Reinventing Your Life: Key Concepts from 'Designing Your Life'
Introduction
Imagine being a successful MBA graduate, landing a great job at a startup, and excelling in your role. However, after a few years, you find yourself unhappy with office politics, meetings, and presentations. Inspired by a restaurant owner you met in Manali, you decide to leave your HR job and open your own restaurant in the mountains. Initially, you feel fulfilled, but soon the reality of running a business sets in, leading to feelings of being stuck.
Key Concepts from 'Designing Your Life'
Bill Burnett, a Stanford professor, offers valuable insights on how to reinvent your life through his book 'Designing Your Life'. Here are five key concepts:
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Prototyping
- Test your life choices on a small scale before making big decisions. For instance, instead of fully committing to a restaurant, have conversations with existing owners or shadow them to understand the challenges. This approach aligns with the principles discussed in Transform Your Life: Lessons from Robin Waite on Business Success and Productivity.
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Reframing
- Change your perspective on your goals. A story about a man named Rahul illustrates how he was fixated on visiting the Grand Canyon by mule, missing out on other enjoyable experiences with his family. By reframing his goal, he could have created meaningful memories in different ways. This concept resonates with the ideas in How to Find Happiness and Success: Insights from Influential Thinkers.
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The Good Time Journal
- Track your daily activities and how they make you feel. This tool helps identify what energizes you and what drains you, guiding you towards a more fulfilling path. For further exploration of self-reflection techniques, check out Transform Your Life Through Reading: The Ultimate Guide to Self-Education and Growth.
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Start Where You Are
- Embrace your current situation. A story about Debbie, a former Apple manager, shows how she found meaning in nurturing her family, redefining her work's value despite stepping back from her career. This theme of finding purpose can also be seen in Choosing Between a Life of Ease or a Life of Service: Insights from Successful Leaders.
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Failure Immunity
- Understand that failure does not define you. The story of Reid, who faced multiple rejections yet persisted, highlights the importance of resilience and learning from setbacks. This aligns with the strategies discussed in Overcoming Distractions: The Key to Personal Success.
Conclusion
The book 'Designing Your Life' provides practical strategies for navigating life's complexities and finding fulfillment. By applying these concepts, you can design a life that aligns with your passions and values. For more insights, consider exploring the Google application for book summaries in Hindi and English. Don't forget to subscribe for more knowledge-packed content!
इमेजिन करो आप एक अच्छे स्टूडेंट हो और आपने एमबीए कर ली है आपकी एक बहुत अच्छे स्टार्टअप में जॉब लग जाती है वहां पर आप
अपना बेस्ट देना चाहते हो वहां पर आप जाते हो बहुत अच्छा काम करते हो आपका बॉस आपसे खुश है दो या तीन सालों में ही आपकी
प्रमोशन हो जाती है लेकिन अब आप खुद से खुश नहीं हो वहां पर आपको मीटिंग्स पसंद नहीं है वहां पर आपको प्रेजेंटेशन देना
पसंद नहीं है ऑफिस की पॉलिटिक्स उफ वो भी आपको पसंद नहीं है और अब आप सोचते हो कि यार मुझे कुछ और करना चाहिए फिर आपको याद
आता है कि रिसेंटली आप मनाली गए थे वहां पर आपने एक रेस्टोरेंट के ओनर को देखा था छोटा सा रेस्टोरेंट प्यारा सा पहाड़ों में
वहां पर जो रेस्टोरेंट ओनर था वह अपनी लाइफ से बहुत खुश था छोटी सी जगह में बहुत से नए लोगों से मिलता अपने पसंद की नई-नई
डिशेस बनाता उन्हें नया नाम देता लोगों को सर्व करता और बस 7 या 8:00 बजे वो अपने रेस्टोरेंट को बंद कर देता और फिर अपनी
फैमिली के साथ टाइम गुजारता आपको लगता है कि आपको भी बस यही करना है आप अपनी एचआर वाली जॉब छोड़ना चाहते हो इन सब पॉलिटिक्स
से दूर जाना चाहते हो और आप एक्सजेक्टली करते भी यही हो आप भी एक टूरिस्ट प्लेस पर पहाड़ों में
तीन सालों की लीस्ट पर एक छोटी सी जगह ले लेते हो उसके पेंट का कलर क्या होगा फर्नीचर कैसा होगा हर एक चीज आप डिसाइड
करते हो और फाइनली वो दिन आता है जब आप उस रेस्टोरेंट को दुनिया के लिए खोल देते हो वो जो फील आप लेना चाहते थे आज वो दिन आ
गया है और आपको वो फीलिंग आती भी है आप लोगों को डिश सर्व करते हो लोग आपके डिश की तारीफ भी करते हैं बहुत से फॉरेनर्स
वहां पर आते हैं आप उनसे बातें करते हो उनके देश के बारे में उनसे पूछते हो और आपको लगता है कि अब आपका सपना पूरा हो रहा
है लेकिन 5 छ दिन के बाद यह फीलिंग चेंज होने लगती है क्योंकि अब आप वहां की सफाई भी कर
रहे हो आपने जो यंग स्टाफ हायर किया था वो लड़का अब काम पे नहीं आ रहा है क्योंकि वो रिलेशनशिप में था और क्योंकि अब उसका
ब्रेकअप हो गया है तो उसका काम में मन नहीं लग रहा और यह एक बार नहीं ऑलमोस्ट हर स्टाफ के साथ होता है किसी का ब्रेकअप हो
रहा है तो किसी को एक अच्छी जॉब मिल रही है अब आप ही को बाजार से सामान लाना पड़ रहा है आप ही रेस्टोरेंट को खोल रहे हो आप
ही वो आखिरी इंसान हो जो अपने रेस्टोरेंट को बंद कर रहे हो और अब आपको लग रहा है कि मैं क्या लाइफ जी रहा हूं इससे अच्छी लाइफ
तो मेरी जॉब में थी जहां पर लोग मुझे रिस्पेक्ट करते थे यहां पर तो कस्टमर्स अगर खाना अच्छा ना बने वो गाली तक दे देते
हैं और अब आप इस सिचुएशन में फंस गए यू आर स्टक पर सवाल यह आता है कि अगर हम किसी भी सिचुएशन में स्टक हैं किसी भी सिचुएशन में
तो हम उससे बाहर कैसे निकलें और इसीलिए जो स्टैनफोर्ड के प्रोफेसर बिल बर्ननेट हैं उन्होंने यह बुक लिखी है डिजाइनिंग योर
लाइफ यह एक कोर्स है जो स्टैनफोर्ड में पढ़ाया जाता है और इस कोर्स को डिजाइन करने के लिए 50 साल की जो डिजाइनिंग टीम
थी उनकी सारी लर्निंग्स इस कोर्स और इस बुक में बताई गई है और उसी से हम आज पांच कांसेप्ट्स पढ़ेंगे कि हम खुद को
रीइन्वेंट कैसे कर सकते हैं दोबारा से अपने को तोड़कर अच्छे ढंग से कैसे बना सकते हैं जिसमें सबसे पहला कांसेप्ट कहता
है प्रोटोटाइपिंग इस कांसेप्ट में बिल बर्ननेट कहते हैं कि एज अ डिजाइनर जब हम अपनी लाइफ को डिजाइन
कर रहे हैं तो पहले हमें उसे टेस्ट करना पड़ेगा बहुत छोटे रिस्क में फॉर एग्जांपल इस रेस्टोरेंट वाले केस में आप तीन चीजें
कर सकते थे अपनी जॉब छोड़ने से पहले प्रोटोटाइप करने के लिए सबसे पहली चीज आती है कन्वर्सेशन यानी इस रेस्टोरेंट वाले
केस में आप एक्चुअल में अपना पूरा रेस्टोरेंट खोलने के बजाय उस रेस्टोरेंट ओनर के पास जा सकते थे और उससे बात कर
सकते थे कि मुझे एक रेस्टोरेंट खोलना है अब तू बता इसमें और कौन से वेरिएबल्स हैं क्योंकि मेरे पर्सपेक्टिव से तू बहुत खुश
लग रहा है क्या एक्चुअल में तू खुश है कौन से ऐसे चैलेंजेस हैं जो तू फेस करता है और मैं भी शुरू में फेस कर सकता हूं लाइफ को
प्रोटोटाइप करने का सेकंड मेथड आता है जॉब शैडोइंग अगर आप उस रेस्टोरेंट ओनर से ज्यादा डाटा निकालना चाहते हो तो आपको
उसके साथ एक्चुअल में एक हफ्ते तक रहना पड़ेगा जहां पे उसका रेस्टोरेंट है उसके आसपास ही कहीं पर आप एक हफ्ते रह सकते थे
और उसको बोल सकते थे कि मैं तेरे लिए फ्री में काम करना चाहता हूं एक हफ्ते तक मैं देखना चाहता हूं तू कब उठता है क्या-क्या
काम करता है क्या मुझे वह चीजें पसंद आ भी रही हैं जो मैं समझ रहा हूं या मेरे पास डाटा ही इनसफिशिएंट है और एक्चुअल में
रेस्टोरेंट बनाने के डिसीजन में कूदने से पहले हम जो प्रोटोटाइप कर सकते थे वो है टेस्ट इट फॉर शॉर्ट अमाउंट ऑफ टाइम फॉर
एग्जांपल चार या पांच महीने के लिए आप उस आईडिया को टेस्ट कर सकते थे 3 साल तक रेस्टोरेंट को लीज़ में लेने की कोई जरूरत
नहीं थी अब ये जो थ्योरी है डिजाइनिंग योर लाइफ इसमें प्रोटोटाइप का स्टेप इसीलिए इंपॉर्टेंट है क्योंकि यह थ्योरी कहती है
कि हम मान के चलते हैं कि हमारा कोई ऐसा बिग ग्रैंड विज़न नहीं होता लाइफ में कि हम एक ही चीज के लिए बने हैं मल्टीपल चीजें
हो सकती है जो हमें पसंद हो और हमें वो पसंद है या नहीं वो एक्चुअल में हमें वो करने के बाद ही पता चलता है पहले हम उसे
प्रेडिक्ट नहीं कर सकते अगर हम प्रोटोटाइप के कांसेप्ट को समझ गए हैं तो उसके बाद आता है नेक्स्ट इंपॉर्टेंट कांसेप्ट जो कि
है रिफ्रेमिंग एक लड़का था जिसका नाम था राहुल जब से वह एनसीसी में था उसका बचपन
से एक ही सपना था कि उसे अपने परिवार वालों के साथ ग्रेट कैनियन में जाना है वह भी एक म्यूल पर जब वह बड़ा हुआ उसकी शादी
हुई तो उसके दो बच्चे हुए उसके दिमाग में अभी भी वह सपना था कि वो अपनी वाइफ और दो बच्चों के साथ म्यूल पर ग्रैंड कैनियन जा
रहा है धीरे-धीरे उन सारे एरिया को देख रहा है उसे एंजॉय कर रहा है जो सामने वाली रेड क्लिप्स हैं वह चमक रही हैं और हवा
में उनकी हंसी गूंज रही है यह मेमोरी तो उसके दिमाग में थी लेकिन रियल लाइफ में शादी के बाद सिचुएशन कुछ और हो गई थी अगर
उसे ग्रैंड कैनियन म्यूल में एक्चुअल में जाना था तो उसका वेट 90 किलो से कम होना चाहिए लेकिन वो मोटा हो चुका था उसका वेट
अब 105 किलो था हर साल वो वेट कम करने की कोशिश करता 100 किलो 95 किलो एक बार तो वो अपना वेट पूरे 90 किलो तक लेके आ गया
लेकिन जब उसने यह वेट किया था उस वक्त पर वो खाली पेट था और साथ में उसने कोई कपड़े नहीं पहने थे जब उसने एक्चुअल में दोबारा
से ग्रेट कैनियन में अप्लाई किया तो उसका वेट 90 kg से ऊपर आया और उसकी एप्लीकेशन फिर से रिजेक्ट कर दी गई 5 साल तक यह चीज
चलती रही हर बार उसके बच्चों के स्कूल की समर हॉलिडेज़ होती वह सोचते कि शायद इस बार हम ग्रैंड कैनियन जाएंगे लेकिन यह प्लान
फिर से रिजेक्ट हो जाता राहुल को इतनी ज़िद थी कि वो ग्रैंड कैनियन के अलावा कहीं और जाना भी नहीं चाहता था जैसे-जैसे ये 5 साल
बीते उसके ऊपर और रिस्पांसिबिलिटीज आने लग गई उसके बच्चे अब बड़े हो रहे थे वो अब उसके साथ उतना ज्यादा टाइम स्पेंड भी नहीं
करना चाहते थे और फाइनली यह प्लान कभी सक्सेसफुल हुआ ही नहीं यह रियल स्टोरी है जॉन की जिसके दिमाग में ग्रैंड कैनियन
जाने की इतनी ज़िद लगी थी कि वह अपने परिवार को कहीं और लेकर ही नहीं गया और सबसे बुरी बात तो यह है कि उसे ग्रैंड
कैनियन एक म्यूल में ही जाना था जबकि और ऑप्शंस भी थे वो हेलीकॉप्टर में जा सकता था थोड़ा हाई कर सकता था रिवर टूल ले सकता
था लेकिन क्योंकि उसने अपने माइंड के साथ एक कॉन्ट्रैक्ट किया हुआ था कि यार वो सिर्फ म्यूल के थ्रू ही ग्रेट कैनियन को
कवर नहीं करेगा तो उसे वो फीलिंग नहीं आएगी जो उसने बचपन से ही इमेजिन की थी जबकि वह उस पूरी सिचुएशन को रिफ्रेम कर
सकता था उसका गोल था अपने परिवार के साथ घूमना अगर ग्रेट कैनियन भी था तो वह एग्जैक्ट फीलिंग दूसरे तरीके से भी आ सकती
थी लेकिन जो एक विंडो की ओपोरर्चुनिटी थी अपने बच्चों के साथ घूमने की वो उसने सिर्फ इसीलिए खो दी क्योंकि उसका दिमाग
स्टक था वो खुद से एक राइट सवाल नहीं पूछ पाया जो कि था कि मैं एक्चुअल में फील क्या करना चाहता हूं मुझे क्या एग्जैक्टली
करना है जिससे मुझे खुशी मिलेगी अगर वो सिर्फ एक सवाल अपने से डिफरेंटली पूछता तो वो अपनी जिंदगी के 5 साल बिल्कुल वेस्ट
नहीं करता ऑलमोस्ट एग्जैक्टली सेम सिचुएशन हुई थी सोशियोलॉजी प्रोफेसर मेलिनी की जो कि एक सोशल इनोवेशन इंस्टट्यूट बनाना
चाहती थी और उसने अपने दिमाग में डिसाइड कर लिया था कि उसे $5 मिलियन की फंडिंग चाहिए वो बार-बार नए-नए इंस्टट्यूट्स के
पास जाती है उन्हें कहती है कि मुझे फंडिंग दे दो मैं एक स्कूल बनाना चाहती हूं लेकिन $5 मिलियन की फंडिंग मिलना भी
तो आसान नहीं था बट लकीली वो ऑथर के साथ कांटेक्ट में थी और उसने अपनी सिचुएशन को रिफ्रेम किया उसका मेन पर्पस था कि वह
स्टूडेंट की लाइफ में इंपैक्ट क्रिएट करना चाहती है और वह जरूरी नहीं कि वह $5 मिलियन की फंडिंग से ही बने और जैसे ही
उसने इस सिचुएशन को रिफ्रेम किया उसने सही स्टेप्स लेना स्टार्ट कर दिए उसने कुछ वॉलंटियर स्टूडेंट्स को लिया जिस तरीके के
क्लासरूम वो बिल्डिंग्स के अंदर बनाना चाहती थी उसने एग्जैक्टली वही क्लासरूम्स टेंट के बनाए उन टेंट रूम्स के अंदर
प्रॉपर वेंटिलेशन करी और बच्चों को एग्जैक्टली वही सब्जेक्ट्स पढ़ाए जो वो पढ़ाना चाहती थी इन शॉर्ट जब भी आपको लग
रहा है कि मैं स्टक हो चुका हूं मैं दोबारा से अपने को रीइ्वेंट कैसे करूं तो हमेशा अपने पर्सपेक्टिव को रिफ्रेम करो
अपनी लाइफ को डिजाइन करने के लिए नेक्स्ट टूल आता है द गुड टाइम जर्नल माइकल वो इंसान था जिसको स्कूल में सब पसंद करते थे
वो कूल स्पोर्टी चिल्ड आउट लड़का जिसकी लाइफ एकदम इजी फ्लो कर रही थी सब लोग उसको देख के सोचते थे काश मेरी लाइफ भी ऐसी
होती उसने लाइफ में कभी भी कोई बड़ा डिसीजन महसूस ही नहीं किया क्योंकि कभी जरूरत ही नहीं पड़ी हर चीज उसकी मॉम ने ही
डिसाइड की किस स्कूल में जाना है किस कॉलेज में जाना है इवन इंजीनियरिंग कौन सी करनी है और माइकल बस अपनी मां का कहना मान
के चलता गया कॉलेज के बाद उसने एक बहुत खूबसूरत गर्लफ्रेंड भी बनाई स्काइलर जिसके साथ वो एमस्टरडम चला गया वहां उसे एक
अच्छी जॉब मिली और अपनी गर्लफ्रेंड के साथ शादी भी हो गई सबको बाहर से देखकर ऐसा लग रहा था कि शायद माइकल की लाइफ भगवान ने
आराम से टाइम लेके लिखी हो लेकिन पहली बार अंदर से माइकल को कुछ डिफरेंट महसूस हो रहा था वो बहुत ज्यादा दुखी महसूस कर रहा
था वो बर्न आउट नहीं था उसे कोई वर्क लोड भी नहीं था बस वह दुखी था और सबसे खराब बात यह है कि उसको यह भी नहीं पता था कि
वह दुखी है क्यों जब भी वह यह चीज अपने फ्रेंड्स या फैमिली मेंबर से डिस्कस करता तो सब अपनी-अपनी राय देते यार तू इतना
इंटेलिजेंट है खुद की फर्म खोल ले एमबीए ट्राई कर ले कुछ फाइनेंस में ट्राई कर ले लेकिन माइकल के पास कोई आंसर नहीं था
फाइनली उसे स्टैनफोर्ड के प्रोफेसर बर्ननेट मिले और उन्होंने माइकल को एक मैजिकल टूल दिया जिसका नाम था द गुड टाइम
जर्नल जो कि कुछ ऐसा दिखता है बर्ननेट ने माइकल से कहा कि तुम्हें अगले एक हफ्ते तक सिर्फ इस जर्नल को भरना है हर एक चीज जो
तुम दिन में कर रहे हो वो करने के बाद तुम्हें कैसा महसूस होता है वो मार्क करो क्या तुम्हें वो काम करने के बाद ऐसा लगता
है कि तुम्हें और ज्यादा एनर्जी आ रही है या उस काम को करने के बाद लगता है कि यार मैं थक गया हूं यह चीज मेरी एनर्जी सक कर
रही है जब एक हफ्ते तक माइकल ने इस जर्नल को भरा तो उसके बाद बस मैजिक हो गया क्योंकि उसके पास डाटा आ गया उसने उस
पैटर्न से नोटिस किया कि जब भी वह कोई मुश्किल कॉम्प्लेक्स टेक्निकल प्रॉब्लम सॉल्व कर रहा होता है तो वो बहुत खुश होता
है लेकिन जब मीटिंग प्रपोजल राइटिंग यह सब होता है तो उसे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता और फिर उसको स्यूशन मिला उसे बस अब
वही करना है जो उसे पसंद है और उसका आंसर एकदम क्लियर था वह पीएचडी करेगा क्योंकि वहां पर उसका दिमाग खर्च होगा हाई लेवल
स्ट्रक्चर प्रॉब्लम्स को वो सॉल्व करेगा और सबसे अच्छी बात उसे कोई यूज़लेस ऑफिस की मीटिंग या प्रपोजल राइटिंग नहीं करनी
पड़ेगी और जैसे ही उसने पीएचडी स्टार्ट करी वो हर रोज 10-10 12 घंटे काम करने के बाद भी इतना ज्यादा एनर्जी फील करता था
मानो दोबारा से स्कूल में आ गया हो इन शॉर्ट इस स्टोरी से हमारी लर्निंग यह है कि जरूरी नहीं होता कि हमें नई लाइफ चाहिए
कभी-कभी हमें सिर्फ बेटर डाटा चाहिए द गुड टाइम जर्नल हमें वे फाइंडिंग में मदद करता है यानी हमें यह बताता है कि किस चीज से
हमें एनर्जी आ रही है और कौन सी चीजें हमारी एनर्जी सक कर रही है जो भी चीजें हमारी एनर्जी सक कर रही है उसे हमें अपनी
लाइफ से हटाना है जस्ट लाइक अ प्योर डिज़र हमारा नेक्स्ट पॉइंट आता है स्टार्ट वेयर यू आर इमेजिन करो तुम्हारी Apple में जॉब
लगी है और वो भी कोई छोटी-मोटी पोजीशन में नहीं तुम वहां के टॉप प्रोडक्ट मैनेजर हो ब्रिलियंट माइंड्स के साथ तुम काम करते हो
तुम्हारा हर एक डिसीजन Apple के नंबर्स को मूव करता है Lindin में बहुत से लोग तुम्हें अप्रोच कर रहे हैं हर कोई चाहता
है कि तुम उनकी कंपनी में काम करो और फिर तुम सब छोड़ देते हो इसीलिए नहीं कि तुम फेल हो गए थे या तुम्हें जॉब से निकाला
गया सिर्फ इसीलिए क्योंकि तुम्हारे दो बच्चे हुए हैं और तुम्हें उनकी केयर करनी है यह रियल स्टोरी है डेबी की जो कि एप्पल
में एक हाई पोजीशन में थी जिसने अपनी जॉब छोड़ दी और जॉब छोड़ने के बाद उसके अंदर एक खोखलापन आ गया अब उसके पास वह लोग नहीं
थे जिन्हें वह बता पाती कि नेक्स्ट स्टेप क्या करना है उसे ऐसा लग रहा था कि उसकी लाइफ अब मीनिंगलेस हो गई है वह हर रोज
अपनी बच्चों की केयर करने के लिए घंटों काम करती लेकिन उसे कोई सैलरी नहीं मिलती अमेजिंग काम करने पर भी उसे कोई प्रमोशन
नहीं मिलेगी जब डेबी बर्नट से मिली तो बर्ननेट ने इसे एक और अमेजिंग टूल दिया और यह टूल था हेल्थ वर्क प्ले लव डैशबोर्ड जो
कि कुछ ऐसा दिखता है जब डेबी ने अपनी लाइफ को इन चार कैटेगरीज में तोड़ा और हर एक कैटेगरी को भरा तो उसे पता चला कि यार वो
वर्क कर रही है अपनी फैमिली को नर्चर करना अपने नए बच्चों को एक बेस्ट अपॉर्चुनिटी देना यह सब वर्क ही तो है और यह मीनिंगलेस
वर्क नहीं है यह एक ऐसा वर्क है जो शायद उसकी एप्पल की जॉब से ज्यादा इंपैक्ट क्रिएट कर सकता है और जैसे ही उसने अपनी
लाइफ को एक नए नजरिए से रिफ्रेम किया वो खुद ही बहुत खुशी महसूस करने लग गई क्योंकि डेबी ने अपनी काम की डेफिनेशन को
चेंज कर दिया था उसका बेशक करियर पॉज हो गया हो लेकिन कंट्रीब्यूशन वो कभी भी नहीं रुका इन शॉर्ट इस स्टोरी से हमारी लर्निंग
यह है कि जैसे ही हम इस टूल को यूज करते हैं हम अपनी लाइफ को एक न्यू मीनिंग दे सकते हैं इवन अगर किसी एरिया में हम वीक
हैं तो उस एरिया में हम ज्यादा आवर्स कंट्रीब्यूट कर सकते हैं एक डिजाइनर की तरह नेक्स्ट पॉइंट कहता है फेलियर
इम्यूनिटी कभी आपको ऐसा लगा है कि आप इतनी बार फेल हो गए हो कि आपके पेरेंट्स भी अब सोचने लगे हो कि यार अब बस हो गया अब
ट्राई करना छोड़ दें अगर हां तो एग्जैक्टली यही स्टोरी है रीड की रीड स्कूल का एक सक्सेसफुल किड नहीं था फिफ्थ
क्लास से लेकर 12th क्लास तक उसने स्कूल इलेक्शंस के लिए 13 बार ट्राई किया और 13 के 13 बार वह हार गया मैक्सिमम बच्चे दो
या तीन बार हार जाए तो उसके बाद वो ट्राई ही नहीं करते रीड हर बार वापस आता हर बार अपना नाम बैलेट में डालता हर बार होप करता
कि शायद इस बार मैं जीत जाऊं इसलिए नहीं कि उसको हारना पसंद था बल्कि इसीलिए क्योंकि हर एक अट्रेशन के साथ उसका
माइंडसेट शिफ्ट हो रहा था उसे हारने पर अब कम दर्द होता था हिम्मत बढ़ती रहती थी और सबसे इंपॉर्टेंट वह हर बार कुछ ना कुछ नया
सीखता था और जैसे ही इस बार नया साल आया रीड ने फिर से क्लास प्रेसिडेंट के लिए अप्लाई किया और इस बार वो जीत गया स्कूल
में तो उसने हार नहीं मानी थी लेकिन फिर रीड हुआ 25 साल का आईवी लीग से वो ग्रेजुएट हुआ कॉर्पोरेट वर्ल्ड में अपनी
लाइफ वो स्टार्ट कर रहा था एक बिजनेस ट्रिप के दौरान उसे गले में महसूस हुआ कि कुछ सूजन है वो कैजुअली क्लीनिक में गया
एक सेकंड में उसकी लाइफ चेंज हो गई जब डॉक्टर ने उसे कहा कि उसे कैंसर है उसके पेरेंट्स को उसकी फैमिली को सबको उसके लिए
दुख हो रहा था रीड को भी दुख था लेकिन उसने अगेन हार नहीं मानी यह वही लड़का था जिसने 13 बार ट्राई किया था और उसने कैंसर
को भी एक कैंपेन की तरह लिया रेडिएशन सर्जरी कीमोथेरेपी सब किया पर अपने आप को कभी भी पेशेंट बनने नहीं दिया फाइनली उसने
कैंसर को हरा दिया कैंसर को हराने के बाद उसने एक साल का ब्रेक लिया कोई नेटवर्किंग करने के लिए नहीं रे्यूमे बनाने के लिए
नहीं बल्कि स्की करने के लिए एक साल तक उसने फुल लॉन्च की किया दोबारा से अपनी साइकोलॉजी को बिल्ड किया और फिर वापस वो
करियर वर्ल्ड में आया अपनी ड्रीम जॉब लेने के लिए और वो थी एनएफएल टीम लेकिन इस बार भी वो रिजेक्ट हो गया पर वो फिर नहीं रुका
अपने फ्री टाइम में वो स्पोर्ट्स एनालिसिस मॉडल्स बनाता रहता इंडस्ट्री से कनेक्टेड रहता हर बार वो ट्राई करता और फाइनली
एनएफएल टीम ने उसे वापस कॉल किया इस बार उससे भी बड़े रोल के लिए इन शॉर्ट इस स्टोरी से हमारी लर्निंग यह है कि फेलियर
इम्यूनिटी का मतलब यह नहीं है कि हम कभी फेल नहीं होंगे इसका मतलब यह है कि कोई भी फेलियर हमें डिफाइन नहीं कर सकता लाइफ एक
इनफनाइट गेम है कोई भी रूल यह नहीं कहता कि हमें 25 तक ही सक्सेसफुल होना है या 30 तक हमारी इतनी सैलरी होनी चाहिए यह गेम तब
तक चलती रहेगी जब तक हम हार ना माने नेक्स्ट पॉइंट कहता है कि डिसीजंस कैन बी रॉन्ग आप इमेजिन करो कि आपको एक
पेंटिंग लेनी है टेबल पर बहुत सी पेंटिंग्स रखी गई हैं और आपको बोला जाता है कि इनमें से कोई भी पांच पेंटिंग्स चूज़
करो और उन्हें कैटेगराइज करो जिन भी पेंटिंग्स को तुम थर्ड या फोर्थ रैंक करोगे वो तुम घर लेकर जा सकते हो अब इसमें
आता है एक ट्विस्ट यह एक एक्सपेरिमेंट था जिसमें लोगों को बुलाया गया उन्हें दो ग्रुप्स में डिवाइड किया गया और उनसे
एक्जेक्टली यही बात बोली गई एक ग्रुप को बोला गया कि एक बार आपने पेंटिंग की रैंकिंग कर दी और एक पेंटिंग आप घर ले गए
तो वो आपके लिए फाइनल पेंटिंग होगी जबकि दूसरे ग्रुप को बोला गया कि कोई बात नहीं जो तुम पेंटिंग लेकर जाते हो अगर वह
तुम्हें फाइनली पसंद नहीं आती तो अगले दिन आके तुम इसे चेंज कर सकते हो अब लॉजिक यह कहता है कि जिसे ज्यादा फ्रीडम मिलेगी वो
ज्यादा लाइफ में खुश होगा लेकिन डाटा कुछ और कहता है हफ्तों बाद जब उन लोगों से बात की गई जो लोग अपना डिसीजन बदल सकते थे
यानी वो पेंटिंग चेंज कर सकते थे वो हमेशा दुखी थे क्योंकि उनका दिमाग अभी भी उस डिसीजन पर ही अटका था वो आगे कभी मूव ऑन
हो ही नहीं रहे थे उनका यही कहना था कि यार मैंने अच्छा डिसीजन लिया या नहीं क्योंकि मेरे पास ऑप्शन था उस पेंटिंग को
चेंज करने का यह एक्सपेरिमेंट हावर्ड के साइकोलॉजिस्ट डैन गिलबर्ट ने किया था और इस स्टडी का कंक्लूजन यह था कि जब भी आप
कोई रिवर्सिबल डिसीजन लोगे यानी कोई ऐसा डिसीजन जो आप रिवर्स कर सकते हो तो यह आपकी खुशी को 60 से 70% तक गिरा सकता है
इसका परफेक्ट एग्जांपल है इंडिया के फर्स्ट कंट्री मैनेजर ऑफ आशीष कश्यप जिनके साथ 2 महीने तक मैंने काम भी किया है उनका
मैं एक पॉडकास्ट देख रहा था संदीप महेश्वरी के साथ क्योंकि वो Google के कंट्री मैनेजर थे तो उन्हें कुछ Google के
शेयर्स मिलते थे अगर वो Google के साथ 4 साल तक रहते तो उन्हें ज्यादा शेयर्स मिलते लेकिन 2 साल बाद ही उन्होंने Google
की जॉब छोड़ दी और अपना एक खुद का स्टार्टअप बनाया गो आईbo जो फाइनली एमएमटी को बेचा तो जब यह बात संदीप माहेश्वरी को
पता चली तो उन्होंने आशीष कश्यप से पूछा कि आप तो कंट्री मैनेजर थे Google के उन शेयर्स की वैल्यू आज तो पता नहीं कितनी
ज्यादा होगी क्या वैल्यू थी उनकी तो इस पर उन्होंने कहा नहीं वो सोच के तो अब फायदा ही नहीं है इन शॉर्ट यह बात सोचनी ही नहीं
है क्योंकि उन्हें भी पता है कि अगर वो इस डाटा के बारे में सोचेंगे तो उन्हें दुख ही
होगा इन शॉर्ट इससे हमारी लर्निंग यह है कि हमें एक डिजाइनर की तरह सोचना पड़ेगा हमारी लाइफ का कोई एक ग्रैंड विज़न नहीं है
हो सकता है हमें पांच या छह चीजें पसंद हो और हमें अपनी लाइफ को आइट्रेटिवली इंप्रूव करना पड़ेगा यानी थोड़ी सी इंप्रूवमेंट
फिर थोड़ी सी इंप्रूवमेंट फिर थोड़ी सी इंप्रूवमेंट जैसे एक डिज़र करता है जब हमने गीगल एप्लीकेशन बनाई थी तो वो जो ऐसे आज
दिखती है वैसी वो नहीं दिखती थी वो एक बहुत ही बेसिक फ्रेमवर्क था ऐसा लगता था किसी बच्चे ने कोई स्कूल का प्रोजेक्ट
बनाया हो लेकिन आइट्रेटिवली थोड़ा-थोड़ा सा इंप्रूव करके हम एक काफी अच्छी जर्नी में पहुंच गए हैं तो एक बार मैं आपके लिए
यह सारे कांसेप्ट समराइज कर देता हूं सबसे पहला कांसेप्ट हमने देखा था प्रोटोटाइप पे जिसमें हमने वो रेस्टोरेंट की स्टोरी देखी
थी कि एक्चुअल में एक बड़ा डिसीजन लेने से पहले आप उसका एक प्रोटोटाइप टेस्ट कर सकते हैं और वो होगा छोटे स्केल में एक सैंपल
टाइम के लिए उस चीज को करना जो आप लाइफ में करना चाहते हैं सेकंड कांसेप्ट हमने देखा था रिफ्रे जिसमें हमने म्यूल राइड की
स्टोरी के बारे में बात करी थी कि कहीं ना कहीं उसने अपने दिमाग के साथ कॉन्ट्रैक्ट कर लिया कि जब तक यह चीज नहीं होगी मैं
कभी खुशी महसूस नहीं करूंगा जबकि अगर वह उसे थोड़ा सा रिफ्रेम कर देता तो उसकी पूरी लाइफ में जो बहुत ही थोड़े टाइम के
लिए एक विंडो खुली थी जिसमें वह अपने बच्चों के साथ एक्चुअल में एक चीज एंजॉय कर सकता था वो उसे मिस नहीं करता फिर हमने
गुड टाइम जर्नल के बारे में सीखा माइकल की स्टोरी से नेक्स्ट हमने Apple के प्रोडक्ट मैनेजर डेबी की स्टोरी से सीखा कि स्टार्ट
फ्रॉम वेयर यू आर जिसमें हमने यह डैशबोर्ड देखा फाइनली हमने रीड की स्टोरी से फेलियर इम्यूनिटी के बारे में सीखा जिसमें हमने
देखा कि फेलियर इम्यूनिटी का मतलब यह नहीं है कि हम कभी हारते नहीं इसका मतलब यह है कि कोई भी फेलियर हमें डिफाइन नहीं कर
सकता दोस्तों जो डिज़ाइन योर लाइफ बुक है वह बहुत ही अमेजिंग बुक है अगर आप इस बुक से और अमेजिंग कांसेप्ट सीखना चाहते हैं
तो आप Google एप्लीकेशन डाउनलोड कर सकते हैं जहां पर 1500 से ज्यादा बुक समरीज हिंदी और इंग्लिश में अवेलेबल हैं जिन्हें
आप पढ़ भी सकते हैं और सुन भी सकते हैं और G एप्लीकेशन आपका एक फ्रेंड रहेगा जो हमेशा डायरेक्शनली आपको ठीक रखेगा तो अगर
आप इस एप्लीकेशन में इंटरेस्टेड हैं तो इसका लिंक मैंने डिस्क्रिप्शन और फर्स्ट कमेंट में दे दिया है एनीवेज दोस्तों अगर
आप ऐसी नॉलेजेबल वीडियोस मिस नहीं करना चाहते तो सब्सक्राइब करने के बाद बेल का बटन दबाना मत भूलिएगा जल्दी हम आपसे
दोबारा मिलेंगे जय हिंद
Heads up!
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