Introduction to Social Security Legislation
- Welcome to the session on Labor Law focusing on Social Security Legislation.
- Importance of subscribing to the channel for updates.
What is Social Security?
- Social Security is a system that protects individuals from risks like unemployment, sickness, and old age.
- It provides income security, healthcare, and family support.
Objectives of Social Security
- Income Security: Ensures financial stability during periods of risk.
- Healthcare: Provides necessary health services.
- Family Support: Offers benefits like maternity leave and survivor benefits.
- Economic Stability: Aims to enhance the standard of living and individual independence.
Historical Context and Growth
- The concept evolved post-Industrial Revolution due to economic inequalities.
- Franklin D. Roosevelt coined the term "Social Security" in 1934.
- The need for social security increased with urbanization and the decline of joint family systems in India.
Principles of Social Security Legislation
- Social Justice: Equitable distribution of benefits between employers and workers.
- Social Equity: Helps improve the social status of employees.
- National Economy: Promotes industrial growth and efficiency.
- International Standards: Adherence to guidelines set by the International Labour Organization (ILO).
Key Legislation in India
- Workmen's Compensation Act, 1923: First legislation for worker protection.
- Employees' State Insurance Act, 1948: Provides health insurance to workers.
- Maternity Benefit Act, 1961: Supports pregnant workers.
Conclusion
- Social Security legislation plays a crucial role in protecting workers and ensuring their rights.
- Future sessions will cover specific labor laws in detail, including a Comprehensive Guide to Company Law: Key Concepts and Exam Preparation which will provide insights into the legal framework surrounding employment.
- Encourage viewers to engage with the content and subscribe for more updates.
[संगीत] हेलो एवरीबॉडी कैसे हैं आप सब सिंपलीफाई लॉ में आप सभी का स्वागत है आज का हमारा
सेशन होने वाला है लेबर लॉ के एक टॉपिक पर जिसका नाम है सोशल सिक्योरिटी लेजिसलेशन आज के इस सेशन में हम डिस्कस करने जा रहे
हैं सोशल सिक्योरिटी का मतलब क्या है उसके डेफिनेशंस क्या है उसका ओरिजिन क्या है ग्रोथ कैसे हुई ऑब्जेक्टिव्स हम देखेंगे
और साथ ही में प्रिंसिपल्स ऑफ सोशल सिक्योरिटी लेजिसलेशन को भी स्टडी करेंगे तो चलिए शुरू करते हैं लेकिन उससे पहले आप
सभी से रिक्वेस्ट है कि अगर आप इस चैनल पे नए हैं तो प्लीज इस चैनल को सब्सक्राइब कर दीजिएगा बेल आइकन प्रेस करना ना भूलें
ताकि मेरी वीडियोस की नोटिफिकेशन सबसे पहले आप तक पहुंच सके चलिए शुरू करते हैं हमारा आज का यह सेशन सोशल सिक्योरिटी
लेजिसलेशन देखिए सोशल सिक्योरिटी इज अ सिस्टम दैट प्रोटेक्ट्स पीपल फ्रॉम रिस्क लाइक अनइंप्लॉयमेंट सिकनेस एंड ओल्ड एज
सोशल सिक्योरिटी इसी नाम से या इस टर्म से ही समझ में आ जाता है कि एक तरह की सिक्योरिटी प्रोवाइड करता है सोशल
सिक्योरिटी ऐसी सिस्टम है या ऐसा मैकेनिज्म है जो लोगों को प्रोटेक्ट करता है फ्रॉम रिस्क लाइक अनइंप्लॉयमेंट आ जाए
सिकनेस आ जाए या ओल्ड एज हो तो यहां पे इन सब कारणों की वजह से लोगों को किसी तकलीफ का किसी मुश्किलों का सामना ना करना पड़े
इसीलिए यहां पे ये जो सोशल सिक्योरिटी है एक तरह की सिक्योरिटी प्रोवाइड करता है राइट द कंसेप्ट ऑफ सोशल सिक्योरिटी हैज
इवॉल्वड ओवर टाइम एंड इट्स ऑब्जेक्टिव्स इंक्लूड प्रोवाइड इनकम सिक्योरिटी हेल्थ केयर एंड सपोर्ट फॉर फैमिलीज अब ये जो
सोशल सिक्योरिटी है ये किस तरह से प्रोवाइड की जाती है वेरियस लेजिसलेशंस है वेरियस एक्ट्स हैं उनके थ्रू जो है हमें
एक तरह की सोशल सिक्योरिटी प्रोवाइड की जाती है चाहे फिर वो इनकम की इनकम रिलेटेड हो या हेल्थ केयर रिलेटेड हो या फिर
फैमिली को सपोर्ट करने के लिए या फिर जो भी इंश्योरेंस पॉलिसीज होती हैं वो हो तो यह सारी चीजें जो है एक तरह की सिक्योरिटी
प्रोवाइड करते हैं ताकि अगर जिंदगी में किसी भी तरह का रिस्क आए तो हम उससे बाहर निकल सके ठीक है उससे हमें प्रोटेक्शन मिल
सके देखिए अकॉर्डिंग टू नेशनल कमीशन ऑफ लेबर द आइडिया बिहाइंड सोशल सिक्योरिटी मेजर्स इज दैट द सिटीजंस ू हैज
कंट्रीब्यूटेड टू हिज कंट्रीज वेलफेयर शुड बी गिवन प्रोटेक्शन अगेंस्ट वेरियस हजार्ड्स नेशनल कमीशन लेबर कहते हैं कि
सोशल सिक्योरिटी के पीछे का जो एम है या जो मोटिव है ऑब्जेक्ट है या यह जो सोशल सिक्योरिटी मेजर्स है ये क्या करते हैं
सिटीजन जिन्होंने कंट्री के लिए या कंट्री के वेलफेयर के लिए अपना कंट्रीब्यूशन दिया है या देते आ रहे हैं उनको एक तरह का
प्रोटेक्शन मिल स सके फ्रॉम वेरियस हजार्ड्स राइट या फिर जो भी उनके जिंदगी में अगर किसी तरह के रिस्क आए तो यहां पे
उन्हें कोई लॉस सफर ना करना पड़े इसीलिए यहां पे कंट्री जो है यह इनिशिएटिव लेती है कि हमें देश के लोगों को इनसे या जो
हजार्ड्स हैं इनसे बचाए रखना है राइट आगे देखिए वीवी गिरी अकॉर्डिंग टू वीवी गिरी सोशल सिक्योरिटी इज अ सिक्योरिटी दैट द
स्टेट फर्निशेज अगेंस्ट द रिस्क व्हिच एन इंडिविजुअल ऑफ स्मॉल मींस कैन नॉट स्टैंड अप बाय हिमसेल्फ तो सोशल सिक्योरिटी एक
तरह की ऐसी सिक्योरिटी फर्निश करता है या स्टेट जो है एक तरह की ऐसी सिक्योरिटी प्रोवाइड करता है कि जो भी इंडिविजुअल्स
हैं स्मॉल मींस के साथ यानी कि जो अ अगर उनकी जिंदगी में किसी तरह का रिस्क आए या प्रॉब्लम आए तो स्मॉल मींस होने की वजह से
वो अपना स्टैंड खुद नहीं ले सकते हैं या उससे अपना खुद का प्रोटेक्शन खुद से नहीं कर सकते हैं तो यहां पे यह
रिस्पांसिबिलिटी यह जिम्मेदारी स्टेट लेता है कि इनको इनसे बचाने की जिम्मेदारी हमारी है और यहां पे जो है एक तरह की
सिक्योरिटी प्रोवाइड करता है वेरियस स्कीम्स प्रोवाइड करता है पॉलिसीज प्रोवाइड करता है मॉनेटरी बेनिफिट्स
प्रोवाइड करता है ठीक है ताकि उनकी यहां पे रक्षा हो सके नेशनल काउंसिल ऑन लेबर की अगर बात करें तो मेंबर ऑफ अ कम्युनिटी शाल
बी प्रोटेक्टेड बाय कलेक्टिव एक्शन अगेंस्ट सोशल रिस्क कॉजिंग अनड्यू हार्डशिप जो सोशल रिस्क आता है वो एक तरह
का अनड्यू हार्डशिप प्रोवाइड करता है लोगों को तो यहां पे इनसे बचाने के लिए एक कलेक्टिव एक्शन की जरूरत होती है जो कि
उसे एक प्रोटेक्शन प्रोवाइड करना एज अ मेंबर ऑफ अ कम्युनिटी यहां पे जरूरी होता है तो यह है डेफिनेशन गिवन बाय नेशनल
काउंसिल ऑन लेबर ऑन सोशल सिक्योरिटी अब देखिए ओरिजिन एंड ग्रोथ ऑफ सोशल सिक्योरिटी सोशल सिक्योरिटी प्रोवाइड
करना या स्कीम्स प्रोवाइड करना पॉलिसीज प्रोवाइड करना लेजिसलेशंस के थ्रू लोगों को प्रोटेक्शन देना यह सारी जो कांसेप्ट
है यह जो फिनोमिना है ये कहां से इमर्ज हुआ देखिए द कांसेप्ट ऑफ सोशल सिक्योरिटी डेवलप्ड आफ्टर द इंडस्ट्रियल रिवोल्यूशन
व्हेन इकोनॉमिक ग्रोथ लेड टू सोशल इनिक्वालिटी एंड इनसिक्योरिटी यह जो सोशल सिक्योरिटी का कांसेप्ट है यह इंडस्ट्रियल
लशन के दौरान एंड आफ्टर जो है इमर्ज हुआ या डेवलप हुआ जब इकोनॉमिक ग्रोथ होने लगी ना सोसाइटी में तब यहां पे सोशल इनक्व नजर
आने लगी कुछ लोग रिच बनते गए कुछ पुअर बनते गए पुअर के साथ-साथ पुअर बनते गए और जो रिच है वो रिचर बनते गए तो यहां पे एक
तरह के समाज में सोशल इनिक्वालिटी नजर आने लगी इनसिक्योरिटी नजर आने लगी जो गरीब है वो गरीब बनते जा रहे थे अमीर जो है वो
अमीर बनते जा रहे थे साथ ही में जो लेबरर्स हैं इंडस्ट्रियल रिवोल्यूशन हुआ ना तो यहां पे जो लेबरर्स हैं इनकी कंडीशन
थोड़ी सी खराब होने लगी ठीक है तो यहां पे जो है एक तरह की अ यह बात का रियलाइफ पे लेबरर्स को प्रोटेक्शन देने की
सख्त जरूरत है फ्रैंकलिन लानो रूजवेल्ट इज ऑफें क्रेडिटेड विद कॉइनिंग द टर्म सोशल सिक्योरिटी इन 1934 तो यह बात हमें याद
रखनी है और आपको यह एग्जाम में भी मेंशन करना है कि 1934 में सोशल स सिक्योरिटी इस टर्म को कॉइन करने वाले को कौन थे
फ्रैंकलिन रूजवेल्ट राइट आगे देखिए द टर्म बिम अ लीडिंग कांसेप्ट इन द डेवलपमेंट ऑफ वेलफेयर स्टेट्स आफ्टर वर्ल्ड वॉर ट तो
वर्ल्ड वॉर ट के बाद में जो है ये जो कांसेप्ट है सोशल सिक्योरिटी की या डेवलपमेंट ऑफ वेलफेयर स्टेट की ये बहुत
जोर शोर से इमर्ज होने लगी इंडिया हैज ऑलवेज हैड अ जॉइंट फैमिली सिस्टम दैट टूक केयर ऑफ सोशल सिक्योरिटी नीड्स ऑफ़ द
मेंबर फैमिली मेंबर्स ऑलवेज शेयर्ड सेंस ऑफ रिस्पांसिबिलिटी टुवर्ड्स ईच अदर ये हमें बताने की जरूरत नहीं है हम इंडियन
सोसाइटी के मेंबर्स हैं हमें पता है कि शुरू से हमारे यहां जो है जॉइंट फैमिली सिस्टम है तो जॉइंट फैमिली सिस्टम होने की
वजह से यहां पे सोशल सिक्योरिटी की ऐसे अलग से जो है अ स्टेट के द्वारा ऐसे कोई जरूरत पड़ी नहीं है इंडियन सोसाइटी को
शुरू से क्योंकि यहां पे जो जॉइंट फैमिली सिस्टम होने की वजह से जो घर के लोग हैं वो एक दूसरे की मदद कर पाते थे चाहे फिर
वह इमोशनली सपोर्ट हो इमोशनल सपोर्ट प्रोवाइड करना हो फाइनेंशियल सपोर्ट प्रोवाइड करना हो कभी भी अगर किसी भी तरह
की एक मेंबर पर मुश्किल आ जाए तो बाकी के जो मेंबर्स हैं उन्हें सपोर्ट देते थे सपोर्ट प्रोवाइड करते थे तो यहां पर जो है
खास करके ऐसे स्टेट के द्वारा सोशल सिक्योरिटी की जरूरत कभी इंडियन सोसाइटी को पड़ी नहीं थी बट विद द राइज ऑफ
अर्बनाइजेशन माइग्रेशन एंड न्यूक्लियर फैमिलीज कांसेप्ट द जॉइंट फैमिलीज हैव डिक्लाइंड एंड हेंस वी नीड सोशल
सिक्योरिटी लेकिन जैसे-जैसे जो है हमारी इंडियन सोसाइटी डेवलप होने लगी अर्बनाइजेशन आने लगा लोगों का माइग्रेशन
होने लगा काम के लिए है ना अ पैसे कमाने के लिए न्यूक्लियर फैमिली कांसेप्ट जो आया हमारे इंडियन सोसाइटी में तो जॉइंट फैमिली
सिस्टम जो है कहीं ना कहीं डिक्लाइन होने लगी और यहां पे जो है सोशल सिक्योरिटी की जरूरत हमें नजर आई पड़ने लगी सोशल
सिक्योरिटी ओरिजनेट फ्रॉम कांसेप्ट ऑफ इन इंग्लैंड इन 16th सेंचुरी ड्यूरिंग पीरियड ऑफ हेनरी एथ द वेल्थी पीपल र आस्क टू
हेल्प पुअर पीपल बट इट वाज पोरली वॉलंटरी देखिए जो सोशल सिक्योरिटी जो है यह इंग्लैंड का एक तरह का कांसेप्ट है जब
हेनरी एथ थे ना 16 सेंचुरी में तब तब जो वेल्थी पीपल थे उन्हें यह कहा जाता था कि जो भी पुअर पीपल हैं आप उन्हें हेल्प करो
थोड़ा सा इकोनॉमिक सपोर्ट उन्हें प्रोवाइड करो और ये जो है पोरली वॉलंटरी था यहां पे रिच पीपल को फोर्स नहीं किया जाता था कि
आपको यहां पे पुअर पीपल को मदद करनी ही है तो यहां पे वॉलेटर अगर वो चाहे तो यहां पे पुअर पीपल को हेल्प कर सकते थे तो यहां पे
जो है सोशल सिक्योरिटी यानी समाज को या सोसाइटी को एक तरह की सोसाइटी प्र सिक्योरिटी प्रोवाइड करने की जो है
कांसेप्ट नजर आई सोशल सिक्योरिटी स्कीम्स जो है यह जर्मनी में 18818 हुआ ठीक है स्कीम्स के द्वारा लोगों
को सोशल सिक्योरिटी प्रोवाइड करनी है यह जर्मनी में 18811 ने रिच पीपल को रिक्वेस्ट किया कि
सोशल इंश्योरेंस स्कीम्स अडॉप्ट करो ठीक है ताकि उनकी जो इनकम है वह प्रोटेक्ट हो सके उनके जो अ लीगल रिप्रेजेंटेटिव्स हैं
उनके जो भी आगे के वायरस होंगे उन वायरस होंगे उन्हें जो जो है एक तरह की अ हम कह सकते हैं सिक्योरिटी प्रोवाइड हो सके यहां
पे इसलिए विलियम फर्स्ट ने जो है जर्मनी में इस स्कीम्स को प्रोवाइड करने की कांसेप्ट जो है वो सामने रखी इंडिया में
की अगर बात करें तो जैसे कि वर्कमैन कंपनसेशन एक्ट है वर्कमैन को कंपनसेशन प्रोवाइड करना अगर कोई एक्सीडेंट हो जाता
है ले ऑफ रिट्रेंचमेंट हो जाता है तो यहां पे वर्कमैन जो है इकोनॉमिकली पूरी तरह से खत्म ना हो जाए ठीक है उनका जो है लिविंग
जो है वह अच्छे से चले इसीलिए जो है वर्कमैन कंपनसेशन एक्ट 1923 यह आया और यह सोशल सिक्योरिटी लेजिसलेशन का पहला
लेजिसलेशन था पहला लॉ था और इसके बाद में जो है फिर वो एंप्लॉई स्टेट इंश्योरेंस एक्ट 1948 आया फिर एंप्लॉयज प्रोविडेंट
फंड एक्ट 1952 आया फिर पेमेंट ऑफ ग्रेजुएटी एक्ट 1972 आया एंड फिर मैटरनिटी बेनिफिट 1961 प्रेग्नेंट मदर्स को एक
मैटरनिटी बेनिफिट प्रोवाइड करने के लिए जो भी कंपनी में वर्क का काम करते हैं तो यहां पे एक तरह का ऐसे लेजिसलेशन जो है
आते गए और यहां पे लोगों को इंडियन सोसाइटी में सोशल सिक्योरिटी अ प्रोवाइड की गई ठीक है तो यहां पे एक स्टेबिलिटी आई
कहीं ना कहीं इमोशनली इकोनॉमिकली यहां पे लोगों को एक तरह का सपोर्ट मिला राइट तो इस तरह से जो है सोशल सिक्योरिटी की या
सोशल सिक्योरिटी लेजिसलेशंस का जो है ग्रोथ हुआ है इवोल्यूशन हुआ है राइट आई होप आपको समझ आया होगा कि किस तरह से सोशल
सिक्योरिटी की जो है डेवलपमेंट हुई है या लेजिसलेशंस आते गए हैं ओके अब यहां पे देखिए ऑब्जेक्टिव्स अब सोशल सिक्योरिटी
लेजिसलेशन का या सोशल सिक्योरिटी प्रोवाइड करने के ऑब्जेक्टिव्स क्या है क्या है इसका एम देखिए पहला तो इनकम सिक्योरिटी है
फॉर शोर देखिए प्रोवाइड इनकम सिक्योरिटी ड्यूरिंग पीरियड्स ऑफ रिस्क जैसे कि अन एंप्लॉयमेंट है सिकनेस है डिसेबिलिटी है
ओल्डज है इसमें लोगों को इनकम सिक्योरिटी प्रोवाइड करने का एम जो है ये सोशल सिक्योरिटी लेजिसलेशन का है सेकंड है
हेल्थ केयर हेल्थ केयर प्रोवाइड करना ठीक है फैमिली सपोर्ट है बेनिफिट्स टू प्रोवाइड बेनिफिट्स फॉर फैमिली सच एज
मैटरनिटी बेनिफिट ले लीजिए सरवाइवर बेनिफिट्स ले लीजिए एक तरह की इकोनॉमिक स्टेबिलिटी एंड ग्रोथ प्रोवाइड करना साथ
में एक सोशल सिक्योरिटी एंड प्रोटेक्शन प्रोवाइड करना जो भी मॉडर्न लाइफ के स्ट्रेस एंड स्ट्रेंस है यहां पे मॉडर्न
लाइफ जो है यहां पे अ मॉडर्नाइजेशन के साथ साथ स्टैंडर्ड ऑफ लिविंग भी डेवलप होती जा रही है और स्टैंडर्ड ऑफ लिविंग के साथ
सरवाइव करना इट्स क्वाइट डिफिकल्ट तो यहां पे एक तरह की अगर हम सोशल स्टेबिलिटी इनकम सिक्योरिटी प्रोवाइड करें तो यहां पे
जिंदगी जीना आसान हो सकता है इंडिविजुअल इंडिपेंडेंस ले लीजिए इंडिविजुअल्स को अपने बलबूते पे अपने दम पे खड़ा होना ठीक
है इकोनॉमी केलिए उन्हें इंडिपेंडेंट बनाना यह एक काम जो है सोशल सिक्योरिटी लेजिसलेशन का है हाउसहोल्ड फंक्शंस या फिर
हाउसहोल्ड सपोर्ट प्रोवाइड करना ताकि उनका जो घर है वह अच्छे से चल सके ठीक है कहीं ना कहीं यह जो ऑब्जेक्टिव्स हैं य बहुत
इंपॉर्टेंट रोल रोल प्ले करते हैं लाइफ में अगर सोचिए सोशल सिक्योरिटी लेजिसलेशंस नाना होते तो क्या होता और अगर है तो उसका
इंपैक्ट किस तरह से हमारी जिंदगी में पड़ रहा है देखिए अब हम स्टडी करेंगे प्रिंसिपल्स ऑफ सोशल सिक्योरिटी लेजिसलेशन
या फिर हम लेबर लेजिसलेशन भी कह सकते हैं पहला प्रिंसिपल है कि सोशल जस्टिस प्रिंसिपल्स ऑफ सोशल जस्टिस जो है दो तरह
की दो तरह के हैं पहला तो यह है कि इक्विटेबल डिस्ट्रीब्यूशन ऑफ प्रॉफिट्स एंड अदर बेनिफिट्स ऑफ इंडस्ट्री बिटवीन
एंप्लॉयर एंड वर्कर जो भी काम करने के साथ-साथ जो भी फैक्ट्री में या कंपनी में अगर जो भी प्रॉफिट्स आपको मिलते हैं उसका
अच्छे से डिस्ट्रीब्यूशन करना है इक्विटेबल डिस्ट्रीब्यूशन करना है एंप्लॉयर के बीच में और वर्कर्स के बीच
में राइट सेकंड है प्रोवाइड प्रोटेक्शन टू वर्कर्स अगेंस्ट हार्मफुल इफेक्ट टू देर हेल्थ सेफ्टी एंड मोरालिटी उन्हें एक तरह
का प्रोटेक्शन प्रोवाइड करना वर्कर्स को उनके हेल्थ के लिए उनकी सेफ्टी के लिए राइट उनकी मोरालिटी के लिए द नेक्स्ट इज
वर्कमैन कंपनसेशन एक्ट जो है इंश्योर्ड कंपनसेशन फॉर इंजरी कॉज्ड बाय एक्सीडेंट अराइजिंग आउट ऑफ एंड इन द कोर्स ऑफ
एंप्लॉयमेंट यानी अगर एंप्लॉयमेंट में एक्सीडेंट अगर होता है एंप्लॉयमेंट के दौरान या फिर किसी एक्सीडेंट की वजह से
उन्हें इंजरी होती है लॉस सफर करना पड़ सकता है तो यहां पे वर्कमैन कंपनसेशन एक्ट जो है कंपनसेशन देता है वर्कर्स को फिर
उसके बाद में है मिनिमम वेजेस एक्ट ले लीजिए पेमेंट ऑफ वेजेस एक्ट एंड फैक्ट्रीज एक्ट एक ऐसे लेजिसलेशन है जो कि सोशल
जस्टिस को बढ़ावा देते हैं जो कि सोशल जस्टिस को प्रीवेल कराते हैं इन्हें इंपॉर्टेंट इंपॉर्टेंस देते हैं ओके दे
नेक्स्ट इज प्रिंसिपल्स ऑफ सोशल इक्विटी सोशल इक्विटी लॉज जो है वो एंप्लॉयज को हेल्प करते हैं अपना सोशल स्टेटस को
इंप्रूव करने में अब सोशल स्टेटस इंप्रूव कैसे हो सकता है समाज में अगर उन्हें एडिक्ट हम वेजेस दे अच्छे से प्रॉपर वेजेस
दें उनकी सेफ्टी का ख्याल रखें अगर वर्किंग आवर्स प्रॉपर रखे इतने भी वर्किंग आवर्स मत रखो कि जो आपका वर्कर है वो
प्रोडक्टिव ना रह पाए वो प्रोडक्टिव भी रहना चाहिए उसे सही वर्किंग आवर्स भी दो आप और उन वर्किंग आवर्स के मुताबिक उन्हें
सही वेजेस भी दो तो क्या है एक सोशल इक्विटी जो है प्रमोट हो पाएगी साथ में हेल्थ फैसिलिटी प्रोवाइड करना बहुत ज्यादा
जरूरी है वर्कर्स की अगर हेल्थ सही रहेगी तो ही वह अच्छे से काम कर पाएंगे वेर इट इज फेल्ड दैट द लॉ शुड बी फ्लेक्सिबल एंड
शुड चेंज द लॉ एंपावर्स द गवर्नमेंट टू मेक सच चेंजेज सच अ लेजिसलेशन इज टू बी बेस्ड ऑन सोशल इक्विटी यानी जो लॉज हैं
हमारे भारत के जो भी लेजिसलेशन है वो एक तरह से एंपावर करते हैं गवर्नमेंट को कि अगर आपको किसी भी तरह के चेंजेज करने हैं
तो आप डेफिनेटली कर सकते हो लेकिन सोशल इक्विटी को ध्यान में रखते हुए थर्ड प्रिंसिपल है नेशनल इकोनॉमी यह जो
प्रिंसिपल है यह इंडस्ट्री के नॉर्मल ग्रोथ को प्रमोट करता है इंश्योर करता है ताकि जो नेशन का डेवलपमेंट है वह अच्छे से
हो सके यह जो नेशनल इकॉनमी का कांसेप्ट है यह वर्कर्स की एफिशिएंसी को बढ़ाता है उनके नीड्स को सेटिस्फाई करता है उनके
डिमांड्स को एक्सेप्ट करता है ताकि वह जो है अच्छे से अपने अपने फैक्ट्रीज में काम कर सके द एफिशिएंट इंडस्ट्री कंट्रीब्यूट
टू इंप्रूव नेशनल इकॉनमी अगर इंडस्ट्री एफिशिएंट रहेगी अगर इंडस्ट्री अच्छे से डेवलप होंगे तो नेशनल इकोनॉमी भी डेवलप
डेफिनेटली होगी राइट और य आपको पता है कि जीडीपी में जो है यह नेशनल इकॉनमी कितना रोल प्ले करती है जो भी फैक्ट्रीज हैं जो
भी इंडस्ट्रीज जो डेवलपमेंट हो रहा है इनका कितना बड़ा रोल है हमारे इंडिया के जीडीपी में देखो यहां पे इंटरनेशनल
यूनिफॉर्म देखो इंटरनेशनल यूनिफॉर्म से यहां पे यह कहा गया है कि जो इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन आईएलओ ये जो है बहुत
इंपॉर्टेंट रोल प्ले करता है इंटरनेशनल यूनिफॉर्म इंटरनेशनल यूनिफॉर्म बेसिकली एक तरह का अ मिनिमम स्टैंडर्ड्स या ऐसे रूल्स
एंड रेगुलेशंस प्रोवाइड करते हैं जो यूनिफॉर्म एंड यूनिवर्सलीस करने हैं जो यूनिफॉर्म एंड
यूनिवर्सलीस पे अप्लाई होने जरूरी हैं ओके यूनिफॉर्म ऑफ़ स्टैंडर्ड्स कैन बी मेंटेड ओनली बाय एनफोर्सिंग वेरिएट इंडस्ट्रियल
लॉ और ये जो स्टैंडर्ड्स ये जो रूल्स एंड रेगुलेशंस आईएलओ द्वारा प्रोवाइड किए गए हैं इनका जो इंफोर्समेंट है यह तभी मेंटेन
हो सकता है जब उन्हें कंप्ला करते हुए उनके कन्फर्म के साथ-साथ हम इंडस्ट्रियल लॉज हमारे इंडस्ट्रीज में अप्लाई करें ठीक
है जब आईएलओ के दिए गए हुए स्टैंडर्ड्स को आईएलओ के दिए गए हुए रूल्स एंड रेगुलेशंस को एक्सेप्ट करते हुए इंडस्ट्रियल लॉज को
हम लाएंगे और उन्हें अच्छे से इंडस्ट्रीज में अप्लाई करेंगे तब जाकर कहां है इंटरनेशनल यूनिफॉर्म मेंटेन हो सकती है
राइट यूनिफॉर्म टी नाउ यहां पे देखिए सोशल सिक्योरिटी सोशल सिक्योरिटी प्रिंसिपल यह बताता है कि एज पर द आईएलओ सोशल
सिक्योरिटी ऐसी सिक्योरिटीज हैं जो कि सोसाइटी को अ अ सोसाइटी फर्निश करती है अपने एप्रोप्रियेट
जो है सोशल सिक्योरिटी जो है प्रोवाइड करती है मेंबर्स को राइट द कांसेप्ट ऑफ सोशल सिक्योरिटी इज बेस्ड ऑन द आइडिया ऑफ
ह्यूमन डिग्निटी एंड सोशल जस्टिस सोशल सिक्योरिटी है ही इसीलिए कि जो ह्यूमन डिग्निटी है वो मेंटेन हो सके अ समाज में
सोसाइटी में सोशल जस्टिस जो है बना रह सके अगर हम आर्टिकल 22 देखें यूडीएच आर का यूनिवर्सल डिक्लेरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स
क्या कहता है एवरीवन एज अ मेंबर ऑफ सोसाइटी हैज द राइट टू सोशल सिक्योरिटी यानी समाज में सोसाइटी में रहने वा वाले
हर एक मेंबर का यह अधिकार है कि उसे सोशल सिक्योरिटी मिल सके राइट अगर इंडिया की बात करें तो नंबर ऑफ सोशल सिक्योरिटी
लेजिसलेशन हमें देखने के लिए मिलते हैं जो टाइम टू टाइम जो है इक्ट हुए हैं डेवलप होते जा रहे हैं उनमें अमेंडमेंट होते जा
रहे हैं लेबर्स का ख्याल रखा जा रहा है ठीक है हां यह बात अलग है कि इन लॉज के बारे में या इन लेजिसलेशंस के बारे में
वर्कर्स को कितना पता है कितने हद तक उन्हें इन सब चीजों की जानकारी है लेकिन अगर लॉस के पॉइंट ऑफ व्यू से एंड
लेजिसलेशन के सोशल सिक्योरिटी लेजिसलेशन के पॉइंट ऑफ व्यू से देखा जाए तो यहां पे वर्कर्स का बहुत अच्छे से ख्याल रखा गया
है उनके हेल्थ का उनके सिक्योरिटी सेफ्टी का राइट ठीक है तो यहां पे वर्कर्स को इन इन सब चीजों के बारे में अवेयर करना यह
एंप्लॉयर की रिस्पांसिबिलिटी है लेकिन पता नहीं एंप्लॉयर कितने हद तक जो है अपने जो एंप्लॉयज हैं अपने जो वर्कर्स हैं उन्हें
अवेयर कर पाते हैं इन सब चीजों के बारे में तो अगर देखा जाए तो इंडिया में सोशल सिक्योरिटी लेजिसलेशन जैसे कि वर्कमैन
कंपनसेशन एक्ट है मैटरनिटी बेनिफिट एक्ट है पेमेंट ऑफ़ ग्रेच्युटी एक्ट है यह एक तरह के लेजिसलेशंस हैं जो सोशल सिक्योरिटी
प्रोवाइड करते हैं राइट अब देखो आज हमने इस सेशन में लेबर लॉ का जो हमारा सब्जेक्ट हमने स्टार्ट किया
है इसमें सबसे पहला यूनिट या सबसे पहला जो है हमने अ टॉपिक लिया रिगार्डिंग दी सोशल सिक्योरिटी एंड इट्स लेजिसलेशंस उसका
ग्रोथ उसका ओरिजिन अ साथ में उसके ऑब्जेक्टिव्स क्या हैं इन सभी चीजों को हमने बहुत अच्छे से स्टडी किया है आगे भी
लेबर लॉस के और भी जो है वीडियोस या लेक्चर डेफिनेटली आएंगे अ वेरियस एक्ट जो लेबर लॉ के अंदर है वर्कमैन कंपनसेशन एक्ट
फैक्ट्रीज एक्ट मैटरनिटी बेनिफिट एक्ट ग्रेजुएटी एक्ट मिनिमम वेजस एक्ट इन सभी एक्ट्स को इन सभी एक्ट्स के प्रोविजंस को
हम बहुत ही बेहतरीन तरीके से स्टडी करने वाले हैं इसीलिए आप सभी से रिक्वेस्ट है कि आप सिंपलीफाई लॉ के साथ जुड़े रहिएगा
इन वीडियोस के थ्रू इन लेक्चर के थ्रू आपका लेबर लॉ का सब्जेक्ट सट लेबर लॉ का जो सब्जेक्ट है वो बेहतरीन तरीके से जो है
क्लियर होने वाला है आपके सारे कांसेप्ट क्लियर होने वाले हैं अगर आपको किसी भी तरह का डाउट हो या किसी भी टॉपिक पे आपको
लेक्चर चाहिए तो आप डेफिनेटली कमेंट सेक्शन में बता सकते हैं मैं उन्हें अपलोड करने की डेफिनेटली कोशिश करूंगी आज का यह
जो वीडियो है अगर आपको अच्छा लगा है पसंद आया है तो प्लीज लाइक कीजिए अपने फ्रेंड्स के साथ जरूर शेयर कीजिएगा और जो भी इस
चैनल पे नए हैं प्लीज बने रहिए सिंपलीफाई लॉ के साथ सब्सक्राइब कीजिए इस चैनल को बेल आइकन भी प्रेस कर दीजिएगा ताकि मेरे
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The main purpose of Social Security legislation is to protect individuals from various risks such as unemployment, sickness, and old age. It aims to provide income security, healthcare, and family support, ensuring financial stability and enhancing the standard of living.
The key objectives of Social Security include income security during periods of risk, providing necessary healthcare services, offering family support benefits like maternity leave and survivor benefits, and promoting economic stability to enhance individual independence.
Social Security legislation evolved post-Industrial Revolution due to increasing economic inequalities. The term 'Social Security' was coined by Franklin D. Roosevelt in 1934, and its necessity grew with urbanization and the decline of joint family systems, particularly in countries like India.
The principles of Social Security legislation include social justice, which ensures equitable distribution of benefits; social equity, which aims to improve the social status of employees; national economy, promoting industrial growth; and adherence to international standards set by organizations like the International Labour Organization (ILO).
Key pieces of Social Security legislation in India include the Workmen's Compensation Act of 1923, which was the first legislation for worker protection; the Employees' State Insurance Act of 1948, which provides health insurance to workers; and the Maternity Benefit Act of 1961, which supports pregnant workers.
Subscribing to updates on Social Security legislation is important to stay informed about changes and developments in labor laws that affect workers' rights and protections. It helps individuals understand their entitlements and the legal framework surrounding employment.
Future topics will include specific labor laws in detail, such as a comprehensive guide to company law, which will provide insights into the legal framework surrounding employment and further enhance understanding of workers' rights.
Heads up!
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