटजी व तो इस तरह से बोला जाता है बस ग्रीन लशन पर एक्चुअल में असल नाम क्या है न्यू एग्रीकल्चर स्ट्रेटजी
हम दरअसल में बात करते हैं नॉर्मन बोरलॉग जी की जो फादर ऑफ ग्रीन रेवोल्यूशन माने जाते
हैं ठीक है इन्होंने क्या किया इनके द्वारा हाई यील्डिंग वरायटी
सीड्स कौन से सीड्स हाई यील्डिंग वैरायटी सीड्स यहां पर लाए गए उनके ऊपर उने सर्च
किया ताकि एक तरह से ना हम अपनी प्रोडक्शन को इंक्रीज कर पाए ठीक यह इनके दवारा कंट्रीब्यूशन रहा
नॉर्मन बलग जी का उसी तरह से जब मैं बात करता हूं डॉक्टर एम एस स्वामीनाथन जी की इनको दरअसल में बोला जाता है
फादर ऑफ ग्रीन रेवोल्यूशन इन
इंडिया समझ पा रहे हो नॉर्मन बोलक जी को फादर ऑफ ग्रीन रेवोल्यूशन बोला जाता है भारत के अंदर ग्रीन रेवोल्यूशन या हरित
क्रांति लाने का जो आपका जो कंट्रीब्यूशन जो दिया जाता है ट इज टू डॉक्टर एम एस स्वामीनाथन जी अब
इन्होंने भी वही चीज करी हाई डिंग वरायटी सीट जो थे आपके वीट के राइस के वो यहां पर डेवलप किए गए ताकि एक तरह से जो प्रोडक्शन
है ना हम उसको इंक्रीज कर पाए ये जो ग्रीन रेवोल्यूशन था ना ये आपका पंजाब हरियाणा वेस्टन
यूपी इन सब रीजन के अंदर काफी सक्सेसफुल रहा जिस वजह से हम अपनी प्रोडक्शन को इंक्रीज कर पाए थे जिस वजह से हम जो फूड
सिक्योरिटी यहां पर एक बहुत बड़ा कंसर्न बना हुआ था उसको हम यहां पर अचीव कर पाए थे तो ये एक कांसेप्ट हमें यहां पर पता
होना चाहिए विद रिगार्ड्स टू आपका हाई यील्डिंग वैरायटी सीड्स और जो न्यू एग्रीकल्चर स्ट्रेटजी है फिर 69 तक आ गए
ठीक है फिर 69 के बाद क्या होता है 69 के बाद हमारा अगला प्लान आता है फोर्थ फाइव ईयर प्लान कौन सा टाइम है ये 69 से लेकर
74 तक का ठीक है अब इस टाइम पीरियड की अगर हम बात करें यहां पर फोकस आ गया था हमारा किस तरह से एक तो हम आत्मनिर्भरता लेकर
आएंगे किस तरह से हम सेल्फ लास करेंगे एंड अकॉर्डिंग साथ ही साथ अगर मैं बात करूं ग्रोथ के साथ-साथ स्टेबिलिटी ग्रो करें पर
साथ ही साथ स्टेबिलिटी भी हो ऐसा नहीं कि इस साल बहुत तेज से ग्रो कर गए फिर नहीं कर पाए फिर कर गए फिर नहीं कर पाए एक
स्टेबिलिटी आनी चाहिए ग्रोथ के अंदर भी और साथ साथ आत्मनिर्भरता के ऊपर तो फोकस रहा ही यह जो एक्चुअल में अगर हम टाइम है ना
तो यहां पर आप नोटिस कर पाओगे कि जो इंदिरा गांधी जी थी उनका बहुत बड़ा रोल रहा इस टाइम पीरियड के ऊपर देश की
प्रधानमंत्री थी इस समय राइट एंड इनकी जो लीनिंग थी थोड़ी सी सोशलिज्म की तरफ ज्यादा लीन थी तो एक्चुअल में आप नोटिस
करोगे कि 1969 के अंदर 14 बैंकों का राष्ट्रीयकरण इनके द्वारा यहां पर किया गया यानी कि जो जो अलग-अलग बैंक्स थे जो
इस समय रन कर रहे थे उनको नेशनलाइज किया गया सरकार के वो कंट्रोल के अंतर्गत आ गए कोशिश यही था कि बैंकों को ना जो इस्तेमाल
किया जाए बैंकों को इस्तेमाल किया जाए फाइनेंशियल इंक्लूजन को बढ़ाने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों के अंदर भी उनकी यहां
पे अलग-अलग ब्रांचेस होनी चाहिए ताकि एग्रीकल्चर किसानों को यहां पर ज्यादा से ज्यादा लोन मिले तो इस वजह से 14 बैंक्स
को नेशनलाइज किया गया 1969 के अंदर इसके अलावा यहां पर एक एक्ट आता है एमआरटीपी एक्ट मोनोपोली एंड रिस्ट्रिक्टिव ट्रेड
प्रैक्टिस एक्ट 1969 हालांकि आज के समय तो यह एक्ट खत्म हो चुका है क्योंकि इसकी जगह के ऊपर कंपटीशन एक्ट आ चुका है 2002 का पर
फिर भी मैं आपको एक्सप्लेन करता हूं एक्चुअल में क्या होता था कि अगर मान लो बहुत बड़ी कोई कंपनी है तो अब बहुत बड़ी
कंपनी होने से क्या दिक्कत आती है जैसे अगर मैं बात करूं आज के समय अगर मैंने आपको पहले भी एक बार एग्जांपल दिया था
मोनोपोली का लेट्स से अगर j है 1969 पर थोड़ा सा इसमें इश्यूज थे व हम आगे कभी देखेंगे यह भी इसी समय के ऊपर आता
है इसके अलावा फॉरेन एक्सचेंज रेगुलेशन एक्ट आता है फेरा 1973 के अंदर इसको भी हम आगे डिस्कशन करेंगे आने वाले चैप्टर्स के
अंदर और साथ ही साथ ग्रीन रेवोल्यूशन चलो है ही है एंड साथ ही साथ अगर हम बात करें ना तो यहां पर बांग्लादेश जो रिफ्यूजीस है
उनका एक बड़ा मैसिव इफ्लक्स हमें यहां पर देखने को मिलता है एंड इंडो पार्क जो वॉर यहां पे आप मतलब ईस्ट और वेस्ट पाकिस्तान
की जो जंग होती है वहां से बांग्लादेश एक नई कंट्री वन के निकल के आती है ठीक है तो यह सारा जो सारा पॉइंट्स निकल के आए ना ये
इसी समय के ऊपर हुए ठीक है बाकी फूड क्राइसिस तो था पर कहीं ना कहीं हमने जो यहां पे एग्रीकल्चर
के ऊपर काम किया उससे हमें यह चीजें देखने को मिलती है कि वी वर एबल टू अचीव सम ऑफ द थिंग्स हियर ठीक है अगर हम यहां पे टारगेट
देखें तो टारगेट 5.7 पर का था पर ग्रोथ रेट यहां पे कम हुई 3.3 पर की मेजर कारण यह रहा कि हमारा यहां पर भी थोड़ा वॉर
वगैरह थे इसी तरह से ओपक के अंदर भी क्राइसिस हमें देखने को मिल गया था ठीक है तो ये कुछ चीजें थी जो आपको फोर्थ फाइव
ईयर प्लान के बारे में पता होनी चाहिए इसके बाद आया एक बड़ा ही इंटरेस्टिंग सा प्लान कह सकते हैं अब तो तो 1974 से लेकर
78 ठीक है दरअसल में वैसे 79 लिखा हुआ है पर ये चार ही साल चल पाया था क्योंकि यहां पर कुछ चेंजेज आ गए
थे तो यह टाइम भी इंदिरा गांधी जी का ही टाइम है यहां पर आप नोटिस कर पाओगे फोकस था आपका ग्रोथ विथ सोशल जस्टिस एंड
रीडिट्यूब गया था बहुत ही फेमस जो हुआ गरीबी हटाओ ठीक है तो इनका फोकस यहां पर रहा कि किस
तरह से हम पॉवर्टी को खत्म करें इसके साथ ही अगर हम बात करें ना यहां पर कुछ एक इंटरेस्टिंग चीज यहां पर हमें देखने को
मिली जैसे इनके द्वारा एक 20 पॉइंट प्रोग्राम दिया गया बाकी इसके अलावा आप जानते होंगे कि यही इसी पर्टिकुलर टाइम
पीरियड के अक्रॉस 1975 में इमरजेंसी लगाई जाती है जो कि लगभग 21 महीने तक चलती है ठीक है आम ड्र
बिलियन के बेसस के ऊपर थी ये राइट तो तो यह पॉइंट हमें पता होना चाहिए कि ये फिफ्थ फाइव ईयर प्लान की यहां पर बात है अब काफी
कंट्रोवर्शियल रहा यह पूरा का पूरा डिसीजन ठीक है इमरजेंसी का यह जो मुद्दा था यह इसी टाइम के ऊपर हमें देखने को
मिलता है इसके अलावा अगर मैं बात करूं तो थोड़ा सा प्राइसेस के ऊपर यहां पर फोकस किया गया
ठीक है कोशिश किया गया किस तरह से हम एंप्लॉयमेंट यहां पर जनरेट करें प्लस यहां पर इसी टाइम के ऊपर पहली देश की पॉलिसी भी
आती है इमरजेंसी के समय के ऊपर पॉपुलेशन पॉलिसी 1976 के अंदर आप लोग जानते भी होंगे कि काफी सारे कंसर्न्स केसेस भी आए
थे इस चीज के रिगार्डिंग कि जबरदस्ती पॉपुलेशन को रोकने की कोशिश करी जा रही थी ये ऐसे कंसर्न्स भी यहां पे हमें इस समय
के ऊपर देखने को मिलते हैं फिर क्या होता है फिर यहां पे चुनाव हो जाते हैं राइट और इमरजेंसी का जो फैसला था वो काफी
कंट्रोवर्शियल निकल के आता है चुनावों के बाद क्या होता है चुनावों के बाद आपके इंदिरा गांधी जी जो हैं व हार जाती हैं
एंड अकॉर्डिंग जनता पार्टी पावर में आती है अब जब जनता पार्टी पावर में आई उनको ये सब पसंद नहीं था आपके जो फाइव ईयर प्लांस
थे ठीक है और फाइव ईयर प्लान पसंद नहीं थे तो उन्होंने बोला कि यार ये फाइव ईयर प्लान बंद करो यह सब हम नहीं यहां पे
करेंगे ठीक है तो जनता गवर्नमेंट आती है वह बातें करती है रोजगार की पर यह जो सरकार होती है यह भी आपकी सिर्फ दो साल तक
ही चल पाती है बहुत लंबा टेनर अपना कंप्लीट नहीं कर पाती एंड अकॉर्डिंग फिर क्या होता है दो साल ये रोलिंग प्लांस
चलते हैं एंड अकॉर्डिंग उसके बाद 1980 आते-आते हमें एक नई सरकार फॉर्मेशन देखने को मिलती है फिर वापस इंदिरा गांधी जी आती
है ठीक है तो 1980 के बाद हमारा स्टार्ट होता है सिक्सथ फाइव ईयर प्राइम यह भी पा साल
चलता है 1980 से लेकर 1985 के बीच में अब इस टाइम के ऊपर भी बहुत सारे रिफॉर्म्स लिए जाते हैं जैसे अगर मैं बात करूं यहां
पर फोकस बढ़ जाता है आपका टेक्नोलॉजी के ऊपर इवन राजीव गांधी जी का यहां पर 84 के बाद इंपॉर्टेंट रोल रहा है तो टेक्नोलॉजी
के ऊपर यहां पर ध्यान ज्यादा देने लग जाते हैं ग्रामीण क्षेत्रों के अंदर रोजगार की अपॉर्चुनिटी बढ़ाने के लिए
नेशनल रूरल एंप्लॉयमेंट प्रोग्राम को स्टार्ट किया जाता है प्लस पॉवर्टी इरेडिकेशन ठी है गरीबी कैसे कम करें
एंप्लॉयमेंट कैसे जनरेट करें ऑल दिस थिंग्स कीप ऑन हैपनिंग इसके अलावा अगर मैं बात करूं ना
तो एक इंपॉर्टेंट चीज जो आपको ध्यान में रखनी है वो है नाबार्ड के बारे में नाबार्ड आप समझते हैं नेशनल बैंक फॉर
एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट आने वाले टॉपिक्स जब हम बैंकिंग पढ़ेंगे वहां पर हम नाबार्ड के बारे में पढ़ेंगे इसका काम यह
होता है कि रूरल सेक्टर के अंदर हम एंप्लॉयमेंट और बाकी रूरल सेक्टर को अगर हमें आगे बढ़ाना है उसको अंदर ग्रोथ लेके
आनी है उसके लिए यहां पे ये काफी काम करता है इवन यहां पे इनडायरेक्ट फाइनेंसिंग भी प्रोवाइड करी जाती है अलग-अलग बैंकों को
ये लोन देता है ताकि वो बैंक आगे लोगों तक पैसा पहुंचा पाए तो नाबार्ड का सेटअप हुआ ऑन द रिकमेंडेशन ऑफ शिवर रमन कमेटी 1982
के अंदर इसके अलावा 1969 के अंदर मैंने आपको बोला था कि 14 बैंकों का राष्ट्रीयकरण होता है उसी का सेकंड फेज
यहां पर आता है जहां पर छह बैंकों का राष्ट्रीयकरण और होता है है 1980 के अंदर छह बैंक और नेशनलाइज हो जाते हैं 14 पहले
हो गए थे 69 के अंदर छह बैंक यहां पे और नेशनलाइज किए जाते हैं इन द सेकंड राउंड ऑफ नेशनलाइजेशन तो इस तरह से आपका 80 से
85 के बीच में यह सारा का सारा प्रोसेस चलता है ग्रोथ रेट आप नोटिस करना ग्रोथ रेट धीरे-धीरे करके हमारी यहां पे बढ़ रही
है डेफिनेटली 5.2 टारगेट था उसको हम एक्सीड करते हैं पर कुछ समस्याएं भी यहां पर देखने को मिलती हैं हमारा इंपोर्ट हम
दूसरे देशों से काफी सारा सामान मंगाते हैं और वहां पे सामान भेजते कम थे तो उस वजह से क्या होता है हमारे जो फॉरेन
एक्सचेंज रिजर्व्स होते हैं ना क्योंकि हम डॉलर्स हमें देने पड़ रहे हैं बहुत ही इंपॉर्टेंट तो क्या होता है कि इतना
ज्यादा इंपोर्ट बढ़ने की वजह से हमारा फॉरेक्स रिजर्व धीरे-धीरे करके कम होता जा रहा है इस पर्टिकुलर टाइम पीरियड के
ऊपर राइट तो बैलेंस ऑफ पेमेंट का थोड़ा सा इशू यहां पे हमें फेस करता हुआ देखने को मिल जाएगा तो ये सब चीजें हैं जो 1980 से
लेकर 85 के बीच में होती हैं अब इसके बाद अगला आता है हमारा सेथ फाइव ईयर प्लान यह रन हुआ 1985 से लेकर 1990 के बीच में अब
इसमें कुछ अच्छी चीजें भी है एंड एक दो खराब चीज भी है एक्चुअल में यहां पर एक टर्म है हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ आप पूछेंगे यह
क्या है हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ देखो जब मैं बात करता हूं ना 1950 से लेकर 1980 1985 तक की जो 3035 साल थे ना इनमें आप लोगों
ने देखा होगा ग्रोथ के बारे में एंड आप लोगों ने एक चीज नोटिस करी होगी यह पूरे जो 30 35 40 साल है ना इनमें हमारी जो
ग्रोथ रेट रही वो लगभग 4 पर के आसपास रही ठीक है तीन से 4 पर ऑनन एवरेज हम यहां पे ग्रो कर रहे थे तो ग्रोथ थोड़ी कम थी 1950
से लेकन मिड 1980 तक ये जो ग्रोथ रेट है जहां पर हम ऑन एन एवरेज लगभग 4 पर से ग्रो किए इसी ग्रोथ रेट को बोला जाता है हिंदू
रेट ऑफ ग्रोथ पर इसके बाद 1985 के बाद हमने इस चीज को एक्सीड किया जैसे इस पर्टिकुलर टाइम पीरियड के अंदर हम काफी
तेजी से ग्रो हुए लगभग 6 पर की ग्रोथ रेट देखने को मिली तो यहां पर हम आके कहते हैं कि इस पर्टिकुलर टाइम पीरियड में हम लोग
हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ से बाहर मूव कर गए थे प्लस राजीव गांधी जी के टाइम के ऊपर प्राइवेट सेक्टर की इंपॉर्टेंस को समझा
गया बहुत सारे साइंस एंड टेक्नोलॉजी के सेक्टर में रिफॉर्म्स हुए रिसर्च एंड डेवलपमेंट के ऊपर हमने पैसा लगाना स्टार्ट
किया टेक्नोलॉजिकल इंप्रूवमेंट यहां से स्टार्ट हुए ठीक है कम्युनिकेशन की फील्ड में हमने यहां पे काम किया तो ये सब चीजें
यहां पे हमें देखने को मिलती हैं बाकी साथ में नोटिस करोगे फूड वर्क एंड प्रोडक्टिविटी पर फोकस रहता है
एंप्लॉयमेंट क्रिएशन हो गया ठीक है प्रोडक्टिविटी हम कैसे बढ़ा सकते हैं यह सब चीजें हमें यहां पे देखने को मिलती हैं
ठीक है और एक्चुअल में आप नोटिस करोगे ना कि पहले हमारी फोकस थोड़ा इनवर्ल्ड लुकिंग ज्यादा था पर यहां से हम थोड़ा आउटवर्क
किंग भी हो जाते हैं कि हम यहां पर बाकी कंट्रीज से सामान काफी मंगाते हैं एंड इसी वजह से दिक्कत पता क्या आती है दिक्कत आ
जाती है बैलेंस ऑफ पेमेंट एंड फिस्कल डेफिसिट की अब ये दो टर्म्स हमें पढ़ने हैं आने वाले चैप्टर्स के अंदर बहुत डिटेल
में हम पढ़ेंगे अभी के लिए बेसिक आईडिया आप इतना ले लो फिस्कल डेफिसिट का मतलब होता है कि जैसे आपकी कमाई कम है पर आपका
खर्चा ज्यादा है तो सरकार के साथ भी यही समस्या हो रही थी अब इतनी सारी चीजों के ऊपर खर्चा करना पड़ रहा है पर सरकार उतना
पैसा कमा नहीं रही है तो इससे नुकसान क्या हो रहा है इससे नुकसान यही हो रहा था कि सरकार का घाटा बढ़ता जा रहा था बढ़ता जा
रहा था काफी तेजी से यह सरकार का घाटा बढ़ा उसके साथ ही साथ अगर मैं बात करूं बैलेंस ऑफ पेमेंट की तो क्या होता है जब
आप बाकी कंट्री से बहुत सारा सामान मंगाते हो तो आपका इंपोर्ट बढ़ जाता है बिल्कुल पर आपका जो एक्सपोर्ट है अगर मान लो वो
नहीं बढ़ रहा राइट तो उस केस में क्या होता है आपके पास जो रिजर्व्स होंगे फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व्स होंगे वो आपकी जाए जा
रहे हैं तिजोरी से निकले जा रहे हैं निकले जा रहे हैं डॉलर्स आप पे करे जा रहे हो पर आपके पास आ तो रहा नहीं उस चक्कर में क्या
होता है उस चक्कर में आपके यहां पे क्राइसिस आ जाता है जो कि इंडिया में भी देखने को मिला बैलेंस ऑफ पेमेंट क्राइसिस
यानी कि इंपोर्ट्स इंक्रीज होते जा रहे थे एक्सपोर्ट बिल्कुल हो ही नहीं रहे थे तो ये एक ऐसा समय आया जब हमारे यहां पर बहुत
ज्यादा समस्याए बैलेंस ऑफ पेमेंट के रिगार्डिंग देखने को मिली अब इसके बीच में ना बड़ी इंटरेस्टिंग
घटनाएं होती है समझना मैंने आपको एक्सप्लेन किया कि किस तरह से सरकार का घाटा बहुत ज्यादा इंक्रीज हो चुका था
सरकार बाकी दूसरे देशों से सामान मंगा रही थी और हमारे पास कोई ऑप्शन भी नहीं था पर हम उनको एक्सपोर्ट नहीं कर पा रहे थे
हमारे इतने अच्छे प्रोडक्ट अभी तक नहीं थे ऐसे समय के ऊपर ना हम जाते हैं किसके पास हम जाते हैं आईएमएफ इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड
और वर्ल्ड बैंक के पास क्योंकि समस्या बहुत बड़ी हो चुकी है समस्या यह हो चुकी है कि हमारे यहां पर एक क्राइसिस आ चुका
है जिसको हम बोलते हैं बैलेंस ऑफ पेमेंट क्राइसिस जैसे हम लोग कच्चा तेल इंपोर्ट करते हैं
बिल्कुल तो कच्चा तेल मंगाना है तो उसके लिए डॉलर्स पे करने पड़ेंगे एक टाइम ऐसा आता था कि हमारे पास लगभग दो हफ्ते का ही
रिजर्व्स बचे हुए थे कि हम कोई इंपोर्ट करवा पाए बाहर से अदर वाइज हमारे पास पैसा ही खत्म हो चुका था तो ऐसे समय के ऊपर हम
जाते हैं आईएमएफ और वर्ल्ड बैंक के पास ताकि हमारी यहां पर मदद कर पाए तो होता क्या है ना इस समय के ऊपर आईएमएफ और
वर्ल्ड बैंक हमारी मदद तो करते हैं पर यहां पर इनकी कुछ कंडीशनलिटी हो जाती है आप पूछेंगे कंडीशनलिटी क्या है कि वो
भी ऐसे थोड़ी लोन दे देंगे वो उन्होंने कहा कि हम आपको लोन देंगे पर कुछ शर्तों के ऊपर लोन देंगे और इन्होंने बहुत सारी
शर्तें रखी यहां पे इंडिया ने भी वो चीजें करी डेफिनेटली यहां पर ये जो हालत थी ना 1991 की ये अपने आप में काफी कंसर्निंग
हालत थी तो इस कंसर्निंग हालत से बाहर आने के लिए कुछ स्टेबलाइजेशन एंड
कुछ स्ट्रक्चरल रिफॉर्म्स लिए जाते हैं क्या किया जाता है 1991 के अंदर हम कुछ रिफॉर्म्स लेकर आते
हैं जिनको हम जानते हैं स्टेबलाइजेशन एंड स्ट्रक्चरल रिफॉर्म्स के नाम से अब आप पूछेंगे यह क्या है स्टेबलाइजेशन
स्ट्रक्चरल व्ट यू मीन बाय सस थिंग्स देखो क बार क्या होता है ना कुछ भी समस्या आ जाती है मान लो आपके घर में कोई समस्या आ
गई आपके ऑफिस में कोई समस्या आ गई तो क्या होता है एक चीज तो होती है उस समस्या को अभी की अभी कैसे ठीक करें है ना आपको
एग्जांपल समझाता हूं मान लेते हैं कि ना कोई जैसे आप ऑफिस में थे और कोई जानवर घुसाया ऑफिस के अंदर ठीक
है सबसे पहली चीज आप क्या करोगे सबसे पहली चीज तो यही करोगे ना भाई उस जानवर को बाहर कैसे निकाले सबसे पहली चीज तो यही करोगे
तो ये क्या हुआ एक शॉर्ट टर्म मेजर हुआ कि फटाफट जो अभी प्रॉब्लम है उसको हम सॉल्व कैसे करें ये एक शॉर्ट टर्म मेजर हुआ
दूसरी चीज आपको क्या करनी पड़ेगी दूसरी चीज आपको ना कुछ ऐसे एफर्ट्स लेने पड़ेंगे कि दोबारा ऐसी चीज ना हो बात सही है तो जब
भी ऐसी कोई समस्या आती है हमारे पास भी दो चीजें करनी होती है एक तो शॉर्ट टर्म एक लॉन्ग टर्म एक है कि तभी के तभी वो जो
समस्या है उसको कैसे खत्म करें दूसरी चीज यह है कि फ्यूचर में ऐसी समस्या ना आए उसके लिए क्या करें जैसे कई बार डिजास्टर
आ जाता है तो डिजास्टर के लिए एक तो अभी डिजास्टर सामने है तो कैसे बचाए लोगों को एंड दूसरी चीज कि आगे फ्यूचर में अगर कभी
डिजास्टर आता है तो उसके लिए क्या हम रेडी है या नहीं है तो इसी तरह से यहां पर भी हमने कुछ शॉर्ट टर्म रिफॉर्म्स लिए एंड
कुछ हमने यहां पर इकोनॉमी के स्ट्रक्चर के अंदर कुछ लॉन्ग टर्म रिफॉर्म्स हमने लिए ठीक है शॉर्ट टर्म रिफॉर्म्स उतने
इंपोर्टेंट नहीं है क्योंकि एक्चुअल में ना ये हम आगे भी डिस्कस करेंगे जब आपका रुपी का डेप्रिसिएशन हम डिस्कशन करेंगे तो
हमने एक्चुअल में ये जो समस्याएं थी बैलेंस ऑफ पेमेंट की उसको फटाफट से ठीक करने के लिए हमने कुछ जो चेंजेज किए जैसे
हमने रुपए की वैल्यू को डीवैल्यू कर दिया हमने रुपए की वैल्यू को नीचे गिरा दिया ताकि हमारा एक्सपोर्ट बूस्ट हो पाए बैलेंस
ऑफ पेमेंट को हमने इंक्रीज करने की कोशिश करी ये सब चीजें थी शॉर्ट टर्म कि उस समय हालात बहुत खराब है हालात से बस कुछ समय
के लिए निपटने के लिए क्या किया दोज व स्टेबलाइजेशन जैसे आपका यहां पर आप एग्जांपल लिख सकते हो रुपी को डीवैल्यू
किया गया जिन बच्चों को नहीं पता डीवैल्यू का मतलब मान लो अगर आज 0 है एंड मैं जानबूझ
के क्या करूं ड को 80 कर दूं यहां पर रुपए की वैल्यू नीचे गिरी है ना तो इस चीज को बोलते हैं डीवैल्यू करना अगर सरकार इसको
करती है तो हमने यही किया उस समय के ऊपर हमने रुपए की वैल्यू को डीवैल्यू कर दिया ताकि हमारे एक्सपोर्ट बढ़ पाए जिन बच्चों
को नहीं पता कि एक्सपोर्ट कैसे बढ़ रहे हैं इस चीज से बिल्कुल घबराने की कोई जरूरत नहीं है हमारे आने वाले टॉपिक्स
आएंगे एक्सटर्नल सेक्टर रुपी एप्रिसिएशन रुपी डेफिसिट हम पढ़ेंगे तब मैं आपको बहुत डिटेल में एक्सप्लेन करूंगा कि कैसे
डेप्रिसिएशन से या डीवैल्युएशन से आपके एक्सपोर्ट बढ़ते हैं वी विल डिस्कस दिस डोंट वरी एट ऑल हमारे लिए इंपॉर्टेंट है
आपके स्ट्रक्चरल मेजर्स को जानना और ये जो स्ट्रक्चरल मेजर्स है जैसे मैंने कहा ये लॉन्ग टर्म मेजर्स है इन्हीं
स्ट्रक्चरल मेजर्स को ना हम लोग जानते हैं एलपीजी रिफॉर्म्स के नाम से समझते हैं एलपीजी की फुल फॉर्म
है लिबरलाइजेशन प्राइवेटाइजेशन एंड तीसरा है आपका ग्लोबलाइजेशन
क्या मीनिंग है तीनों का देखो अभी तक हमें नोटिस किया जितने भी हमने प्लांस पढ़े हमने एक बार नोटिस करी
कि सरकार का बहुत बड़ा रोल रहा है बिल्कुल ठीक बात है कोई डाउट ही नहीं है इसके अंदर और प्राइवेट सेक्टर का रोल कम है और हमने
इसी वजह से बनाया था कि प्राइवेट सेक्टर इतना था नहीं हमने हम सरकार यहां पर पावरफुल थी तो हम चाहते थे उनको भी डेवलप
करें पर यहां और ऊपर से हमने यहां पर कुछ ऐसे एक्ट भी लेकर आए जैसे एमआरटीपी मोनोपोली रिस्ट्रिक्टिव एंड ट्रेड
प्रैक्टिसेस एक्ट अब यह सब करने के चक्कर में पता क्या हो गया हमारी इंटेंशन अच्छी थी पर हमने ना यहां पर लाइसेंसिंग का एक
सिस्टम बना दिया आपको नई दुकान खोलनी है लाइसेंस चाहिए आपने एक फैक्ट्री लगाई है लाइसेंस
चाहिए उस फैक्ट्री को बड़ा करना है लाइसेंस चाहिए फैक्ट्री में कुछ नया चीजें ऐड ऑन करनी है लाइसेंस चाहिए और बहुत सारे
क्लीयरेंसस लगते थे दिक्कत पता क्या आ गई यह लाइसेंस का सिस्टम अपने आप में बहुत ही दिक्कत देने
लग गया कैसे एक्चुअल में क्या हो गया कि मान लो मुझे एक कंपनी खोलनी है पर मैं एक बात नोटिस करता हूं यार मुझे कंपनी खोलने
या कंपनी चलाने के लिए बहुत सारे अलग-अलग जगह से अलग-अलग परमिशन चाहिए अलग-अलग लाइसेंसेस की जरूरत थी उससे दिक्कत क्या
आएगी मैं कभी इस ऑफिस कभी इस ऑफिस कभी इस ऑफिस जा रहा हूं वहां पर कभी इसको भूस देनी पड़ रही है इसको पैसे खिलाने पड़ रहे
हैं तब जाके मेरा लाइसेंस बन के आ रहा है ये जो सिस्टम था ना इस सिस्टम को बोला गया लाइसेंस
राज और इसी वजह से क्या हुआ इसी वजह से यहां पर ग्रोथ नहीं हो पाई यह पूरे टाइम के अंदर तो हमने बोला यार नहीं ये सिस्टम
बड़ा ही गलत है ये सिस्टम बड़ा ही गलत है क्योंकि ठीक है मैं आई अंडरस्टैंड योर पॉइंट की कुछ परमिशन लेनी पड़ती है पर
इतनी सारी परमिशन लेनी पड़ रही है कि प्राइवेट सेक्टर वाला थक ही गया कि भाई मैं नहीं कर रहा ये काम इतने सारे तो
परमिशन लेने पड़ रहे हैं एक्चुअल में क्या हुआ यहां पर लिबरलाइजेशन के अंदर हमने ना बोला कि हम ये जो लाइसेंस राज की सिस्टम
है ना ये लाइसेंस राज को हम खत्म करेंगे हां परमिशन वगैरह है ऐसा नहीं है कि परमिशन खत्म होगी पर ये इतना ज्यादा जो
जंजाल सा बन रखा है ना इसको खत्म करेंगे ताकि एक तरह से हम ईज ऑफ डूइंग बिजनेस यहां पर लेकर आ पाए यह तो हालांकि उतनी
नहीं आ पाई उस समय अभी कोशिश कर रहे हैं हम इसको और बढ़ाने की बट फिर भी लिबरलाइजेशन म स्टेप टुवर्ड्स दिस थिंग कि
लाइसेंस राज य पर खत्म करें ठीक है सेकंड जो पॉइंटर यहां पर आता है वह है आपका विद रिगार्ड ू आपका
प्राइवेटाइजेशन अब इसमें क्या होता है अब मैंने आपको एक चीज बताई थी यहां पर जो आपके पीएसयू
है पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग इनका रोल पिछले कुछ सालों के अंदर बहुत बहुत ज्यादा इंक्रीज हुआ था एंड
हमारा काफी ज्यादा फोकस इन्हीं सब चीजों के ऊपर था राइट तो जब मैं बात करता हूं ना प्राइवेटाइजेशन की तो यहां पर क्या हुआ
हमने बोला कि इनके जो हम शेयर्स है ना हम इनको सेल करेंगे एंड प्राइवेट सेक्टर के पास इनका कंट्रीब्यूशन
बढ़ेगा याद करो चैप्टर नंबर वन वहां पर मैंने आपको बताया था कि अगर सरकार के हाथ में बहुत सारी चीजों का कंट्रोल होता है
उससे काफी सारे नुकसान होते हैं जैसे कि पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग में दिक्कत
पता क्या आई अब पीएसयू में है लोग काम कर रहे हैं तो लोगों का फोकस बस यह है कि यार सुबह 9:00 बजे ऑफिस आना है शाम को 5:00
बजे घर जाना है प्रॉफिटेबल है या नहीं है फर्क नहीं पड़ता काम कितना हुआ कोई चेक करने वाला ही नहीं है एफिशिएंसी के ऊपर
किसी का ध्यान ही नहीं है राइट एक प्राइवेट सेक्टरी कंपनी होती है ना जैसे आप बैंकों का कंपैरिजन करो मैं ये नहीं कह
रहा कोई पब्लिक सेक्टर बैंक खराब है बट फिर भी आप जरा कंपैरिजन करो प्राइवेट सेक्टर बैंक में आप नोटिस करते हो
आईसीआईसी एडीएफसी में आपको जो सर्विसेस मिलती हैं वो बहुत बढ़िया मिलती है राइट उनका पूरा का पूरा फोकस यही है कि
अगर एक एंप्लॉई यहां पे काम कर रहा है क्या वो बैंक की ग्रोथ में कंट्रीब्यूट कर रहा है या नहीं कर रहा अगर वो नहीं काम कर
रहा कंट्रीब्यूट नहीं कर रहा बैंक की ग्रोथ के अंदर तो उसको निकाल दिया जाएगा एफिशिएंसी का ध्यान रखा जाता है प्रॉफिट्स
का ध्यान रखा जाता है पर कंपैरिजन करो इसी चीज को आपके एक पब्लिक सेक्टर यूनिट की तरफ वहां पर बस एक बार बंदे को नौकरी मिल
गई तो उसको निकालना ही अपने आप में बहुत बड़ा चैलेंज है ऐसा नहीं है कि कोई बंदा काम नहीं कर रहा तो उसको कंपनी से या
नौकरी से निकाल दिया जाता है बड़ा मुश्किल प्रोसेस रहता है सरकारी नौकरियों में मैं ये नहीं कह रहा सरकारी नौकरियां खराब है
पर पॉइंट समझो एफिशिएंसी बहुत इंपैक्ट हो जाती है किसी का ध्यान नहीं जाता उस चीज के
ऊपर एक पर्सन को पता है यार मैं कैसा भी काम करूं मेरी प्रमोशन 5 साल बाद ही होनी है उसके पास कोई मोटिवेशन ही नहीं है
एक्स्ट्रा काम करने का हार्ड वर्क करने का पर प्राइवेट सेक्टर के अंदर ये चीज नहीं होती आर यू अंडरस्टैंडिंग पॉइंट तो यहां
पर भी यह देखा गया कि आपकी जो पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग थी ना यह चलेंगी बहुत सारे लॉस में काम अच्छे से हुआ नहीं
एफिशिएंटली काम नहीं हुआ इनएफिशिएंट हो गए बहुत सारे लॉसेस यहां पर देखने को मिले उससे सरकार को उल्टा नुकसान पर नुकसान
होता रहा हमने बोला यार नहीं हम चलेंगे प्राइवेटाइजेशन की तरफ यहां पर आपके जो पीएसयू है हम उनके शेयर्स को सेल करेंगे
आपके प्राइवेट इन्वेस्टर्स को एंड अकॉर्डिंग एफिशिएंसी और आपका कंपटीशन को बढ़ाएंगे
एक्चुअल में नोटिस करो मैंने अभी थोड़ी देर पहले ना आपको एक एग्जांपल दिया था एक बच्चे का और मैंने आपको कहा था अगर एक
छोटा बच्चा होता है उसको बहुत ज्यादा लाड प्यार से आप पालते हो तो फायदे हैं पीएसयू के भी फायदे थे पर कई बार हमने उनको
कंपटीशन से ही दूर रखा हमने उनको बाहर एनवायरमेंट से उनके साथ बाहर एनवायरमेंट के साथ उनको कांटेक्ट में ही नहीं आने
दिया जो प्रोडक्ट्स यहां पर बन रहे थे उतने उस क्वालिटी के नहीं थे बाकियों के साथ कंपीट कर पाए हमने बोला नहीं कंपटीशन
तो इंपोर्टेंट है तो यहां पर प्राइवेटाइजेशन एक दूसरा स्ट्रक्चरल रिफॉर्म हमारा यहां पर देखने को मिलता है
तीसरा आता है ग्लोबलाइजेशन ग्लोबलाइजेशन का अर्थ क्या होता है ग्लोबलाइजेशन का अर्थ होता है आप जब कहीं ना कहीं वर्ल्ड
के साथ ज्यादा बढ़िया ढंग से आप कनेक्ट करते हो कैसा कनेक्शन आपका जनरल स्टडीज पेपर वा
सोसाइटी टॉपिक है वहां पर अलग से एक टॉपिक है ग्लोबलाइजेशन का देखो ग्लोबलाइजेशन में पता है क्या होता है ग्लोबलाइजेशन रेफर्स
टू इंक्रीजड इंटरकनेक्टेडनेस इंटरडिपेंडेंस एंड इंटीग्रेशन ऑफ इकॉनमी सोसाइटीज एंड देर आइडियाज आपको लिखवा देता
हूं ग्लोबलाइजेशन में क्या होता है आपकी आपका ना इंटीग्रेशन होता है इंटर डि पेंडेंस होती
है इंटरकनेक्टेडनेस बढ़ती है किस चीज के अंदर आपकी अर्थव्यवस्था के अंदर तो होती ही होती
है आपके आइडियाज के अंदर भी बिलीफ सिस्टम के अंदर भी सब चीजों के अंदर ना जब आप कहीं ना
कहीं बा कि दुनिया के साथ जुड़ते हो उसी को बोलते हैं ग्लोबलाइजेशन अभी तक क्या हो रहा था अभी तक हमारा ज्यादा फोकस ट्रेड के
ऊपर नहीं था है ना हमने देखा इस एग्जांपल को पर यहां से हमने बोला नहीं ऐसा नहीं करेंगे जो इतने सारे ट्रेड बैरियर्स या
ट्रेड रिस्ट्रिक्शन हमने लगा रखी थी कि बाहर से कोई सामान इधर नहीं आएगा इधर आएगा तो बहुत ज्यादा ड्यूटी लगेगी वो सब चीजें
हमने यहां पर कम करी इंपोर्ट एक्सपोर्ट को यहां पर बढ़ावा दिया गया तो एक तरह से इंटीग्रेशन इंट कनेक्टस और इंटरडिपेंडेंस
हमें यहां से बढ़ती हुई देखने को मिलती है इकॉनमी में भी देखने को मिली हमारे आइडियाज में भी हमारे बिलीव्स में भी बहुत
सारी टेक्नोलॉजी भी बाहर से आई इंडिया से भी बहुत सारी चीजें एक्सपोर्ट करी गई प्लस हम भी आजकल बहुत सारी चीज एक्सपोर्ट करते
हैं फ्रूट्स हो गया वेजिटेबल्स हो गया इवन टेक्सटाइल्स वगैरह हम एक्सपोर्ट करते हैं आपके सॉफ्टवेयर प्रोडक्ट्स हम यहां से
एक्सपोर्ट करते हैं अच्छे खासे क्रूड ऑयल हम बाहर से इंपोर्ट करते हैं और इवन हमारे ना जो वैल्यू सिस्टम है वो भी बहुत सारे
हम एक्सपोर्ट करते हैं इन द सेंस आपका आयुर्वेदा हो गया आपका योगा हो गया यह सब चीजें बाहर बहुत ज्यादा पॉपुलर है हमारे
डांसेसएक्सएक्सएक्स जाता है राव मनमोहन मॉडल आपकी बुक में मेंशन है एक्चुअल में क्या है जो इस समय
हमारे जो प्रधानमंत्री थे वो थे आपके पीवी नरसिमा राव जी एंड हमारे जो फाइनेंस मिनिस्टर थे वो
थे डॉक्टर मनमोहन सिंह जी इनके द्वारा आप नोटिस करोगे एलपीजी रि फर्म हो गया फाइनेंशियल सेक्टर रिफॉर्म हो
गया स्टेबलाइजेशन मेजर्स लिए गए ताकि एक तरह से बीओपी क्राइसिस जो बैलेंस ऑफ पेमेंट का क्राइसिस आया था उसको एड्रेस कर
पाए एंड कहीं ना कहीं जो फिस्कल डेफिसिट बहुत ज्यादा बढ़ गया था उसको स्टेबलाइजेशन कर पाए यह था राव मनमोहन मॉडल अब अगर आप
देखो थोड़ा करंट अफेयर के साथ आप फॉलो करते हो ना तो आप लोगों ने एक चीज नोटिस करी होगी अभी रिसेंटली ही मतलब
इसी साल की बात करूं तो पीवी नरसिमा राव जी को ना भारत रत्न से नवाजा
गया च इज द हाईएस्ट सिविलयन ऑर्डर यह मैं आपको इसलिए बता रहा हूं एक तो यहां पर इनका नाम आया अभी थोड़ी देर
पहले ना हम डिस्कस कर रहे थे डॉक्टर एम एस स्वामीनाथन जी के बारे में याद है इसी साल डॉक्टर एम एस स्वामीनाथन जी को भी हरत रतन
या हाईएस्ट सिविल अवार्डेड से वहां से उनको नवाजा गया था तो नोटिस कर पा रहे हो कितने ज्यादा इंपोर्टेंट पर्सनालिटी की हम
यहां पर डिस्कशन कर रहे हैं इवन पिछले साल ही डॉक्टर एम एस स्वामीनाथन जी की डेथ हुई ठीक है तो इस वजह से काफी न्यूज में थे तो
यह बातें हमें यहां पे पता होनी चाहिए तो यह हमने डिस्कशन कर लिया किस तरह से यह एलपीजी रिफॉर्म्स को यहां पर लाया गया टिल
1991 दोस्तों एक बार एलपीजी रिफॉर्म्स आते हैं तो फिर आता है हमारा एथ फाइव ईयर प्लान अब आप एक बत नोटिस करना 1985 से
लेकर 1990 के बीच में हमारा सेवंथ फाइव ईयर प्लान था उसके बाद दो साल 1991 92 में कोई प्लान नहीं था फिर अगला जो प्लान आया
एथ का दैट वाज फ्रॉम 1992 टू 1997 एंड अभी जो मैंने आपके साथ डिस्कशन किया ना राव मनमोहन मॉडल का वही यहां पर
कंटिन्यूएशन उसका देखने को मिलता है एंड यहां से हमारी ग्रोथ रेट काफी अच्छी होती है जैसे टारगेट हमने 5.6 का लिया था पर
उससे ज्यादा हम ग्रोथ करके दिखाते हैं 6.8 पर हमारी ग्रोथ होती है एंड यहीं से हमारा ना फोकस जो होता है जैसे आप सोचो
प्राइवेटाइजेशन आ गया लिबरलाइजेशन ग्लोबलाइजेशन इन सबके ऊपर फोकस है तो उसका इफेक्ट क्लीयरली देखने को मिल जाता है
प्लस ह्यूमन रिसोर्सेस के ऊपर हमारा फोकस बढ़ता जाता है जैसे आपका एजुकेशन आपका हेल्थ आपका जो पब्लिक हेल्थ हो गया ठीक है
आपका एंप्लॉयमेंट हो गया इनके ऊपर हमने यहां पर कोशिश करी जो स्किलिंग है उसके ऊपर हमारा इंक्रीज फोकस यहां पर
देखने को मिल जाता है बाकी बहुत सारी अच्छी अच्छी स्कीम्स इस टाइम पर लच होती है जैसे आपका एजुकेशन सेक्टर के अंदर
मिडडे मील स्कीम हो गया राइट आप लोग पढ़ोगे अपने करंट अफेयर्स के अंदर भी इन चीजों को क्य न्यूज में आते रहते हैं उसके
अलावा कई बार करंट अफेयर्स के अंदर मैंने आपको एमपी लाइट्स के बारे में बताया है मेंबर ऑफ पार्लियामेंट
लोकल एरिया डेवलपमेंट स्कीम एक एमपी को यहां पर पैसा दिया जाता
है ताकि वह अपने एरिया के अंदर कुछ पैसा लगा पाए आज के समय तो 5 करोड़ है पर उस समय य बहुत कम वैल्यू से स्टार्ट हुआ था
उसके अलावा एनसेफ नेशनल सोशल असिस्टेंसिया ताकि आपके जो बुजुर्ग लोग हैं आपके जो विडोस है ठीक है या फिर पर्सन
वि डिसेबिलिटी है आपके जो दिव्यांग जन है उनको एक तरह से सोशल पेंशंस के माध्यम से उनकी मदद करी जा पाए इसके अलावा पंचायती
राज इंस्टीट्यूशंस को आप लोगों ने 73 एंड 74 अमेंडमेंट सुना होगा ठीक है ना डेफिनेटली वो भी इसी टाइम के ऊपर आता है
इवन जो गांधी जी का आईडिया था जहां पर ग्रामीण क्षेत्रों के पास ज्यादा पावर्स होनी चाहिए
लोकल गवर्नमेंट के पास तो वो सब चीजें भी इसी समय हमें देखने को मिलती है एंड लास्टली देखो इस समय कुछ और भी घटनाए हुई
है इन पर्टिकुलर टाइम पीरियड के अंदर जैसे हर्षद मेहता स्कैम भी हमें इसी पर्टिकुलर टाइम के अंदर देखने को मिला इवन अगर मैं
बात करूं जो बाबरी मस्जिद का डिमोलिशन था 6 दिसंबर 1992 वो भी इस समय के ऊपर हुआ तो कुछ कंडीशंस कुछ कंसर्न्स भी इस समय के
ऊपर आ रहे थे बट हमने यहां पर उन चीजों को ठीक किया बबी को स्टैचूट स्टेटस यहां पर दिया गया राइट तो ये कुछ पॉइंट्स थे जो
आपको एथ फाइव ईयर प्लान के बारे में पता होने चाहिए फिर इसके बाद नाथ फाइव ईयर प्लान
आता है 1997 से लेकर 2002 के बीच में यहां पर ज्यादातर टाइम मतलब सारे सारे इयर्स नहीं पर कुछ एक टाइम के ऊपर आपके जो अटल
बिहारी वाजपेई थे वह यहां पर प्राइम मिनिस्टर रहे एंड इनका जो फोकस रहा वह यही था किस तरह से हम एग्रीकल्चर को हम रूरल
इकॉनमी को और कैसे बूस्ट कर सकते हैं यह यहां पर फोकस रहता है कोशिश ज्यादा की थी कि 7 पर की ग्रोथ लाएंगे उतनी तो नहीं आई
पर फिर भी ठीक थी 5.6 पर बाकी इसको जो लच किया गया वो हमारे आजादी के 50 साल यहां पे कंप्लीट हो चुके थे
प्लस आप नोटिस करोगे यहां पर जो फोकस था इस पर्टिकुलर प्लान का इट वाज ग्रोथ विथ जस्टिस एंड इक्विटी ग्रोथ हो पर
कहीं ना क उस ग्रोथ का बेनिफिट यहां पे सबको मिलना चाहिए ये यहां पे फोकस देखने को मिलता है इसी टाइम के ऊपर आप नोटिस
करोगे कुछ और भी कंसर्न्स आ जाते हैं जैसे एशियन क्राइसिस हमें देखने को मिलता है 1990 लेट 1990 इस के अंदर प्लस इन्हीं के
टाइम के ऊपर हम जो कारगिल का युद्ध हमें देखने को मिलता है प्लस एट द सेम टाइम अगर मैं बात करूं तो यहां पर हम जो अपना
न्यूक्लियर टेस्ट है उसको कंडक्ट किया जाता है इसी टाइम के अराउंड तो यहां पर आपके सामने बहुत सारे कुछ नई-नई चीजें
हमें यहां पर देखने को मिल जाती है इवन यहां पर एक जो कारण रहा वो एक युद्ध तो था ही था कि हम पूरी ग्रोथ रेट यहां पे अचीव
नहीं कर पाए प्लस यहां पर कुछ हमें डिजास्टर्स की वजह से हमें काफी नेगेटिव इंपैक्ट देखने को मिला स्पेशली यहां पे
मैं दो डिजास्टर्स का जरूर मेंशन करना चाहूंगा एक था जो भुज का अर्थक्वेक आया ठीक है ऐसा माना जाता है कि भारत में
जितने अर्थक्वेक्स आए उनमें से वन ऑफ द लार्जेस्ट वाज दिस 2001 में भुज का अर्थक्वेक आता है गुजरात के अंदर इसके कुछ
टाइम के बाद गुजरात में हमें राइट्स भी देखने को मिलते हैं वो भी एक चीज थी इसके अलावा उड़ीसा के अंदर साइक्लोन आता है
बहुत ही बड़ा और उस उड़ीसा के अंदर जो साइक्लोन था उसने हमारी इकोनॉमी को काफी नेगेटिव इंपैक्ट किया काफी लोगों की यहां
पे जान भी गई पर हमने डेफिनेटली इन सभी इंसिडेंट से सीखा अपने डिजास्टर मैनेजमेंट का जो तरीका है उसमें हमने बदलाव किया
अर्ली वार्निंग सिस्टम्स जो थे उनको अच्छे से और डेवलप किया और डिजास्टर्स के ऊपर हमने खर्चा और इंक्रीज किया तो दीज आर सम
ऑफ द पॉइंट्स व्हिच वर रिलेवेंट इन नाइंथ फाइव ईयर प्लान फिर हम आए 10थ फाइव ईयर प्लान यह आपका 2002 से लेकर 2007 में था
यहां पर कुछ समय अटल बरी वाजपेई जी हमारे प्राइम मिनिस्टर थे एंड 2004 के बाद हमारे डॉक्टर मनमोहन सिंह जी यहां पर
प्रधानमंत्री बनते हैं फोकस यहां पर रहा गवर्नेस के ऊ पर ठीक है यहां पर भी ग्रोथ रेट अब हमने सोचा था 8 पर की करेंगे
हालांकि उतनी तो नहीं हो पाई पर 7.6 पर अपने आप में बहुत अच्छी ग्रोथ रेट मानी गई कारण इसका यह था इतनी अच्छी ग्रोथ रेट का
क्योंकि देखो जो एलपीजी री फॉर्म्स होते हैं ना उनका बेनिफिट एक दिन में नहीं देखने को मिलता वो सालों सालों में देखने
को मिलेगा तो एक्चुअल में हमने जो पिछले कई सालों में हम अलग-अलग स्टेप्स ले रहे थे उसका बेनिफिट यहां पे हमें कंटिन्यू
होता हुआ देखने को मिला है बाकी इसके अलावा यहां पर आप नोटिस करोगे इसी टाइम के ऊपर कुछ बहुत इंपॉर्टेंट स्कीम्स जैसे आप
आपका एमजी नरेगा ठीक है ये इतनी इंपॉर्टेंट स्कीम है कि आज भी ये चल रही है महात्मा गांधी
नेशनल रूरल एंप्लॉयमेंट गारंटी एक्ट ये एमजीन रेगा हम यहां पर लेकर आते हैं इसी टाइम पीरियड के अराउंड इसके अलावा फोकस ये
किया जाता है कि अगले 10 साल के अंदर जो भारत की पर कैपिटा इनकम है हम उसको कैसे डबल कर सकते हैं ठीक है इवन इस टाइम के
अराउंड हमें ये नोटिस करने को मिलता है कि जो बेरोजगारी है ना वो भी हम यहां पर कम करने में कुछ हद तक सक्षम रहते हैं
इवन पिछले टॉपिक्स के अंदर ना हमने यहां पर डिस्कशन किया था मल्टीडाइमेंशनल पॉवर्टी इंडेक्स का वो बताता है मल्टी
डायमेंशन पॉवर्टी इंडेक्स की इन टाइम पीरियड के ऊपर हमारे जो देश में जो पॉवर्टी थी उसमें एक कमी देखने को
डेफिनेटली मिली है क्लियर है यह बात यस बाकी यूएसए के साथ जो न्यूक्लियर डील होती है वह भी इसी टाइम के अराउंड
हमें देखने को मिलती है राइट टू इंफॉर्मेशन एक्ट हो गया आरटीआई वो भी आता है हमारे सामने ठीक है तो बहुत सारे यहां
पर अलग-अलग अलग स्टेप्स लिए गए इवन एक अमेंडमेंट आता है आर्टिकल 21a जो एजुकेशन की बात करता है तो राइट
टू एजुकेशन जो प्राइमरी की बात कर रहा हूं वो भी एक आपका फंडामेंटल राइट बनता है अंडर आर्टिकल 21a तो भी यहां पर इसी समय
के अराउंड हमें देखने को मिलता है आर सम ऑफ द थिंग्स काफी अच्छा टाइम पीरियड चल रहा था देश का काफी अच्छे से हम ग्रो कर
रहे थे तो यह अच्छा सक्सेसफुल हम इसको मान सकते हैं इसके बाद अगला टाइम आता है 2007 से 2012 जहां पर हमारा 11 फ ईयर प्लान हुआ
11थ फाइव ईयर प्लान का जो ऑब्जेक्टिव था वो था फास्टर एंड मोर इंक्लूसिव ग्रोथ हमें तेजी से ग्रो करना है एंड उस
ग्रोथ के जो बेनिफिट्स हैं वह कहीं ना कहीं सब में होने चाहिए इंक्लूसिव का मतलब जब भी आप सुनोगे ना इसका मतलब यही है सबका
साथ सबका विकास ठीक है ग्रो करो तेजी से ग्रो करो एंड इस ग्रोथ के बेनिफिट्स आप आपके ग लोग हो गया किसान हो गया
इंडस्ट्रीज हो गया सब जगह यहां पर इसके बेनिफिट जाने चाहिए अब यह जो सी रंगराजन जी है हमने पिछली बार भी पढ़ा था पवटी
वाले चैप्टर के अंदर रंगराजन कमेटी के बारे में दरअसल में उनके द्वारा ही यहां पर यह प्लान यहां पर बनाया जाता है ग्रोथ
यहां पर सोचा गया था 9 पर की वो तो अचीव नहीं हुई बट स्टिल वी अचीव ग्रोथ ट ऑफ 8 पर च इ वेरी वेरी गुड समझे इस बात को और
इंडिया इस समय दुनिया की सबसे तेजी से ग्रो करने वाली इकॉनमी में से एक था बहुत अच्छी बात है एंड हमारे जो सेविंग्स है
हमारी इन्वेस्टमेंट है वह यहां पर हमें बढ़ती हुई देखने को मिली है ठीक है तो यह पॉजिटिव तो डेफिनेटली थे पर कुछ एक
कंसर्न्स यहां पर आने स्टार्ट हो गए थे जैसे अगर मैं बात करूं यहां पर इस टाइम के ऊपर ना हमें देखने को
मिलेगा रिसेशन आया ठीक है और य रि सेशन आपका यूएसए हो गया और बाकी आपके वेस्टर्न देशों में
ज्यादा उसने इंपैक्ट किया ठीक है जो ग्लोबल रिसेशन की हम बात करते हैं 20078 का वहां पर हमें देखने को मिलता है कि
हाउसेस के अंदर ठीक है मैं कभी और डिस्कस करूंगा आप लोगों के साथ ये 20078 का ग्लोबल इकोनॉमिक रिसेशन पर आपको यह ध्यान
में रखना है कि दुनिया भर में ये रिसेशन आया इंडिया के ऊपर इंपैक्ट आया पर बहुत ज्यादा इंपैक्ट नहीं आया और आप नोटिस कर
पा रहे हो कि दुनिया में सेशन चल रहा है और इस 5 साल के अंदर हम 8 पर की ग्रोथ अचीव कर पा रहे हैं ये क्लीयरली शो करता
है कि इंडिया में बहुत ज्यादा इंपैक्ट नहीं आया दुनिया भर में तो नौकरियां जा रही थी दुनिया भर में बहुत बड़ी-बड़ी स आ
रही थी आपका एक तरह से जो हाउसिंग बबल था वो एक तरह से बर्स्ट कर गया था देयर र सम इशू ल अक्रॉस द वर्ल्ड पर इंडिया स्टिल
ग्रो कारण ये दो तीन माने जाते हैं एक तो पहली बात है कि हम जैसे एलपीजी रिफॉर्म्स ला रहे थे उनका बेनिफिट हुआ पर
ग्लोबलाइजेशन के अंदर ना हम दुनिया के साथ उतना भी कनेक्टेड नहीं थे अभी तक कि दुनिया के किसी और कोने में कोई काम हो
रहा है कोई और इवेंट हो रहा है उसका नेगेटिव इंपैक्ट हमारे ऊपर आए समझो इस बात को हमारे ऊपर नेगेटिव इंपैक्ट क्या कब
आएगा किसी दुनिया के इवेंट का तभी आएगा ना जब हम दुनिया के उस इवेंट के साथ कनेक्टेड होंगे एग्जांपल मान लो हम रशिया से बहुत
सारी वीट इंपोर्ट करते हैं एग्जांपल मान लो ठीक है और कल को रशिया में कोई दिक्कत आ जाती है कुछ रशिया में कुछ और कंसर्न्स
आ जाते हैं रशिया में युद्ध छिड़ जाता है तो इंडिया के ऊपर इसका इंपैक्ट आएगा आप बोलोगे हां बिल्कुल आएगा क्योंकि हम इतना
ज्यादा इंपोर्ट करवा रहे हैं वहां से पर अगर मान लो इंडिया वहां से इंपोर्ट करवा ही नहीं रहा होता या बहुत ही कम इंपोर्ट
करवा रहा होता है भारत के ऊपर इंपैक्ट भी कम ही आता तो इंडिया ग्लोबलाइज हो रहा था इस समय के ऊपर 20078 के आसपास पर इतना भी
हम दुनिया के साथ कनेक्टेड नहीं हुए थे कि यूएस में या किसी और जगह के ऊपर कुछ इंपैक्ट आया उसका नेगेटिव इंपैक्ट हमारे
ऊपर आए इसलिए दुनिया में रिसेशन आया बट इंडिया में कोई खास इंपैक्ट नहीं पड़ा एंड हम
काफी तेजी से यहां पे ग्रो करे हैं इवन ऑयल क्राइसिस वगैरह भी यहां पे आए हैं काफी सारे ठीक है तो ये कुछ बातें आपको
यहां प पता होनी चाहिए इस पर्टिकुलर टाइम के ऊपर एंड इंडिया की अर्थव्यवस्था यहां प खूब बढ़िया चल रही थी उसके बाद हमारा आता
है 12थ फाइव ईयर प्लान अब यहां पे आप नोटिस करिएगा एक अंतर जब मैं बात कर रहा था 11थ फाइव ईयर प्लान की वहां पे फोकस
क्या था फास्टर एंड सस्टेनेबल ग्रोथ यही था पर अगर मैं बात करता हूं 12थ फाइव ईयर प्लान की तो यहां पर एक शब्द और जुड़ गया
मोर इंक्लूसिव एंड सस्टेनेबल फर्क समझो यहां पर क्या था फास्ट एंड मोर इंक्लूसिव ग्रोथ यहां पर सस्टेनेबल ग्रोथ भी हम यहां
पे देखने को मिल रहा है राइट अब आप पूछेंगे सर इसका मीनिंग क्या है आपके सस्टेनेबल ग्रोथ का देखो
वैसे तो आप लोगों ने सस्टेनेबल डेवलपमेंट पढ़ा है मैंने भी आपको पिछले चैप्टर में पढ़ाया था सस्टेनेबल का मतलब यही है कि आप
ना अपना बेनिफिट कर रहे हो अच्छी बात है पर अपने बेनिफिट के चक्कर में आपकी जो आने वाली जनरेशन है आप उनके ऊपर नेगेटिव
इफेक्ट मत आने दो ऐसा नहीं होना चाहिए कि आपने रिसोर्सेस का इस तरह से इस्तेमाल किया कि आपकी जो आने वाली पीढ़ियां थी
उनके लिए रिसोर्सेस खत्म ही हो गए अगर ऐसा होता है तो इस डेवलपमेंट को हम कभी भी सस्टेनेबल डेवलपमेंट नहीं कह पाएंगे तो
यहां पर फोकस यहां पे सस्टेनेबल ग्रोथ के ऊपर भी साथ में ही आ गया बाकी देखो ह्यूमन कैपेबिलिटीज के ऊपर
और फोकस किया गया आपके एजुकेशन हेल्थ स्किल्स इन सब चीजों के ऊपर ठीक है एंड कोशिश यही थी कि किस तरह से हम ना
एग्रीकल्चर से लोगों को हम शिफ्ट कर सकते हैं नॉन एग्रीकल्चर ऑक्यूपेशंस के अंदर क्या मीनिंग है इस चीज का मीनिंग बहुत ही
सिंपल है मैंने पिछले टॉपिक के अंदर ना आप लोगों के साथ डिस्कशन किया था डिसगाइज अनइंप्लॉयमेंट के बारे में छुपा
हुआ बेरोजगार इसके बारे में हमने य पिछले चैप्टर में पढ़ा था मैंने पढ़ा भी था यहां पर क्या होता है आपकी जो मार्जिनल
प्रोडक्टिविटी होती है वह हमें जीरो देखने को मिलती है यही पढ़ा था बिल्कुल
तो अगर मान लो कि एग्रीकल्चर के अंदर बहुत ज्यादा लोग इवॉल्व हैं जरूरत से ज्यादा लोग ऑलरेडी एग्रीकल्चर के अंदर काम कर रहे
हैं तो व्हाट वाज नेसेसरी नेसेसरी था कि उन एक्स्ट्रा लोगों को हम एग्रीकल्चर से शिफ्ट करें बाकी और नॉन एग्रीकल्चर
एक्टिविटीज के अंदर इंडस्ट्रीज के अंदर सर्विसेस के अंदर उनके अंदर हम शिफ्ट करें ताकि एग्रीकल्चर अपने आप में ओवरऑल ज्यादा
प्रोडक्टिव हो पाए तो ये फोकस रहा आपका 11थ सॉरी 12th फाइव ईयर प्लान का पर एक्चुअल में क्या होता है कि आप नोटिस
करोगे 2014 में क्या होता है आपकी सरकार बदल जाती है ठीक है हमारे जो अभी भी प्रधानमंत्री जी है नरेंद्र मोदी जी वो
2014 में प्रधानमंत्री बन जाते हैं एंड उनको ज्यादा बहुत ज्यादा इस चीज का लगाव नहीं था फाइव ईयर प्लांस का तो प्लानिंग
कमीशन जो कि इनको कर रहा था उसको यहां पर हटाया जाता है उसकी जगह के ऊपर नीति आयोग बनता है 2014 या 15 ऑनवर्ड आप मान सकते हो
इसको ज्यादा देखा नहीं जाता वहां पर प्लानिंग का सिस्टम ही थोड़ा और इवॉल्व हो जाता है समझे इस बात को तो यह बेसिक
आइडिया था इतने सारे प्लांस का जो हमें पता होना चाहिए ठीक है ठीक है ठीक है अब आप लोगों
के दिमाग में एक चीज़ और आएगी कि सर यह जो आप सिस्टम कह रहे हो कि 2014 तक चला इसकी जगह पे नया सिस्टम आया बिल्कुल
तो हुआ क्या कि प्लानिंग कमीशन की जगह आपका आया नीति आयोग अब आपके दिमाग में आ जरूर रहा होगा कि सर प्लानिंग कमीशन में
ऐसी क्या समस्याएं लगी या क्या इश्यूज लगे कि हमने उसको नीति आयोग से रिप्लेस कर दिया समझना इस मुद्दे को देखो प्लानिंग
कमीशन के अंदर ना स्टेट्स का जो रोल था अपने आप में बहुत ही कम था मैंने आप लोगों को ना एक चीज बताई थी अभी थोड़ी देर पहले
टॉप डाउन एंड बॉटम अप है ना बताया था ना कि अगर सारे के सारे फैसला सारा के सारा प्लानिंग ऊपर से हो रहा है एंड आप बोलते
हो कि इसको इंप्लीमेंट कर दो यह है टॉप डाउन पर अगर कहीं ना कहीं नीचे से इनपुट्स लिए जाते हैं वह अपना प्लानिंग करते हैं
इस तरह से ऊपर की तरफ हम डिसीजन मेकिंग प्रोसेस लेके चलते हैं इसको बोला जाता है बॉटम अप अब कंपैरिजन करो 1950 की 1950 में
सिचुएशन अलग थी वहां पर तो सेंट्रल गवर्नमेंट ज्यादा पावरफुल होनी भी चाहिए थी वहां पर तो हम एक नया नया देश बने थे
वहां पर तो हम मतलब थे तो मिक्स्ड इकॉनमी ही पर कहीं ना कहीं सोशलिज्म की तरफ हम ज्यादा इंक्लाइंड थे तो वहां पर ना यह जो
टॉप डाउन प्लानिंग वाला सिस्टम था यह ज्यादा रिलेवेंट था ठीक है क्यों उस टाइम वही पावरफुल थे बिल्कुल पर आज के समय
सिचुएशन बदल चुकी है आज के समय में आपकी स्टेट्स का इंपॉर्टेंट रोल है आज के समय के अंदर आपके जो लोकल यूनिट्स है उनका
इंपॉर्टेंट रोल है आज के समय के अंदर हम एलपीजी लेकर आ चुके हैं आज के समय में आपका प्राइवेट सेक्टर का भी रोल है तो हम
वो वाले मिक्स्ड इकॉनमी नहीं है जो पहले थे फर्क समझ पा रहे हो ऐसा समझो मैं आपको एक चीज बताता हूं लेट्स से जैसे आपने इस
तरह से इसको प्लॉट किया यह रही आपकी मिक्स्ड इकॉनमी यह रहा आपका सोशलिज्म यह रहा आपका कैपिट
जम लेट्स से अगर मैं आपको कंपैरिजन करवाऊं मान लो आप 1950 को कंपैरिजन करना चाहते हो तो 1950 में ना हम
कहीं यहां पर थे क्या थे 1950 में हम कहीं यहां पर थे हम थे तो मिक्स्ड इकॉनमी ही पर हम थोड़ा सा टिल्ट थे हमारा थोड़ा सा
झुकाव था किसकी तरफ सोशलिज्म की तरफ ठीक है पर अगर मैं आज की बात करूं मान लो 2024
की बात कर रहा हूं तो भाई आज भी हम मिक्स्ड इकॉनमी ही है पर आज के समय ना थोड़ा सा हमारा जो
टिल्ट है हमारा जो थोड़ा सा झुकाव है वह कैपिट जम की तरफ ज्यादा बढ़ता जा रहा है आर यू अंडरस्टैंडिंग दिस पॉइंट पहले भी थे
मिक्स्ड इकॉनमी ही हम आज भी मिक्स्ड इकॉनमी ही है फर्क यह है उस समय थोड़ा सा हमारा झुकाव ज्यादा था सोशलिज्म की तरफ आज
के समय थोड़ा सा जो झुकाव है वो आपको कैपिट जम सफ हल्का सा ज्यादा दिखने को मिल रहा है यह फर्क है अब जैसे-जैसे हमने ये
चेंजेज पढ़े कि कैसे हम यहां से यहां तक आ चुके हैं 1950 से लेकर 2024 तक तो भाई उस समय जरूरत थी हमें प्लानिंग कमीशन जैसी
बॉडीज की जहां पर स्टेट्स का रोल कम था और आपके सेंटर का रोल ज्यादा था आज के समय हम यहां पर हैं तो आज के समय शायद हमें वो
प्लानिंग कमीशन की जरूरत नहीं है जहां पर पूरा का पूरा टॉप डाउन प्लानिंग ही हो यहां पर हमें बॉटम अप प्लानिंग की ज्यादा
जरूरत है आर यू अंडरस्टैंडिंग दिस पॉइंट कि क्यों यहां पे हमने शिफ्ट लेकर आए एक प्लानिंग कमीशन से नीति आयोग के अंदर बाकी
देखो बात कर ना चाहे आप प्लानिंग कमीशन की बात कर लो चाहे आप नीति आयोग की बात कर लो दोनों का जिक्र आपको संविधान में नहीं
देखने को मिलता तो दिस आर नॉन कॉन्स्टिट्यूशन बॉडीज ठीक है प्लानिंग कमीशन का भी जिक्र
कहीं संविधान में नहीं था नीति आयोग का भी कोई संविधान में कोई जिक्र नहीं है इवन अगर मैं बात करूं तो किसी एक्ट में भी
इसका जिक्र नहीं है किसी एक्ट में भी इस चीज का जिक्र करनी है तो ये क्या हुआ ये अपने आप में हुआ नॉन
स्टैचूट क्योंकि एक्ट में भी कोई जगर नहीं है तो हुई क्या ये अपने आप में हुई एग्जैक्ट
बॉडीज कोई कानून में जिक्र नहीं कोई संविधान में जिक्र नहीं बस बना दिया एक एग्जैक्टिंग रेजोल्यूशन के माध्यम से ठीक
है तो बात करें दोस्तों प्लानिंग कमीशन की मैंने बताया स्टेट्स का बहुत ही कम रोल था यहां पे और इवन यहां पे प्लानिंग कमीशन ना
फाइनेंशियल डिस्ट्रीब्यूशन में भी रोल प्ले करता था किसको कितना पैसा मिलेगा किसको कितना पैसा जाना चाहिए कैसे पैसा
एलोकेट होगा ये पैसा एलोकेट करने का जो पावर थी यह आपकी प्लानिंग कमीशन के पास भी थी इसी इसको सुपर कैबिनेट बोलते थे
क्योंकि यार जब आप यही डिसाइड कर रहे हो कि किसको कितना पैसा मिलेगा कैसी चीज प्लान होंगी तो यू आर वेरी वेरी पावरफुल
इसीलिए इसको सुपर कैबिनेट बोलते कैबिनेट क्या होता है जो डिसीजन मेकिंग बॉडी होती है हमारे मेन मेन मिनिस्टर्स हमें देखने
को मिलते हैं तो यहां पर ये सुपर कैबिनेट थी कुछ ही लोग मिलकर सब कुछ फैसला ले रहे रहे हैं और ये अपने आप में मार्केट इकॉनमी
के अगेंस्ट था मार्केट इकॉनमी में क्या होता है आपका प्राइवेट सेक्टर होता है प्राइवेट सेक्टर होता है तो वहां पर सबकी
सुनके के बाद ही डिसीजन लिया जाता है बॉटम अप प्लानिंग वहां पर ज्यादा होती है पर यहां पर तो उल्टा हो रहा था दिस वास
प्लानिंग कमीशन बाकी इसमें देखो फेडरेलिज्म के इशू है आप लोगों ने पॉलिटी में पढ़ा होगा एक्चुअल में जब भी बात करते
ना फेडरेलिज्म की तो जैसे एक सेंट्रल गवर्नमेंट होती है और आपके डिफरेंट डिफरेंट और यूनिट्स होते हैं स्टेट यूनिट
हो गया लोकल गवर्नमेंट हो गया तो कई बार अक्सर सेंटर और स्टेट्स के बीच में यहां पर इश्यूज आ सकते
इस कांटेस्ट की वजह से आप नोटिस करो कि सारा कुछ जब सेंटर डिसाइड कर रहा है स्ट की पावर क्या हुई य गेटिंग द पॉइंट तो
फेलिम का इशू यहां पर हमें देखने को मिलता है इसके अलावा कुछ और समस्याए आई जैसे लेबर
रिफॉर्म्स हो गया लैंड रिफॉर्म हो गया उनको हम अच्छे से इंप्लीमेंट नहीं कर पाए तो यह प्लानिंग कमीशन के फेलियर कंसीडर
किए जाते हैं इसके अलावा यहां पर हमें नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स ज्यादा देखने को मिले एनपीएस का मीनिंग आप सब लोग समझते हो कि
किसी ने लोन ले लिया पर उस लोन को चुका नहीं रहा है ना तो नॉन परफॉर्मिंग एसेट हम डिस्कस करेंगे इसको काफी डिटेल में तो
एनपीएस ज्यादा थे महंगाई ज्यादा थी खासकर फूड इंफ्लेशन की तो यह प्लानिंग कमीशन इन सब चीजों को फिक्स नहीं कर पाया एक मुद्दा
और है यह पॉइंट आप गवर्नेस में भी पढ़ते हो वन साइज फिट्स ऑल अप्रोच अब एक चीज आप
समझो यार मान लो हमें ना चावल की खेती बढ़ानी है कोई भी चीज करना है हमें कोई भी हमें आउटपुट लेक आना है अब होता क्या है
ना देश हमारा इतना ज्यादा डावर्स है बिल्कुल ओडिसा के अंदर कोई चीज हो सकता है काम कर जाए पर हो सकता है वही सेम चीज
गुजरात के अंदर काम ना करे बिल्कुल हो सकता है तो हमें पता है क्या करना होता है हमें हर किसी चीज के
लिए टेलर मेड सलूशन बनाना होता है कि आपके लिए क्या काम करेगा तो आपके लिए अलग स्ट्रेटेजी मेरे लिए क्या काम करेगा अलग
स्ट्रेटेजी अब मैं ऐसा थोड़ी है कि आपको एक स्ट्रेटेजी दे दूं कि भाई ये स्ट्रेटेजी फॉलो कर लो तो यूपीएससी क्लियर
हो जाएगा नहीं हर किसी का पढ़ने का तरीका अलग होता है हर किसी का समझने का तरीका होता है हर किसी का अपना अपना वे आउट होता
है तो एक कस्टम स्ट्रेटेजी होती है हर किसी के लिए चीजें अलग हो सकती हैं पर यहां पर हम क्या कर रहे थे प्लानिंग कमीशन
के अंदर फन साइज फिट्स ऑल अप्रोच इस्तेमाल कर रहे थे हमें नहीं फर्क पड़ रहा था यहां पर किसकी कंडीशन कैसी है सबके लिए सेम
स्ट्रैटेजी लगा देते थे जो कि सही बात नहीं है हमें टेलर मेट हमें हर पर्टिकुलर पर्सन के लिए हमें या हर पर्टिकुलर सेक्टर
के लिए हमारे पास कस्टम स्ट्रेटेजी होनी चाहिए थी कस्टमाइज स्ट्रेटजी होनी चाहिए थी पर यहां पर हमने इस्तेमाल किया वन साइज
फिट सॉल्व अप्रोच का जिससे हमें काफी नुकसान हुआ कई बार प्लानिंग कमीशन स्टेट गवर्नमेंट को बायपास कर देता था नई-नई
स्कीम डिजाइन करके ठीक है तो ये सब इश्यूज थे प्लानिंग कमीशन के रिगार्डिंग ठीक है ठीक है इवन अगर हम बात करें ना एक्चुअल
में क्या हुआ प्लानिंग कमीशन की जो शॉर्ट कमिंग्स थी उसकी वजह से काफी सारी और कमिटीज भी बनी ठीक है जैसे फॉर एग्जांपल
ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स कमेटी जीओएम कमेटी हो गया प्राइम मिनिस्टर इकोनॉमिक एडवाइजरी काउंसिल हो गया प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग ग्रुप
हो गया इस तरह बहुत सारी नई-नई बॉडीज बनती रही फिर इनमें आपस में तालमेल नहीं हुआ आपस में कोऑर्डिनेशन ही नहीं है एक इस तरफ
सोच रहा है एक इस तरफ सोच रहा है तो जब इस तरह से सारी अलग-अलग बॉडीज अलग-अलग डायरेक्शन में सोच रही होंगी तो वहां पे
कोऑर्डिनेशन की कमी रहती है तो ये सारे कुछ कंसर्न्स थे प्लानिंग कमीशन के रिगार्डिंग जब हमने इन कंसर्न्स को नोट
किया तो हम लेकर आए क्या नीति आयोग नीति आयोग को हम यहां पे लेकर आए कब बना नीति आयोग 1 जनवरी
2015 नीति की फुल फॉर्म है नेशनल इंस्टिट्यूशन फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया इसको यहां पर हमने फॉर्म किया नीति आयोग
को और यहां पर फोकस यही था कि हम जब प्लानिंग करेंगे वो क्या करेंगे डिसेंट्रलाइज करेंगे ऐसा नहीं होगा कि ऊपर
से प्लान हो रहा है एंड फिर नीचे उसको फॉलो हो र है नहीं नीचे से हम इनपुट्स इकट्ठा करेंगे वहां पर प्लानिंग होगी एंड
अकॉर्डिंग वो चीज ऊपर तक जाएगी बॉटम अप प्लानिंग डिसेंट्रलाइज ग्रास रूट डेवलपमेंट लोकल
लेवल पर हम यहां पर डेवलपमेंट कर बिल्कुल जो नीचे वाला स्तर है वहां पर हम डेवलपमेंट करेंगे बात कर रहा था ना कस्टम
मेड प्लांस की हम यहां पर बात करते हैं या फिर इसको आप टेलर स्ट्रेटजी भी बोल सकते
हो यहां पर हर एंटिटी के लिए अलग तरह से हम यहां पर प्लान बना रहे हैं आगे मैं इसका डिस्कशन करूंगा इसकी और जो पूरा पूरा
स्ट्रक्चर होता है तो प्राइम मिनिस्टर जी होते हैं जो इसके यहां पे चेयरमैन की तरह एक्ट करते हैं आपके नीति आयोग के
इंपॉर्टेंट बात आप पॉलिटी में पढ़ते भी हो दैट नीति आयोग वर्क्स एज अ वेरी इंपोर्टेंट कोऑपरेटिव एंड कंपैरेटिव
फेडरेलिज्म के लिए समझो इस बात को क्या ये आप लोगों ने कभी टर्म सुना कोऑपरेटिव फेडरेलिज्म होता पता क्या है जैसे मैं
आपको एग्जांपल देता हूं सेंट्रल गवर्नमेंट है सेंट्रल गवर्नमेंट है और आपकी स्टेट गवर्नमेंट्स हैं बहुत सारी अब डेफिनेटली
वी विड एक्सपेक्ट कि आपस में मिलजुल कर के काम करें मिलजुलकर काम करें सबके लिए बढ़िया होगा जैसे कई बार हम लोग करते भी
है जैसे जीएसटी काउंसिल के अंदर क्या होता है सेंटर स्टेट्स मिलकर काम करती है डिफरेंट डिफरेंट स्टेट्स आपस में
कोऑर्डिनेट करती हैं तो एक्चुअल में नीति आयोग के अंदर भी यही हो रहा है सेंटर और स्टेट्स के बीच में ना आपस में मिलजुलकर
काम किया जा रहा है और डिफरेंट स्टेट्स भी साथ में आ रही है तो कोऑपरेटिव फेडरेलिज्म यहां पे हो रहा है ताकि जो कलेक्टिव हमारे
गोल्स है हम उनको अचीव कर पाए उसी तरह से एक होता है आपका कॉम्पिटेटिव फेडरेलिज्म कंपट एम में क्या होता है आप आपस में क्या
करते हो कंपटीशन करते हो आप पूछेंगे कैसा कंपटीशन हेल्दी कंपटीशन समझाता हूं जैसे मान लो आप दो दोस्त
हो ठीक है दो दोस्तों का एग्जांपल ले लेते हैं मान लो एक ये है और एक ये है एक है बनी और एक है नना ठीक है ये दोनों दोस्त
हैं ठीक है बढ़िया अब इनकी जो दोस्ती है दो तरह से मददगार हो सकती है एक तो है यह आपस में कोऑपरेट करें साथ में मिलजुलकर
काम करें किसी चीज को एक चैप्टर इसने पढ़ा उसको समझा दिया उसने पढ़ा इसने समझा दिया दूसरा चैप्टर तो आपस में कॉपरेट कॉपरेशन
से दोनों को य फायदा हो रहा है ठीक है तो कोऑपरेशन एस्पेक्ट तो यह हो गया इसी तरह से इनके बीच में कंपटीशन भी तो हो सकता है
पनी को लगता है कि नहीं यार फर्स्ट तो मैं ही आऊंगा नैना को लगता है नहीं यार फर्स्ट तो मुझे ही आना है मान लो रेस हो रही है
दोनों के बीच में तो रेस में फर्स्ट कौन आएगा अब उस चक्कर में पता क्या होता है रेस में फर्स्ट आने के चक्कर में कोशिश य
होती है कि एक हेल्द जदी कंपटीशन बने पहले वाला ज्यादा मेहनत करेगा दूसरे वाला कहेगा नहीं मैं तुमसे और ज्यादा मेहनत करूंगा
पहले वाला और ज्यादा मेहनत करने की कोशिश करेगा ताकि वो टॉप करे तो यहां पे हेल्दी कंपटीशन से पता है क्या हुआ दोनों को
फायदा हुआ इसने अपने आप में सुधार किया इसने भी अपने आप में सुधार किया ताकि ये आगे आगे और बढ़ते रहे हमारी स्टेट्स भी तो
ऐसे ही है महाराष्ट्र का मन कहता है नहीं टॉप मोस्ट स्टेट मैं बनू किसी दूसरी स्टेट का मन कहता है कि नहीं टॉप मोस्ट स्टेट
मैं बनू ताकि मुझे अवार्ड मिले उस चक्कर में क्या हो रहा है स्टेट एक दूसरे से आगे बढ़ने के कोशिश में अपने यहां पे कुछ
अच्छे रिफॉर्म्स लेकर आती है अपने आप को बेहतर करने की कोशिश करती है उसी बोलते हैं कॉम्पिटेटिव फेडरेलिज्म अब नीति आयोग
ना बड़ी सारी रिपोर्ट्स लेकर आता है जैसे एक्सपोर्ट प्रिपेयर्स इंडेक्स कौन सा स्टेट है जो एक्सपोर्ट के मामले में बहुत
बढ़िया कर रहा है अब जो स्टेट पहले नंबर पर होगी वो कोशिश करेगी मैं अगले साल भी पहले प आऊ जो दूसरे तीसरे प होंगे उनका
कोशिश होगा कि हम पहले प जाए तो आपस में एक हेल्दी कंपटीशन बनता है इस तरह से नीति आयोग वर्क्स एस अ वेरी इंपोर्टेंट बॉडी
फॉर कोऑपरेटिव एंड कंपट फेडर तो ये बात आपको पता होनी चाहिए थोड़ा सा और डिटेल में डिस्कस भी करेंगे ठीक है बट आप उसके
पहले इसके आप यहां पे आप इसके पिलर्स भी देख सकते हो जैसे नीति आयोग के क्या-क्या पिलर्स हैं इसके अंदर आपका इक्वलिटी आ
जाएगा पार्टिसिपेशन आ जाएगा प्रो एक्टिविटी वूमन एंपावरमेंट इन सब चीजों के लिए काम करता है ट्रांसपेरेंसी लोगों के
ऊपर इनका फोकस रहता है एंड डेफिनेटली कंपैरेटिव एंड जो कोऑपरेटिव फेडरेलिज्म है वो तो इसके सबसे इंपॉर्टेंट पिलर्स बनते
ही हैं इसके अलावा ना इसके कंपोजीशन की मैं थोड़ा बात बताता हूं
आपको यहां पर समझना है इसका कंपोजीशन यस ये इसका कंपोजीशन है चिंता मत करना स्लाइड में सब मैंने मेंशन किया हुआ है एक
तो इसके होते हैं चेयर पर्सन वो कौन हुए प्रधानमंत्री जी ठीक है प्रधानमंत्री जी के द्वारा ही यहां पर
अपॉइंट्स ऑफिसर होते हैं यहां पे ठीक है साथ ही साथ वाइस चेयर पर्सन होते हैं यहां पे नीति आयोग के तो ये बात तो आपको पता
चाहिए कि चेयर पर्सन हो गए प्रधानमंत्री जी प्रधानमंत्री जी ने बाकियों को नॉमिनेट किया यहां पे चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर और
एक हो गया आपके वाइस चेयर पर्सन इसके अलावा कुछ फुल टाइम मेंबर्स को यहां पे इनवाइट किया जाता है मतलब फुल टाइम
मेंबर्स होते हैं कुछ पार्ट टाइम मेंबर्स होते हैं कुछ एक्स ऑफिशियल मेंबर्स होते हैं एक्स ऑफिशियल का मतलब है कि बाय द
वर्च्यू ऑफ देयर पोजीशन वो किसी और पोजीशन को होल्ड कर रहे थे इस वजह से उनको यहां पर इसका मेंबर बनाया गया कुछ स्पेशल लोगों
को इनवाइट किया जाता है यहां पर सबसे इंपोर्टेंट बात है आपको काउंसिल का पता होना चाहिए काउंसिल क्या होती है जैसे
आपकी गवर्निंग काउंसिल हो गया गवर्निंग काउंसिल में क्या होता है गवर्निंग काउंसिल में आपके जो स्टेट्स होती हैं
उनके चीफ मिनिस्टर्स और आपकी जो यूटी होती हैं उनके लेफ्ट हैंड गवर्नर्स वो यहां गवर्निंग काउंसिल का पार्ट बनते हैं एंड
इसी तरह से यहां पे रीजनल काउंसिल्स भी होती हैं आपको यह पुराना अ सॉरी आपको यह देखना हो तो यहां पर मैंने नाम भी लिखे
हुए हैं थोड़े पुराने हैं तो नॉट दैट इंपॉर्टेंट बट आपको बताना चाहिए कि हां गवर्निंग काउंसिल के अंदर आपके चीफ
मिनिस्टर्स होते हैं एलजी होते हैं आपके स्टेट एंड यूटी के इसके अलावा कुछ लोग स्पेशल इनवाइटीस होते हैं कुछ फुल टाइम
मेंबर्स होते हैं कुछ एक्स ऑफिशियल मेंबर्स होते हैं एक वाइस चेयर पर्सन होते हैं और सीईओ होता है जिनको अपॉइंटमेंट जी
के द्वारा एंड डेफिनेटली प्रधानमंत्री जी तो यहां पे होते ही होते हैं एस द चेयर पर्सन तो यह बातें
आपको नीति आयोग के स्ट्रक्चर के बारे में पता होनी चाहिए ठीक है गवर्निंग काउंसिल मैंने आपको समझा दिया गर्निंग काउंसिल
मैंने समझा दिया कि सीएम होंगे और यूटी के इसके अलावा रीजनल काउंसिल होती है एक सर्टेन अगर हम रीजन की बात करें ठीक है
कोई स्पेसिफिक रीजन के कॉरस्पॉडिंग कुछ इश्यूज हो सकते हैं मान लो हम बात करते हैं नॉर्थ ईस्ट रीजन के अंदर कुछ इश्यूज
है वो पूरे इंडिया के लिए है नॉर्थ ईस्ट वाले रीजन की बात है तो वहां पे एक नॉर्थ ईस्टर्न रीजन काउंसिल बन जाएगी ठीक है
इसके अलावा बाकी मैंने आपको बता ही दिया आपके अलग-अलग जो फ्रेमवर्क्स होते हैं एक्सपर्ट्स एंड स्पेशलिस्ट को इनवाइट किया
जाता है यहां पे दिस इज हाउ नीति आयोग स्ट्रक्चर बाकी देखो नीति आयोग का एक बहुत इंपॉर्टेंट कंपोनेंट है एस्पिरेशनल
डिस्ट्रिक्ट प्रोग्राम और भी मैं डिस्कशन करूंगा इसके ऊपर पर यहां पर एक बहुत ही फेमस चीज है ट्रिपल सी जिसको हम बोलते हैं
समझना ये ट्रिपल सी है क्या ये जो वर्ड्स है ना जैसे कोऑपरेटिव एंड कंपैरेटिव फेडरेलिज्म या जो ट्रिपल सी है ये आपके
आंसर्स के अंदर दिखेंगे तो सामने वाले को लगेगा कि हां आपको एक अच्छा आईडिया है इन चीजों के बारे में जैसे एक सी का मीनिंग
होता है यहां पे कन्वर्जेंस का दूसरा है आपका कंपटीशन का तीसरा है आपका कोलबो
का देखो ये मैं बात भले ही एस्पिरेशन डिस्ट्रिक्ट प्रोग्राम के कॉन्टेक्स्ट में कर रहा हूं
बट इसको आप और जगह भी यूज कर सकते हो एक्चुअल में क्या होता है ना कुछ डिस्ट्रिक्ट होते हैं जो थोड़ा जहां पर
डेवलपमेंट उतनी अच्छी नहीं होती राइट जो बाकी डिस्ट्रिक्ट से थोड़ा सा पिछड़ जाते हैं उनको हम जानते हैं एस्पिरेशन
डिस्ट्रिक्ट के नाम से उनके अंदर ग्रोथ कैसे करी जा सकती है वो हम जानते हैं मतलब वहां पर प्रोग्राम लया जाता है एस्पिरेशन
डिस्ट्रिक्ट प्रोग्राम एंड तीन सी का मतलब होता क्या है कन्वर्जेंस कई बार पता है क्या होता है एक सेंट्रल गवर्नमेंट की
स्कीम चल रही है एक स्टेट गवर्नमेंट की स्कीम भी चल रही है और ये काफी त एक बार ओवरलैपिंग होती है मब सेंट्रल गवर्नमेंट
भी उसी डायरेक्शन में काम कर रही है स्टेट गवर्नमेंट भी अब यहां पर क्या हो रहा है डुप्लीकेशन हो रहा है चीजों का तो हम
चाहेंगे ना इन दोनों नीतियों के बीच में इन दोनों पॉलिसीज के बीच में एक कन्वर्जेंस आ जाए एक
समंजन ना होना चाहिए कि आप भी यहां से कुछ काम कर रहे हो सेम बेनिफिशियरी के लिए यहां से ये भी सेम बेनिफिशियरी के लिए काम
कर रहा है और आपस में जो आपके रिसोर्सेस हैं उनका डुप्लीकेशन हो रहा हो तो ऐसी जो स्कीम्स है ना उनको एक कन्वर्ज कर पाए
उनको हम साथ में लेकर आ पाए ये कन्वर्जेंस का मीनिंग होता है कंपटीशन का मतलब क्या होता है कि आपके जो डिस्ट्रिक्ट है जैसे
एस्पिरेशन डिस्ट्रिक्ट की बात करूं उनमें आपस में कंपटीशन आना चाहिए वही एग्जांपल बनी और नैना वाला हेल्दी कंपटीशन कैसे
आएगा एंड तीसरा है आपका कोलैबोरेशन कोलैबोरेशन का मतलब क्या होता है आपका डिपार्टमेंट जो है आपका जो एडमिनिस्ट्रेशन
है वो साथ में मिलकर कोलैबोरेट करके काम करें दैट इज मीनिंग ऑफ कोलैबोरेशन ठीक है अब दोस्तों आते हैं
अपने कुछ क्वेश्चंस की तरफ यहां पर आपके सामने मैं कुछ एमसीक्यू लाया हूं एंड आई वुड एक्सपेक्ट कि आप लोग ना इन क्वेश्चंस
का आंसर कमेंट्स में दो मैं तो आपके साथ डिस्कस कर ही रहा हूं बट जैसे जैसे यहां पर डिस्कशन हो रहा है हर एक क्वेश्चन का
मैं चाहूंगा कि आप लोग इसको पॉज करो वीडियो को एंड इसका आंसर करो पिछला मैंने टॉपिक देखा पॉवर्टी वाला भी उससे पहले
वाला भी बहुत कम बच्चे यहां पर कमेंट करते हैं या तो यहां तक पहुंच नहीं पा रहे हो ठीक है अभी दो घंटे 20 मिनट हो गए इस
वीडियो को या तो इतना कोई देख ही नहीं रहा कि आप पहले ही 152 मिनट के बाद ही चले जाते हो या फिर आंसर नहीं कर रहे ठीक है
ऐसा मत करो अगर आप वीडियो यहां तक देख रहे हो तो डेफिनेटली आप आंसर करके मतलब कमेंट करके इसका आंसर आप मुझे बताइए कि क्या सही
आंसर इसका होना चाहिए देखिए क्वेश्चन यह काफी आसान है यहां पर पूछा गया कि सरकार ने नीति आयोग को बनाया
इसको रिप्लेस करने के लिए आंसर बहुत ही सिंपल है प्लानिंग कमीशन हमारे पास पहले हुआ करता था प्लानिंग कमीशन में कुछ
खामियां लगी सरकार को एंड अकॉर्डिंग प्लानिंग कमीशन की जगह यहां पे नीति आयोग को बनाया गया बिल्कुल आसान क्वेश्चन ऑप्शन
डी विल बी द राइट आंसर सर देखो ऐसी चीजें होती है जो करंट अफेयर में भी थी क्योंकि 2015 में ये चीज अभी-अभी करी ही गई थी पर
ऐसे क्वेश्चन तो काफी इजी क्वेश्चन है इनको आप मिस कर ही नहीं सकते अब आते हैं थोड़ा जैसे 2019 में यूपीएससी ने एक सवाल
पूछा कि अगर हम बात करें इंडिया के फाइव ईयर प्लांस की तो कौन से स्टेटमेंट करेक्ट है अब देखो ध्यान से पढ़ना अगर आपको हर एक
प्लान का आईडिया है तब आप कर जाओगे इस चीज को यहां पर कह रहा है कि सेकंड फाइव ईयर प्लान के अंदर क्या होता है एक थ्रस्ट था
टुवर्ड्स सब्सीट्यूशन ऑफ बेसिक एंड कैपिटल गुड इंडस्ट्रीज बिल्कुल याद करो जब
हमने सेकंड फाइव ईयर प्लान पढ़ा था ना नेहरू महालन बीस प्लान 56 से 61 वाला हमने यहां पर डिस्कस किया था कि सरकार का
फोकस था आपकी बेसिक एंड हैवी इंडस्ट्रीज के ऊपर बिल्कुल यह बात करेक्ट है विदाउट अ डाउट
सेकंड स्टेटमेंट की बात करें फोर्थ फाइव ईयर प्लान के अंदर हमने कोशिश करी कि जो कहीं ना कहीं पहले वेल्थ एंड इकोनॉमिक
पावर का कंसंट्रेशन था इसको हम यहां पे खत्म करें ये बात अपने आप में करेक्ट है बट अगर मान लो आपको यह बात नहीं भी पता
स्ल आपका आंसर यहां पे मिल जाएगा डोंट वरी तीसरे स्टेटमेंट की मैं बात करूं यहां पर कह रहा है फिफ्थ फाइव ईयर प्लान के अंदर
क्या हुआ जो फाइनेंशियल सेक्टर था उसको आपके प्लान का एक बहुत इंटीग्रल केंट माना गया फिफ्थ फाइव ईयर प्लान कौन सा था वो था
आपका सर 1974 से 78 का ठीक है टाइमलाइन याद रखो थोड़ा सा कौन-कौन से टाइम पीरियड की बात हो रही है तो इस समय तो सर ऐसा कुछ
नहीं हुआ था ये तो 1990 की बाद की बात है राइट तो सर ये स्टेटमेंट भी गलत हो जाएगा हां जी बिल्कुल यह बात भी गलत हुई है ना
बट ये वाली बात यहां पे करेक्ट है ऑप्शन नंबर ए विल बी द राइट आंसर थर्ड इनकरेक्ट था और पहला ठीक था तो वहीं से आपका आंसर
मिल जाएगा ऑप्शन नंबर ए इज द राइट आंसर आगे आते हैं यस एक और क्वेश्चन पूछा हुआ है द
सेकंड फाइव ईयर प्लान एमफसा इज्ड ऑन इस्टैब्लिशमेंट ऑफ हेवी इंडस्ट्रीज ये तो कई बार पढ़ लिया नेहरू माल नबस प्लान था
बिल्कुल उसने यही बात कही थी सेकंड स्टेटमेंट सेज द थर्ड फाइव यर पन इंट्रोड्यूस द कांसेप्ट ऑफ इंपोर्ट
सब्सीट्यूशन एज ए स्ट्रेटेजी फॉर इंडस्ट इंडस्ट बात हुई थी सेकंड फाइव यर प्लान में एंड वहां पर यही बात हुई थी कि हम
इंपोर्ट सब्सीट्यूशन के ऊपर फोकस करेंगे आत्मनिर्भर बनने की कोशिश करेंगे रदर देन बाकियों से जो हम इंपोर्ट करवाते हैं तो
यह थर्ड के अंदर नहीं यह आपका सेकंड के अंदर हुआ था आसान था फैक्चर था पहला ठीक है दूसरा गलत है ऑप्शन नंबर ए वन ओनली विल
बी द राइट आंसर यस आगे आओ यहां पर कह रहा है कि कौन सा फाइव
ईयर प्लान था जहां पर इमरजेंसी लगी थी इलेक्शंस हुए थे और जनता पार्टी मतलब इमरजेंसी खत्म हुई थी इलेक्शंस हुए थे एंड
कहीं ना कहीं जनता पार्टी बनी थी तो ये दरअसल में टाइम पीरियड है आपका 1974 से 78 इसी समय के ऊपर ये सब चीजें हुई थी एंड ये
कब हुआ था ये आपका जो फिफ्थ फाइव ईयर प्लान था याद किया करो 51 से 56 56 से 61 61 से 66 फिर आपका 3 साल नहीं हुआ फिर 6
से 74 फिर इसके अंदर 74 से 78 के बीच में ये चीज देखने को मिलती है यहां पर कह रहा है कि जो छठा फव यर
प्लान था ना वह 1980 से 1985 के बीच में
था राइट और जो आपका ए फाइ यर प्लान है वह 1992 से लेकर 1997 में था बिल्कुल सही बात है तो पूछ रहा है भाई सेथ कहां पर था एक
बात याद करो से जो था ना हमारा 1985 से 90 के बीच में था में जो पूरा का पूरा टाइम था 1991 1992 का वह हमारा चल रहा था
क्या आपका जो क्राइसिस था जिसको हमने नाम दिया था बैलेंस ऑफ पेमेंट क्राइसिस ए यहां से उभरने के लिए
हमने क्या किया था हम लाए थे सर एलपीजी रिफॉर्म्स हमने यहां पर राव मनमोहन मॉडल भी हमने देखा था
सही जवाब क्या बनेगा सही जवाब बनेगा इसका ऑप्शन नंबर सी विल बी द राइट आंसर आगे आओ यह पढ़ो एक बार क्या है इसका
आंसर स यहां पर कह रहा है कि ह्यूमन डेवलपमेंट को पहली बार हमने कब रिकॉग्नाइज किया था एस अ वेरी वेरी इंपोर्टेंट पार्ट
ऑफ अवर डेवलपमेंट एफर्ट्स इसका जवाब होगा आपका जो ए प्लान हमने देखा उस समय हमने ह्यूमन डेवलपमेंट को बहुत इंपोर्टेंट
कंसीडर किया तो यह बात आपको पता होनी चाहिए दोस्तों बात करें मेंस के क्वेश्चन की तो मेंस में कुछ इस तरह के ब क्वेश्चन
आ जाते हैं जैसे य आपके सामने है हाउ आर द प्रिंसिपल्स फॉलो बाय नीति आयोग डिफरेंट फ्रॉम दोस फॉलो बाय अ वाइल प्लानिंग
कमीशन समझे इस बात को आसान है मैंने ना आपके लिए इसका आंसर प्रिपेयर किया हुआ है मैंने आप लोगों के लिए इसका आंसर प्रिपेयर
किया हुआ है आप एक बार इसको देख सकते हो मैं आपको एक बार गाइड कर देता हूं ऐसे क्वेश्चन के अंदर जब वो पूछ रहा है कि
नीति आयोग और प्लानिंग कमीशन में क्या अंतर है तो इट इ वेरी गुड अप्रोच कि आप एक तरह से ऐसे एक टेबल बना लो ताकि एक साइड
पहले के बात कर दो दूसरी साइड दूसरे की बात कर दो तो एग्जामिनर को बहुत अच्छी क्लेरिटी आ जाएगी कि आप क्या डिफरेंस
हाईलाइट करने की कोशिश कर रहे हो जैसे इस केस में अगर मैं बात करूं इस केस अगर मैं बात करूं तो नीति
आयोग वा बॉटम अप अप्रोच हमने डिस्कस किया कमीशन आपका टॉप डाउन अप्रोच था तो पहले तो अप्रोच ही अलग अलग
थी फरक यहां पर दोनों में नीति आयोग और आपके इसमें यह भी है कि नीति आयोग में ना यहां पर पॉलिसी इंपोज करने की पावर नहीं
है नीति आयोग क्या है एक एडवाइजरी बॉडी है एक थिंक टैंक है जो कि सुझाव देती है उन पॉलिसी को इंप्लीमेंट करवाना या इंपोज
करना व प्लानिंग कमीशन का काम था पर यहां पर नीति आयोग के अंदर वो पावर्स नहीं है नीति आयोग के अंदर आपकी स्टेट गवर्नमेंट
का बहुत इंपॉर्टेंट रोल रहता है पर प्लानिंग कमीशन के अंदर स्टेट्स के पास कोई खास रोल था
नहीं इसके अलावा आप देख सकते हो फंड एलोकेशन का प्लानिंग कमीशन फंड भी एलोकेट करता था पर नीति आयोग फंड एलोकेट नहीं
करता साथ ही साथ यहां पर आप नोटिस कर सकते हो जो मैंने गवर्नेस काउंसिल के बारे में बताया था कि किस तरह से गवर्निंग काउंसिल
के अंदर आपके एलजी हो गया आपके यूटी के और स्टेट के चीफ मिनिस्टर देखने को मिलते हैं यहां पर भी हमारे पास जो एनडीसी थे ना
नेशनल डेवलपमेंट काउंसिल वहां पर एलजी और स्टेट चीफ मिनिस्टर थे नो डाउट बाउट इट पर अगर मैं बात करूं प्लानिंग कमीशन की वो
कहीं ना कहीं एनडीसी को रिपोर्ट करती थी तो यहां पर भी फर्क है इसकी काउंसिल के अक्रॉस इसके अलावा अगर मैं बात करूं ठीक
है ना यह दरअसल में ऐसा भी आपके सामने ही आप ऐसे प्रेजेंट कर सकते हो दरअसल मैं आपको हाईलाइट पता है क्या करना चाहता हूं
ये जो सामने आपके पिक्चर आप देख पा रहे हो ये आपके द हिंदू न्यूज़पेपर की ही फोटो है जिस साल ये 2018 में आपका एग्जाम में
आया ना उससे कुछ महीने पहले आपके न्यूज़पेपर के अंदर एज इट इज ये डिफरेंस वाला एक कॉलम आया था तो मैं इसीलिए आपको
हाईलाइट करता हूं कि आप ना करंट अफेयर्स को जरूर फॉलो कीजिए जो मैं आपके साथ मैंने डिस्कस किया
था ना मेरा जो telegram.com वीकली होती है उसकी पीडीएफ भी शेयर करता हूं उन पीडीएफ को भी गो थ्रू
कर सकते हो या फिर जो इनके रिगार्डिंग करंट अफेयर्स के रिगार्डिंग प्लीज इनको गो थ्रू करते
रहिएगा ओनली एस एक्सटेंड पे तो दैट विल बी वेरी हेल्पफुल टू यू ताकि ऐसी चीजें आपकी बिल्कुल भी मिस ना हो ठीक है तो इस तरह से
आप इसका एक अच्छा आंसर लिख सकते हो चाहे तो आप इसको यहां पे इस तरह से भी बता सकते हो जैसे मैंने आपको बताया कि दोनों में
सिमिलरिटीज क्या है देखो दोनों में डिफरेंसेस भले ही पूछे हुए थे पर कुछ सिमिलरिटीज भी तो हैं तो वो भी आप हाईलाइट
कर सकते थे जैसे मैंने आपको एक चीज बताई थी ना ही प्लानिंग कमीशन ना ही आपका नीति आयोग ये दोनों क्या है ना ही
कॉन्स्टिट्यूशन बॉडी है ना ही स्टेट्यूटरी बॉडी बॉडी है तो ये क्या है एग्जीक्यूटिव बॉडी तो सिमिलरिटी हुई दोनों का काम कहीं
ना कहीं देश के लिए डेवलपमेंट करना है प्लानिंग का टेनर थोड़ा बहुत ऊपर नीचे है वो 5 साल के लिए प्लान करता था नीति आयोग
के अलग-अलग आता है न साल का पा साल का लॉन्ग टर्म का भी आता है ठीक है बाकी दोनों जो है वो लगातार मिलते रहते थे ठीक
है वो प्लानिंग कमीशन भी और यह भी तो यह बातें आपको इसके रिगार्डिंग पता होनी चाहिए ठीक है तो यह जो बात तो हमने डिस्कस
करी अब मैं पता क्या चाहूंगा अब आपने मेंस का आंसर समझ लिया कैसे लिखना है आपके बुक में एक टेबल है या टेबल कह लो एक टॉपिक है
कि 5 ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी हम कैसे अचीव करेंगे ठीक है कोई दिक्कत वाली बात नहीं अब तो देखो हम अचीव करने ही वाले हैं अब
हमारा जो अगला टारगेट इसके बाद होगा ना वह यह है कि दरअसल में हम 20
47 हमारी देश की आजादी के जब 100 साल कंप्लीट हो जाएंगे हम तब बनना चाहते हैं क्या हम बनना चाहते हैं विकसित भारत
यानी कि डेवलप इंडिया बिल्कुल सही बात है आप लोग इस टारगेट से अग्री करते हो ठीक
है तो मैं आप लोगों को एक मेनस का क्वेश्चन दे रहा हूं व्ट आर द
स्टेप्स ट इंडिया नीड्स टू टेक ट वी नीड टू
टेक स एज टू बिकम डेवलप्ड
नेशन बाय 20 47 बात समझ गए
अब देखो ये जो आपको मैं टॉपिक दे रहा हूं ना ये आप लोग सब के सब लोग आई रिपीट सब बच्चों को इसके कुछ एक पॉइंट डेफिनेट
कमेंट्स में बतानी है मतलब बतानी है क्योंकि देखो अगर आप बस पढ़ते रहोगे ऐसे ना मैंने एक स्टार्टिंग में बोला था ट्रीट
दिस एज लेक्चर नॉट एट youtube0 के साथ उसी एनर्जी के साथ इसका आंसर देना होगा अगले वाले जो वीक नेक्स्ट
वीक जब हम इसके लेक्चर करेंगे तब मैं वहां पर इसका आपके साथ आंसर डिस्कस करूंगा प्लस आपकी जो बुक में मेंशन है 5 ट्रिलियन डॉलर
के लिए क्याक करना चाहिए वो भी इसके अंदर ही कवरेज हो जाएगा बट बिफोर दैट आई वुड वांट कि आप सोचो कुछ अच्छे पॉइंट मुझे
कमेंट्स में बताओ ताकि मैं चेक कर पाऊं कि आप लोगों के क्या-क्या पॉइंट्स थे बात समझे सब लोग लिखना ठीक है ठीक है यह बात
सर समझ आ गई हमें कि हम इस मेन सेंसर को लिखेंगे ठीक है बिफोर रैपिंग अप द सेशन मुझे दो तीन कुछ इंपॉर्टेंट पॉइंट्स आपके
साथ डिस्कस करने हैं पहली बात तो ना इसी को याद करो जो हमने स्टार्टिंग ऑफ द लेक्चर में हमने यहां पर ये टेबल बनाया था
आई होप अब इसमें किसी को दिक्कत नहीं होगी हमने स्टार्टिंग डिस्कशन की थी एम विश्वेशरैया प्लान जी के बारे में राइट हम
डिस्कस किया था इनके बारे में फिर हम आगे थे कांग्रेस प्लान के बारे में नेशनल प्लानिंग कमेटी हमने चर्चा करी बम्बे
प्लान के अंदर हमने इंडस्ट्रियस के बारे में चर्चा करी फिर हमने गांधियन प्लान के बारे में चर्चा करी थी फिल एम एन रॉय का
जो प्लान था पीपल्स प्लान सर्वोदया प्लान के अंदर हमने आचार्य विनोबा भावे जी की जो फिलॉसफी थी उसको डिस्कशन किया था फिर हम
प्लानिंग कमीशन के अंदर बहुत सारे हमने प्लांस देखे एंड लास्टली हम मूव कर गए थे नीति आयोग के ऊपर आई होप इसमें अब किसी को
क्लेरिटी नहीं आपका कोई इशू नहीं होगा अगर आपके दिमाग में यह प्लान क्लियर है ना ट्रस्ट मी आपके प्लानिंग के सारे क्वेश्चन
आंसर हो जाएंगे समझ गए इस बात को ठीक है तो दो-तीन जो और बातें हमें यहां पे डिस्कस करनी है आपकी बुक में जो मेंशन है
वो मैं आपको बता देता हूं एक तो देखो पहले नीति आयोग के ना कुछ और इंपॉर्टेंट फीचर्स हम समझ लेते हैं इन द सेंस कि नीति आयोग
और क्या-क्या करता है एक दो रिपोर्ट्स का मैंने आपके साथ चर्चा करनी है अब समझना ये आपकी बुक के अंदर से ही लिया मैंने पर यह
एक्चुअल में ना आपको करंट अफेयर्स से ज्यादा आपको करना पड़ेगा ठीक है अगर आप प्रीलिम बूस्टर रेगुलरली फॉलो करते हो तो
वहां पर हो जाएगा ठीक है रेगुलर बेसिस प्रिम बूस्टर को आप फॉलो करते रहना यह सब चीज वहां से
हो जाएंगी जैसे आपका नीति आयोग है बहुत सारे रिपोर्ट्स निकालता है बहुत सारे इंडेक्स को निकालता है फॉर एग्जांपल लेट्स
से स्टेट एनर्जी इंडेक्स हो गया एसडीजी इंडिया इंडेक्स हमने जब डिस्कशन किया था सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स के बारे में तो
17 गोल्स हमें अचीव करने हैं बाय 2030 अब ग्लोबल लेवल पे तो हम डिस्कशन कर रहे हैं अलग-अलग कंट्रीज का डिस्कशन तो कर
रहे हैं पर हर स्टेट कैसा काम कर रही है यूपी कैसा काम कर रहा है बिहार कौन है कितना पीछे है कितना आगे है महाराष्ट्र
कहां पर है तो इन ऑर्डर टू अंडरस्टैंड दोस थिंग्स तो हर स्टेट को यहां पर हम देखते हैं कि कौन सा स्टेट किस पर्टिकुलर गोल के
ऊपर कितना अच्छा काम कर र है नो पॉवर्टी जीरो हंगर गुड हेल्थ एंड वेल बीइंग क्वालिटी एजुकेशन जेंडर इक्वलिटी कौन से
वाले गोल पे कौन सा स्टेट कहां पे है वो हमें पता लगता है उसी तरह से स्कूल क्वालिटी के बारे में स्कूल एजुकेशन
क्वालिटी इंडेक्स है इंडिया इनोवेशन इंडेक्स ताकि इनोवेशन के ऊपर है उसी तरह से जब हमने पिछला चैप्टर डिस्कस किया था
हमने डिस्कस किया था कि एक होता है मल्टीडाइमेंशनल पॉवर्टी इंडेक्स यूएनडीपी और ओपीआई चाई उसको निकालते हैं उसी तरह से
उसी की तर्ष के ऊपर उसी से प्रेरणा लेते हुए हमने नेशनल मल्टी डिशल पॉवर्टी इंडेक्स बनाया है जो नीति आयोग लेके आता
है उसके अलावा ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स हो गया एक्सपोर्ट के बारे में कौन सी स्टेट बड़ी बड़ी स्टेट्स या कोस्टल स्टेट्स आपके
कैसे परफॉर्म कर रही हैं लैंड लॉग स्टेट्स कैसा परफॉर्म कर रही है एक्सपोर्ट के रिगार्डिंग क्या हां पे उनके रूल्स वगैरह
कैसे हैं क्या रूल्स के अंदर उन्होंने चेंजेज किए हैं ताकि ईज ऑफ डूइंग बिजनेस प्रमोट हो वाटर मैनेजमेंट के रिगार्डिंग
सीडब्ल्यू एमआई कंपोजिट वाटर मैनेजमेंट इंडेक्स देखने को मिलता है एंड इसी तरह से आपके और भी स्टेट हेल्थ इंडेक्स और
डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल इंडेक्स देखने को मिलते है इवन यूपीएससी ने एक बार क्वेश्चन पूछा हुआ है जो अभी हम डिस्कस नहीं कर रहे
थे एडीपी के बारे में आपका जब हमने डिस्कस किया था एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट प्रोग्राम के बारे
में तो वो भी तो हमने डिस्कशन किया था ना कि वो भी नीति आयोग के अंतर्गत ही आता है तो वहां पर चीजें मेंशन है ठीक है और यही
क्वेश्चन यूपीएससी ने पूछ लिया था कि एस्पिरेशन डिस्ट्रिक्ट प्रोग्राम आखिर कौन उसको यहां पर रन करता है तो बहुत ही सिंपल
सा क्वेश्चन था कि एस्पिरेशन डिस्ट्रिक प्रोग्राम आपका और कोई नहीं बल्कि आपका नीति आयोग ही देखता है ठीक है तो यह नीति
आयोग के बारे में चर्चा होगी बट लेट मी अगेन रिइटरेट यू आल्सो नीड टू कीप ऑन स्टडिंग फ्रॉम करंट
अफेयर्स यस दो आखरी चीजें हैं बिफोर रेपिंग दिस टॉपिक एक है आपका अमर्त्य सैनजी के मॉडल के बारे में देखो हमने
नेहरू मलबीस मॉडल पढ़ा हर मॉडल पढ़ा हमने पढ़ा राव मनमोहन मॉडल पढ़ा उसी तरह से आपकी बुक के अंदर अमर्त्य सेन जी का मॉडल
य पर मेंशन है ठीक है अमर्त्य सेन जी का जो मॉडल है ना वह बात करता है कहीं ना कहीं एक तो कैपेबिलिटीज
की वह बात करता है आपके फ्रीडम की ठीक है एक्चुअल में क्या है ना अमृत सन जी का यह मानना है कि एक इंसान के पास ना
एक अपॉर्चुनिटी होनी चाहिए अपॉर्चुनिटी होनी चाहिए या क्यालो कैपेबिलिटी होनी चाहिए इस चीज की कैपेबिलिटी अपने आप
को फली डेवलप करने की या फिर अपने पोटेंशियल को फली रिलाइज करने की
अगर उसके पास यह सब कैपेबिलिटीज और ये सब अपॉर्चुनिटी उसको मिलती है तो डेफिनेटली वो यहां पर इस चीज को अचीव कर सकते हैं
ठीक है ठीक है साथ ही साथ उन्होने यह भी बोला कि जब हम बात करते डेवलपमेंट की अब
डेवलपमेंट अगला टॉपिक हम पढ़ेंगे इंक्लूसिव ग्रोथ के बारे में पर हमें पता होना चाहिए कि डेवलपमेंट का मीनिंग क्या
है अब डेवलपमेंट हर बंदे के लिए अलग-अलग हो सकता है जैसे मान लो मैं हूं तो हो सकता है मेरी सैलरी बढ़ जाए तो मैं कहूंगा
भाई मेरी डेवलपमेंट होगी ठीक है कोई इंसान है जिसको किसी और चीज से खुशी व किसी और चीज को डेवलपमेंट बोल देगा बिल्कुल कोई हो
सकता है किसी इंसान को अगर उसको अच्छी शिक्षा नहीं मिल रही थी उसको एक अच्छे स्कूल में एडमिशन करवा दिया उसके लिए वो
भी डेवलपमेंट है तो हर बंदे के लिए डेवलपमेंट का मीनिंग अलग अलग हो सकता है य आपके एनसीआरटी बुक्स में भी दिया हुआ है
पर यहां पर मत सन जी ने बोला कि अगर मान लो एक इंसान है एंड उसके जो फ्रीडम है अगर जो उसकी चॉइस है अगर वो कहीं ना कहीं बढ़
रही है ना इसको हम यहां पर आपका डेवलपमेंट कह सकते हैं पहले मेरे पास
चॉइसेज नहीं थी मेरे पास पैसा था बट कहां पर उसको खर्च करना है अगर मैं मर्जी से नहीं कर पा रहा किसके साथ शादी करनी है
मेरी अगर मर्जी नहीं चल रही क्या पढ़ाई करनी है अगर मेरी मर्जी नहीं चल रही तो उसको हम डेवलपमेंट नहीं बोलेंगे तो इनका
ऐसा माना था कि अगर हम कहीं ना कहीं लोगों की जो फ्रीडम है हम उसको उसकी चॉइसेज को अगर हम उनके तक प्रोवाइड करें तो उस चीज
को हम कह पाएंगे कि यहां पे डेवलपमेंट एक्चुअल में हो रही है एंड इससे ही कहीं ना कहीं क्या होगा वो अपने पोटेंशियल को
को अपनी लाइफ को अच्छी तरह से यहां पे जी पाएंगे ठीक है प्लस इन्होंने बात करी यहां पर पार्टिसिपेटरी डेवलपमेंट
की पार्टिसिपेशन का मतलब क्या होता है कि पीपल को इवॉल्व करो ठीक है किस चीज के अंदर डेवलपमेंट
प्रोसेस के अंदर बस ऐसा नहीं होना चाहिए कि बस सरकार बस आपको पैसा दे रही है या कुछ भी प्रोवाइड कर रही है नहीं लोगों को
भी इवॉल्व करो इस डेवलपमेंट के प्रोसेस के अंदर इनफैक्ट मैं आपको एक बहुत इंपॉर्टेंट लाइन देक जा रहा
हूं ठीक है एक्चुअल में क्या है ना इस लाइन को आप नोटिस करना इस लाइन को लिख भी लेना मैं तो कहूंगा आपको ठीक
है पीपल शुड ट्राई टू बिकम एक्टिव कंट्रीब्यूटर्स इन
कंट्रीज इकोनॉमिक ग्रोथ रदर देन
बीइंग मियर पैसिव रिसिपिएंट्स आप पूछेंगे इस चीज का मीनिंग क्या इस लाइन का देखो इस लाइन का मीनिंग बहुत ही सिंपल
है लोगों को डेवलपमेंट प्रोसेस के अंदर पार्टिसिपेट करवाओ देश की तरक्की के अंदर आप भी अपना योगदान दो वो होता है एक्टिव
कंट्रीब्यूशन ऐसा ना हो कि आप एक्सपेक्ट करो कि सरकार हमें अनाज दे देगी मुफ्त में सरकार हमारे लिए यह कर देगी वोह कर देगी
उसको बोलते हैं पैसिव रिसिपिएंट्स बस आप कह रहे हो कि यह हमारे लिए कर दे यह हमारे लिए कर दे पर आप भी तो करो ठीक है एक्टिव
कंट्रीब्यूटर होने चाहिए कहीं ना कहीं तब जाके उसको बोलेंगे हम डेवलपमेंट के अंदर लोगों का भी इवॉल्वमेंट है पार्टिसिपेटरी
डेवलपमेंट यह अमर्त्य सजी के आईडियाज हैं इनको कहीं पर भी आप अपने आंसर्स में यूज़ कर सकते हो फ्रीडम के बारे में चॉइसेज के
बारे में ठीक है ना अपॉर्चुनिटी टू डेवलप वनसेल्फ फुली अपॉर्चुनिटी टू लीड द बेस्ट वर्जन ऑफ देयर लाइफ यही है अमर्त्य सन जी
के लिए यहां पर डेवलपमेंट ये अमर्त्य सेन मॉडल है इसको आप अपने आंसर में डेफिनेटली इस्तेमाल कीजिएगा आखिरी चीज जो हमें जाने
से पहले पढ़नी है वो ना देखो कुछ तरह की ना प्लानिंग होती है इनकी हमें डेफिनेशन पता होना चाहिए कई बार कल को बोल देगा भाई
डायरेक्शनल प्लानिंग का मीनिंग क्या है पता हो चाहिए डायरेक्शनल प्लानिंग का मीनिंग क्या होता है या बोल देगा प्लानिंग
बाय इंड्यूसमेंट का मतलब क्या होता है देखो यहां पर समझना यहां पर जैसे मैं बात कर रहा हूं
आपकी डायरेक्शनल प्लानिंग की राइट तो आप एक बार सोचो कि डायरेक्शनल प्लानिंग के अंदर क्या होता है यह वो
कंट्रीज यहां पर इसके अंदर इवॉल्व होती हैं जो कहीं ना कहीं जैसे सोशलिज्म के अंदर बिलीव करती है अगर मान लो कोई कंट्री
है जो बांधती है कि कहीं ना कहीं वहां पर सोशलिज्म हो एंड सेंट्रल गवर्नमेंट के द्वारा यहां पर ज्यादा पावर हो सरकार के
द्वारा ज्यादा पावरफुल हो तो वहां पर जो प्लानिंग सिस्टम फॉलो होता है उसको हम डायरेक्शनल प्लानिंग बोलते हैं इवन यहां
पर ना कुछ और भी चीजें जैसे आपका बात करें हम इंपरेटिव प्लानिंग इंपरेटिव प्लानिंग काफी
हद तक सिमिलर है ठीक है चाहे वो डायरेक्शनल प्लानिंग है चाहे इंपरेटिव दोनों का मीनिंग ऑलमोस्ट सिमिलर है बस वो
टर्म्स कई बार क्वेश्चन में अलग यूज कर सकता है इंपरेटिव प्लानिंग के अंदर क्या होगा जो सरकार होगी पावर के अंदर वही कहीं
ना कहीं आपकी इकोनॉमिक एक्टिविटीज को कंट्रोल करेगी वही डायरेक्ट करेगी एंड वही अकॉर्डिंग प्लांस को सेट करेगी ये मीनिंग
आपको पता होना चाहिए डायरेक्टिव का भी और इंपरेटिव का भी उसी तरह से अगर मैं बात करूं डेमोक्रेटिक की डेमोक्रेटिक प्लानिंग
का मीनिंग क्या होगा अब वर्ड ये कहां से आया है डेमोक्रेसी से वर्ड आया है तो एक्चुअल में क्या है यहां पर जो लोग होंगे
ठीक है लोगों की नीड्स के हिसाब से प्लांस बनाए जाएंगे ठीक है ताकि एक तरह से जो इनकम इन इक्वलिटी है वो खत्म हो पाए दिस
इज नोन एज डेमोक्रेटिक प्लानिंग मीनिंग बस आपको समझना है बहुत डिटेल में आपको इनको जानने की जरूरत नहीं है इसके अलावा एक चीज
होती है पर्सपेक्टिव प्लानिंग पर्सपेक्टिव प्लानिंग आपकी लंबे समय की प्लानिंग होती है मान लो 15 20 25 साल की प्लानिंग ठीक
है ऐसा नहीं मैं कह रहा कि 15 20 25 साल के लिए आपने प्लान बना लिया बस नहीं उसके अंदर भी फेजेस होंगे मान लो आपने 20 साल
का प्लान बना लिया इसमें आपने देखा पहले 2 साल क्या करेंगे अगले 3 साल करेंगे फिर आगे 5 साल क्या करना है इस तरह से आपने
फेजस में अगर डिवाइड कर रखा है ना लंबे टाइम के लिए प्लान कर रहे हो पर उसको फेजस में डिवाइड करके आप प्लान कर रहे हो दैट
इज पर्सपेक्टिव प्लानिंग इसके अलावा अगर मैं बात करूं आपकी इंडिकेटिव प्लानिंग की तो इंडिकेटिव प्लानिंग दरअसल में आपकी जो
प्लानिंग बाय इंड्यूसमेंट होता है ना ये दोनों सिमिलर है क्या होता है इनका मतलब इनका मतलब होता है इंडिपेंडेंट प्लानिंग
जैसे फॉर एग्जांपल स्टेट रेगुलेट तो करती है स्टेट आपकी रेगुलेशन तो लेकर आती है पर ऐसा नहीं है कि हर चीज को कंट्रोल करती है
जैसे फॉर एग्जांपल अलग-अलग मॉनेटरी जैसे हमारा आरबीआई है रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया वो मॉनेटरी पॉलिसी लेकर आता
है आपकी जो सरकार है वो फिस्कल पॉलिसी लेकर आती है तो इन पॉलिसीज के माध्यम से होता क्या है कहीं ना कहीं वहां पे
रेगुलेशंस और कोऑर्डिनेशन की जरूरत होती है ठीक है पर कहीं ना कहीं दोनों का ही रोल यहां पे हमें देखने को मिल जाता है कि
सरकार का रेगुलेशन का काम ज्यादा रहता है एंड सिमिलरली जब मैं बात करता हूं आपकी इंडिकेटिव प्लानिंग की यहां पर भी यही है
कि ये डिसेंट्रलाइज प्लानिंग होती है सरकार अ आप नोटिस करोगे यहां पे प्लान बनाती है और ये जो प्लान के टारगेट्स होते
हैं ये जो पब्लिक सेक्टर है सरकारी संस्थाएं हैं उनके लिए अचीव करने मैंडेटरी रहते हैं प्राइवेट सेक्टर के लिए सिर्फ
इंडिकेटिव होते हैं इंडिकेटिव मतलब कि आपको ऐसा करना चाहिए समझ रहे हो सरकार अपनी सरकारी संस्थाओं को तो बोल रही है कि
आपको तो यही करना है मतलब यही करना है पर जब हम कॉन्टेक्स्ट में सोचते हैं आपके विद रिगार्ड्स टू आपके इन कॉन्टेक्स्ट ऑफ
प्राइवेट सेक्टर तो वहां पर वो केवल और केवल आपका इंडिकेटिव होता है कि आपको ये चीज करनी चाहिए जरूरी नहीं है उसको
कंप्लीट करना ही है इसके अलावा एक दो चीजें और हैं जैसे आपका एक हो गया फिक्स्ड प्लानिंग यहां पर नाम मेंही जिसके वर्ड आ
गया फिक्स तो एक फिक्स्ड पीरियड ऑफ टाइम के लिए जब कोई प्लान बनता है उसको बोलते हैं फिक्स्ड प्लानिंग पर स्पेक्टिव
प्लानिंग क्या था लॉन्ग टर्म के लिए जहां पर हम उसको फेज मैनर में बांट रहे थे यहां पर मान लो 3 साल के लिए आपने प्लान कर
दिया तो फिक्स पीरियड हो गया ना तो जो भी टारगेट सेट किए होंगे उसको आपको उसी टाइम में अचीव करने होंगे ऐसी प्लानिंग को
बोलते हैं फिक्स प्लानिंग साथ ही साथ आ जाती है आपकी सेंट्रलाइज प्लानिंग हो गया यहां पर सेंट्रल अथॉरिटी सब कुछ यहां पर
कंट्रोल करती है सब कुछ इसके कंट्रोल में रहता है इसके अलावा एक होती है डिसेंट्रलाइज यहां पर जैसा कि नाम में
मेंशन ही है यहां पर आपके ग्रास लूट प्लांस आपको यहां पर देखने को मिल जाते हैं ठीक है तो यह कुछ अलग-अलग टाइप्स ऑफ
प्लानिंग थी इनका अलग-अलग मीनिंग था जो हमें यहां पर पता होना चाहिए अगर हमें इन सभी चीजों का मीनिंग पता होगा तो
आपको यह इसके रिगार्डिंग जो डायरेक्ट फैक्चर क्वेश्चन आएंगे ना उनको करना के अंदर कोई दिक्कत नहीं आएगी ठीक है अब देखो
दो-तीन चीजें मैं आपको फिर से रिइटरेट कर दूं एक तो पहली चीज तो यह है कि आपको यह वाला जो पूरा पूरा हमने प्लान डिस्कस किया
था कि कैसे-कैसे प्लानिंग के अंदर बदलाव आए यह पूरा प्लान आपको क्लियर होना चाहिए कि एक के बाद दूसरा क्यों आया क्या-क्या
चीजें उसने बताई यह आपको क्लेरिटी होनी चाहिए दूसरा मैं आप लोगों से एक्सपेक्ट करूंगा जैसा मैं आपको कह भी रहा
था जैसा मैंने आपको बताया था कि आपको ना यहां पर इस चैप्टर के अंदर हमने बहुत सारी फैक्चर चीजें पढ़ी हैं उनको आपको याद करने
की कोशिश करनी चाहिए जो कांसेप्चुअल चीजें थी उनको आप अंडरस्टैंड डेफिनेटली कीजिए कि कैसे कैसे क्या चीज हुई एंड अगर आप इनको
एक स्टोरी की फॉर्म में जैसा मैंने कोशिश करी आपको डिलीवर करने की अगर आपको उस कांटेक्ट में समझ आया है तो डेफिनेटली
आपके लिए बहुत अच्छा होगा इसके साथ ही साथ स्टिक पोन हमने डिस्कस कर लिया पर जैसे मैं आपको बता रहा था नीति आयोग के द्वारा
अलग-अलग इंसेस निकाले जाते हैं तो वो इंसेस आप लोग करंट अफेयर्स में डेफिनेटली कवर करिएगा
लास्टली यहां पर हमने जैसा देखा कि कुछ क्वेश्चन इस पर्टिकुलर टॉपिक से हमें प्रीलिम्स में तो देखने को मिले ही मिले
बट एट द सेम टाइम मेंस में भी ऐसे क्वेश्चंस आते रहते हैं वो थोड़े बहुत करंट अफेयर्स में कवर होंगे बट आई वुड
एक्सपेक्ट फ्रॉम ऑल ऑफ यू कि आपके सामने मैंने ये जो क्वेश्चन दिया है कि किस तरह से हमें क्या-क्या स्टेप्स लेने चाहिए
ताकि हम यहां तक पहुंच पाएं एक विकसित भारत बन पाएं इसके बारे में मैं एक्सपेक्ट करूंगा कि सब बच्चे इसका आंसर लिखेंगे फिर
अकॉर्डिंग हम इस पर्टिकुलर क्वेश्चन को काफी ज्यादा डिटेल में अगले लेक्चर में इसको डिस्कस कर लेंगे ठीक है बाकी ये जो
पी वाई क्यूज डिस्कस कर रहे हैं और प्रैक्टिस क्वेश्चन और मेंस के क्वेश्चन डिस्कस कर रहे हैं ये कैसे लग रहे हैं आप
मुझे कमेंट्स में बता सकते हो राइट ठीक है एक काम करते हैं फिर आज के सेशन को हम यहीं पे रैप अप करते हैं यह जो
पूरा का पूरा प्लानिंग का सेशन था जहां पर हमने स्टार्टिंग करी थी अलग-अलग फॉर्म्स ऑफ प्लानिंग देखी क्या-क्या फैक्टर्स थे
क्या-क्या रीजंस जिस वजह से हमें यहां पे चेंजेज देखने को मिले हैं एंड अकॉर्डिंग उनको हमने यहां पे पूरी तरह से अंडरस्टैंड
किया आई होप ये पूरा का पूरा टॉपिक आपको बहुत अच्छे से समझ आया होगा दोस्तों हमारे चार आठ टॉपिक्स आज कंप्लीट हो चुके हैं
साथ ही साथ आप ये भी इंश्योर करिएगा कि जो पुराने टॉपिक्स हैं उनको भी आप रिवाइज करते रहिए ताकि ऐसा ना हो कि जब छह सात आठ
चैप्टर हो जाएंगे तब आपको ऐसा लगे कि यार मैंने सातवा आठवां चैप्टर तो पढ़ रहा हूं पर जो चैप्टर वन था वो पूरा भूल गया ऐसा
नहीं होना चाहिए फिर आप दोबारा से वीडियो देखोगे उससे कोई सेंस नहीं है अगर आपने रिवीजन बार-बार करी है ना तो वो ज्यादा
बेनिफिशियल रहेगा तो इट इज इंपोर्टेंट कि चैप्टर्स आप कवर कर रहे हो बट साथ ही साथ ध्यान ये रखिए कि आपके पुराने चैप्टर्स भी
आप लोग साथ में ही रिवाइज करते रहो ताकि आपको पढ़ाई में कोई भी दिक्कत ना आए एंड अकॉर्डिंग आप अपना एग्जाम अच्छे से क्लियर
कर पाओ दोस्तों यह थी आज की डिस्कशन इसी तरह से आप भी अपने एंड पर हार्डवर्क करते रहिए थैंक यू सो मच फॉर जॉइनिंग ऑल द वेरी
बेस्ट थैंक यू सो मच
Economic planning in India addresses fundamental questions—what to produce, how to produce, and for whom to produce—by blending private and government roles. It ensures efficient resource allocation, promotes equitable growth, self-reliance, and balances market dynamics with state intervention to guide economic development.
The shift replaced the centralized, top-down Planning Commission with NITI Aayog in 2015 to foster bottom-up planning and cooperative federalism. NITI Aayog emphasizes active state participation through convergence, competition, and collaboration (Triple C), improving coordination and tailoring developmental goals to regional needs.
India’s early Five-Year Plans prioritized agriculture, irrigation, and industrialization to build infrastructure and ensure food security. Over time, focuses shifted to heavy industries, poverty alleviation, rural development, economic reforms, technology advancement, and finally sustainable and inclusive growth in the Twelfth Plan, reflecting changing national priorities.
India employed various planning types: directional planning (centralized control), indicative planning (guidance for private sector), democratic planning (based on people’s needs), perspective planning (long-term phased plans of 15-25 years), and decentralized planning (local-level participation), enabling a flexible and inclusive approach to development.
Pre-independence plans like the M. Visvesvaraya Plan focused on industrial growth and labor shift; the Congress Plan (1938) established the National Planning Committee; the Bombay Plan (1944) advocated rapid industrialization with significant state involvement; the Gandhian Plan emphasized village economies and decentralization; while the People's and Sarvodaya Plans highlighted producer freedom and land reforms respectively.
Challenges include the License Raj’s regulatory hurdles hindering private growth, inefficiency in public sector undertakings, and balancing growth with equity and sustainability. Recent reforms under NITI Aayog focus on improving governance, monitoring health and education, boosting rural employment via schemes like MGNREGA, and promoting innovation and sustainability to overcome these issues.
Adam Smith’s ‘Invisible Hand’ promotes minimal state intervention, contrasting with India’s early socialist tilt requiring planning. The Great Depression highlighted capitalism’s limits, justifying state roles. Amartya Sen’s Capability Approach influences newer plans to prioritize individual freedom and opportunities, encouraging citizen participation and measuring development by capabilities beyond income alone.
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