Overview of Computer Network Communication
- Introduction to computer networks and their significance.
- Explanation of data communication and its basic elements:
- Sender
- Receiver
- Message
- Transmission Medium
- Protocols
The OSI Model
- The OSI model is crucial for understanding computer networks, consisting of seven layers:
- Application Layer: Interfaces with the user and provides network services.
- Presentation Layer: Translates data formats and encrypts/decrypts data.
- Session Layer: Manages sessions and controls dialogues between applications.
- Transport Layer: Ensures reliable data transfer and segmentation of data. For more on data transfer protocols, see Understanding Networking Protocols: IP, TCP, and UDP Explained.
- Network Layer: Handles routing and logical addressing (IP addresses). This layer is closely related to Understanding Well-Known Port Numbers for Networking Services.
- Data Link Layer: Manages framing, physical addressing, and error control.
- Physical Layer: Deals with the physical connection and transmission of raw bits.
Characteristics of Data Communication
- Key characteristics include:
- Delivery accuracy
- Timeliness of data transfer
- Jitter management
Importance of Computer Networks
- Networks facilitate resource sharing, communication, and data sharing in various applications:
- Business applications
- Corporate networks
- Entertainment networks
- Social media interactions
Conclusion
- The OSI model serves as a reference for understanding network communication principles, while the TCP/IP model is widely used in practice. For a deeper dive into the practical aspects of computer networks, refer to Understanding Computers and Telecommunications in Information Technology. Understanding these concepts is essential for anyone interested in computer networking, including the various Understanding Network Topologies: A Comprehensive Guide that illustrate how different network structures can impact communication.
[संगीत] हेलो गैस वेलकम तू अवर चैनल गैस इस वीडियो में कर करेंगे मॉडल फर्स्ट ऑफ कंप्यूटर
नेटवर्क कम्युनिकेशन क्या होता है कंप्यूटर नेटवर्क क्या होता है और सबसे इंपॉर्टेंट
टॉपिक ऑफ दिस वीडियो डेट इस ओसी मॉडल दिस इसे वेरी वेरी इंपॉर्टेंट पार्ट ऑफ कंप्यूटर नेटवर्क्स पर एग्जाम पॉइंट ऑफ
व्यू इसमें सेवन लेयर्स होती हैं और हर लेयर के बड़े में आपको डिटेलिंग में पता होना चाहिए की हर एक लेयर का क्या फंक्शन
है डाटा कम्युनिकेशन तो कम्युनिकेशन का क्या मतलब होता है जैसे
की दो लोग हैं यह दो लोग आपस में कम्युनिकेट कर रहे हैं यानी की दे कैन शेर देवर इतिहास
इनफॉरमेशन कुछ भी शेर कर सकते हैं आईएफ देवर कम्युनिकेटिंग सो इस तरीके से अगर हम डाटा कम्युनिकेशन के बाद के बड़े में बात
करें तो यहां पे दो डिवाइसेज के बीच में डाटा एक्सचेंज हो रहा होगा थ्रू सम ट्रांसमिशन मीडियम ट्रांसमिशन मीडियम जो
है वो आपका वार्ड भी हो सकता है वायरलेस भी हो सकता है वाइड की अगर हम बात करें तो जैसे हो गया कोल केवल ट्विस्टेड पैर केवल
और अगर हम वायरलेस की बात करें तो वायरलेस में एक वेव्स के थ्रू आपका डाटा ट्रांसफर होता है आईटी कैन बी रेडियो वाव विच कैन
वे इंफ्रारेड माइक्रोवेव हो सकता है आपका तो ट्रांसमिशन मीडियम भी चाहिए आपको डाटा को ट्रांसफर करने के लिए अगर हम बेसिक
एलिमेंट्स की बात करें डाटा कम्युनिकेशन में तो एक होना चाहिए सेंटर और एक होना चाहिए आपके पास रिसीवर तो पहले एलिमेंट
हुआ सेंडर और दूसरा एलिमेंट हुआ रिसीवर अब कुछ सेंड करने के लिए कुछ डाटा होना चाहिए कोई मैसेज होना चाहिए तो थर्ड एलिमेंट है
मैसेज प्लीज मैसेज को ट्रांसफर होने के लिए ट्रांसमिशन मीडियम चाहिए जैसे की डेफिनेशन
में भी लिखा था वह ट्रांसमिशन मीडियम आपका केवल भी हो सकता है वार्ड भी हो सकता है वायरलेस भी हो सकता है सो फोर्थ एलिमेंट
इसे योर मीडियम फिफ्थ इस प्रोटोकॉल प्रोटोकॉल मिंस एक पर्टिकुलर एप्लीकेशन के लिए अलग-अलग प्रोटोकॉल होता है जैसे की
अगर आपको मेल सेंड करनी है फ्रॉम ए तू बी तो मेल के लिए एसएमटीपी सिंपल मेल ट्रांसफर प्रोटोकॉल उसे होता है अगर आपको
कोई फाइल ट्रांसफर करनी है तो वहां पर फाइल ट्रांसफर प्रोटोकॉल का उसे किया जाता है तो अलग-अलग सर्विसेज का अलग-अलग
प्रोटोकॉल तो फिफ्थ एलिमेंट है आपका प्रोटोकॉल इसकी थ्योरी आप यहां से पढ़ सकते हो
फिर आपका करैक्टेरिस्टिक्स क्या होता है डाटा कम्युनिकेशन के तो पोस्ट करैक्टेरिस्टिक
अगर डाटा ट्रांसफर हो रहा है तो उसकी करेक्ट डेस्टिनेशन पर डिलीवरी हो सेकंड इस एक्यूरेसी तो जो आपने डाटा भेजो है वो
डाटा आपका एक्यूरेट हो उसमें कोई भी चेंज ना हो थर्ड इस टाइमलाइन यानी की डाटा ऑन टाइम आपका डिलीवर हो जाए विदाउट अन्य डिले
फिफ्थ फोर्थ इस झटर का मतलब होता है वेरिएशन इन डी अराइवल टाइम ऑफ ऑडियो और वीडियो पैकेट इसके एग्जांपल हम वीडियो कल
से ले सकते हैं पैकेट इसलिए क्योंकि आपका जो डाटा है वो पूरा का पूरा एक साथ सेंड नहीं होता इन डी
फॉर्म ऑफ पैकेट सेंड होता है तो यहां पे वीडियो कल की अगर हम बात करें तो सपोज आप किसी से ओवर वीडियो कल बात कर रहे हो और
बीच-बीच में नेटवर्क या फिर बीच-बीच में ऐसा हो रहा है की जो आवाज है वो हमें क्लियर नहीं ए का रही है यहां पे जो
वीडियो है वो बार-बार स्टफ कर रहा है क्लीयरली हमें विजिबल नहीं है तो हम क्या कहते हैं नेटवर्क सही से ए नहीं रहा इसका
मतलब क्या होता है की जो डाटा पैकेट हैं जिनकी फॉर्म में आपका डाटा ए रहा है वीडियो डाटा वॉइस डाटा वह ए नहीं पर इन एन
विद एन पर्टिकुलर अराइवल टाइम जी टाइम पर वो आना चाहिए उसे टाइम पर वो अराइव आपके पास हो नहीं का रहा किस वजह
होती है की आपका वेरिएशन इन डी अराइवल टाइम आपका डाटा रिप्रेजेंटेशन डाटा को आप किस
किस तरीके से रिप्रेजेंट कर सकते हो टेक्स्ट नंबर इमेज ऑडियो वीडियो इन सभी तरीके से आप डाटा को रिप्रेजेंट कर सकते
हो अब आता है नेटवर्क क्या होता है नेटवर्क हम का सकते हैं जैसे की फ्रेंड्स का नेटवर्क होता है तो आपस में सारे लोग
कनेक्ट होते हैं अपने इनफॉरमेशन शेर कर सकते इतिहास शेर कर सकते हैं ग्रुप में कम कर सकते हैं इसी
तरीके से नेटवर्क होता है डिवाइसेज का नेटवर्क जैसे की यहां पर डायग्राम में आपका कंप्यूटर नेटवर्क बना हुआ है यहां पर
अलग-अलग सिस्टम से आपस में कनेक्ट है थ्रू डी कनेक्टिंग डिवाइस स्विच और राउटर इसके बड़े में हम
आगे पढ़ेंगे स्विच और राउटर क्या होता है और यहां पे एक जो आपका रिसोर्स शेरेबल है तो जो डी डिवाइसेज डेट इस प्रिंटर एक ही
प्रिंटर है बट सब उसको उसे कर सकते हैं तो ये आपका कंप्यूटर नेटवर्क जिसमें सारे के सारे डिवाइसेज आपस में कनेक्ट है हम इन
डिवाइसेज को नोट भी का सकते हैं अब नोट आपका प्रिंटर भी हो सकता है कंप्यूटर भी हो सकता है कोई और डिवाइस भी हो सकता है
सो डेट इसे डी कंप्यूटर नेटवर्क इसकी डेफिनेशन यहां से कर सकते हैं कंप्यूटर नेटवर्क इस एन इंटरकनेक्शन ऑफ वेरियस
कंप्यूटर सिस्टम लोकेटेड और डिफरेंट प्लेस तू और मोर कंप्यूटर लिमिटेड टुगेदर विद डी मीडिया और डाटा कम्युनिकेशन डिवाइस पर डी
परपज ऑफ कम्युनिकेशन डाटा और शेयरिंग डी सोर्सेस तो यहां पे डाटा रिसोर्स शेर किया बच्चा सकता है नेक्स्ट यूजेस ऑफ कंप्यूटर
नेटवर्क अवश्य कंप्यूटर नेटवर्क के बिना तो कुछ भी नहीं है अगर हम अपनी ही बात करें ऐसा मोबाइल उसे तो हमें इंटरनेट
चाहिए जो डी टाइम इन डी फोन अदर वाइस हम कुछ भी कम नहीं कर पाएंगे तो देखते हैं की क्या इंर्पोटेंस है कंप्यूटर नेटवर्क की
तो पहले आता है बिजनेस एप्लीकेशन में बिजनेस के अगर बात करें तो किसी भी बिजनेस को अच्छा रन करने के लिए कस्टमर की जरूर
पड़ती है अगर कस्टमर ज्यादा होंगे तो इसमें अच्छा रन करेगा तो बिजनेस एप्लीकेशंस क्या करती हैं कस्टमर का
नेटवर्क बनती है यूजिंग सोशल मीडिया तो सोशल मीडिया पर किस तरीके से कनेक्ट करेगा बिजनेस को कस्टमर को बिजनेस से कैसे
कनेक्ट कर पाएंगे थ्रू कंप्यूटर नेटवर्क तो यहां पर बिजनेस एप्लीकेशन में कंप्यूटर नेटवर्क प्लेजन इंपॉर्टेंट रोल सेकंड एस
कॉरपोरेट नेटवर्क कॉरपोरेट नेटवर्क यानी की एम्पलाइज का नेटवर्क एम्पलाइज का भी जो नेटवर्क है वो भी एक इंपॉर्टेंट रोल प्ले
करता है जैसे की अगर हम बात करें एक्सल सीट की तो एक्सल सीट डी से टाइम बहुत सारे लोग कम
कर सकते हैं बहुत सारे एंप्लाइज कम कर सकते हैं तो वहां पर भी कंप्यूटर नेटवर्क प्लेज़ेंट इंपॉर्टेंट रोल यानी की
एम्पलाइज आपस में कम्युनिकेशन कर सकते हैं कोलैबोरेशन कर सकते हैं दे कैन शेर डी रिसोर्सेस वेल
एग्जांपल लेने जैसे की आपका हो गया गूगल दो गूगल डाक में भी से फंक्शनैलिटी होती है की आप लिंक शेर कर दो और आते डी से
टाइम बहुत सारे लोग कम कर सकते हैं फोर्थ इस एंटरटेनमेंट नेटवर्क एंटरटेनमेंट नेटवर्क मिंस सपोज कोई नया म्यूजिक आया तो
वहां पर उसको डाला जाएगा या फिर कोई नई मूवी आई तो उसको नेटफ्लिक्स पे डाला जाएगा तो यहां पे 45 हो गया नेटफ्लिक्स हो गया
इनको उसे किया जाता है तो यहां पे भी कंप्यूटर नेटवर्क प्लेज़ेंट इंपॉर्टेंट रोल फिफ्थ इस मोबाइल जैसे की
मैंने आपको बिगनिंग में बताया की हम आज एन मोबाइल यूजर हमें जो डी टाइम इंटरनेट चाहिए अपने फोन में या वी-फी
सोशल इश्यूज अगर आपका कोई सोशल इशू अगर आप रिलीज करना चाहते तो वहां पर भी आप कंप्यूटर नेटवर्क का उसे कर सकते हैं सोशल
मीडिया प्लेटफॉर्म का उसे कर सकते हो जिन-जिन लोगों का इंटरेस्ट होगा आपके से इशू में वो लोग कनेक्ट हो सकते हैं आपस
में तो सोशल इश्यूज में भी कंप्यूटर नेटवर्क्स और एप्लीकेशंस ऑफ डी नेटवर्क अब गोल्ड के होंगे जैसा की हमने डायग्राम में
ही देखा की सेवंथ तो आपके पीसीएस कनेक्ट थे और उनके साथ सिर्फ एक ही प्रिंटर कनेक्ट था कंप्यूटर नेटवर्क में अभी हमने
देखा था ऊपर डायग्राम में इसका मतलब क्या है की इतने सारे कंप्यूटर सिर्फ एक ही रिसोर्स को उसे कर रहे हैं की प्रिंटर को
उसे कर रहे हैं तो पहले एप्लीकेशन ही आपका क्या है रिसोर्स शेयरिंग दूसरा है कम्युनिकेशन आप कम्युनिकेशन कर सकते हो
मैसेज ईमेल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग यह सब कर सकते हो थर्ड इस डाटा शेयरिंग यू कैन शेर डी डाटा इनफॉरमेशन क्लाउड लाइक गूगल
एडॉप्शन एक्सल शीट्स यू कैन उसे पर दिस बैकअप और रिकवरी यानी की अगर आपका डाटा किसी एक सिस्टम से लास्ट हो गया बट यू आर
इनर नेटवर्क तो बाकी सिस्टम पे बैकअप रहेगा आपके डाटा का नेटवर्क प्लेस और इंपॉर्टेंट रोल क्योंकि
जितने भी आपके सेंसर हैं कैमरास हैं उन सबको कनेक्ट होने के लिए इंटरनेट चाहिए दूसरे से कामिनी करने के लिए इंटरनेट
चाहिए तो वहां पे कंप्यूटर नेटवर्क प्लेज़ेंट इंपॉर्टेंट रोल सो डेट इस व्हाट डी एप्लीकेशन पार्ट ऑफ कंप्यूटर नेटवर्क्स
नेक्स्ट कम योर नेटवर्क मॉडल सो यू आर नेटवर्क मॉडल हस दो टाइप का मॉडल था इस ओसी मॉडल और टीसीपी मॉडल ओसी मॉडल इस योर
रेफरेंस मॉडल डेट मेंस इस मॉडल में सारे प्रिंसिपल हैं की एक डिवाइस दूसरे डिवाइस से जब कनेक्ट होती है या कोई भी डाटा का
ट्रांसमिशन होता है तो वो किस-किस तरीके से होता है यानी की ट्रांसमिट होने के लिए क्या-क्या लेयर्स की जरूर
पड़ती है या पढ़ेंगे ही वो चीज बताता है वो ऐसा है मॉडल ही करेक्ट फ्रेंड्स मॉडल है इसको उसे नहीं किया जाता बट टीसीपी
आईपी मॉडल इसको एक्चुअल में उसे किया जाता है एट प्रेजेंट इसी मॉडल को उसे किया जा रहा है
और यह मॉडल जैसे की मैंने आपको बताया रेफरेंस मॉडल है तो इसमें सारे प्रिंसिपल्स हैं की
नेटवर्क पर कम्युनिकेट करने के लिए साड़ी लेयर्स का होना जरूरी है तो टीसीपी आईपी मॉडल ने इस रेफरेंस लेयर इस रेफरेंस मॉडल
को ध्यान में रखते हुए अपना एक अलग मॉडल बना दिया टीसीपी आईपी मॉडल जिसमें की सारे प्रोटोकॉल जिवन है ऑसम मॉडल में कोई भी
प्रोटोकॉल नहीं की मैंने बट टीसीपी आईपी में प्रोटोकॉल जिवन है तो देखते हैं क्या है मॉडल डेट इसे ओपन सिस्टम
यह आपका सेंटर पीसी और यह आपका रिसीविंग पीसी यहां पर 7 इयर्स है और जब सेंड होता है डाटा एप्लीकेशन लेयर से आता है फिजिकल
लेयर पर फिजिकल लेयर पे यहां पे होता है आपका ट्रांसमिशन मीडिया उसके बाद आपका जो डाटा रिसीव होता है रिसीवर पर वो फिजिकल
लेयर तू एप्लीकेशन लेयर ट्रैवल करता है तो आपकी जो पहले लेयर है जो बॉटम मोस्ट लेयर है डेट इस डी फिजिकल लेयर सेकंड इस डाटा
लाने थर्ड इस नेटवर्क पर दिस ट्रांसपोर्ट 5th सेशन सिक्स इस प्रेजेंटेशन और सेवंथ इस डी एप्लीकेशन प्लेयर इन हर एक प्लेयर
के बड़े में हम पढ़ेंगे डिटेलिंग में और आपको हर एक प्लेयर के फंक्शन के बड़े में पता होना चाहिए सो फर्स्ट इसे योर
एप्लीकेशन लेयर जो है वो बिट्स पे कम करती है यहां पे जो डाटा कार्ड ट्रांसमिशन है रिसीविंग
है वो सब बिट्स की फॉर्म में होता है बॉटम मोस्ट लेयर है ये आपको एक फिजिकल इंटरफेस प्रोवाइड करते हैं किस-किस के बीच में
आपका ट्रांसमिशन मीडिया हो गया और आपके जो कनेक्ट डिवाइसेज हैं उनके बीच में फिजिकल इंटरफेस का
प्रोवाइड किड ऑफ फिजिकल इंटरफेस प्रोवाइड करती है वह सिंक्रोनाइज्ड होने चाहिए इसका क्या
मतलब है और उसे डाटा में नॉइस ए गई तो डाटा थोड़ा बहुत चेंज हो गया तो जो रिसीवर की क्लॉक
है वह सिंक्रोनाइज्ड हनी चाहिए ठीक है जो रिसीवर की क्लॉक है और सेंटर की क्लॉक है वह सिंक्रोनाइज्ड हो यानी की यहां पे अगर
नॉइस भी ए गई है डाटा में तो भी रिसीवर के और पर जो डाटा है वो करेक्टली इंटरप्रेट हो तो ये कब होगा अगर आपका डाटा सेंटर
किस रेट पर बीट का ट्रांसमिशन करना है वो भी फिजिकल लेयर का फंक्शन होता है थर्ड टेस्ट फिजिकल टोपोलॉजी इसको स्पेसिफाई
कर्नाटक का मतलब होता है की किस तरीके से आपके डिवाइस कनेक्ट है डिवाइस का किस तरीके से कनेक्शन है क्या
वह इस तरीके से कनेक्ट है स्टार्ट अपॉलिजी इस तरीके से कनेक्ट है तो बिट्स का जो ट्रांसमिशन है रिसीविंग रिसीव करना है
बिट्स को तो वह सब कुछ डिपेंड करेगा ना की किस तरीके से आपके डिवाइसेज कनेक्ट है तो यहां पे फिजिकल लेयर पर ये भी स्पेसिफाई
करना जरूरी है की क्या आपका अरेंजमेंट है नेटवर्क पे डिवाइस का नेक्स्ट ट्रांसमिशन मोड तीन टाइप के ट्रांसमिशन नोट्स होते
हैं आपके सिंपलेक्स हाफ डुप्लेक्स और फूल डिप्लेक्स सिंपलेक्स में अगर ए तू बी डाटा का ट्रांसफर हो रहा है तो ए हमेशा आज एन
सेंदरी कम करेगा और बी हमेशा आज एन रिसीवर ही कम करेगा ये रिवर्स नहीं हो शक्ति कभी डायरेक्शन एक ही डायरेक्शन में होगा डाटा
का ट्रांसफर 1/2 में क्या होता है की आते ए टाइम एक ही डायरेक्शन होगी या तो फर्स्ट वाली डायरेक्शन होगी या सेकंड वाली
डायरेक्शन होगी दोनों डायरेक्शंस हो तो सकते हैं बट आते एन टाइम दोनों डायरेक्शंस हो शक्ति है सो डेट इस
फूल डुप्लेक्स नेक्स्ट इस लाइन कॉन्फ़िगरेशन सो लाइन कॉन्फ़िगरेशन का मतलब यही होता है की किस
तरीके से आपके डिवाइस कनेक्ट है कॉन्फ़िगरेशन का मतलब यहां पे है कनेक्शन तो यह सारे फंक्शंस थे हमारे फिजिकल लेयर
के सेकंड लेयर इस योर डाटा लिंक डाटा लिंक लेयर पे फ्रेम्स की फॉर्म में हम डाटा को रिप्रेजेंट करेंगे यानी की
डाटा जैसे नेटवर्क लेयर से ए रहा होता है हमें 7 लेयर टेक ऑफ फिजिकल डाटा लिंक नेटवर्क ट्रांसपोर्ट और सन तो यहां पे
डाटा जो है नेटवर्क लेयर पे इन डी फॉर्म ऑफ पैकेट आता है तो पैकेट वाला जो डाटा है वो डाटा लिंक लेयर पे जाता है डाटा लिंक
लेयर क्या करेगा उन पैकेट वाले डाटा को फ्रेम्स में कन्वर्ट कर देगा तो पहले फंक्शन जो है डाटा लिंक लेयर का डेट इस
व्हाट फ्रेमिंग तो फ्रेमिंग का फंक्शन होता है यानी की जो भी डाटा पैकेट के फॉर्म में आया उसको फ्रेम्स में कन्वर्ट
करने का कम करता है डाटा लिंक लेयर सेकंड इस फिजिकल ऐड्रेसिंग यानी की जो आपका फ्रेम होता है ये आपका फ्रेम है इस फ्रेम
में एक पार्ट होता है आपका हेडर एक पार्ट होता है आपका पेलोड और एक पार्ट होता है ट्रेलर तो ये जो आपका हेडर पार्ट होता है
इसमें आपका फिजिकल एड्रेस दिया जाता है स्टैंडर्ड का या फिर रिसीवर का हर एक हेडर के जो भी हर एक फ्रेम होता है उसके हेडर
में फिजिकल एड्रेस लिया जाता है फिजिकल एड्रेस को हम मैक एड्रेस भी अब इसका मतलब क्या होता है
जो हार्डवेयर जिसको हम हार्डवेयर एड्रेस भी कहते हैं जो आते डी टाइम ऑफ मैन्युफैक्चरिंग दिया जाता है जिससे की
आपका जो डिवाइस है वो ऑन नेटवर्क यूनीकली आईडेंटिफाई हो पे तो ये होता है आपका फिजिकल एड्रेस ये 48 बिट्स का होता है
नेक्स्ट इस एरर कंट्रोल अब सपोज आपने कोई डाटा ट्रांसमिट ये होना था सेंडर साइड से और ये रिसीवर साइट पे ये ट्रांसमिट होगा
तो 1 बीट में चेंज ए गया ना तो इस बीट यहां पे जो चेंज है ये क्या ये चेंज एक एरर है तो इस एरर को डिटेक्टर करने के लिए
भी हमारे पास कुछ मेकैनिज्म होते हैं इन डाटा लिंक लेयर पर दिस फ्लो कंट्रोल फ्लो कंट्रोल का मतलब है की स्पीड को एडजस्ट
करना डाटा ट्रांसफर की स्पीड को एडजस्ट करना जैसे की स्टैंडर्ड तू रिसीव है सेंडिंग स्पीड ज्यादा है और रिसीविंग
स्पीड कम है तो इससे क्या होगा डाटा लॉस हो जाएगा तो आपको स्पीड को मैं जस्ट करना पड़ेगा जिससे डाटा लॉस ना हो फिफ्थ एक्सेस
कंट्रोल एक्सेस कंट्रोल का मतलब है की सपोज ये आपका ट्रांसमिशन मीडिया है ट्रांसमिशन लाइन है जिसके थ्रू
डाटा सेंड होगा और इसी ट्रांसमिशन लाइन के थ्रू दो डिवाइस हो जाएगा दोनों डाटा आपस में मिक्स भी हो
सकता है तो इससे कॉलेजन हो गया किड ऑफ डाटा में तो इसके लिए भी हमारे पास कुछ प्रोटोकॉल होते हैं की आते डी से टाइम अगर
ट्रांसमिशन लाइनअप उसे करना चाहते हो तो आप किस तरीके से उसे कर सकते हो तो हम एक्सेस कंट्रोल में पढ़ेंगे ये जो आपका
डाटा लिंक लेयर है ये सारे फंक्शंस के बड़े में इनके डिटेलिंग जैसे फ्रेमिंग के हमारे पास तीन मैथर्ड होते हैं एरर
कंट्रोल के मैथर्ड होते हैं सब फ्लो कंट्रोल के कुछ मैथर्ड होते हैं एक्सेस कंट्रोल भी एक बड़ा टॉपिक है तो यूनिट तू
आपकी पुरी डाटा लिंक ले रही है जो हम पढ़ेंगे और यहां पे जो आपका है लॉजिकल ऐड्रेसिंग
का उसे किया जाता है यानी की आई पी एड्रेस भी हम इसको का देते हैं यह आपका डिपेंड करता है की आईपीएल
होगा तो 32 बिट्स का होगा आईपी v6 होगा तो 128 बिट्स का होगा इसके फंक्शन देखते हैं पहले फंक्शन है
रूटिंग रूटिंग का मतलब ये होता है की आपको सोर्स तू डेस्टिनेशन डाटा को पहुंचाना है तो आपको बेस्ट रूट सिलेक्ट करना है की
पैकेट के जान के लिए कौन सा बेस्ट फ्रूट है फ्रॉम सोर्स तू डेस्टिनेशन तो वो सिलेक्ट करने का कम होता है राउटर का तो
इस चीज को हम रूटिंग कहते हैं सेकंड इस लॉजिकल इंटरेस्टिंग वही आईपी एड्रेस इसका उसे किया जाता है यहां पे
सेगमेंट इन डी नेटवर्क अब यहां पे इस लाइन का क्या मतलब है इसका मतलब ये है की जो आपकी नेटवर्क लेयर होती
है उसके ऊपर होता है आपका ट्रांसपोर्ट लेयर यहां पे जो डेट आता है वो सेगमेंट की फॉर्म में आता है और यहां पे जो डाटा है
नेटवर्क लेयर पे वो पैकेट के फॉर्म में आता है तो जो ट्रांसपोर्ट लेयर से डाटा नेटवर्क लेयर पे जाता है तो वो सेगमेंट को
हम पैकेट कहते हैं तो हर एक लेयर पे डाटा को हम अलग नाम से बुला रहे हैं जैसे फिजिकल लेयर पे हमने कहा बिट्स डाटा लिंक
लेयर पे हमने कहा फ्रेम्स नेटवर्क लेयर पे हमने कहा पैकेट और अब हम ट्रांसपोर्ट लेयर पे कहेंगे सेगमेंट
डाटा को हम सेगमेंट की फॉर्म में स्टोर करते हैं यह रिस्पांसिबल होता है और नेटवर्क
डेस्टिनेशन डिलीवरी इस डायग्राम से समझते हैं सपोज ये आपका ए सिस्टम है की बेस सिस्टम है ए तू बी डाटा ट्रांसफर आपको
करना है तो इसके बीच में अलग-अलग कनेक्टिंग डिवाइस होंगे जैसे की डिवाइस है एक ये डिवाइस है ये डिवाइस है जिनको हम
नोट्स कहते हैं अभी हमने देखा कंप्यूटर नेटवर्क में नोट्स आपके कंप्यूटर भी हो सकते हैं सिस्टम आपका कोई
और कनेक्टिंग डिवाइस जैसे की कोई क हो गया राउटर हो गया ये भी हो सकता है आपके कनेक्टिंग डिवाइस इन बिटवीन इनको भी हम
नोट्स का सकते हैं तो यहां नोट तू नोट डिलीवरी के लिए कौन रिस्पांसिबल है डाटा लिंक लेयर
के लिए कौन रिस्पांसिबल है नेटवर्क लेयर और यहां पर टर्म उसे की गई प्रोसेस तू प्रोसेस डिलीवरी जिसको
ट्रांसपोर्ट लेयर अब इसको एक एग्जांपल से समझना की प्रोसेस तू प्रोसेस का क्या मतलब है सपोज ए को मेल सेंड करनी है बी को ठीक
है अब बी जो है वो आपका है रिसीवर रिसीवर ने अपने सिस्टम पर बहुत सारे एप्लीकेशंस को ओपन किया हुआ है ब्राउज़र भी चला रहा
है मेल भी ओपन किया हुआ है फाइल भी ओपन की हुई है और भी बहुत सारे एप्लीकेशंस को ओपन किया हुआ है अब ए जाता है की मेल जो है वो
बी तक जाए और बी के मेल इन बॉक्स में ही मेल वाले क्षेत्र में ही रिसीव दो कहानी और रिसीव ना हो जाए सिस्टम पे तो यानी की
प्रोसेस तू प्रोसेस डिलीवरी अगर आप मेल सेंड कर रहे हो तो वो मेल क्षेत्र में ही जाकर डिलीवर हो कहानी और ना डिलीवर हो जाए
तो इसके लिए हम कोर्ट ऐड्रेसिंग का उसे करते हैं जैसे की मेल के लिए पर्टिकुलर कोड नंबर होता है तो आपका जो मेल है वो
रिसीवर के और पर मेल क्षेत्र पर ही रिसीव होगा सिस्टम पे कहानी और किसी और एप्लीकेशन पर रिसीव नहीं होगा तो यहां
प्रोसेस तू प्रोसेस डिलीवरी के कॉर्न रिस्पांसिबल है फ्रांस को लेयर मैंने आपको बोला की यहां पर सेगमेंट में डाटा आता है
तो डाटा को हम ब्रेक कर देते हैं डी फॉर्म ऑफ सेगमेंट छोटे-छोटे पार्ट्स में स्मॉलर यूनिट्स में और फिर उनको दोबारा से इकट्ठा
रियासबल कर दिया जाता है और डी डेस्टिनेशन सेकंड इस सर्विस पॉइंट ऐड्रेसिंग सर्विस पॉइंट ऐड्रेसिंग मेंस वही पोर्ट एड्रेस का
उसे किया जाता है पर प्रोसेस तू प्रोसेस डिलीवरी थर्ड इस सर्विसेज प्रोवाइड करता है तू टाइप के सर्विसेज यहां पे प्रोवाइड
किया जाते हैं कनेक्शन ओरिएंटेड और कनेक्सनलेस सर्विस ये दोनों प्वाइंट्स हम बहुत बार उसे करेंगे इन कंप्यूटर नेटवर्क
तो आपको डिफरेंस पता होना चाहिए की कनेक्शन ओरिएंटेड और कनेक्शन ली का मतलब क्या होता है कनेक्शन ओरिएंटेड में क्या
होता है की a2b अगर आपको डाटा सेंड करना है तो यहां पे पहले कनेक्शन को एस्टेब्लिश किया जाता है उसके बाद डाटा ट्रांसफर किया
जाता है और यहां पे जो आपका रिसीवर है बी ये आपको एक नॉलेज मेट भी देगा सेंडर को की यस डी डाटा इस रिसीवड
कनेक्सनलेस में क्या होता है अगर आपको ए तू बी डाटा ट्रांसफर करना है तो यहां पे पहले से कोई कनेक्शन एस्टेब्लिश नहीं किया
जाता दूसरी चीज ये रिलायबल सर्विस होती है और यहां पे उन रिलायबल सर्विस बोला जाता है कनेक्शन ली को क्योंकि यहां पे कोई भी
एक नॉलेज मेट नहीं आता फ्रॉम डी रिसीवर सेट की डेट आपका रिसीवर रिसीवड हुआ है या फिर नहीं रिसीव हुआ है ट्रांसपोर्ट लेयर
को हम हार्ट ऑफ ओ एस आई मॉडल भी कहते हैं और ऑपरेटिंग सिस्टम जैसे की अगर आप वीडियो कल पर किसी से बात
करते हो तो सपोर्ट आपने थोड़ी डर बाद की उसके बाद आपका कनेक्शन फिर से टूट गया अगेन रिकनेक्ट होता है हम हमें दिखता भी
है उसे पर वीडियो कल पर की दोबारा से कनेक्शन जुड़ रहे हैं तो ये अलग-अलग सेशंस होते हैं आपके इसके लिए ही रिस्पांसिबल
होता है सेशन लेयर यानी की सेशन एस्टेब्लिशमेंट करना उसको मेंटेन करना और फिर उसे सेशन को टर्मिनेट भी करना और
सेंक्रनाइजेशन का क्या मतलब है की सपोर्ट आपका सेशन जो है वो बीच में कनेक्शन टूट गया किसी वजह से तो आपको रिकनेक्ट करने का
रिज्यूम करने का कम वहीं से तो वो कम होता है सिंक्रनाइजेशन थर्ड इस डायलॉग कंट्रोलर डायलॉग कंट्रोलर मेंस की आप पर ट्रांसमिशन
मोड क्या है आईटी कैन वे हैव डुप्लेक्स जो हमने अभी फिजिकल लेयर पे पड़ा इसके तीन कम होते हैं ट्रांसलेशन
इंक्रिप्शन डिस्क्रिप्शन और कंप्रेशन ट्रांसलेशन यानी की आपने डाटा फ्रॉम वन फॉर्म तू अंदर फॉर्म ट्रांसमिट करते जैसे
आज का तू ए बी सी दी इस यानी की एक्सटेंडेड बाइनरी कोडेड डेसिमल इंटरचेंजेबल कोड जैसे एक ही वैल्यू ऑफ
स्काई में 65 होती है तो ये ए बी सी दी आई सी ये भी एक आपका डाटा रिप्रेजेंटेशन का तरीका है जिसे 65
हम रिप्रेजेंट करते हैं एक वालुज तो अगर हम इस तरीके से रिप्रेजेंट करेंगे तो यहां पे कोई और वैल्यू होगी एक ही तो ये हुआ
डाटा को ट्रांसलेट करना दूसरा इंक्रिप्शन एक प्रिपरेशन जैसे की आपने डाटा को इंक्रिप्ट कर दिया फिर आपने रिसीवर रिसीवर
है डिक्रिप्ट कर दिया डाटा को थर्ड इस कंप्रेशन यानी की नंबर ऑफ बिट्स को कम कर देना जिससे की डाटा आपका ओवर डी नेटवर्क
इजीली ट्रांसमिट हो जाए ज्यादा दिक्कत ना आए सेवंथ लेयर और जो आपका टॉप मोस्ट ले रहा है डेट इसे डी एप्लीकेशन मैनेजमेंट
नहीं है ये जो आपका करंट मॉडल इंप्लीमेंटेड है जिसको हम उसे करते हैं डेट इस टीसीपी आईपी मॉडल जिसमें हम
एक्चुअल प्रोटोकॉल के बड़े में पढ़ेंगे सो गैस डेट इस जो अबाउट दिस वीडियो डू लाइक दिस वीडियो अलसो सब्सक्राइब तू दिस
चैनल नो सो शेर आईटी विथ योर फ्रेंड्स सो गैस मिलते हैं नेक्स्ट वीडियो में [संगीत]
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