Introduction
- Swati welcomes viewers to the complete crash course on Artificial Intelligence (AI) by iSkill.
- The course is beneficial for those interested in pursuing a career in AI, understanding its applications, and learning how to implement AI in daily life.
Importance of Understanding AI
- Historical context: Technological changes have always brought about new opportunities, similar to the Green Revolution in India.
- Two groups emerge with new technologies: those who implement without understanding and those who research and understand before implementation.
- The course aims to help viewers transition from uncertainty to clarity in the AI field.
AI Technologies and Job Opportunities
- AI encompasses various technologies like machine learning, deep learning, natural language processing (NLP), and computer vision. For a deeper dive into these concepts, check out our summary on Understanding Introduction to Deep Learning: Foundations, Techniques, and Applications.
- Understanding AI is crucial for job security in various sectors, including healthcare, finance, and e-commerce. To enhance your career prospects, consider exploring Enhance Your Career with Sensei: The AI-Powered Career Coach.
- Companies are increasingly adopting AI, creating a demand for skilled professionals.
Types of AI Tools
- Standalone Tools: Tools like ChatGPT that perform specific tasks independently.
- Integrated AI Tools: Tools that incorporate AI into existing systems, enhancing functionality.
- Customized AI Tools: Tailored solutions for specific business needs.
AI Models
- Discriminative Models: Used for classification tasks, such as spam detection.
- Generative Models: Create new content based on training data, like ChatGPT.
- Agentic AI: AI systems that can make decisions and perform tasks autonomously.
Machine Learning and Deep Learning
- Machine Learning: A subset of AI that allows computers to learn from data and make decisions. For a comprehensive guide, refer to A Step-by-Step Roadmap to Mastering AI: From Beginner to Confident User.
- Deep Learning: A more advanced subset that uses neural networks to process large amounts of data.
- Key differences between machine learning and deep learning are discussed, including data requirements and computational power.
Natural Language Processing (NLP) and Computer Vision
- NLP: Enables machines to understand and generate human language, crucial for applications like chatbots and translation services.
- Computer Vision: Allows machines to interpret and understand visual data, essential for technologies like self-driving cars.
Conclusion
- The course provides a foundational understanding of AI, preparing viewers for further learning and career opportunities in the field. To explore the broader implications of AI, consider reading about The Impact of AI on Society: Opportunities and Challenges.
- Viewers are encouraged to comment on which specific AI topics they would like to explore further in future videos.
हेलो एवरीवन आई एम स्वाती एंड वेलकम टू द कंप्लीट क्रैश कोर्स ऑन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बाय द आई स्किल अगर आप एआई की
फील्ड में करियर बनाना चाहते हैं जॉब लेना चाहते हैं एआई को डिटेल में सीखना चाहते हैं उसके बारे में जानना चाहते हैं तो यह
वीडियो आपके लिए काफी बेनिफिशियल होने वाला है अगर आपने इस वीडियो में क्लिक किया है ना इसका मतलब यह कि आप एआई के
बारे में सीखने के लिए इंटरेस्टेड भी हैं क्यूरियस भी है और शायद आप एआई को इंप्लीमेंट कैसे करते हैं डे टू डे लाइफ
में और इसके साथ ही एआई की फील्ड में जॉब कैसे ग्राप कर सकते हैं इन सारी चीजों के बारे में आज हम बात करेंगे लेकिन आपको यह
वीडियो क्यों कंप्लीट करना चाहिए क्रैश कोर्स को कंप्लीट करने के बाद क्या फायदा आपको मिलेगा सबसे पहले मैं आपको इसके बारे
में बताऊंगी जब भी हम लोग बात करते हैं टेक्नोलॉजी की तो हर नए एरा में टेक्नोलॉजिकल चेंजेज आते हैं अगर हम थोड़ा
सा हिस्ट्री में झांक के देखें तो जब भारत आजाद हुआ था 1950 का टाइम था तब ग्रीन रिवोल्यूशन जैसी नई टेक्नोलॉजी आई थी जहां
पे किसानों को यह बताया जा रहा था कि किस तरीके से वह अपनी प्रोडक्टिविटी को बढ़ा सकते हैं खेतों में किसानी करके और जब यह
नई टेक्नोलॉजी आई तो इसके बारे में बहुत सारी इंफॉर्मेशन जो थी वह स्प्रेड आउट होना शुरू हुई लेकिन जब भी कोई नई
टेक्नोलॉजी आती है तो हमेशा दो तरीके के लोग होते हैं पहले लोग वह जो नई टेक्नोलॉजी आई उसके फायदे के बारे में
सुना और उसको इंप्लीमेंट करना शुरू कर देते हैं तो ठीक यह एक ऐसी रियल टाइम स्टोरी है जहां पे जब नई टेक्नोलॉजी ग्रीन
रिवोल्यूशन इंडिया में आया था जहां यह बताया जा रहा था कि किस तरीके से हाइब्रिड सीड्स यूज़ कर सकते हैं तो एक ऐसा ग्रुप
था जिसने उसके बारे में सुना और उसके बारे में उसके फायदे जान के तुरंत उसको इंप्लीमेंट करना चालू कर दिया और एक दूसरा
ग्रुप था जिसने उसके बारे में बहुत अच्छे तरीके से रिसर्च की बहुत अच्छे तरीके से उसके बारे में जाना अपने खेत के बारे में
जाना अपनी फसल के बारे में जाना और उसके बाद धीरे-धीरे करके उसको समझना शुरू किया अब जब ये सारी चीजें होने लगी तो ये जो
पहला वाला ग्रुप था उसकी फसल इतनी अच्छी नहीं रही क्योंकि उन्होंने बिना सोचे समझे चीजों को इंप्लीमेंट करना शुरू कर दिया
लेकिन जो ग्रुप नंबर टू था उसके रिजल्ट्स बहुत अच्छे रहे तो हमेशा होता यही है कि जब भी कोई नई टेक्नोलॉजी आती है तो हमें
उसके बारे में थोड़ा अच्छे से जानना चाहिए समझना चाहिए तभी उसे इंप्लीमेंट करना शुरू करना चाहिए तो आज का यह जो डिटेल वीडियो
होने वाला है इसमें मैं आपको यही बताने वाली हूं कि एआई आज जब हम इतने साल बाद एक नए दौर में आ चुके हैं जहां पे अब एआई
जैसी टेक्निक्स आ चुकी है तो आज भी हमें दो ग्रुप देखने को मिलते हैं एक ऐसा ग्रुप जिसको लगता है एआई हमारी जॉब ले लेगा और
एक ऐसा ग्रुप जिसको लगता है कि हां एआई हमारे करियर के लिए हेल्पफुल हो सकता है तो आपको ये डिसाइड करना है कि आप कौन से
ग्रुप में है लेकिन इस वीडियो को बनाने के पीछे मेरा जो ऑब्जेक्टिव है वो यह है कि चाहे कोई भी केस हो हम लोगों के लिए सबसे
ज्यादा जरूरी है इस कंपटिंग टाइम पे जॉब को ग्रैब करना अब जब आप जॉब ग्रैब करने के लिए जाएंगे एआई के बारे में बहुत सारी
चीजें अभी मार्केट में सुनने को मिलेगी तो कुछ समझ ही नहीं आता कि क्या है एआई कैसे इंप्लीमेंट करना है क्या स्किल सीखने ना
है क्या कुछ पढ़ना है क्या कुछ प्रोजेक्ट्स करने हैं तो यह जो कंप्लीट एआई का कोर्स है वो आपको हेल्प करेगा कि
अगर अभी आप इस ग्रुप नंबर वन वाली स्टेज में जहां पे आपको समझ में नहीं आ रहा है तो वहां से धीरे-धीरे करते हुए हम ग्रुप
टू की ओर आगे बढ़ेंगे और इस वीडियो को कंप्लीट करने के बाद हमें ये जरूर पता चल जाएगा कि अगर हमें एआई की फील्ड में जॉब
चाहिए तो हमें क्या-क्या करना चाहिए हर एक टेक्नोलॉजी का क्या मतलब है अब जब हम लोग बात करते हैं ना एआई की तो इसके अंदर बहुत
सारी सब टेक्नोलॉजीज आ जाती है जैसे मशीन लर्निंग डीप लर्निंग एनएलपी कंप्यूटर विजन और आज के डेट में हम लोग देख ही रहे हैं
कितने सारे मॉडल है एजेंटिक एआई जेनरेटिव एआई डिस्क्रिमिनेटिव मॉडल्स तो ये होते क्या हैं इनके बारे में क्या पढ़ना है
कैसे पढ़ना है ये सारी चीजों को आज के क्रैश कोर्स में हम लोग डेफिनेटली कंप्लीट करने वाले हैं जैसे ही आपका ये क्रैश
कोर्स कंप्लीट हो जाएगा आपका नॉलेज लेवल डेफिनेटली बूस्ट हो जाएगा और आप इतने कैपेबल खुद बन जाएंगे कि खुद डिसीजन ले
पाएंगे कि एआई की फील्ड में करियर बनाना आपके लिए कितना आसान होने वाला है या कितना आपको उसके अंदर
चैलेंजेबल में आज के इस वीडियो लेक्चर पे स्क्रैच कोर्स के अंदर जितने भी टॉपिक्स को हम
डिटेल में अंडरस्टैंड करेंगे वो सारे टॉपिक्स मैंने यहां पे लिख दिए हैं इसके साथ ही साथ मैंने आप लोगों के लिए कंप्लीट
नोट्स जो है वो भी बनाया है जिसे मैंने नीचे डिस्क्रिप्शन बॉक्स पे डाल दिया है वहां से जाके आप इस नोट्स को डाउनलोड भी
कर सकते हैं अब जब भी कोई नई टेक्नोलॉजी आती है ना तो अक्सर सर ये देखा गया है कि उस टेक्नोलॉजी को बनाने वाले से ज्यादा
पैसे उन लोगों ने कमाए जो उस टेक्नोलॉजी को यूज करके नए प्रोडक्ट्स को बिल्ड किया जैसे फॉर एग्जांपल जब रेफ्रिजरेटर फ्रिज
आया था मार्केट में तो फ्रिज बनाने वाली कंपनी से ज्यादा पैसे उन कंपनीज ने बनाए जो उस फ्रिज को यूज करना जानते थे उससे
रिलेटेड प्रोडक्ट्स बनाना जानते थे जैसे कि आइसक्रीम बेवरेजेस या फिर होटल चेंस या अगर हम लोग बात करें कि जब इंटरनेट आया था
तो इंटरनेट को बनाने वाले थी यूएसए गवर्नमेंट लेकिन उससे ज्यादा पैसे तो उन कंपनीज ने बनाए जिन्होंने इंटरनेट का यूज
करना शुरू कर दिया जैसे कि google2 ने बनाया हो लेकिन उस इंटरनेट को यूज करते हुए अपने जो प्रोडक्ट्स बना दिए
जैसे उन एयरप्लेन रिलेटेड कंपनीज ने बनाए जो आज बेसिकली एयर सर्विसेस पे काम कर रहे हैं
तो अक्सर यही होता है आज भी यही हो रहा है कि जब एआई जैसी नई टेक्नोलॉजी आ चुकी है तो एआई के इंफ्रास्ट्रक्चर को बनाने वाली
कुछ कंपनीज हैं जो बहुत बड़ी कंपनीज हैं जैसे कि अगर मैं बात करूं एआई इंफ्रास्ट्रक्चर मॉडल को बिल्ड करने के
लिए तो कुछ कंपनीज हम यहां देख सकते हैं जैसे कि ओपन एआई है जिसने चार जीपीटी जैसे प्लेटफार्म को बिल्ड किया है
मेटा एंट्रोपिक माइक्रोसॉफ्ट का एडिया ने जो अपने चिप्स बनाया उसको हर एक एआई कंपनी यूज कर रही है और इसके साथ
ही साथ कंपनी आज की डेट में कितनी भी बड़ी हो या कितनी भी छोटी हो चाहे एक स्टार्टअप कंपनी हो या फिर कोई टेक जाइंट कंपनी हो
जैसे कि माइक्रोसॉफ्ट या google2 चा जीपीटी तो ओपन एआई ने बना दिया लेकिन उसी चा जीपीटी को आज की डे में ना
जाने कितने सारे स्टार्टअप्स यूज कर रहे हैं और अलग-अलग यूज केसेस को बिल्ड करते हुए नए-नए प्रोडक्ट्स बना रहे हैं तो
हमारे लिए जो सबसे ज्यादा जरूरी जानने वाली बात है वो यह है कि अगर हम लोग जॉब चाहते हैं एआई में तो जो भी कंपनी जो यूज
केस कर रही है जो नए प्रोडक्ट्स बना रही है वहां पे हमारे लिए जॉब की डिमांड बढ़ जाती है और हम वहां पे जाके अपना जॉब
सिक्योर कर सकते हैं जैसे कि फॉर एग्जांपल हेल्थ केयर में अगर हम लोग देखें तो टा 1 एमजी फार्मेसी जैसे कितनी कंपनीज है
फाइनेंस एंड स्टॉक मार्केट में रोदा जेपी मॉर्गन कितनी सारी ऐसी कंपनीज है ई-कॉमर्स में भी तो हुआ क्या कि मॉडल और
इंफ्रास्ट्रक्चर तो एक कंपनी ने बिल्ड कर दिया ठीक वैसे जैसे कि इंटरनेट को यूएसए गवर्नमेंट ने बना दिया था लेकिन इंटरनेट
को यूज करने वाली जो बड़ी-बड़ी कंपनी बनी वो बनी स्ट्रक्चर डेवलप कर रहे हैं क्योंकि इन
कंपनीज के पास में रिसोर्सेस बहुत ज्यादा है ये बहुत अच्छे तरीके से इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप कर रहे हैं लेकिन
इनके इंफ्रास्ट्रक्चर को जो अलग-अलग सेगमेंट में हेल्थ केयर हो टेक हो फाइनेंस हो ई-कॉमर्स हो मार्केटिंग हो हर सेगमेंट
में अलग-अलग कंपनीज हैं और आज की डेट में स्टार्टअप कंपनीज इतनी ज्यादा है जहां पे हम लोग अगर एआई को अच्छे से सीख लेते हैं
तो हमारे लिए गोल्डन मोमेंट बन सकता है कि हम एक जॉब को ग्रैब कर पाएं तो डेफिनेटली एआई जो है वो हर कंपनी अडॉप्ट कर रही है
अब यहां पे ना जब हम लोग एआई के टूल्स की बात करते हैं तो तीन तरीके के टूल्स होते हैं सबसे पहला टूल स्टैंड अलोन टूल्स होता
है जैसे फॉर एग्जांपल ओपन एआई ने चाट जीपीटी बना दिया अब जब आप चार जीपीटी यूज करते हो तो उसके साथ आप सिंगल चार्ट
जीपीटी यूज करते हो आपको कुछ और यूज करने की जरूरत नहीं पड़ती तो ये क्या हो गया एक स्टैंड अलोन टूल हो गया फॉर एग्जांपल अगर
मेरे को इमेज जनरेट कराना है तो मैं डेली का यूज करूंगी या मिड जर्नी हम लोग यूज करेंगे और वहां पे जाके मेरी इमेज जो है
वो जनरेट हो जाएगी तो ऐसे टूल्स को स्टैंड अलोन टूल्स बोलते हैं जहां पे अगर मेरा जो काम है मैं उस काम के लिए जैसे चैर जीपीटी
से मेरे को अगर एक कोडिंग लिखवाना है कोई कोड लिखवाना है तो मैं चा जीबीटी के पास जाऊंगी वो मेरे को कोड लिख के दे देगा
मेरा काम खत्म हो जाएगा मुझे किसी और टूल में भटकने की जरूरत नहीं पड़ेगी तो ये जो टूल्स होते हैं इसको बोलते हैं स्टैंड
अलोन टूल्स लेकिन अब इस टूल को यूज करते हुए नए जो टूल्स और आ गए इसको बोलते हैं इंटीग्रेटेड एआई टूल्स जैसे कि अगर फॉर
एग्जांपल मैं googlegroups.com को यूज़ करूं तो वहां पे एआई इंटीग्रेट हो चुका है मैं वहां पे जाके एआई का यूज़ कर
सकती हूं या अगर मैं बार वो प्रोडक्ट मुझे दिखाने लगता है चाहे मैं ा खोलूं
अपने स्टाफ को मैनेज करना है वो एक सीआरएम बनाना चाहती है उस सीआरएम के अंदर उस कंपनी की रिक्वायरमेंट के हिसाब से
कस्टमाइज करके हमने एआई को दे दिया तो हो क्या रहा है आज की डेट में कि स्टैंड अलोन टूल्स भी कंपनी बना रही है इंटीग्रेट भी
कर रही है एआई को और साथ ही साथ अलग से कस्टमाइज एआई टूल्स भी बन रहे हैं तो हमारे लिए जो तीनों सेगमेंट है ना अब आज
की डेट में कोई सोचे कि मेरा ओपन एआई में जॉब लग जाए और हम लोग कोई बहुत हमें बहुत ज्यादा आता नहीं है तो यह बहुत मुश्किल
होगा कि हम ओपन एआई में डायरेक्ट जॉब कर पाए लेकिन अगर हम लोग सही एआई का नॉलेज ले सकते हैं तो हो सकता है कि हमको
इंटीग्रेटेड एआई टूल जो कंपनी बना रही है वहां पे हमारा प्लेसमेंट हो जाए या जो कस्टमाइज एआई टूल बना रही है अगर हमको
नॉलेज है तो हो सकता है हम वहां पे जाके प्लेस हो जाए क्योंकि हर किसी का जॉब तो कि हम अगर कोई भी चीज ऑर्डर करते हैं तो
विदन 10 मिनट्स हमारे घर के अंदर पहुंच जाती है अगर हम लोगों को अपना कोई काम करवाना है तो उसके लिए एआई हमारे पास
अवेलेबल होता है तो ये जो टेक्नोलॉजी है ये अचानक से तुरंत नहीं बन गई है इस टेक्नोलॉजी को बनने के लिए 75 इयर्स का
टाइम लगा है तो आखिर ये एआई है क्या बिल्कुल ही बेसिक स्क्रैच से समझेंगे कैसे ये एआई इतना इवॉल्व हो गया कि आज हम लोग
इतने एडवांस बन चुके हैं तो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस होता क्या है सो बेसिकली एआई इज अ ब्रांच ऑफ कंप्यूटर साइंस ट फोकस ऑन
क्रिएटिंग मशीनस दैट कैन परफॉर्म द टास्क दैट रिक्वायर ह्यूमन इंटेलिजेंस कहने का मतलब एकदम आसान भाषा में ये कि एआई
कंप्यूटर साइंस का एक ऐसा ब्रांच है जिसका मकसद है कि ऐसे मशीनस को क्रिएट करना जिस पे ह्यूमन इंटेलिजेंस जितना पावर हो सके
अब ह्यूमंस क्या-क्या काम कर सकते हैं तो ह्यूमंस लर्न करना जानते हैं एआई भी धीरे-धीरे लर्न कर रहा है डाटा के साथ में
ह्यूमंस तर्क वितर्क कर सकते हैं वाद विवाद कर सकते हैं लॉजिकल आर्गुमेंट रिप्रेजेंट कर सकते हैं रीजनिंग
कैपेबिलिटी होती है उनके अंदर तो ये मशीनस के अंदर में इंड्यूस किया जाए ह्यूमंस किसी प्रॉब्लम को सॉल्व करने के लिए
कैपेबल होते हैं तो एक मशीन को भी इस तरीके से बनाया जाए कि वो प्रॉब्लम को सॉल्व कर पाए ह्यूमंस एक दूसरे की भाषा को
अंडरस्टैंड कर सकते हैं तो एक ऐसा सिस्टम बनाना एक ऐसा एआई क्रिएट करना जो इंसानों की भाषा को समझ पाए और ऐसे परसेप्शन को
क्रिएट करना क्योंकि इंसान तो इमेज भी देख सकते हैं आखों से साउंड भी सुन सकते हैं कान से और अपने दिमाग में एक पैटर्न भी
बना सकते हैं तो ठीक ऐसे काम जो कोई ह्यूमन कर सकता है उन सारी चीजों को आर्टिफिशियल कराया जा सके इसलिए डेवलप हुआ
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस लेकिन इसकी शुरुआत कैसे हुई थी तो इसकी शुरुआत सबसे पहले हुई थी 1950 में 1950 में एलन टूरिंग ने 1950
में एक पेपर पब्लिश किया था जिसमें उन्होंने सोचा था कंप्यूटर मशीनरी और एक ऐसे सिस्टम के बारे में जिसके पास अपना
खुद का इंटेलिजेंस हो सके तो उन्होंने खैर बहुत बेसिक शुरुआती दौर में एक पेपर पब्लिश किया उसके छह साल के बाद 1956 में
जो नाम है एआई यानी कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस वो पहली बार दुनिया के सामने आया और उस नाम को देने वाले जो इंसान थे
वो थे जॉन मकती तो जॉन मकती ने एआई जो है उस वर्ड को दिया और इसके बारे में सोचना उन्होंने वहां से शुरू किया धीरे-धीरे
डेवलपमेंट आगे बढ़ा लेकिन जब कोई टेक्नोलॉजी आगे बढ़ती है तो बीच में कुछ ना कुछ ऑब्स्ट कल्स भी आते हैं सबसे पहले
एआई के 1960 और 70 के टाइम पे बेसिक प्रो मम जो है वो डेवलप होने शुरू हुए जैसे कि एलिजा ये एक बेसिकली एक ऐसा चार्ट बोर्ड
था जो एक सिंपल से स्क्रिप्ट को फॉलो करता था उसके बाद एक और यहां पे रोबोट की तरह आया जो कि स्टैनफोर्ड रिसर्च इंस्टिट्यूट
ने डेवलप किया था जो ह्यूमंस की तरह प्रॉब्लम सॉल्व करने के लिए कैपेबिलिटी रखता तो धीरे-धीरे करके लोगों ने इसके
बारे में सोचना शुरू किया लेकिन जब कोई टेक्नोलॉजी आगे बढ़ती है तो ऑब्स्ट कल तो आता ही है तो एक ऐसा ही मोमेंट आया था
1970 से 1980 का टाइम पे जब एआई को लेके लोगों की एक्साइटमेंट थोड़ी थोड़ी कम होनी शुरू हो गई थी और फंडिंग जो थी एआई और
रिसर्च में वो भी मिलनी कम हो गई थी तो ये वो टाइम था जब हार्डवेयर जो था वो बहुत लिमिटेड था मशीनस इतने ज्यादा कैपेबल
रिसोर्सेस नहीं थे तो एआई में थोड़ा लोगों का झुकाव जो है वो कम हो गया लेकिन उसके बाद धीरे-धीरे जैसे-जैसे 90स का दौर आया
एआई का एक सेकंड बूम स्टार्ट हो गया जहां पे मशीन लर्निंग न्यूरल नेटवर्क डीप लर्निंग जैसी चीजों पे काम बढ़ने लग गया
1997 ये मोमेंट एआई की हिस्ट्री में बहुत इंपॉर्टेंट मोमेंट है क्योंकि जब आईबीएम का डीप ब्लू चेस वर्ल्ड चैंपियन जो थे
गैरी जो थे वह वर्ल्ड चैंपियन थे उनको एक मशीन ने हरा दिया था तब पहली बार दुनिया का ध्यान उनकी तरफ गया और लोगों को एआई का
पोटेंशियल जो है वो समझ में आना शुरू हुआ ठीक वैसे ही 1990 में स्पीच रिकॉग्निशन के लिए एक सिस्टम आया वो भी काफी पॉपुलर होना
शुरू हुआ तो जैसे-जैसे प्रोडक्ट पॉपुलर होते गए उसके बारे में चीजें आगे बढ़ती गई फिर 2010 के बाद से अगर हम लोग बात करें
तो काफी रिवोल्यूशन चीज आई डीप लर्निंग इंट्रोड्यूस हुआ चैट बॉट आ गए पर्सनल असिस्टेंट का नया चीज देखने के लिए मिला
जो आज हम लोग सुन रहे हैं सीरी अ 2020 के बाद बाद की बात करते हैं तो आज तो बहुत आगे निकल चुके हैं क्योंकि सेल्फ
ड्राइविंग कार्स हो या फिर चार जीपीटी हो डेली हो मिड जर्नी हो अलग-अलग तरीके के एआई आ चुके हैं अब ये किसकिस तरीके के एआई
आ चुके हैं इसके बारे में डिटेल में बात करेंगे डिस्क्रिमिनेटिव मॉडल सबसे पहले जब एआई आना शुरू हुआ था तो सबसे पहले
डिस्क्रिमिनेटिव मॉडल्स बनाने कंपनी ने शुरू किए थे जैसे कि फॉर एग्जांपल हम लोग ईमेल यूज करते हैं राइट अब ईमेल में कोई
मेल आता है जिसमें लिखा होता है कांग्रे लेश आप एक लॉटरी जीत गए तो सबसे पहले इसको इंप्लीमेंटेशन शुरू हुआ कि मेल को
क्लासिफाई किया जाए काम के मेल अलग और जिस मेल में इस तरीके के वर्ड्स लिखे हुए हैं जो थोड़े से अलग साउंड कर रहे हैं जैसे आप
एक लॉटरी जीत चुके हैं थोड़े से जो स्कैम ओरिएंटेड वर्ड्स लग रहे हैं उसको स्पैम में डाल दिया जाए तो धीरे-धीरे बेसिक
मॉडल्स पहले डेवलप होने लगे जहां पे स्पैम डिटेक्शन कोई मेल जो आपको आया है वो स्पैम है या नहीं है या फिर धीरे-धीरे फेस
रिकग्निशन मॉडल हम सबके मोबाइल फोस में फेस रिकग्निशन फीचर आने लगे जो हम हमारा फेस देख के लॉक अनलॉक हो जाता है फोन तो
वहां से चीजें डेवलप हुई फ्रॉड अलर्ट जैसे हम लोग नेट बैंकिंग करते हैं तो वहां पे फ्लड ना हो इस तरीके से जो
डिस्क्रिमिनेटिव मॉडल्स है अब एआई के अलग-अलग तरीके के मॉडल होते हैं डिस्क्रिमिनेटिव मॉडल का मतलब यह होता है
जहां पे हम डिस्क्रिमिनेट कर पाए यानी कि अंतर कर पाए जैसे कि जो मेल आया है वो स्पैम है या नहीं राइट फेस जो है वो जिस
इंसान का फोन है उसी का फेस है या नहीं तभी वो फेस अनलॉक होगा ठीक वैसे ही फ्रॉड डिटेक्शन कि जो इंसान
ऑनलाइन बैंकिंग कर रहा है ये इंसान वही है या नहीं तो ये जो डिस्क्रिमिनेटिव चीजें डेवलप हुई इसको बोलते हैं एआई का पहला
मॉडल डिस्क्रिमिनेटिव मॉडल इसके बाद जो सेकंड जो मॉडल है एआई का ये है जेनरेटिव मॉडल जो कि कंटेंट और डाटा क्रिएशन में
काम करता है जिसमें हम लोग मॉडल को ट्रेन डाटा देते हैं और उसके बाद आउटपुट लेते हैं जैसे कि चार्ट जीपीटी जो हम लोगों को
टेक्स्ट जनरेट करके देता है या फिर बर्ड या अगर हम लोग बात करें इमेज की तो डेली है या अगर हम लोग स्पीच की बात करें तो
वेवनेट है आज हम लोग देख रहे हैं कि अलग-अलग वॉइस में लोगों के पास गाने आ जाते हैं एआई अलग-अलग तरीके की इमेज जनरेट
करके दे दे रहा है तो जितना भी कंटेंट में और टेक्स्ट डाटा के साथ में ऑडियो डाटा के साथ में इमेज डटा और वीडियो डाटा के साथ
जो काम हो रहा है जहां पे आप एक मशीन को प्रोमट लिख के देखते हैं और मशीन अपने आप समझ के आपको नया चीज या तो टेक्स्ट क्रिएट
करके देगी या तो वीडियो क्रिएट करके देगी या तो इमेज क्रिएट करके देगी तो ये जो सेगमेंट होता है एआई के मॉडल्स का दैट इज
कॉल्ड एज द जनरेट एआई मॉडल तो आप सबसे पहले अभी जो मैं समझा रही हूं अलग-अलग तरीके के एआई के मॉडल्स के बारे में अभी
आप जान रहे हैं अब इसके बाद एक और नई टेक्नोलॉजी जो बहुत जिसने हम कह सकते हैं कि पूरे मार्केट को हिला के रख दिया था जो
अब जनरेट एआई तो हम देख चुके हैं 2022 23 24 के टाइम से हम लोग इसको देख रहे हैं और अब तो हमारे डे टू डे लाइफ का हिस्सा बन
चुका है हम google2 जीपीटी में जाकर सर्च कर लेते हैं तो अब नेक्स्ट क्या होगा और नए आईआई में
क्या नया चेंजेज आएगा क्या नई रिवोल्यूशन चीज और डेवलपमेंट हो रहा है यह जरूर आपको जानना चाहिए अगर आप एआई में जॉब करना
चाहते हैं तो तो अब जो एक नया एआई का मॉडल इंट्रोड्यूस हुआ है इस एरा में 2025 के बाद से दैट इज कॉल्ड एज द एआई एजेंट और
एजेंटिक एआई जितनी भी कंपनी के सीईओ और फाउंडर्स हैं वो इसके बारे में बात कर रहे हैं बेटा के मार्क जगर परक का कहना है कि
एआई रिसर्च जो है इसको एनहांस करने के लिए एआई एजेंट्स पे हमल लग चुके हैं google2 पिचय का कहना है कि आज की डेट में नया
प्रोडक्टिविटी टूल एक नए एंप्लॉई या लेबर की तरह काम करेगा एआई एजेंट्स एन वडिया का कहना है कि जो एआई एजेंट है इसका दौर शुरू
हो चुका है और माइक्रोसॉफ्ट ने तो अपना नया एआई एजेंट इंट्रोड्यूस कर दिया है तो ये अब नया मॉडल जो है जिसको कहा जा रहा है
एजेंटिक एआई ये क्या होता है इसके बारे में समझते हैं एजेंटिक एआई मॉडल्स एक ऐसे एआई सिस्टम्स हैं जो खुद अब डिसीजन लेना
भी जानते हैं जैसे कोई इंसान है जैसे फॉर एग्जांपल मैं हूं और मुझे यह डिसाइड करना है कि मुझे दो लेट्स सपोज अलग-अलग स्टॉक्स
हैं एक स्टॉक है लेट्स सपोज टेस्ला का और एक स्टॉक है लेट्स सपोज एडिया का मैं क्या लूं मेरे लिए बेटर क्या होगा तो ये एक
इंसान सोचता है और एक डिसीजन लेता है हर दिन हम लोग कितने सारे डिसीजंस लेते हैं क्या पहनू क्या खाऊं कहां जाऊं लॉट्स ऑफ
थिंग्स राइट तो ये चीज इंसान तो तुरंत सोच लेता है लेकिन मशीन भी इस चीज को सोच पाए फॉर एग्जांपल अगर मेरे को अपने मेरा एक
पर्सनल एआई एजेंट है मैं चाहती हूं कि मैं कोई लेट्स सपोज एक फोन एक गैजेट में खरीदना चाहती हूं तो मैं उस एआई एजेंट के
पास जाऊंगी और वो मुझे बता देगा कि मेरे लिए बेटर कौन सा है और मेरे बिहाव में वो वहां पे जाके उस पूरे प्रोसेस को
स्ट्रीमलाइन कर देगा और मेरे लिए वो काम करके दे देगा तो एजेंट मतलब ही क्लियर हो जाता है जैसे हम लोग जब ट्रेन बुक करना
होता है आईआरसीटीसी में हमको कोई भी इमरजेंसी में जाना है तो हम क्या करते हैं अरे थोड़ा ज्यादा पैसा लेगा लेकिन चलो
एजेंट को दे देते हैं वो फाइनल टिकट करके हमारे हाथ में लाके देगा तो ठीक ऐ ऐसा ही आज की डेट में एआई के एजेंट्स आ चुके हैं
एआई मॉडल जो एजेंटिक मॉडल इसपे काम बढ़ चुका है कि अब एआई को इस लेवल पे तैयार किया जाए कि वो डिसीजन ले पाए और फाइनल
जैसे आपको एक रेलवे में टिकट लाके आपको एक एजेंट आपके हाथ में देता है ना आपके बिहाव में टिकट बुक करता है आप खुद तो नहीं करते
हो बस आप एजेंट को पैसे देते हो ठीक इसी तरीके से अब अलग-अलग काम के लिए एआई एजेंट्स डेवलप हो जाएंगे जो हमारे बिहाव
में डिसीजन भी ले पाएंगे और उस टास्क को फुलफिल करके दे पाएंगे जैसे कि सेल्फ ड्राइविंग कार उसमें कोई ड्राइवर नहीं हो
होता वो अपने आप आपको अपने डेस्टिनेशन में पहुंचा देगी या फिर एआई पावर्ड रोबोट्स या फिर गेम्स प्लेटफॉर्म है और पर्सनल
असिस्टेंट हम लोग ऑलरेडी देख रहे हैं जैसे कि अगर मैं पर्सनल असिस्टेंट की बात करूं ऑटो जीपीटी बेबी एआई ऐसे बहुत सारे कंपनीज
इस पे काम कर रहे हैं सो नेक्स्ट जो रिवोल्यूशन होने वाला है जेनरेटिव एआई तो हम लोग एकस्टम हो चुके पहले लगता था अरे
क्या चार्ट जीपीटी है और आज हम उसको यूज़ करने के आदि बन चुके हैं ठीक वैसा ही अब जो डेवलपमेंट हो रहा है वो एआई एजेंट में
हो रहा है हो सकता है आने वाले तीन-चार साल में लेटेस्ट इंटरव्यू में जब सुंदर पिचर से पूछा गया नेक्स्ट आप फ्यूचर क्या
देखते हैं तो ही सेड एजेंटिक एआई जैसे हर कोई पहले google3 जीपीटी का हो सकता है आने वाले टाइम में हम लोग अपने पर्सनल काम
के लिए एआई एजेंट्स यूज करना शुरू कर दें तो इस एआई एजेंट को बनाने के पीछे की टेक्नोलॉजी है वो भी मैं आपको बनाऊंगी इस
वीडियो में उसके साथ ही साथ कुछ हाइब्रिड मॉडल्स भी आ चुके हैं एआई में जैसे कि अगर मैं को एक एआई डेवलप करना है जिसमें जनरेट
एआई भी हो और एजेंटिक एआई भी हो तो ऐसे मॉडल्स को कहा जाता है हाइब्रिड मॉडल्स जैसे कि सेल्फ ड्राइविंग कार्स है जहां पे
हम इमेज भी रिकॉग्नाइज कर पा रहे हैं डिसीजन भी ले पा रहे हैं चार्ट बर्ड्स है एआई जेनरेटर्स है आर्ट जनरेटर हैं तो ये
एक और नया जो मॉडल है जहां पे आप अलग-अलग मॉडल को बिल्ड करके एक अलग से हाइब्रिड बना रहे हैं दैट इज कॉल्ड एज द हाइब्रिड
मॉडल अब सबसे पहले समझेंगे एआई के स्ट्रक्चर के बारे में जैसे फॉर एग्जांपल एआई क्या होता है एक फाइनल प्रोडक्ट होता
है राइट जैसे फॉर एग्जांपल कि अलेसा ठीक है तो यह ali-a आई के अंदर में स्ट्रक्चर होता है
उसको समझते हैं तो सबसे पहले जब भी हम लोग एआई के पूरे डोमेन की बात करते हैं उसी का एक सब पार्ट होता है मशीन लर्निंग जो मॉडल
को हेल्प करता है ट्रेन करता है और मॉडल बिल्डिंग के लिए काम आते हैं उसके एल्गोरिथम्स ठीक मशीन लर्निंग का एक पार्ट
होता है डीप लर्निंग क्या होते हैं मशीन लर्निंग डीप लर्निंग य मैं आपको थोड़ी ही देर में डिटेल में समझाऊ अब डीप लर्निंग
मशीन लर्निंग को यूज करते हुए हम लोग डिस्क्रिमिनेटिव मॉडल्स बना सकते हैं जो अभी मैं आपको एग्जांपल दे रही थी कि अगर
कोई मेल आया है वो स्पैम है या नहीं है राइट फेस रिकग्निशन मॉडल बना सकते हैं इसी को यूज करते हुए हम लोग जेनरेटिव एआई के
मॉडल्स बना सकते हैं जहां पे हम लोग देख ही रहे हैं चैर जीपीटी जेनाई तो एलएलएम और जेन एआई को मिलके जो प्रोडक्ट बना है वो
है चैट जीपीटी जेमिना और अब यहां पे आ चुके हैं एजेंटिक एआई बी तो कहने का मतलब मतलब यह है कि जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस
है इसको बनाने के लिए जो स्ट्रक्चर की जरूरत पड़ती है मशीन लर्निंग की भी डीप लर्निंग की भी और साथ के साथ कंप्यूटर
विजन एनएलपी जैसी चीजों की भी जरूरत पड़ती है तो इसके बारे में मैं आपको डिटेल में समझाने वाली हूं सबसे पहले समझेंगे मशीन
लर्निंग क्या होता है तो नाम से ही समझ में आ रहा है कि एक मशीन लर्न करना जानती होगी तो मशीन लर्निंग इज अ टाइप ऑफ
टेक्नोलॉजी दैट अलाउ द कंप्यूटर टू लर्न फ्रॉम डाटा एंड मेक डिसीजंस विदाउट बीइंग डायरेक्टली प्रोग्राम
कहने का मतलब यह आसान भाषा में समझाऊ तो जब कोई छोटा बच्चा होता है तो उसको हम लोग सिखाते हैं लाइक अगर कोई एक एप्पल है तो
उसकी फोटो दिखा के बताएंगे उस एल दिखा के बताएंगे कि देखो इसको एल बोलते हैं तब धीरे-धीरे करके वो बच्चा लर्न करना जानता
है ठीक इसी तरीके से जब आप एक मशीन को सिखाना जा रहे हैं मशीन को लर्न करवाना चाहते हैं तो सबसे पहले हमें उसको देना
पड़ेगा डाटा अब डाटा देना देने के बाद मशीन उससे पैटर्स बनाना सीख है जैसे फॉर एग्जांपल एक कोई छोटा सा बच्चा उसको आपने
एल दिखाया मतलब आप क्या कर रहे हो उसको डाटा ही तो दिखा रहे हो उसके बाद उसको फोटो को देखने के बाद उसके दिमाग में एक
इमेज बन जाती है और फिर उसके बाद में अगर आप उसके सामने कभी भी एप्पल लेके आओ तो वो खुद बखुदा है दिस इज एन एप्पल तो अपने आप
वो प्रिडिक्शंस परफॉर्म करता है ठीक इसी चीज से इंस्पायर होके मशीन लर्निंग का भी ऑब्जेक्टिव ये है कि सबसे पहले किसी भी
मॉडल को ट्रेन करने के लिए उसको दिया जाए डाटा तो सबसे पहले हम लोग मॉडल को ट्रेनिंग के लिए डाटा देते हैं राइट अब
मान लो कि यहां पे फॉर एग्जांपल मैं एक ऐसा मॉडल बना रही हूं जो यह काम करेगा कि कौन सी कंपनी का किस ब्रांड का शूज है वो
प्रिडिक्ट करके बता पाएगा राइट तो मैंने सबसे पहले इसको ट्रेनिंग डाटा दिया मॉडल को ट्रेन कर दिया तो फॉर एग्जांपल सबसे
पहले मैंने इसको रेट प्रेडिक्शन को परफॉर्म कर पाए इस तरीके से काम करता है मशीन लर्निंग जैसे
बहुत सारे हम लोग मॉडल्स देख चुके हैं रियल टाइम की अगर मैं बात करूं तो आप लोगों ने ओला या u यूज किया होगा तो हम
लोग को पता चल जाता है अगर मैं लेट्स सपोज चांदनी चौक से लेट्स सपोज मैं जाना चाहती हूं किसी और जगह मान लो राष्ट्रपति भवन तो
मुझे पता चल जाएगा कि इसके बीच में कितने पैसे लगेंगे कितना फेयर मेरे को देना पड़ेगा ओला u रेपिड बुक करते टाइम तो ये
क्या है प्रेडिक्शन मॉडल है जो प्रिडिक्ट करके बता देता है तो आप कहीं का भी डाटा डालिए एक बार अगर आपका मॉडल ट्रेन हो गया
तो वो एक्यूरेट प्रिडिक्शंस को परफॉर्म कर सकता है तो मशीन लर्निंग में कैसे अगर इसका स्ट्रक्चर को हम लोग बात करें तो
मॉडल को सबसे पहले हम लोग ट्रेनिंग डाटा देते हैं फिर अगर मैं उसमें कोई नया डाटा भी डाल दूं राइट तो भी वो मॉडल ट्रेंड हो
जाएगा और मेरे को एक्यूरेट प्रिडिक्शंस को परफॉर्म कर पाएगा ये कैपेबिलिटीज होती है एक मशीन लर्निंग के अंदर अब मशीन लर्निंग
के अलग-अलग टाइप्स होते हैं तो जनरली तीन टाइप के मशीन लर्निंग जो है वो काफी फेमस और पॉपुलर है सुपरवाइज लर्निंग
अनसुपरवाइज्ड लर्निंग एंड रिइंफोर्समेंट लर्निंग सबसे पहले समझते हैं कि ये सुपरवाइज लर्निंग क्या करता है तो जैसे
अभी हमने एग्जांपल देखा स्पैम डिटेक्शन ये ईमेल स्पैम है या नहीं है यह आपको बता देगा या फिर हाउस प्रेडिक्शन प्राइस
प्रेडिक्शन कि अगर मेरे को किसी चीज का प्राइस प्रिडिक्ट करना है तो प्रेडिक्शन मॉडल क्रिएट कर देगा या इमेज क्लासिफिकेशन
कर देगा जैसे फॉर एग्जांपल मैं एक मॉडल को दो फोटो दिखाऊं कैट्स और डॉग्स की इमेजेस हैं तो वो अपने आप मॉडल इतना समझदार होगा
कि कैट की फोटोस को अलग से क्लासिफाई कर देगा और डॉग्स की फोटो को अलग से क्लासिफाई कर देगा तो सुपरवाइज लर्निंग के
ये कुछ एग्जांपल्स थे अनसुपरवाइज्ड लर्निंग क्या होता है जहां पे कस्टमर सेगमेंटेशन परफॉर्म हो पाता है जैसे कि
फ्रॉड डिटेक्शन अगर आप कोई बैंकिंग पे कुछ चीजें कर रहे हैं तो अगर कोई फ्रॉड ना हो उसके लिए जो हम लोग एल्गोरिथम्स यूज करते
हैं दैट इज द अनसुपरवाइज्ड लर्निंग ये क्या होते हैं तीनों मैं इसको और डिटेल में समझाऊ अगर रिइंफोर्समेंट लर्निंग की
बात करें तो सेल्फ ड्राइविंग कार्स इसका बहुत अच्छा एग्जांपल है रोबोटिक्स या फिर ऐसे चीजें ऐसे गेम्स जो खुद एआई ड्रिवन
होते हैं जैसे कि अल्फा ग तो होता क्या है ये अलग-अलग टेक्निक्स को हम लोग एक-एक करके समझते हैं सबसे पहले समझते हैं
सुपरवाइज मशीन लर्निंग को कि आखिर यह क्या होता है तो सुपरवाइज लर्निंग एक ऐसा मशीन
लर्निंग का टाइप है जिसमें हम मॉडल को लेबल डाटा देते हैं इनपुट आउटपुट पेयर्स के साथ में मतलब मॉडल को पहले से पता होता
है कि कौन सा इनपुट किस आउटपुट फट से मैच करता है फिर मॉडल ये पैटर्न समझने की कोशिश करता है ताकि नए डाटा के लिए भी सही
प्रेडिक्शन कर पाए जैसे फॉर एग्जांपल जैसे हम लोग कोई छोटे बच्चे को सिखाते हैं तो सबसे पहले उसको बताते हैं राइट दिस इज एन
एप्पल तो उसके दिमाग में ट्रेन हो जाता है दैट ये अगर जो ऑब्जेक्ट मुझे दिखेगा जो रेड कलर का है उसको एप्पल बोलते हैं राइट
तो ये ट्रेन होना चालू हो जाता है तो हम क्या करते हैं लेबल करते हैं उसके दिमाग में देखो इसको एप्पल बोलते हैं इसको मैंगो
बोलते हैं इसको कैरेट बोलते हैं तो पहले से उसको ले जो है वो पता होते हैं तो ये जो सुपरवाइज मशीन लर्निंग होता है उसमें
ठीक ऐसा ही होता है कि जब भी हम कभी किसी मॉडल को ट्रेन करते हैं तो उसमें जब डाटा देते हैं ना तो पहले से बता के देते हैं
देखो ये जो डाटा है जिसमें रेड रेड है दैट इज कॉल्ड एज टोमेटो एंड दैट इज द ऑरेंज पोर्शन जो थोड़ा लंबा है दैट इज कॉल्ड एज
द कैरेट एंड जो ग्रीन कलर का है दैट इज कॉल्ड एज द बेल पेपर तो हमने क्या किया जो ये लेबल डाटा दिया इसमें हर की हर चीज बता
के दी कि देखो भाई इसको कैरेट बोलते हैं इसको कैप्सिकम बेल पेपर बोलते हैं एंड दैट इज कॉल्ड एज द टमेटोस तो अब जो मॉडल ट्रेन
हो रहा है तो उसको पहले से पता है किस चीज को क्या बोलते हैं लेकिन अब जब मॉडल ट्रेन हो चुका अब मैं इसमें हो सकता है कोई नया
टेस्ट डाटा दे दूं यह देखने के लिए कि मेरा मॉडल सही परफॉर्म कर रहा है या नहीं तो जब यहां पे मैं कोई नया टेस्ट डाटा
दूंगी तो अपने आप मेरा मॉडल जो है वो सही प्रेडिक्शन कर पाए इस हिसाब से तैयार करते हैं सुपरवाइज लर्निंग को फिर मॉडल यह है
कोशिश करता है कि जब इसके पास कोई नया डाटा आ जाए तब भी वो सही प्रेडिक्शन जो है उसको परफॉर्म कर पाए तो हमेशा ये चीज याद
रखना सुपरवाइज मशीन लर्निंग इज अ ब्रांच ऑफ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस दैट फोकस ऑन ट्रेनिंग द मॉडल टू मेक प्रिडिक्शंस और
डिसीजंस बेस्ड ऑन द लेबल ट्रेनिंग डाटा तो सुपरवाइज मशीन लर्निंग के अंदर ऐसे मॉडल्स को बनाया जाता है जो डिसीजन ले पाए जो
प्रेडिक्शन कर पाए लेकिन इसमें लेबल डाटा जो है वो यूज़ होता है अब अगर हम लोग बात करें अनसुपरवाइज्ड सॉरी सुपरवाइज्ड
लर्निंग के अंदर क्या-क्या एल्गोरिथम्स हमें पढ़ने चाहिए ये भी मैंने आप लोगों के लिए लिख दिया है इसके साथ ही डटा साइंस और
डटा एनालिटिक्स के जो फ्री कोर्सेस अवेलेबल है द आई स्केल की वेबसाइट पे उसका लिंक भी नीचे मैं डिस्क्रिप्शन बॉक्स पे
डाल रही हूं वहां पे भी जाके आप फ्री में डटा एनालिटिक्स एंड डाटा साइंस पढ़ना शुरू कर सकते हैं तो अब यहां पे सुपरवाइज
लर्निंग अगर आप सीखना चाहते हैं एमएल तो इसके लिए भी एक कंप्लीट कोर्स अवेलेबल है द आई स्केल के
youtube2 पे जाके आप मशीन लर्निंग पढ़ना शुरू कर सकते हैं अब यहां पे अगर हम लोग मशीन लर्निंग के बारे में डिटेल में जानना
चाहते हैं तो ये कुछ इसके फेमस एल्गोरिथम्स हैं जिसको आपको लर्न करना इंपॉर्टेंट है अब इसके बाद बात करते हैं
हम लोग अनसुपरवाइज्ड मशीन लर्निंग की जैसा कि नाम से ही समझ में आ रहा है अनसुपरवाइज्ड यानी कि सुपरवाइज्ड का
अपोजिट होगा तो ठीक ऐसा ही है अनसुपरवाइज्ड मशीन लर्निंग एक ऐसा मशीन लर्निंग का टाइप है जिसमें मॉडल को बिना
किसी लेबल डाटा के ट्रेन किया जाता है मतलब पहले मॉडल को पता था कि यह चीज क्या है क्या लेबल है उसका लेकिन अब मॉडल को
नहीं पता होता एक रॉ इनपुट दिया जाता है और मॉडल के अंदर खुद इतनी काबिलियत होती है कि वह जब आउटपुट दे तो खुद अपने आप ही
उन पैटर्स को समझ जाए और सही डिसीजन सही प्रिडिक्शंस को परफॉर्म कर पाए तो अनसुपरवाइज्ड लर्निंग एक मशीन लर्निंग का
ऐसा मॉडल है जो बिना किसी लेबल डाटा के ट्रेन किया जाता है मतलब मॉडल को इनपुट दिया जाता है लेकिन आउटपुट का पता नहीं
होता मॉडल खुद से पैटर्स और रिलेशनशिप फाइंड आउट करता है डाटा के अंदर तो यह होता है बेसिकली अनसुपरवाइज्ड मशीन
लर्निंग जैसे यहां पे हमने रॉ डाटा दे दिया कोई लेबल नहीं किया कुछ नहीं बताया कि क्या चीज क्या है दिस इज ब्रिंजल दिस
इज कैप्सिकम कुछ नहीं बताया हमने वी हैव जस्ट प्रोवाइडेड द रॉ डाटा एंड आफ्टर यूटिलाइजिंग दिस रॉ डाटा यहां पे एमएल के
एल्गोरिथम्स ही इतने पावरफुल होते हैं कि वो खुद से प्रोसेस कर लेंगे और खुद से इंफॉर्मेशन दे देंगे कि इसको बोलते हैं
बेल पेपर इसको बोलते हैं ब्रिंजल एंड दिस इज दिस इज बेसिकली द गार्लिक अपने आप ये चीज कर पाएगा तो ऐसे जो अनसुपरवाइज्ड मशीन
लर्निंग के एल्गोरिथम्स होते हैं जो इन काम को करते हैं वो ये कुछ फेमस एल्गोरिथम्स हैं अगर आप एआई में करियर
बनाना चाहते हैं तो यह सुपरवाइज्ड और अनसुपरवाइज्ड के यह एल्गोरिथम्स आपको बिल्कुल आने ही आने चाहिए तो इसका आप चाहे
तो स्क्रीनशॉट लेके भी रख सकते हैं कि क्या-क्या एल्गोरिथम्स आपको पढ़ने हैं ऑलराइट नाउ वी आर गोइंग टू अंडरस्टैंड
अबाउट द रिइंफोर्समेंट लर्निंग सो रिइंफोर्समेंट लर्निंग एक मशीन लर्निंग का ऐसा टाइप है जिसमें एक एजेंट अपने
एनवायरमेंट से इंटरेक्ट करता है और रिवॉर्ड के थ्रू सीखता है जैसे इसको अगर मैं और ज्यादा इजी वर्ड्स में अगर आपको
समझाऊं तो फॉर एग्जांपल कई बार हम लोग लोग ने बचपन में ऐसा सुना होता है कि पेरेंट्स बोलते हैं कि अगर तुम इस पर्टिकुलर क्लास
में पास हो जाते हो तो तुमको बाइसिकल मिलेगी तुमको कोई गिफ्ट मिलेगा राइट लेकिन अगर तुम फेल हो जाते हो तो मार पड़ेगी ऐसा
हमने सुना है बचपन में राइट तो होता क्या है वी ह्यूमन वर्क ऑन द रिवॉर्ड सिस्टम कि हमको पता है कि अगर हम कुछ अच्छा करेंगे
तो उसके लिए मेरे को रिवर्ड मिलेगा एप्रिसिएशन मिलेगा गिफ्ट मिलेगा लेकिन अगर वही चीज ना हो तो हो सकता है कि हमें उसके
लिए पनिशमेंट भी मिल पाए तो सामने वाले का जो फोकस होता है दैट इज मोर इंक्लाइंड टुवर्ड द रिवर्ड राइट इन द सेम मैनर कि जब
हम लोग यहां पे मशीन को जब ट्रेन करते हैं यहां पे रिइंफोर्समेंट लर्निंग में तो यहां पे एनवायरमेंट ऐसा प्रोवाइड करते हैं
कि वो मॉडल जो है मशीन लर्निंग का वो खुद से यहां पे सीख पाए अपनी गलतियों के हिसाब से वो अपने आप को फीडबैक देता रहे और उस
हिसाब से वो अपने आप को ट्रेन कर पाए सो रिइंफोर्समेंट लर्निंग इज अ मशीन लर्निंग पैरेडिक सेस ऑन एजेंट्स लर्न टू इंटरेक्ट
विद एन एनवायरमेंट ताकि उसे क्यूम लेटिव अवार्ड्स मिले तो अगर वो कोई चीज बेटर परफॉर्म कर रहा है उसके अगर आउटपुट अच्छे
है तो उसको अच्छा फीडबैक जाएगा लेकिन वही चीज अगर कहीं एरर आ जाता है तो उसको फीडबैक नेगेटिव जाएगा तो इस बेसिस में जब
एक मॉडल को ट्रेन किया जाता है दैट इज कॉल्ड एज द रिइंफोर्समेंट लर्निंग आगे बढ़ते हैं अब हम लोग और नेक्स्ट यहां पे
देखते हैं रिइंफोर्समेंट लर्निंग के कुछ इंपॉर्टेंट टॉपिक्स हैं कि क्या-क्या हमें आना चाहिए रिइंफोर्समेंट लर्निंग के अंदर
तो ये सारे एल्गोरिथम्स इंपॉर्टेंट होते हैं रिइंफोर्समेंट लर्निंग के लिए अब तीनों यहां पे एल्गोरिथम्स को अगर हम लोग
कंपेयर करें सुपरवाइज्ड अनसुपरवाइज्ड एंड रिइंफोर्समेंट लर्निंग तो जो यहां पे आपको डायग्राम्स के थ्रू दिख रहा होगा ग्राफ्स
के थ्रू कि जो सुपरवाइज्ड लर्निंग होता है वो क्लासिफिकेशन और रिग्रेशन की प्रॉब्लम को सॉल्व करता है क्लासिफिकेशन मतलब जैसे
फॉर एग्जांपल मेल्स की अगर हम लोग बात करें तो मेलस स्पैम है या नहीं है राइट तो अलग-अलग तरीके से क्लासिफाई करना जानता है
या हम लोग रिग्रेशन की बात करें तो प्रेडिक्शन करना जानता है अगर मुझे एक जगह से दूसरी जगह जाना है तो उसका प्राइस कित
कितना होगा वो प्रिडिक्ट करना जानता है तो जब भी हम लोग क्लासिफिकेशन या रिग्रेशन जैसी प्रॉब्लम को सॉल्व करना चाहते हैं तो
उसके लिए हम लोग यूज़ कर सकते हैं सुपरवाइज लर्निंग का अब बात करें सुपरवाइज लर्निंग की तो ये क्या करता है अनलेबल्ड
मेटा मिलता है तो अलग-अलग ग्रुप्स में क्लस्टर्स में इसको डिवाइड कर लेता है जैसे फॉर एग्जांपल अगर मैं कोई एक ऐसा
मॉडल बना रही हूं जिसमें मैं एक रॉ डाटा दे देती हूं किसी मॉडल को और मॉडल मुझे अपने आप क्लासिफाई करके बता देगा जैसे फॉर
एग्जांपल मैं यहां पे कुछ ऐसे एंप्लॉयज का डाटा एक एक मॉडल को दे रही हूं जिनका सैलरी स्ट्रक्चर जो है कितने ऐसे एंप्लॉई
हैं जो कि ज्यादा कमाते हैं और खर्च भी ज्यादा करते हैं कितने ऐसे एंप्लॉई हैं जो कि ज्यादा कमाते हैं लेकिन खर्चे कम करते
हैं कितने ऐसे एंप्लॉयज हैं जो कम कमाते हैं और खर्चे भी कम करते हैं और कितने ऐसे एंप्लॉयज हैं जो कम कमाते हैं लेकिन खर्चे
ज्यादा करते हैं अलग-अलग चीजें मेरे को आप पता नहीं उस डाटा को मैंने रॉ दे दिया अब ये चीज जो है अलग-अलग क्लस्टर्स में
अलग-अलग ग्रुप का मेरे को डाटा बना के दे देगा कि ये वो एंप्लॉयज हैं जो कि कम कमाते हैं और और खर्चे भी कम करते हैं ये
वो एंप्लॉयज हैं जो कम कमाते हैं लेकिन खर्चे ज्यादा करते हैं और ये वो एंप्लॉयज हैं जो कि कमाते भी ज्यादा और खर्चा भी
ज्यादा करते हैं तो ये जो क्लस्टरिंग के प्रॉब्लम्स होती है उसको बहुत अच्छे तरीके से सॉल्व कर देता है नेक्स्ट
रिइंफोर्समेंट लर्निंग में हमने देखा कि एक एनवायरमेंट होता है और एक स्टेट होता है और यहां पे होता है मॉडल एजेंट तो जैसा
उसको एनवायरमेंट का स्टेट मिलता है वो वैसा एक्शन परफॉर्म करता है और इसके हिसाब से उसको फीडबैक मिलते जाते हैं उस मॉडल को
और वो फीडबैक के हिसाब से धीरे-धीरे करके सीखते जाता है दैट इज द रिइंफोर्समेंट लर्निंग तो ये तीनों मशीन लर्निंग के
टाइप्स हमने कवर किए अब आगे बढ़ते हैं और समझते हैं डीप लर्निंग के बारे में सो डीप लर्निंग इज अ टाइप ऑफ आर्टिफिशियल
इंटेलिजेंस दैट हेल्प्स कंप्यूटर लर्न एंड मेक डिसीजंस जस्ट लाइक ह्यूमंस जैसे कि हम ह्यूमंस के दिमाग में इतनी एबिलिटी होती
है कि हम डिसीजन ले पाए तो ये जो डीप लर्निंग होता है ये ब्रेन इंस्पायर्ड सिस्टम है कि जहां पे जैसे मशीन लर्निंग
इस एबिलिटी पे बेस्ड था कि ह्यूमन जैसा लर्न कर सकते हैं वैसे ही हम क्या मशीन को लर्न करा सकते हैं लेकिन डीप लर्निंग जो
है वो डिसीजन लेने पे ज्यादा फोकस्ड होता है जैसे एक इंसान का दिमाग ब्रेन जो होता है वो ह्यूमन डिसीजंस ले सकता है ठीक वैसे
ही ब्रेन ओरिएंटेड टेक्नोलॉजी से इंस्पायर होके डीप लर्निंग को इन्वेंट किया गया है तो अब अगर हम लोग देखें कि ये डीप लर्निंग
के अंदर होता क्या है तो जैसे ह्यूमंस का जो ब्रेन होता है इस ब्रेन के अंदर बहुत ही कॉम्प्लेक्शन होता है कुछ इस तरीके का
जैसा अभी आप स्क्रीन पे देख रहे हैं और यही जो स्ट्रक्चर होता है इसको कहा जाता है न्यूरॉन्स राइट तो ये जो बायोलॉजिकल
एबिलिटी होती है कि हमारे दिमाग में हम कुछ देखते हैं और अचानक से हम उसके बारे में रिएक्ट भी कर लेते हैं फॉर एग्जांपल
दिस इज अ ग्लास ऑफ वाटर यही ग्लास ऑफ वाटर अगर गर्म होगा इसको मैं जैसे ही टच करूंगी मैं रिस्पॉन्ड करना शुरू कर दूंगी तो इतना
क्विक और इंस्टेंट होता है ह्यूमन ब्रेन कि हम लोग तुरंत हमारे न्यूरॉन्स हमारे सिग्नल्स को पहुंचा देते हैं एंड वी
स्टार्टेड रिएक्टिंग इन द सेम मैनर मशीन के इस न्यूरॉन से जैसे बायोलॉजिकल न्यूरॉन्स होते हैं उसी से इंस्पायर होके
डीप लर्निंग के अंदर भी न्यूरल नेटवर्क होता है अब ये न्यूरल नेटवर्क काम कैसे करता है तो सबसे पहले मैं आपको ह्यूमन
ब्रेन का एग्जांपल देते हुए समझाती हूं यह होता है बेसिकली न्यूरॉन ह्यूमंस का जो ब्रेन होता है उसके अंदर ये न्यूरॉन होता
है जिसके तीन इंपॉर्टेंट पार्ट होते हैं यह जो स्टार्टिंग में आप देख रहे हैं यहां पे यह है डेंड्राइड दिस इज द सेल बॉडी एंड
दिस इज एजन डेंड्राइड का काम क्या होता है डेंड्राइड ये पार्ट क्या करता है सारी इंफॉर्मेशन को रिसीव करता है और दूसरे
न्यूरॉन से जितनी इंफॉर्मेशन आती है व सारी इंफॉर्मेशन को रिसीव करने का काम करता है डेंड्राइड
फिर उसके बाद सेल बॉडी या सोमा क्या काम करता है यह पार्ट रिसीव करता है इंफॉर्मेशन को और उसके बाद में प्रोसेस
करता है डेंड्राइड ने इंफॉर्मेशन रिसीव की अब रिसीव होने के बाद वो इंफॉर्मेशन को प्रोसेस करने का काम करेगा सोमा अब जैसे
ही इंफॉर्मेशन प्रोसेस हो गई तो वो आती है इंफॉर्मेशन एक्जन के पास में कि जब न्यूरॉन प्रोसेस कर लेता है इंफॉर्मेशन को
तो आउटपुट में जो सिग्नल्स देता है दूसरे न्यूरॉन्स तक पहुंचाने के लिए वो काम करता है एजन एक इसी चीज से इंस्पायर होके डीप
लर्निंग के अंदर का जो मॉडल होता है वह ऐसा ही होता है पहले होती है इनपुट लेयर उसके बाद होती है हिडन लेयर और उसके बाद
होती है आउटपुट लेयर तो इनपुट लेयर क्या करती है सारी की सारी इंफॉर्मेशन को रिसीव करती है हिडन लेयर उस इंफॉर्मेशन को
प्रोसेस करने का काम करती है हिडन लेयर्स मल्टीपल हो सकती है एक दो 4 5 हजार भी हो सकती है दिस इज द मल्टीपल न्यूरॉन्स तो
हिडन लेयर्स क्या होती हैं यह लेयर्स मल्टीपल न्यूरॉन से बनाई जाती है ताकि जो भी इनपुट डाटा को प्रोसेस करते हैं वह
अपने अपने वेट और एक्टिवेशन फंक्शन के थ्रू इनपुट को ट्रांसफॉर्म करती है और जब सारी इंफॉर्मेशन प्रोसेस हो जाती है तब
हमारे पास एक होती है आउटपुट लेयर जो हमें रिजल्ट्स को देती है तो पूरा का पूरा डीप लर्निंग का जो मॉडल और फ्रेमवर्क है वो
ह्यूमन ब्रेन बेस्ड है और इसी तरीके से यहां पे भी जो कांसेप्ट आता है इनपुट लेयर्स का हिडन लेयर्स का और आउटपुट
लेयर्स का अब अगर इसको हम लोग थोड़ा सा और समझे मैं आपको एक और रियल टाइम एग्जांपल से समझाऊं जैसे फॉर एग्जांपल यहां पे एक
पर्टिकुलर सेट ऑफ पीपल हैं जिनको ये टास्क दिया गया है कि ये जो इमेज है यहां पे यह पांडा की इमेज है या नहीं है ये उन्हें
बताना है तो एक तरीके से इमेज क्लासिफिकेशन का यहां पे अगर हम लोग बात करें कि अब ये चीज हम लोगों को ट्रेन करनी
है राइट अब ह्यूमंस को हमें बताना है तो वो ह्यूमंस जो कभी पहले मान लो पांडा को देखे ही नहीं है तो वो तो जानेंगे नहीं
इसके बारे में तो लेट्स सपोज ये यहां पे टास्क है तो अब जब भी आपके पास पास कोई इमेज आएगी जैसे पांडा की तो हर एक ग्रुप
जो है वो अलग तरीके से काम करेगा कोई होगा जो पांडा की नोज है या नहीं उसको पहचाने का कोई उसकी आंखों से पहचाने का कोई उसके
इयर से पहुंचाने का और उसके बाद जब हर कोई अपने-अपने तरीके से इंफॉर्मेशन को प्रोसेस कर लेगा तो वो फाइनल इंफॉर्मेशन किसी एक
को बताएगा और वो इंसान क्या करेगा जिसको इंफॉर्मेशन पता चली है वो जाके चेक आउट करेगा अब ये बोलेगा कि क्या यह पांडा की
इमेज है तो हमारी टीम ने इसको डिसाइड किया हर किसी ने अलग-अलग अ उसके किसी ने नोज को जज करने का काम किया किसी
ने आइज को किसी ने इयर्स को और हमें लगता है कि ये इमेज जो है वो पांडा की है तो फाइनल जो यहां पे रहेगा जो हमारा डिसीजन
मेकर रहेगा वो इस बात को क्लेरिफाई करेगा दैट दैट दिस इमेज इज ऑफ पांडा और नॉट तो इसने अगर कह दिया यस दैट मींस कि हुआ क्या
कि जब भी आपके पास में इस इमेज क्लासिफिकेशन का या ऐसा कुछ काम आता है तो आपने क्या किया इस काम को अलग-अलग लोगों
में अलग-अलग चीजों को देखने के लिए डिवाइड कर दिया और उसके बाद ये फाइनल जो है आप आपको रिजल्ट जो है वो यहां पे मिल रहा है
तो इन द सेम मैनर यहां पे जो लेयर्स होते हैं हमारे पास इनपुट आउटपुट जो लेयर्स होते हैं वो ऐसा ही काम करते हैं कि हर
तरीके से यहां पे देखो इनपुट में हमको मिल गया उसके बाद यह सारे कुछ यहां पे हिडन लेयर्स है और फिर फाइनल आउटपुट हमें पता
चल रहा है तो ठीक ऐसा ही यहां पे जो आप नेटवर्क देख रहे हैं अगर फेस डिटेक्शन का मैं डीप लर्निंग मॉडल दिखाऊं तो ये हो गया
हमारा इनपुट उसके बाद में यहां पे आप देख सकते हैं कई सारे हिडन लेयर्स जो है वो यहां पे हैं वो सारी इमेज क्लासिफाई होगी
और फिर जाके फाइनल आउटपुट मिलेगा तो ठीक ऐसा टास्क जैसा ह्यूमंस करते हैं अब हो सकता है कि कभी कोई ऐसा केस हो जहां पांडा
की वो इमेज ना हो उससे सिमिलर दिखने वाला कोई एनिमल हो तो क्या होगा हर एक बॉडी पार्ट को क्लोजल आपकी टीम ऑब्जर्व करेगी
उसके बाद ही आप डिसीजन ले पाओगे कि ये वो पांडा की इमेज है या नहीं है राइट सो इन दिस मैनर सेम इसी तरीके से जो न्यूरल
नेटवर्क्स होते हैं वो ऐसे ही बिल्ड होते हैं जहां पे आप इनपुट देते हैं और कई सारे ऐसे एल्गोरिथम्स होते हैं जो हिडन लेयर के
अंदर काम करते हैं और फिर हम लोगों को एक फाइनल रिजल्ट मिलता है सो दैट इज़ द होल स्ट्रक्चर ऑफ द न्यूरल नेटवर्क्स दैट इज़
व्हाट आई एम ट्राइम टू एक्सप्लेन यू गाइज हियर तो इस तरीके से डीप लर्निंग बहुत ही इंपॉर्टेंट पार्ट जो होता है वो बनता है
क्योंकि जितने भी हम लोग कॉम्प्लेक्टेड ऑन द डीप लर्निंग थिंग्स अब आप लोगों के मन में भी एक क्वेश्चन जरूर
आना चाहिए कि जब पहले से हमारे पास मशीन लर्निंग था तो डीप लर्निंग की क्या जरूरत आ पड़ी क्या डिफरेंस होता है मशीन लर्निंग
और डीप लर्निंग के बीच में तो सबसे पहले अगर हम लोग इसका डेफिनेशन के हिसाब से डिफरेंस देखें तो मशीन लर्निंग इज अ
टेक्निक वेयर कंप्यूटर लर्न्स फ्रॉम डेटा टू मेक प्रिडिक्शंस मशीन लर्निंग एक ऐसी टेक्निक है जिसमें कंप्यूटर डेटा से सीखता
है ताकि वो प्रिडिक्शंस परफॉर्म कर पाए लेकिन डीप लर्निंग जो है वो एक सबसेट है मशीन लर्निंग का जहां पे न्यूरल नेटवर्क्स
का यूज होता है और लार्ज अमाउंट ऑफ डेटा से मॉडल सीख पाता है अगर डेटा डिपेंडेंसी की बात करें तो मशीन लर्निंग में स्मॉल से
मीडियम डेटा सेट के लिए रिलायबल है लेकिन डीप लर्निंग के लिए बहुत ही ज्यादा जो ह्यूज डटा होता है उसकी रिक्वायरमेंट
पड़ती है फीचर इंजीनियरिंग की बात करें तो मशीन लर्निंग में ह्यूमंस को काफी ज्यादा मैनुअली फीचर्स को सेलेक्ट करना पड़ता है
लेकिन डीप लर्निंग में ये काम ऑटोमेटिक हो जाता है अगर हम लोग बात करें टाइम की तो स्मॉल डेटा सेट है तो मशीन लर्निंग फास्ट
तरीके से काम कर जाएगा लेकिन अगर डीप लर्निंग है तो कॉम्प्लेक्शन सिटी जो है वो बढ़ जाती है अगर कंप्यूटेशन पावर की बात
करें तो मशीन लर्निंग के एल्गोरिथम्स जो है वोह नॉर्मल कंप्यूटर्स पे भी वर्क करते हैं लेकिन अगर कोई बड़ी कंपनी है उसको डीप
लर्निंग मॉडल्स ट्रेन करना है तो उसके लिए जीपीयू या टीपीयू की जरूरत पड़ती है उसके बाद अगर हम लोग बात करें यहां पे तो इसमें
स्ट्रक्चर डाटा होता है और इसमें काफी कॉम्प्लेक्टेड टेक्स्ट प्रोसेसिंग स्पीच डेटा तो अगर हम लोग एक एग्जांपल ले रियल
लाइफ का जैसे अभी हम इमेज रिकॉग्निशन को देख रहे थे मशीन लर्निंग में इसके लिए एसवीएम सुपरवाइज्ड मशीन लर्निंग के कुछ
एल्गोरिथम्स रैंडम फॉरेस्ट और भी ऐसे टेक्निक्स का यहां पे यूज़ होता है और फीचर एक्सट्रैक्शन जो होता है वो मैनुअल
होता है लेकिन यही चीज अगर हम लोग डीप लर्निंग में करें तो सीएनएन की जरूरत पड़ेगी और जो पैटर्स है वो ऑटोमेटिक क्या
होगा मशीन पैटर्न को लर्न करना चालू कर देगी तो डीप लर्निंग एडवांस चीजें हैं क्योंकि और ज्यादा डाटा आज की डेट में
कॉम्प्लेक्टेड है आजकल अगर हम बात कर रहे हैं हमारा कोई स्पीच है दैट इज आल्सो द डटा हम दिख कैसे रहे हैं हमारी जो फोटोज
है दैट इज आल्सो अ डेटा अगर हम जैसे मैं अभी आपको एक वीडियो की तरह पढ़ा रही हूं दैट इज आल्सो अ डाटा मैं कुछ लिख रही हूं
दैट इज आल्सो अ डेटा सो द डेटा बिकम कॉम्प्लेक्टेड के लिए डीप लर्निंग जो है वो काफी इंपॉर्टेंट होता है मशीन लर्निंग
के साथ-साथ तो अब डीप लर्निंग अगर आप सीखना चाहते हैं तो उसके लिए क्या-क्या इंपॉर्टेंट टॉपिक्स हैं ये ऑलरेडी मेरी
स्क्रीन पे आपको यहां पे डिस्प्ले हो रहा है आप चाहे तो इसका स्क्रीनशॉट लेके भी रख सकते हैं ये सारे ऐसे टॉपिक्स हैं डीप
लर्निंग के कि अगर आप एआई की फील्ड में जाके खुद को जॉब रेडी बनाना चाहते हैं तो आपको इन सारे टॉपिक्स को अच्छे से लर्न
करना इंपॉर्टेंट है अब यह तो हुई बात डीप लर्निंग की अब हम बात करेंगे एनएलपी की यानी कि नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग अगर
किसी मशीन को ह्यूमन जैसी एबिलिटी देना है तो उसको बात भी समझ में आनी चाहिए जैसे हम ह्यूमंस अलग-अलग लैंग्वेज का यूज करते हैं
ज भाषा जिसको समझ में आ पाए तो ठीक वैसा ही मशीन को ह्यूमंस की भाषा समझ में आ पाए तभी वो प्रॉपर तरीके से उनके लिए
बेनिफिशियल होगी सो एनएलपी इज बेसिकली दैट ब्रांच ऑफ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस दैट इनेबल्स कंप्यूटर टू अंडरस्टैंड
इंटरप्रेट जनरेट ह्यूमन लैंग्वेज य एक मशीन को अलाउ करती है कि वह वास अमाउंट ऑफ एनएलपी का डाटा जो है उसको प्रोसेस कर पाए
और एनएलपी के बहुत सारे एप्लीकेशंस हम लोग देख ही रहे हैं जैसे चार्ट बर्ड्स है चार्ट बर्ड्स के अलावा अगर हम लोग देखें
तो बहुत सारे अलेक्सा सीरी जैसे कितने सारे असिस्टेंट हैं जिनको हम बोलते हैं और वो समझ जाते हैं ह्यूमन लैंग्वेज
अंडरस्टैंड कर पाते हैं ठीक वैसे ही अगर सेंटीमेंट एनालिसिस करना हो तो एनएलपी का यूज होता है लैंग्वेज ट्रांसलेशन के लिए
यूज़ होता है जिसका google3 में हैंड क्राफ्टेड रूल्स और कुछ डिक्शनरी अवेलेबल थे लेकिन 1990 और 2010
के बीच में इसमें अलग-अलग एल्गोरिथम्स आने लगे जैसे कि हिडन मार्कोव मॉडल्स सपोर्ट वेक्टर मशीनस जोकि एनएलपी की जो एक्यूरेसी
है उसको इंप्रूव करने के लिए हेल्पफुल हुए और 2015 के बाद से तो एनएलपी में बहुत ज्यादा काम हुआ है क्योंकि जितने भी हम
लोग देख रहे हैं मॉडल्स जैसे वर्ड टू वेक्टर एलएसटीएम ट्रांसफॉर्मर के अंदर दो स्ट्रक्चर आता है वर्ड जीपीटी और भी
स्ट्रक्चर्स होते हैं ये सारी चीजें बेसिकली एनएलपी को काफी ज्यादा बूस्ट करता है अगर आज की डेट में हम लोग बात करें तो
कितनी सारी ऐसी कंपनीज हैं जो एनएलपी में प्लेटफॉर्म प्रोवाइडर्स में बड़ी कंपनी है सॉफ्टवेयर प्रोवाइडर्स एंड यूजर्स अ
रेगुलेटरी बडज फ्रेमवर्क टूल किट प्रोवाइडर सर्विस प्रोवाइडर ये सारे ऐसे सॉफ्टवेयर प्रोवाइडर्स हैं जो एनएलपी का
यूज कर रहे हैं सोशल मीडिया में भी हम जाएंगे हम कैप्शंस लिखते हैं एवरीथिंग इज बेसिकली रिलेटेड टू द लैंग्वेज राइट तो ये
डीप लर्निंग के बाद अगर हमें कवर करना चाहिए दैट इज द एनएलपी जो कि काफी हेल्पफुल है नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग
के लिए अपने मॉडल को एफिशिएंट बनाने के लिए ठीक इसी तरीके से और एक इंपॉर्टेंट टेक्नोलॉजी है दैट इज कॉल्ड एज द कंप्यूटर
विजन कंप्यूटर विजन इज अ फील्ड ऑफ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस दैट इनेबल्स मशीन टू इंटरप्रेट अंडरस्टैंड विजुअल डाटा
इमेजेस और फोटो जैसे हम ह्यूमंस की आंखें होती है हम देख लेते हैं समझ जाते हैं राइट जैसे फॉर एग्जांपल अ सेल्फ ड्राइविंग
कार्स राइट अब कार के अंदर तो कोई ड्राइवर नहीं है उसको खुद पता करना है कि आगे कोई पत्थर आ रहा है पेड़ आ रहा है या कोई
इंसान आ रहा है उन सारे ऑब्स्ट कल से बचते हुए उसको अपने डेस्टिनेशन में पहुंचना है तो जैसे हम ह्यूमंस को तो दिख जाता है
वैसे ही एक मशीन को भी दिख पाए दैट इज द कंप्यूटर विजन फ्रेमवर्क जहां पे इमेजेस और वीडियो डाटा के साथ साथ में मॉडल को
ट्रेन किया जाता है तो यह भी एक काफी इंपॉर्टेंट कंप्यूटर विजन आज की डेट में जरूरी है और इसकी भी इवेलुएशन इवोल्यूशन
की बात करें तो ठीक एनएलपी की तरह 19608 में इसकी शुरुआत हो चुकी थी फिर उसके बाद सपोर्ट वेक्टर मशीनस सीएनएन जैसे बनना
चालू हुआ तो कंप्यूटर विजन में 2012 के बाद से और ज्यादा काम जो है वो बढ़ गया जिसके अंदर रेसनेट योलो ट्रांसफॉर्मर्स
जैसे कई सारी चीजें जो है वो इंक्लूडेड है अब बात करते हैं लार्ज लैंग्वेज मॉडल्स की जिसके बारे में हम इतना कुछ सुनते आ रहे
हैं तो लार्ज लैंग्वेज मॉडल्स क्या होते हैं एक एआई मॉडल होता है जो बहुत बड़े टेक्स्ट डाटा से ट्रेन किया जाता है और
ह्यूमन जैसे चीजों को जनरेट कर सकता है जैसे चार जीपीटी जेनाई google3 एलेक्सा बार्ड है या फिर कोड
जनरेशन के लिए गिट हब या कोपायलट तो जैसा एक इंसान चाट जीपीटी यूज कर सकता है हम क्या करते हैं हमें अगर कोई चीज लिखवा
नहीं है कोई एक लेट्स सपोज मुझे ऐसे लिखवाना है तो जैसा ह्यूमन कर सकता है वैसे चार जीपीटी लिख के दे सकता है मुझे
एआई बॉड जैसे एक इंसान बात करता है वैसे ही अलेक्स और सीरी बात कर सकते हैं अगर एक इंसान कोड जनरेट कर सकता है लिख सकता है
तो वैसे ही यहां पे कोड जनरेशन के लिए गिट अप कोपायलट हम लोगों को यहां पे हेल्प करता है तो ये जो होता है बेसिकली ये
लार्ज लैंग्वेज मॉडल के अंदर ही चीजें पॉसिबल होती है लेकिन लार्ज लैंग्वेज मॉडल को बनाने के लिए क्या-क्या जरूरत पड़ती है
सबसे पहले डाटा और वो भी बहुत ज्यादा लार्ज क्वांटिटी ऑफ डाटा एलएलएम को ट्रेन करने के लिए बहुत सारा डेटा सेट दिया जाता
है अब डेटा सेट का सोर्स कुछ भी हो सकता है कोड डेटा सेट हो सकता है विकपीडिया से कोई वेबसाइट से कहीं से भी आप डाटा ले
सकते हैं सेकंड चीज की जो जरूरत पड़ती है दैट इज द ट्रांसफॉर्मर मॉडल न्यूरल नेटवर्क आर्किटेक्चर जब भी हम लोग किसी
एलएलएम को बनाते हैं तो इसका जो मॉडल होता है जो आर्किटेक्चर होता है जिसके ऊपर आपका एलएलएम बनेगा वो अलग-अलग हो सकता है जैसे
कि जीपीटी यानी कि जैसे हम चार जीपीटी देख रहे हैं इसके पीछे का जो ट्रांसफॉर्मर है इसको जीपीटी बोलते हैं यानी कि जनरेटिंग
प्री ट्रेन ट्रांसफॉर्मर या मैं बात करूं बर्ड की जैसे होता है वो बेसिकली बिल्ड किस पे होता है
तो यहां पे अलग-अलग तरीके के ट्रांसफॉर्मर्स हम लोगों को देखने मिलता है अब इसके बाद अगर हम लोग बात करें
हार्डवेयर की क्योंकि आपकी मशीन सबसे पहले तो आपकी मशीन इतनी स्ट्रांग होनी चाहिए कि वो इतने बड़े डाटा के साथ में डील कर पाए
तो इसके लिए यहां पे जो जीपीयू और टीपीयू होते हैं उसकी जरूरत पड़ती है जैसे कि एडिया है या
आज जब एडिया या बाकी जो कंपनीज है जो चिप पे बहुत अच्छा काम कर रही हैं उनकी बदौलत हम लोग क्या कर पा रहे हैं आज कहीं पे भी
बैठ के अगर आपको डीप लर्निंग अपने लैपटॉप पे यूज़ करना है तो आप वहां पे उसको कर पाएंगे तो ये जो कंपनीज है जो उसके
पावरफुल हार्डवेयर पे काम कर रहे हैं जीपीयू एंड टीपीयू की ये सबसे ज्यादा रिक्वायरमेंट है आज की डेट में देन सेकंड
आता है अब आपके पास में अगर आपको एलएलएम बनाना है तो सबसे पहले आपने डाटा दे दिया उसके बाद में आपने उसका आर्किटेक्चर के
लिए ट्रांसफॉर्मर सेलेक्ट कर लिया आपने जीपीयू और टीपीयू सेट कर लिए जिसमें आप डाटा को ट्रेन करेंगे उसके बाद क्या
एल्गोरिदम लगाएंगे ट्रेन करने के लिए तो अलग-अलग टाइप के एल्गोरिथम्स होते हैं और यही हम लोग मशीन लर्निंग डीप लर्निंग के
अंदर अलग-अलग एल्गोरिथम्स को पढ़ते हैं फिर उसके बाद ऑप्टिमाइजेशन टेक्नीक होती है जहां पे ग्रेडिएंट डिसेंट बैक
प्रोपेगेशन जैसी चीजें जो होती है वो यूज होती है डिप्लॉयड और स्केलिंग के लिए अब आपने कोई मॉडल बना दिया उसको आपको क्लाउड
प्लेटफॉर्म पे जाके डिप्लॉयड के अलग-अलग प्लेटफॉर्म्स होते हैं ओपन एआई का एपीआई है हगिंग फेस है
कोष के थ्रू कंप्लीट हो गया होगा क्योंकि जब तक हम लोगों को अगर फाउंडेशन ही नहीं पता है उसका असली मतलब ही नहीं पता है तो
हम उसके बारे में कैसे आगे बढ़ सकते हैं तो इस पूरे के पूरे वीडियो लेक्चर में मेरी कोशिश थी कि जब भी कोई एआई की बात
करें आपसे पूछे तो आपको बेसिक फंडामेंटल जरूर क्लियर हो जाए और इस वीडियो के थ्रू जितने भी हमारे टर्मिनोलॉजी हैं टेक्निकल
है और सारे के सारे जो वर्ड्स है उसका जो फंडामेंटल है वो मैंने आपको समझाने की कोशिश की क्योंकि कई बार ऐसा होता है कि
अगर आप इंटरव्यूज में भी जा और ये मेरा भी रियल टाइम एक्सपीरियंस है कि कभी भी कोई भी कैंडिडेट अगर इंटरव्यू में आता है एंड
व्हेन एवर इफ लेट्स से आई एम टेकिंग सर्टेन इंटरव्यू आल्सो तो हम सबसे पहले देखते हैं कि इसका फाउंडेशन कितना ज्यादा
स्ट्रांग है क्योंकि उसी के बेसिस पे आपका आगे का जो लेवल होता है वो स्ट्रांग होता है तो यहां पे कई बार ऐसा इंटरव्यू में
होता है कि लोग बस एआई का नाम सुनके उसके पीछे भागने लगते हैं उनको उसके बेसिक्स का पता ही नहीं होता कि कौन सी चीज एआई में
कहां यूज़ हो रही है और इंटरव्यू में भी वो लोग सफर करते हैं जब वो बेसिक चीजों का जवाब नहीं दे पाते हैं तो मेरी मेरी पूरी
कोशिश थी कि आपको इस एक ऐसा वीडियो आपको फुल फ्लेच प्रोवाइड किया जाए वन शॉट जहां पे आप एआई को डिटेल में समझे और उसके बाद
आप खुद डिसाइड कर पाए कि आप एआई की तरफ और आगे अच्छा क्या सीखना चाहते हैं क्या पढ़ना चाहते हैं अगर आप लोग चाहते हैं अभी
तो हमने बेसिक तरीके से बस देखा मशीन लर्निंग के टाइप्स डीप लर्निंग के टाइम्स एनएलपी और कंप्यूटर विजन को आप लोग मुझसे
कौन सा कोर्स फुल फ्लेच चाहते हैं जहां पे हम या तो हो सकता है पूरा मशीन लर्निंग पढ़े या डीप लर्निंग पढ़े या एनएलपी पढ़े
या कंप्यूटर विजन पढ़े आप क्या चीज़ पढ़ना चाहते हैं यह मुझे कमेंट्स में जरूर बताइएगा ताकि मैं उसके लिए आपके लिए
कंप्लीट कोर्स जो है वह जल्द से जल्द देके आ पाऊं सो दैट ऑल फ्रॉम माय साइड यह था एक शॉर्ट हमारा कोर्स रिगार्डिंग द एआई
नेक्स्ट वीडियो किस टॉपिक पे चाहिए मुझे कमेंट करके जरूर बताइएगा मिलते हैं हम लोग अगले वीडियो में तब तक स्टे डेटा क्यूरियस
एंड कीप लर्निंग
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